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Sunday, June 29, 2014



भटक कर भुक्ति, भक्ति के बीच भक्त का भूला हूँ धर्म, 
अटक कर पाप, पुण्य के बीच जीव का भूला हूँ कर्म ,
प्रश्न सदा रहता है कायम बीच देव,  गुरु ओ मनुज के ???
देव गुरु पूज्य हैं !!! देव मनुज बीच घूंघट का भूला हूँ मर्म  ...तनुजा ''तनु ''

मन माने न मने हार हार गई तोहे बिसराये ?
मन माने मानिनी बन मन कैसे झुठलाए ??
तोहरे संग प्रीत  भई तू ही मौको भायो है………
नयनन में तू ही मन में तू ही मन कौ ? समुझाए ''तनु ''


गरीबों का आटा अलग और बाटी भी अलग, 
गरीबों से नाता अलग और बाती  भी अलग ,
महराब रोशनदान कंगूरों की नक्काशी जिनसे !!!
उनकी बेटी भी अलग ठिकाना थाती भी अलग………''तनु ''

Saturday, June 28, 2014

बदरा तुम दूर  ही थे और  दूर हुए ,
हम और मजबूर हुए और दूर हुए,
कितने जतन ??? अब जल की खातिर 
बता भी दो क्यों इतने मगरूर हुए ???"तनु "



Friday, June 27, 2014

मकान के बाहर भी हैं कई मकां जिंदगी में ,
मुकाम के बाद भी हैं कई मकां  जिंदगी में , 
कायम वही है जिसका के दिल में हो मुकाम !!!
मुकाम को न हो उसके कई मकां जिंदगी में ……तनुजा ''तनु ''
फूलों की बगिया हो , प्यारी सी क्यारी हो ,
खुले खुले आँगन हो ,    छोटी सी बारी हो,
अमृत चाँदनी झाँके घर के वातायन से !!!
भीनी महक हो साथ सजनी सी प्यारी हो……तनुजा "तनु "
सूरज के घर के मोती चाँद ये सितारे हैं ,
विभावरी ने  संजोये कैसे ये नज़ारे हैं ! 
प्रकृति की माया अनुपम ये ईश्वर ने बनाई !!!
मानव न उजाड़े इनको सुन्दर ये सहारे हैं ……तनुजा "तनु" 

Thursday, June 26, 2014

छू लूँ जो उसको तो वो सिकुड़ - सिकुड़ शरमाए , 
पात - पात सी कोमलांगी पात सी लरजाए ! 
लाजवन्ती - छुईमुई , किस नाम से पुकारूँ मैं !!
बार - बार छू  लूँ तुमको मेरा मन ललचाये  ............''तनु'' 

Wednesday, June 25, 2014

मुक्तक छंदों की  गणित में कभी भाव हैं खो जाते ,
कहना है ? कहना क्या है ?  नए सृजन हैं हो जाते !
तेज़ धार के, शब्द  कटाक्ष  के.…खुल जाते  प्रबंध ,
कवि ह्रदय से कवि ह्रदय मिल नयनन हैं  रो जाते !!''तनु ''
गुजरते हैं हम उस दौर से पर बात  नहीं कहते,
हर किसी से हम  हाज़िर ए हालात नहीं कहते!  ''तनु "
चाँदनी लिए पूर्ण चंद्र की थी विभावरी ,
सुधाकर के साथ मारुत मंद की थी किंकरी ,
अरुणिम ऊषा जब हौले, हौले, हौले आई !
नभ में छाई रक्त सारंग की थी वल्लरी !! ... ''तनु ''

Tuesday, June 24, 2014

आईं हैं तितलियाँ ,
बाबुल के आँगन में!
ठंडी हवा ये आई है,
बाबुल के आँगन में
छिटकी डाली से पक कर,
निम्बोली पीली!!
अम्बुआ महका  है
बाबुल के आँगन में.…

दिन आये सावन के,
बाबुल के आँगन में
झूले डले अम्बुआ डाल,
बाबुल के आँगन में
अबके सावन कहीं
और न रहूँगी मैं,
जाउंगी जहाँ नाचे मोर!!
 बाबुल के आँगन में.……

दादी के पोपले मुंह आशीष !
बाबुल के आँगन में,
मूंगफली के खेत उड़ती फुहारें
बाबुल के आँगन में
गुड धाणी झोली भर खूब !!
आती कोयल गीत गाये ,
गाती जाए,
बाबुल के आँगन में .........''तनु ''.






मेवलो नी  वरसे !!! वादरा गरजे घन घन ! 
क्यों नी वरसाओ ? जल जीवन धन !!
था वना  कंठ सूख्या धरणी  रोवे है प्यासी !!!
रोवै है भूखा तरस्या मनख जीवन धन  !!"तनु "
बदरा बोलते हो ?? घन घन घन घन !
नहीं बरसाते क्यों  ?   अब जीवन धन!!
बिन  तुम्हरे  धरती  रोये  है प्यासी .............
बिना जल !!!  भूखा प्यासा  जनजीवन…………""तनु""

Monday, June 23, 2014




दीन दुखी को ठुकराया होगा मन संताप !
मन के ताले खोल  कर लो मन मिलाप !!
समदर्शी सर्वव्यापी रहता सबके अंदर !
सेवा दुखी की करके  दर्शन कर लो आप !!''तनु ''


आदमी गिरा गिर कर पथ भ्रष्ट हुआ !
चरित्रहीन  निर्लज्ज  निकृष्ट  हुआ !!
वाणी व्यवहार कर्म भी  निम्नतर हुए !
उदंड हुआ कुविचारी हुआ धृष्ट हुआ !!''तनु''

सब जानते हैं कि ये तो होना  ही था !
महंगाई का   विषतीर लगना ही था !!
पूर्णस्य पूर्णमिदं मन्त्र का जाप करो !
शून्य शून्य से कमतर होना न हीं था !!''तनु ''

रे पातक !!! तूने कली संग डार ही तोड़ दी ,
जो निहारती  सुमन को वो आँख ही फोड़ दी ! 
आंधियों को न्यौता तूने स्वयं दे डाला है
जीवन से मरण की ओर राहें ही मोड़ दी !!तनुजा ''तनु ''
साज रह गए , …चल दिए साजिन्दे , 
शहर रह गए ,  …चल दिए बाशिंदे ,
खुदा दरबार में खुदा रह गया !!!
रह गया खुदा  ?  चल दिए नुमाइंदे ??? "तनु "

लकीर का फ़कीर,…न होना तू  कभी ,
हाथ की लकीर में. न खोना तू कभी ,
पुरुषार्थ ही जीवन का  तू ध्येय रख.
आफतों में घिर कर   न रोना तू कभी !!! ''तनु ''
जब दर्द तुम सुन न सके,
जब ख़ुशी तुम दे न सके ,
फिर साथ क्यों रहते हो ?
ख़ुशी दे न सके गम सुन न सके। ............. "तनु "





'
बाद बोलने के कुछ भी न बचा ,
बाद सुनाने के कुछ भी न जँचा ,
सोचे बिन क्यों तू बोल रहा ??
बाद बिगड़ने के कुछ भी न रुचा। .... "तनु "
जो चित्र में दिखा गये हो उसको लिखूं कैसे ?
साधक कर्म प्रधान है .....उसको सीखूँ कैसे ?
रबर की गुड़िया है या जादू की पुडिया है .........
दांतों तले है उंगली ......मैं उसको करूं कैसे ??''तनु'

Sunday, June 22, 2014

जो तुमने सोचा क्या वो हुआ ?
जो  मैंने सोचा क्या वो हुआ ?
ये विधि का विधान है रचा हुआ , 
होगा ?? उसका ही सोचा हुआ !!!''तनु ''
रूप की अयि रूपसी ! छाया लिए कुछ धूप सी ,
बिंदी का चटकारा !!! लाल तारा लिए अनूप सी।,
कानों में झुमके माथे टीका ओ नथनिया सजाये हो !!!
बिन पायलिया तोरा सिंगार अधूरा ओ ! रूपसी  ………"तनु "

Saturday, June 21, 2014



कुछ पन्ने फड फडा कर पलट गए ,
इतिहास को  ये तिरोहित कर गए ,
अब समय....... हवाएं हैं तूफां है  !
बंद पन्ने .....यूं ..कहानी कह गए ....
तनुजा ''तनु''

Friday, June 20, 2014


नि :शब्द हूँ ,… तू जानता है मन की ,

शरण आन पड़ा हूँ , बात है जीवन की ,
एक बार फिर से सुना दे वंशी कान्हा तू !!!
जिसे सुन सुध बिसर जाए तन मन की। ………तनुजा ''तनु ''

चरण 

चरण वन्दना लिखूं चरणों का रख ध्यान ,

सादर गाऊँ पद,   नित नित पद गुणगान ,
 नाप रहे अखिल विश्व  युगल पद तुम्हारे,
 नयन धरूँ  वंदन करूँ ,करूँ मैं सम्मान !!''तनु ''
मौन 

छलका दो,   मन प्याला ये भरा हुआ ,

मौन !!! हलाहल है कंठ में भरा हुआ ,
बात दिल की दिलबर से क्यों नहीं कहते  ???
कह भी दो.… जो दिल में है भरा हुआ ! ''तनु ''

Thursday, June 19, 2014



और ये वक्त का तकाज़ा है कि 
उस निगाह के तलबगार रहो कि ज़माना जिसे सलाम करे 
के बंदगी में जब तेरे हाथ उठे ज़माना भी उसे  सलाम करे ''तनु ''
टंगे रहो शाख पर      टांगना आसान होगा ,
व्यवस्था चाक चौबंद बताना आसान होगा !
तुम्हारे गुनाह भी जल्द पहुचेंगे उपरवाले के पास ,
हिसाब किताब उसे भी तो बड़ा आसान होगा !!''तनु ''
अब सावन के झूले पुरानी बात हुई,
हर झूले पर है एक लड़की टंगी हुई !
घर में भी तुम कभी झूला न डालना,
याद आएगी ....बात आज भूली हुई !! ''तनु''

Wednesday, June 18, 2014


मुहब्बत का कोई मोल नहीं,
मुहब्बत का कोई तोल नहीं !
सभी कहते हैं ये इबादत है ,
मन की पूजा कोई बोल नहीं !!''तनु'' 

Tuesday, June 17, 2014



जब जाणिग्यो काया झूठी ,
जब जाणिग्यो माया झूठी ,
थारे सोचे कई नी है !! 
बीत्या ने विसरणो जाणे है ??


कई ?  तू रसातल जाणे है ?
तू तो तल भी नी जाणे है ?
हद सरहद में भूतल है !
मुक्ता माणिक कई जाने है ??


भटक्यो जीव हद सरहद तोड़े ,
त्रिशंकु आत्मा जीव नी छोड़े ,
सिव  रे कंठ हलाहल है !!
रसना रसिक कई जाणे है ??


जो पीव मिले सो जीव खिले ,
जग बंधन तोड़ी ने सिव मिले ,
हद सरहद रे पार आत्मा !! 
अनहद मस्ती तूं कई जाणे है ??

तनुजा ''तनु ''
@ कॉपीराइट सुरक्षित 




गति को!!!
जब इंसान धर दबोचे है,
ऊपरवाला भी सोचे है ,
एक न लूँ !
कई ले लूँ !!!''तनु ''

Saturday, June 14, 2014

अब सावन के झूले पुरानी बात हुई,
हर झूले पर है एक लड़की टंगी हुई !
घर में भी तुम कभी झूला न डालना,
याद आएंगी कुछ बातें कभी भूली हुई !! ''तनु''

Friday, June 13, 2014


कदम और सदा 

 मैं सदा हर कदम    उसके साथ ही रहा ,
 जब अकेला हुआ सदा पुकारता ही रहा !
 मेरी सदाएं फ़िज़ाओं में गूंजती ही रही ,
फ़िज़ाओं में ''सदा'' रही मैं उसे ढूंढता रहा !! ''तनु ''

प्रात की लालिमा से खिले तन मन ,
निखरा जाग्रत अप्रतिम  उन्मीलन !
प्रेम पथिक के पद.…  ''पंकज'' हैं ,
 हो न बिरहा अगन जलन उत्पीड़न !!''तनु ''

 जो नींद से पहले आते हैं ,
फिर नींद में समा जाते हैं ,
 मुस्काते हैं चुपके चुपके,
फिर सपनों में आ जाते हैं  !''तनु ''
अपने सपने , अपने ही... सपने हैं ,
खपने हैं कर्म के पथ पर खपने हैं ,
स्वेद से ठंडे  हुए भाल को छू कर चल ,
दिन जपते जपते रात को तपने हैं !!!''तनु ''
जो चित्र में कह गये हो उसको लिखूं कैसे ?
जो दर्द रच गये हो........ उसको देखूँ कैसे ?
समुद्र से उपजी है या आकाश से बरसी है ?
हम सब ने बिगाड़ी है कह दो सुधारुं कैसे ?? ''तनु ''

Thursday, June 12, 2014



साधु संत करें जाप है ,
दिन दिन दूना प्रताप है!
राम के प्यारे असुर निकारे, 
युग युग तुम्हारी छाप है !!''तनु ''

कैसे गज़ब हो शिल्पकार ,

सुन्दर भावों के सृजनहार !

परिष्कृत प्यारे मनोभाव हैं, 

गीत प्यारा मधुर उपहार!

नम नयनों में पूनम आनन 

दिल को भाया ये संयोजन......

रहो ''अशोक ''संग अशोक

मान इसे पावन निरांजन.......... ''तनु ''
जो तुमने सोचा क्या वो हुआ ,
और मैंने सोचा क्या वो हुआ ,
विधि का विधान है रचा हुआ , 
वही होगा जो उसने है सोचा हुआ !!!

क्यों दुविधा में समय खोते हो ?
क्यों व्यर्थ सशंकित होते हो ?
क्या पा लोगे क्या खो दोगे ?
सब कुछ उसी का किया हुआ!!! ''तनु ''

Wednesday, June 11, 2014

कभी कोई चेहरा लगता है अपना सा ,
कभी कोई इंसान लगता है अपना सा ,
कभी लगता है ये सब हमारा देखाभाला है………… 
पल में ही अनजान लगता वो अपना सा !!! ''तनु ''
बहुत रूपों में देखा हमने नारी को ,
अपनी पत्नी बहन बेटी महतारी को !
अमृतमय विश्वास जीवन में जब बहता हो,
और कुछ न चाहिए हर संसारी को !!

किसके त्याग गिनाऊं , मैं किसकी महिमा गाऊं,
कैसे मन उदगार प्रकट करूँ मैं कैसे मन समझाऊं !
यशोधरा ,विष्णुप्रिया हो रत्नावली , लोई ,  विद्योत्तमा , 
सबके हित आभार करूँ  मैं नित नित शीश नवाऊं !! ''तनु ''






Tuesday, June 10, 2014

ताल ठोक कर ताला लगाकर जाता है ये घर वाला ,
शरीफ, बेबस, लाचार ,होता है बेचारा ये घर वाला , 
कितने ही जतन से सम्हाले घर तिजोरी ये असबाब !
फिर भी माल चुरा जाता है वो ''दाढ़ी में तिनके वाला'' !!''तनु ''
ये वक्त ,जो बदलने की कसम खाये हुए है ,
है हाथ में खंज़र नाम पूछ मुस्कुराये हुए है !
ये हवाओं का रुख किसने बदला है ,
सुहाने मंज़र बियाबां से नज़र आये हुए है !!''तनु ''

Monday, June 9, 2014

आँखों में समा कर दिल में जो उतरे हो ,
सारा जहाँ कहता है कि तुम  ही मेरे हो !
बंधन तोड़ जहाँ के मैं तुम्हारी हुई हूँ ,
मेरे ही तुम हो, तुम मेरे हो, तुम ही मेरे हो !!

फूलों में निशिगंधा की  महक तुम हो,
दिन का उजाला , चाँदनी की चमक हो !
सांस सांस से सींचा जीवन हो तुम ,
जीवन की सांस तुम्ही हो तुम ही मेरे हो !!

मैं कोमल प्रेम वल्लरी मैं प्राण हूँ तुम गात हो ,
मैं सांध्य गीत तुम दिनकर मीत तुम प्रात हो  !
प्रात - गात , मीत - गीत , प्रेम वल्लरी प्राण ,
तुम मेरे हो ,  अंतरतर हो , तुम ही वर हो !!तनुजा ''तनु''



    



Saturday, June 7, 2014

आप तो आंच पर तप बैठे ,
जाने  क्यों  इस कदर ऐंठे !
कुर्सी रही न कुर्सी वाला रहा ,
ऐसे क्यों ऐंठे ऐसे क्यों बैठे !!

Thursday, June 5, 2014


हो कोई जो नाक रख ले,
नाक के बाल का,
नाक में दम देख ले..... 
नाकोँ चने चबवा दे ??
नाक की सीध रहे बदस्तूर ………… 
कि नाक कटने न नौबत आये ………… ''तनु ''


Wednesday, June 4, 2014



तूने तो ,...मन की कही,
छलकी नदिया सी बही,
कुछ न अलग न कुछ भिन्न !
तूने तो ,… सच ही कही !!! ''तनु ''

Tuesday, June 3, 2014

नाक की सीध खोई !!!
नाक के नीचे !
कुछ भी होने लगा ,
 परवाह न थी !!!
ऊँची नाक नीची हो गयी..... :(
कुर्सी बड़ी गजब है ,.. … .. … नेता हैं सिरमोर ,
आगे इसके और है ,..… ..  …  पीछे कुछ और !
ये किसी से कुछ न मांगे बस इज्जत ही चाहे ,
नेता बैठे बहके, बदले और कहे दिल मांगे मोर !!!''तनु ''

क्यों आज अबला पर ''बला'' आन पड़ी है ,
आँखों में पानी था आज अश्रु की झड़ी है !
जिसने सींचा है अपने लहू से  मानव को ,
दामन तार तार है उसी का सीवन उधड़ी है !! ''तनु ''

Monday, June 2, 2014


 वो आज मुस्कुरा कर मेरे गुज़रा करीब से ,
 कल जो दुश्मनी निभा गया मुझ गरीब से !
 दोस्ती तेरी दुश्मनी से ज्यादह नफीस थी ,
 तेरे लिए दुआएं माँगता हूँ --उस रक़ीब  से !!! ''तनु ''
मन की कही मन मानी नहीं ,
गुरु ढूंढते ढूंढ़ते  गुरू  बाणी कही !
कहाँ बचायें अब जाके लाज,
चुल्लू नहीं चुल्लू भर पानी नहीं !!'' तनु ''

करूणानिधि के नयन से झर झर बरसै नीर ,
अंसुवन जल में बह गयी,   श्रीदामा की पीर !
मुट्ठी तंदुल  के कारणे बिके ,   द्वारिकाधीश ,
भाव विव्हल हो बाँध रहे   धीरज मन अधीर  !! '' तनु ''
धरती आह भरेगी चीत्कारेगा गगन  विलाप कर जायेगा,
आँख का अश्रु आँखों को भर---- दर्द मिलाप कर जाएगा !
कुटिल घात कर निष्पन्दित जीवन क्यों कर तुमको भाया है !
पावन जीवन, अपावन करना-- तुम्हे नष्ट  कर जाएगा !!''तनु ''

Sunday, June 1, 2014

रे पातक !!! तूने कली संग डार ही तोड़ दी ,
जो निहारती  पुष्प को वो आँख ही फोड़ दी !
अब क्या निर्जन में बहारें लाएगा ???
जीवन से मरण की ओर  राह तूने मोड़ दी !!तनुजा ''तनु ''
शक्तिमान बन  -- शक्ति है तो जीवन दे ,
टूटे दिल को तार - तार ह्रदय को सीवन दे !
प्रात की लालिमा से खिले ------तन मन ,
प्राण पाएं जन ऐसा तू ------उन्मीलन दे !!तनुजा ''तनु ''