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Monday, September 21, 2015


माता पिता को समर्पित 


दिन बचपन के जो सँवारे न होते ;
मिले संस्कारो के' सहारे न होते !

बिखर ही गए थे बिगड़ भी हम'जाते ;
समय पर जो नैना तरारे न होते !

बचाया उमस बारिश ठंढी गर्मी से ;
हुलसकर ख़ुशी के झलारे न होते !

तमस को हटाया जलाकर के' दीया;  
जो दिन  रैन हमारे उजारे न होते !

उसूल निभ जाये वही जिंदगी' है ;
वरना हम सबके दुलारे न होते !

सरल सी डगर की नहीं चाह कोई ;
पथ वह नहीं जहाँ अंगारे' न होते !

कर रही ''तनु''नमन झुक चरणों को छू ;  
गुलाब तो  गुलाब हैं हजारे न होते !.... तनुजा ''तनु ''

Sunday, September 20, 2015

दर्द 

चश्म-ए -पुरनम   बेकाबू दर्द है ;
नाकामयाब जिंदगी यूँ  चर्ख है !!    

हाथ क्या उसके सीने पे रखना ?
असर-ए-गम देखिये आहें सर्द है !!

कौन ये छुप गया अभी दिल में ?
आफत-ए-जां रहा इश्क बे पर्द है !!

बेजर नहीं फलक कभी  खुदा' का ;  
दिख रही तुम्हे उड़ती जो गर्द है !! 

राज़ गैरों पर न खुले दिल के ;
कीमत जज़्बात की हो अर्ज है !!

थूकना चाँद पर रही लानत ;
हो रही बे आब असर चर्द है !!

 बेजर = निर्धन 
 चर्द = निम्न कोटि के मंद बुद्धि लोग  

Friday, September 18, 2015

करोड़ों सूर्य ,
ओजस्वी  बल  बुद्धि
गणनायक !!… ''तनु ''

घंटा निनाद 
उल्हासित जीवन 
जन्मे गणेश … ''तनु ''


दूर्वा चाहत 
विपुल सम्पन्नता 
मंगलमूर्ति। . ''तनु ''

Thursday, September 17, 2015

गज़ल कहाँ नहीं 

रंग तितली के नहीं देखे अगर तो ग़ज़ल क्या है  ?
आपके सपनों में नहीं वो अगर तो ग़ज़ल क्या है ?   
हाथ में जाम ए हलाहिल लेकर अभी गुनगुना लूँ 
आज जब तल्खी ए हिज्ज्रा है गर तो ग़ज़ल क्या है ?… तनुजा ''तनु ''                                                                                                                                                                         
बुद्धिप्रदाता
पाशांकुश धारक
तम निवार …… ''तनु ''

Tuesday, September 15, 2015

चलते चलते 

हिंदी बहुत पुरानी भाषा है इसके अंदाज़ तो देख ; 
साथ रची बसी आशा है इसके एजाज़ तो देख !

जब बात करो इसकी तो दीपक से जले है ;
तानसेन के ज्वलंत राग की आवाज़ तो देख !

नहीं कहती हिन्दी दूसरी भाषा मत सीख ;
उड़ तू सबको ले फिर पंख ओ परवाज़ तो देख !

दरिया है ऐसा एक समा जाये है सब इसमें; 
भोली बहुत है इसके इश्क का आगाज तो देख !

बड़ी अदा से सजाती है गद्य - पद्य को ;
तू तो  शान से उठाये जा इसके नाज़ तो देख !

चाँद पर लिख या कह सितारों की कहानी ;
दुल्हन की चूड़ियों का खनकता साज तो देख !

इक बार सीखोगे तो फिर छोड़ न पाओगे ;
इक ''तनु '' है इक तू है ले के और जाँ बाज़ तो देख !!!,,,,.तनुजा ''तनु ''










Saturday, September 12, 2015

फजीयत

रात भर की है नसीहत दोस्तों ;
हो गई है फिर फजीयत दोस्तों !

कब तलक दिल की मनायें खैर हम ;
ठीक उसकी नही' नीयत दोस्तों !

ठहर जा ए दर्द होगी कब सहर ?            
जिंदगी ही है अजीयत दोस्तों ??

दीद की उम्मीद अब कम ही रही ;
क्या कर्ज़ में है वसीयत दोस्तों ?

कौन रस्म निबाह दरम्यां अपने !
हर असूल पर' है शरीयत दोस्तों !!

दो हर्फ़ से ज्यादा  न कह पाऊँगी !
छुपकर कुशादा हैं हकीकत दोस्तों !!.... तनुजा ''तनु ''

Friday, September 11, 2015

मेरी हिन्दी 


चंद्र लेकर भाल को हम लेते सँवार ;
व्यंजन की कश्ती मात्रा खेते पतवार !
हिन्दी गुनगुनाती है, तुम सुनो तो सही , ,, 
स्वरों की हैं लहरें और मन के उदगार !!!…तनुजा ''तनु ''



Thursday, September 10, 2015


ऐसा भी संसार जो उसका बनाया हुआ है ;
क्या हुआ गर जो कभी धोखा खाया हुआ है !
भूल जाओ जो किसी ने की हो बदी ;
बन्दा वो भी तो खुदा का ही बनाया हुआ है !!!!....तनुजा ''तनु ''

Wednesday, September 9, 2015



''मेरी दादी'' 
एक बहुत बहुत पुरानी रचना 


     खाने के ना दिख रहे,     दादीजी के दाँत ,
     भोजन कब पचाएगी, अब दादी की आँत ?
     अब दादी की आँत, मुँह  बउ  -  बऊ है करता !
     शब्दों की है पोल ,       नेह  है फिर भी झरता !!
     दादी भर कर अंक ,       गले से हमें लगा लो !
     आशा को दो पंख,        उड़ना हमें सिखला दो !!… तनुजा ''तनु ''




न लुटें 


ये कैसी है आस्था,  खुद लुटने की चाह !! 
कौन सम्हाले इनको,  कौन बताये राह !!
कौन बताये राह,  अशिक्षा बनी है कारण , ,, 
चाह न छूटे चाह ,   है चकाचौंध लुभावन !
जानता  खोयेगा,    मूरख क्यों फ़ँसता ये ?
पार ना  पायेगा,        आस्था है कैसी  ये ?,,,.... तनुजा ''तनु ''
आज के गुरु  ?? 

अब कौन पद पूज रहा,  उन्हें सच्चा मान !!!
महत्व विहीन हो रहे,    खोया सारा मान !!!
खोया सारा मान,   कुल को कलंक लगाया,
खुद का ही अभिमान,    ऐसा गुरु ना भाया !!
कैसा अब कल्याण ?    देखो तो रो रहा नभ 
गयी देश की आन ,   कौन पद पूज रहा अब,,, … तनुजा ''तनु ''

Tuesday, September 8, 2015

  चिरायु नहीं कहते ये कफ़न है
  अनंत अनंग से इसमें दफ़न है
  पाँच तत्वों का साक्षी है बना , ,,……… और फिर
    आप हम लिखते सुखन हैं  
शिष्य ति !!!

मूर्ति मन माहि रखजो, लक्ष्य रखजो सुभाय !
छोड़ जगत रा चोंचला, करजो करम निभाय !!
करजो करम निभाय,  फोड़ लालच रो गागर !
मीठो राख सुभाव,    भर जो नेह रो सागर !!
रहे गरु समुझाय,  मिटा कपट तुरत फुरती  ! 
चल एकलव्य राह,   मन माहि रखजो मूर्ति !!…तनुजा ''तनु ''
शिष्य के लिए !!!

मूरती  मन में रखिये, लक्ष्य रखिये निगाह !
छोड़ जगत के चोंचले, करिये कर्म निबाह !!
करिये कर्म निबाह, फोड़ लालच की गगरी !
मीठा रख स्वभाव ,  रहें स्नेह की नगरी !!!
रहे गुरु समझाय, मन में कपट ना रखिये ;                     
चल एकलव्य राह,   मन में मूरती रखिये ! …तनुजा ''तनु ''

Friday, September 4, 2015

प्रार्थना का एक छंद 

भवसागर में कान्हा,   डोल रही है नाव ;

पथ ना सूझे तुम बिना, काँप रहे हैं पाँव !

काँप रहे हैं पाँव,   कैसी प्रीत तुम्हारी ?

ढूँढू कदम्ब छाँव , हर शाम हो बनवारी !! 

आओ बरसें  नैन , खाली प्रीत की गागर , ,,

चलो लगाओ पार,    कान्हा मैं भवसागर ……तनुजा ''तनु ''… 

Thursday, September 3, 2015

बूँद 



कभी बादलों से पराई हुई ;
पवन के खटोलों चढ़ाई हुई !

चमकती गमकती लहराती है ;
हवा के हिंडोले झुलाई हुई !

विटप की जड़ों में सहेजे छुपी ;
घटा से मही की चुराई हुई ! 

बढ़ी बाढ़ के रूप में बह चली ;
जनों को घटाती कसाई हुई ! 

लिपटती रही शाख पत्तों से भी ;
बन तुषार श्वेता जमाई हुई !

रवि किरणें बूँदों में छनती रहीं
अनगिन रंगों में नहाईं हुई !

अभी प्यास को चाह इसकी बहुत ;
नववधु सिमटी है लजाई हुई !!!....... तनुजा ''तनु ''

Wednesday, September 2, 2015


केशव कठे नी बिस्बास करी ने देख ;
माधव जठे नी निस्कास करी ने देख !
रास !!!रास आवै इसी रसमय रात दे , ,,,,
सगळा रा साथै उ आभास करी ने देख !! 


Tuesday, September 1, 2015


कहाँ नहीं तू 

केशव कहाँ नहीं है विश्वास देखिये !
माधव जहाँ नहीं है निष्कास देखिये !!

टूटे हुए पतवार हैं माझी भी नहीं ;
कैसे ही होगी पूरी ये आस देखिये !

ढूँढा कहाँ कहाँ न नज़र तू आ रहा ;
कण कण रचा बसा तेरा वास देखिये !

माया रची सजा जहां तेरा उजास ले ;
इक पल उदास इक पल उल्लास देखिये ! 

रास !!! रास आये ऐसी रसमय रात दे ;
सबके साथ ही है वो आभास देखिये !

मेरी तुमरी प्रीति कैसी , ,, क्या जाने हो श्याम ??
नहीं पतंगा, नहीं मीन हूँ , ,, बूझो नहीं लगेगो दाम 
प्रेम की राह बड़ी कठिन है, ,, नहीं उधार को काम 
तुम बन जाओ श्याम घन!!! लूँ मैं कृष्ण कृष्ण को नाम , ,,,,