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Wednesday, June 28, 2017



बारहा


क्यों बारहा हम ही हम मरे हैं ?
अजी  जुदाई से कब उबरे हैं ?

सुनो दिल से न तुम दूर होना ,
वक्त बड़ा ये सख़्त गुजरे है !

न डूब इस कदर गम में अपने , 
आइना देखे तो खुद ही डरे है ! 

अभी कश्ती से दूर है किनारा ,
कहाँ है सहारा  जो तू उतरे है ?

यही जिंदगी यहीं पर अता कर ,
इसी छलावे में  ये मनवा जरे है!

इसी लिए हम बावले हो गए हैं ,
के चाँद के ख़ाब दिल से परे हैं !

कयामत अभी नहीं आने वाली !
जब्त कर 'तनु' क्यों रो के मरे है !!...''तनु ''

Monday, June 26, 2017



ईद की ईदी !


चाहतों के दामनों में बरसती है ईद की ईदी !
हो गयी इबादत पूरी चाहूँ  मैं मुरीद की ईदी !!

नफरतें हो लाख पर मुहब्बतों  की खुश्बुएँ हो !
 बंदगी और दुआओं से बड़ी तेरी दीद की ईदी !!

कीजिये कायम सख़ावत औ ज़कात जिंदगी में !
मिलती नहीं  फिर शिकायत औ ताक़ीद की ईदी !!

चाँद का दीदार कर और दे  इमदाद गरीबों को !
माहे रमजान में तुझे मिल जायेगी तौफ़ीक़ की ईदी !! 

प्यास शदीद रख दरिया का रुख कर ऐ नेकदिल !
इल्म की इमदाद ले  लो फन और अदीब की ईदी !!,''तनु ''

Sunday, June 25, 2017





यामा मनमौजी हुई , जम्हाई आह्वान !
नींद में ये मगन हुई, भूली अपना मान!!
भूली अपना मान, लगन अब सोने की है ,
 है चाँदी का चाँद,       रात तो सोने सी है !
 रोज़ निभाए चाकरी ये हुआ क्यों रामा ???
  जम्हाई आह्वान !   हुई मनमौजी यामा !!....''तनु ''

Saturday, June 24, 2017




|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में बालगीत'||


चली चींटिया, पीछे - पीछे ,
पीछे - पीछे,  अंडे लेकर !

अंडे लेकर , बारिश होगी !
बारिश होगी ,तालाब भरें !!

तालाब भरें,   नभ गरजेंगे !
नभ गरजेंगे,चली चींटियाँ !!...''तनु ''



!!! नव-कुंडलिया !!!
---- राज-छंद ----

लेखनी 

धर्म लेखनी, पूजनीय तू,
पूजनीय तू,   प्रीत हृदय दे !

 प्रीत हृदय दे,  मन आहत है,
 मन आहत है ,बोझ न बन तू !

बोझ न बन तू,  दूर विषय कर  ,
 दूर विषय कर , धर्म लेखनी !!...''तनु ''


लेखनी 

लिखना दीपक लेखनी, कहना जी की बात !
सहलाना मरहम लगा ,  थाल केसरी भात !!
थाल केसरी भात !! नभ से ज़मी पर पटके !
दे व्यंग्य की घात !!     गिरे खजूर पर लटके !
माता का है रूप ,     इससे मत बुरा लिखना !
सत्य की लिखें धूप ,   जगरते दीपक लिखना !!



लेखनी 

लिखना दीपक लेखनी, कहना जी की बात !
सहलाना मरहम लगा ,  कभी केसरी भात !!
कभी केसरी भात !! नभ से ज़मी पर पटके !
दे व्यंग्य की घात !!     गिरे खजूर पर लटके !
माता का है रूप ,     इससे मत बुरा लिखना !
सत्य की लिखें धूप ,   जगरते दीपक लिखना !!



लेखनी 


लिख दे  दीपक लेखनी,  लिख सूरज उपहार !
लिख अंबर औ धारिणी,   लिख सारा संसार !!
लिख सारा संसार !!    प्रेम की पाती लिख दे  , 
खुशियों का अम्बार!! बरस कर धानी लिख दे ,
निर्मल सुखमय हो,पापमुक्त जनजीवन लिख !
फलीभूत हो  आशीर्वचन  मनभावन लिख  !!...''तनु ''


Friday, June 23, 2017


लेखनी 

लेखनी रानी मन की , कहती मन की बात !

सहलाती मरहम लगा ,  परोस केसर भात !
परोस केसर भात !!  नीम औ करेला कभी ! 
दे व्यंग्य की घात !!    हँसी संग आँसू कभी !!
देती भाषा ज्ञान ,          पूजो समर्थ लेखनी !
साथ रखो ईमान ,    बुरी मत लिखो लेखनी!! ...''तनु ''



 सिमट जाऊँ कहाँ सहरा हूँ मैं !
 बँट जाऊँ वहाँ जहाँ खड़ा हूँ मैं !!

तैयार हूँ सफर पर मुझे जाना ! 
जिंदगी तुझसे सदा लड़ा हूँ मैं !!

चाँद चाहे तो चाहतें जीलूँ !
जानता हूँ पलों में घटा हूँ मैं !!

बूँद की प्यास तूफ़ां की तलब नहीं  !
प्यासों के लिए झरा, घड़ा हूँ मैं !!

थकन ओढ़ सोजा मिरे साये में !
फ़क्त दिनों का शजर हरा हूँ मैं !! ... ''तनु ''


Thursday, June 22, 2017



गम कहीं और हरे न हो जाएँ ,
देखना आँख कुछ न कह जाए !

कह चुकूँ तो चुप्पी भी सुन लेना , ,,
याद के फूल खिल के मुरझाए ... ''तनु ''





दलित शब्द जिसमें न हो , बनाओ शब्दकोश !
पैमाना ऐसा न हो ,           जिससे जाहिर रोष !!
जिससे जाहिर रोष, दलितों को दलित कह के !
मारो मत निर्दोष  ,         पाप धुले नहीं बह के !!
इक ही पालन हार ,    सारे ही उसके पलित !
सोच  जिसकी निम्नतर, है सबसे बड़ा दलित !!,..''तनु''


मीठी मीठी गप करे ,     कड़वा  थूके जाय !
दलित नामधार करके,''मगर'' आँसू बहाय !!
 ''मगर'' आँसू बहाय, चित पट दोउ ही उसके !
कथनी करनी दोय,    नहीं अब बस में उसके !!
होती बंदर बाँट, कौ कहे  कैसी सीठी ??
 गंगा धोये हाथ   गप करे मीठी मीठी  !!,..''तनु''              




आस बढ़ी उम्मीद जगी खुशियों के फूल खिल गए !
खोयी जीवन मरीचिका  अमिय के झरने मिल गए !!

 कैसी गरम बयार चली,   झड़ गए सब पीले पात !
 चुपके इन्ही दरख्तों पर,नन्हे से कोंपल खिल गए !!

 लहरें चाहतों की चली , कभी उठती कभी गिरती !
  चलते चलते चूर नहीं ,  जैसे किनारे मिल गए !! 

 रिश्ते  थे तार तार  से  ,  पैबंद थे गरीबी के !
 उसकी निगाहों का करम था इनायत से सिल गए !! 

 क्यों जल गए थे बाग़ कहीं ना थी फूल भर खुशबू !
अज़ल से चले है हम, दम से हमारे गुल खिल गए !!,... ''तनु''






Wednesday, June 21, 2017






सारा सरवर कदि भरे,   छूटी जीवन आस !
जा मति कारी वादरी,   हिवड़ो हुयो उदास !!,

सारे सरुवर कब भरें,   छूटी जीवन आस !
जा मत काली बदरिया,मनवा हुआ उदास !!,...''तनु''

Tuesday, June 20, 2017




फूलों की राह पे चल के जिंदगी देखना ,
खुदा की नियामत ये खूबसूरती देखना !
बहारें आती ही रहेंगी गुलशन गुलशन , ,,
बन्दों के ही नसीब में , ये बंदगी देखना !!,,,''तनु ''







योग 



राज़ सब जान गये हैं, जिसने जो चाहा मिला ,
योग करेगा वही जानेगा, उसको क्या मिला !

 जमीन पर झोपडी वाला हो या महल वाला, 
खो गए वीराने,सबको चाँद का रास्ता मिला !

डूबने लग जाओगे  जब मस्ती में योग की,
जान जाओगे , दीवाने को दीवाना मिला ! 

इस सफर में, आसन हैं औ आयाम सांसों के, 
काया नफीस बनती, रोगों से छुटकारा मिला !

पुराने कठिन रोगों को रगड़ के धो डालो तुम, 
साथ सूरज के चलने वालों को सरमाया मिला !  

ध्यान करने औ प्राणायाम में निरंतरता हो , 
खुद को देखो, लिपटोगे यूँ  शहज़ादा मिला ! . ..''तनु ''





Monday, June 19, 2017



योग 


राज़ सब जान गये हैं, जिसने जो चाहा मिला ,
योग करेगा वही जानेगा, उसको क्या मिला !

इस जमीं पे झोपडी वाला हो या महल वाला,
खो गए वीराने,सबको चाँद का रास्ता मिला !

इस सफर में, आसन हैं और आयाम सांसों के,
काया नफीस बनती, रोगों से छुटकारा मिला !

सब पुराने कठिन रोगों को अब धो डालो तुम, 
साथ सूरज के चलने वालों को ही साया मिला ! 

ध्यान करने और प्राणायाम में निरंतरता बने,
खुद को देखोगे, कहोगे कोई शहज़ादा मिला !...''तनु ''

Sunday, June 18, 2017

  

योग से ,

   एक लचीला और मजबूत शरीर बनाओ योग से ,
   साँस औ उच्छवास ले मुखकान्ति बचाओ योग से !
   फैट घटे जुकाम मिटे एलर्जी चर्म रोग भी दूर करे , ,,
    साथ मेडिटेशन करो स्ट्रेस फ्री हो जाओ योग से !!...''तनु '' 

Friday, June 16, 2017




जीवन मंगलमय रहे ,    सुख की हो बौछार !
 नित नित सुवासित शीतल, आती रहे बयार !!,,..''तनु ''

किसान, ,,

खेतिहर मजदूर रहा , सदा अपना किसान ,
रात औ दिन एक किये, सोया सदा मचान !
सोया सदा मचान !   गेह छोड़ कानन जिया!!
सीँच सदा ईमान , -----ग्रीष्म को सावन किया ,                               
दो उसको सम्मान, ---  नेह सरसाता हलधर!
सबके भरता पेट, ----   वही मजदूर खेतिहर !!, ..''तनु''




जात

सिकती इसपर रोटियाँ,  करती ये व्यापार !
राम नाम तो दूर है ,        जात जीवनाधार !!
जात जीवनाधार ,  करे सब अपनी मन की !
दुबले दो आषाढ़,      कौन पूछेगा जन की ?
''राजनीति'' दूकान में  जिंदगानी  बिकती !
लाशों पर सरेआम आज रोटियाँ सिकती !!.... ''तनु ''

Sunday, June 11, 2017




कोई हबीब नहीं पढ़े जो मेरी जिंदगी की किताब,
कभी बहार थी गुलिस्ता में और सुर्ख़-रु थे गुलाब !

मुझ ही से शब में उजाला, मुझ ही से बादे सबा,

बंद हुए दरीचे सभी, खुलता नहीं कोई ही बाब !

फ़िक्र -ए फ़र्दा रही हवा, चली समंदर से दश्त, 

देती है साज-ए-शिकस्ता का जहां को हिसाब !

आँखों में मदहोशी थी,लहजा था प्यार में डूबा,

ग़ुम सारे ख़्वाब हुए, अब हैं अज़ाब ही अज़ाब ! 

खोया है कलाम कि फिर तफ़्सीर लाऊँ कहाँ से !

ख़्वाब उसी का जमाल, मेरी आयत की किताब !!...''तनु ''



नशा उसूलों का रखो साथ में अहबाब भी ,
डरो नहीं  आ भी जाए साथ में सैलाब भी !
नूर -ए -क़लम औ ज़ोर -ए -बयाँ हो नायाब तो , ,,
पा  ही जायेंगे  सनम साथ  में इंक़लाब भी !! .. तनुजा ''तनु ''

Saturday, June 10, 2017


मालवी में 


असाढ़ रा डंका वज्या, बादळी नी समाय !
कठे वरसे या बदली,  पूछ कुण रे जाय??

आषाढ़ के मेघ घने,     ढोल बजाते आय !
कहाँ बरसते ये भला,     कौन पूछने जाय??.."तनु''


आषाढ़

आषाढ़ री हूँ बदली,    मती लगा तूँ  जीव  !
कदि बरसी ने बाढ़ हूँ, कदी मिलूँ नी पीव  !!

कारा पीरा वादरा,         घणा रूप रो चाव !  
वायरा री गलबहियाँ,  पल पल करो बणाव !!

आज कळायण उमड़गी, बिन बरस्या नी जाय !
घणा दना रो चाव यो ,      पल पल वदतो जाय !!

सारा सरवर कदि भरे,   छूटी जीवन आस !
जा मति कारी वादरी,   हिवड़ो हुयो उदास !!

म्हे अडिका थाने घणा,   दन बीते औ रात !
क्यों नी आया वादरा ,  आई रुत बरसात !!   ,,...''तनु ''                         


 वादळी आषाढ़ री 

ताव चढ़्यो आषाढ़ रो, उमस सही नी जाय !
चालो सावन तेड़वा !       भर ठंढई पिलाय !!


असाढ़ रा डंका वज्या, बादळी नी समाय !
कठे वरसे या बदली,  पूछ कुण रे जाय !!

नीर जिमावै बादली,       हरिया बंजर बाँठ!

सब जीमण तरसिया,  खुल गी हिय री गाँठ !! 

धुळ्या थका डुंगरिया , कोंपल फूटी जाय !    

जाणे कोरी चूंदड़ी,     सनेह से हरियाय !!,...''तनु ''



 वादळी आषाढ़ री 

ओ आषाढ़ी बादळी ,   चुप रे धीरे डोल !
मन म्हारा मौन धरयो, गरजे क्यों तू बोल !!

 मौन बड़ो है वात से ,  तूँ नी जाणे मोल !
 आप अपनी वात करे, वाजे थारा ढोल !!

आषाढ़ी वदरी झरै , शीतल चले बयार !
जाणे मोती विखरया, खुश आखो संसार !!

मौन धरयो  है मुनि सो, बदली को नी काम !
वायरा संग अगास में ,       चाले तो है नाम !!





वादळी ओ आषाढ़ी ,    चुप रे धीरे डोल !
मन म्हारा मौन धरयो, गरजे क्यों तू बोल !!
गरजे क्यों तू बोल ?  आप अपनी वात करे,
तूँ नी जाणे मोल,         जद सनेह नीर झरे !
कारा वदरा वरसे दूर कारी काजळी !
धीरे धीरे बरस ओ आषाढ़ी वादळी !!, ... तनुजा ''तनु ''

Wednesday, June 7, 2017


कुछ मेरी भी , 

सुनो सादी  ख़बर है इसे अब नया मोड़ ना देना !
ज़रा सी बात थी, बढ़ा इसे अब नया मोड़ ना देना !!

महकता था आँगन घर  हमारी लम्स -ए -खुशबू से !
उसी खूबसूरत ज़मी को उजाड़ कर छोड़ ना देना !!

निसार कर जां इस जहां से हँसते चले जाएंगे हम 
हमें याद में रखना यादों को हमारी तोड़ ना देना !!

ज़मीं पर जो नहीं चलते उन्हें क्या दर्द बिवाई का !
रिसती बिवाईयाँ, आबलों को हमारे फोड़ ना देना !!

मिटे हर्फ़ वरक़ फटे कुछ दरख़्वास्तें  ख़ारिज हुई !
 लिखीं बातें भूल जाना तुम वह वरक़ मोड़ ना देना !!

बिखर जाता''तनु'' कोई यूँ गलत फहमी के झौंकों से !
कभी जाने अंजाने बहलाकर विषैला खोड़ ना देना !!, ,,,,''तनु 






सुनो सादी  ख़बर है इसे अब नया मोड़ ना देना !
ज़रा सी बात थी, बढ़ा इसे अब नया मोड़ ना देना !!

महकता था आँगन देश का हर लम्स -ए -खुशबू से !
उसी खूबसूरत ज़मी को उजाड़ कर छोड़ ना देना !!

निसार कर जां  इस जहां से हँसते चले जो जाते हैं !
उन्हें याद में रखना यादों को उनकी तोड़ ना देना !!

ज़मीं पर जो नहीं चलते उन्हें क्या दर्द बिवाई का !
रिसती बिवाईयाँ हैं, आबलों को उनके फोड़ ना देना !!

मिटे हर्फ़ वरक़ फटे कुछ दरख़्वास्तें  ख़ारिज हुई !
 लिखीं बातें भूल जाना तुम वह वरक़ मोड़ ना देना !!

बिखर जाता''तनु'' कोई यूँ गलत फहमी के झौंकों से !
कभी जाने अंजाने बहलाकर विषैला खोड़ ना देना !!, ,,,,''तनु ''















ताप वद्यो है तावड़ो,      गर्मी जीव जलाय ,
पंछीडा तीसा मरे ,    जुलम सह्यो न जाय !
सब जाणे है बादली ,    सागर पाणी लाय , ,,
घमाघम छड़ी मेह री,  ताव उतरयो जाय !!...''तनु ''

Tuesday, June 6, 2017




आषाढ़



मैं बदली आषाढ़ की,  मत कर मुझसे मोह !
कभी बरस कर बाढ़ हूँ, कभी मिलूँ  ना टोह !!

उमस भरा ये दिन कहे,  ढूँढूँ ठंढी रैन !  
बीती रजनी दिन गया, दिवस रैन बेचैन !!

आषाढ़ बदली बरसी, सौंधी चली बयार !
नहाये जड़ जंगम हैं, पहन बूँदो का हार !! 

आषाढ़ी बदली कहे , बजा बजा कर ढोल !
तरसी धरा बुला रही,  कहाँ बरसूँ मैं बोल !!

ओ बदली आषाढ़ की , धीरे चुपके डोल !
मन में मेरे मौन है, कह ना दे कुछ बोल !!

पवन चढ़ गयी बादली,  उड़कर करती सैर !
पर्वत जग जंगल मिले,    नहीं किसी से बैर !!

रैन दिवस न पलक जुड़े, कटता तन से स्वेद !
मैं जड़ जिद्दी हूँ सदा,            ना मानूँ मैं खेद  !!

पवन चढ़ गयी बादली,  नहीं किसी की ख़ैर!
पर्वत जग जंगल छलूँ ,   उड़कर करती सैर !!

आषाढ़ी तेवर चढ़े ,  बढ़ा उमस का भाव !
सावन जल्दी बुलाइये ,     वे रावों के राव !!

पवन चढ़ी बदली चली, बूंदों का ले भार !
पर्वत पाहन सोचते , किसे मिले उपहार !!    ..''तनु ''



Monday, June 5, 2017







करे पढ़ाई आग की , रखकर जी में ऐंठ !
शब्द ठंढ के रो पड़े , आग महीना जेठ !!

निपट अकेला राह में , ना संगी ना साथ !
जेठ महीना घाम का , कौन पकड़ता हाथ !!

निपट अकेला राह में , ना संगी ना साथ !
जेठ माह आराम का , कौन पकड़ता हाथ !!

ताप बढ़ा गर्मी चढ़ी,      जेठ करे उत्पात !
छड़ियाँ बरखा की पड़ी , भूला सारी घात !!



Thursday, June 1, 2017





गणपति सुमिर शुरू करें, शुभ दिन नूतन काज !
लक्ष्मी बन करती रहे ,         रानी बिटिया राज !!