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Thursday, December 26, 2019

आग तन से निकल न जाए कहीं !
भूख फिर ये निगल न जाए कहीं !!

अब तो आँखों पे  टिकी जाती है !
जान आँखों को छल न जाए कहीं !!

कौन किसको करे निवाला फिर !
कोई खा कर बदल न जाए कहीं !!

कौन सोचे है जो ये सोचेगा ?
वक्त हाथों फिसल न जाए कहीं !!

आदतें सब हुई अजी बिगड़ी !
और पल कर बहल न जाए कहीं !!

नोच डालूँ पलक झपकते ही !
झपटते घात टल न जाए कहीं !!

क्रोध आँखों लिए जला जाता है !
''तनु'' ये सूरज पिघल न जाए कहीं !!....''तनु''


Monday, December 23, 2019

है कहाँ ज़मी सा चाहने वाला !


है कहाँ ज़मी सा चाहने वाला !
ग़ौर करिये, ना माँगने वाला !!

उसको देना पड़ेगा दिल आखिर !
वो जो है प्यार बाँटने वाला !!

याद आता रहा भुलाने पर !
दिल जिगर जी में झाँकने वाला !!

समझता दर्द की जुबां को !
चुटकियों पीर काटने वाला !!

झाड़ फूँक बिन ही करे चंगा !
मंतर हवा में उतारने वाला !!

चाहता है सदा सदा यूँ ही !

प्यार पलने में पालने वाला !!... ''तनु''









कोई अपनी चला नहीं सकता,

कोई अपनी चला नहीं सकता, 
मौत, जीवन भुला नहीं सकता !

मौत तो, जैसे पाँव अंगद का ! 
कोई रावण हिला नहीं सकता !!

वो जहां से चला गया देखो , ,,
कोई उसको बुला नहीं सकता !! .... ''तनु''

Thursday, December 19, 2019

सजदे में तेरे झुकूँ कब तलक,


सजदे में तेरे झुकूँ कब तलक,
दुआ में तुझको ढूंढूँ कब तलक !

साँस उधार की जी रहा यूँ ही,
इस तरह ज़िंदा रहूँ कब तलक!

चाहत मेरी गुलों सा महकना, 
काँटों संग बसर करूँ कब तलक !

याद करूँ याद आ उम्मीद में,
सब्र का दामन थामूँ कब तलक !

मुहब्बत ख़ुदा यहीं क़ायम रहे,
बता तुझे याद आऊँ कब तलक !... 'तनु'

Sunday, December 15, 2019

जुर्म की तहरीर, कहाँ दर्ज होती है थानों में ?

जुर्म की तहरीर, कहाँ दर्ज होती है थानों में ?
रौशनी जायेगी कैसे अँधेरे तहखानों में ??

आसमानों की ऊँचाइयाँ  ये नाप न पाएँगे !
परिंदों का यकीन टूटा, दम नहीं उड़ानों में!!

ये कैसी तरक्की है अजब सी बेतरतीबियाँ इसमें ?
कैसे कैसे लोग ढल रहे इस वक्त कारखानों में ??

असर से तुम्हारे,  चीखें निकलेंगी सादगी से !
चुप चुप है बग़ावत भी रोकर के बेजुबानों में !!

सब कुछ जान, पेट पर हाथ रख ताली बजाता है, 
यूँ  इक ही जिक्र होता रहा अब सारे मकानों में !

नुचती गयी डालियाँ चमन में गुंचे झुलसते हैं ,
बचाएँ  गुल -औ - कलियाँ चर्चा है बागबानों में !

जारी कर क़वायद अब खुद में कमियाँ ढूँढ़ने की !
मिलते हैं अब भी हीरे कोयले की खदानों में !!

कलम सोना, चाँदी सियाही तू  लिख के बोल !
तभी जिक्र होगा 'तनु'  का कभी तो दास्तानों में !!.... ''तनु''