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Sunday, April 30, 2017

बाबुल


देहरी पार विदेश में,    इक है बाबुल का द्वार !
नन्ही तुम निराश ना होना खो बाबुल का प्यार  !!

जब तुम गुड़िया नन्ही थी ;

मेरे सपनों की तितली थी !
मीठी भोली बातें थी ;
रिम झिम सी बरसातें थी !
नहीं चाह पंखों को तेरे , 
कोई नोचे या रंग उड़े !!
सजा सपनों काआँगन,फूल उगाये हैं हर बार !
घने वट की छाया में,  सींच स्नेह से बारम्बार !!..
देहरी पार विदेश में,    इक है बाबुल का द्वार !
नन्ही तुम निराश ना होना खो बाबुल का प्यार  !!


खूब पढ़ाया योग्य बनाया ;
गुण अवगुण का भेद बताया !
उजाले ही दिए राह में 
चाह न ,कांटे कभी राह में 
संस्कारों की देकर धूप ,
सँवारा तुम्हारा रूप अनूप !!
जब तुम पहुँचो पी के द्वार,अलौकिक हो तुम्हारा श्रृंगार !
कोमल तन मज़बूत जिया ले, निरखो सुंदर सा घर बार !! 
देहरी पार विदेश में,    इक है बाबुल का द्वार !
नन्ही तुम निराश ना होना खो बाबुल का प्यार  !!


ख्वाब एक जीवन का मेरे ;
आसविश्वास सकल सुख तेरे !
विकल मन करूँ तुझे विदा ,
शायद बाबुल की यही खता !!
हर बेटी जाती ससुराल !
शुभकर्मों से करे निहाल !!
दे दुआएँ करता विदा , सुखी सदा तेरा संसार !
स्नेह आशीष सदा बरसे, साथ दो बाबुल का प्यार !!
देहरी पार विदेश में,    इक है बाबुल का द्वार !
नन्ही तुम निराश ना होना खो बाबुल का प्यार !!


जीवन की यही है रीत ;
साजन संग सजनी की प्रीत !
प्रीत निभाना मेरी बिटिया,
रीत निभाना मेरी बिटिया !
स्वर्ग बनाना आँगन को !
महकाना उस गुलशन को !!
मधुमय प्रीत की वर्षा हो, आशीष यही है बारम्बार !
जीवन फूलों से सरसा हो,  सपने सारे हों साकार !!
देहरी पार विदेश में,    इक है बाबुल का द्वार !
नन्ही तुम निराश ना होना खो बाबुल का प्यार  !!,... तनुजा ''तनु ''