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Monday, July 31, 2017

 प्रेमचंद तुम चंद में,              आ जाओ तो बात !
कलम चला के ''विजय'' की  ''सिर्फ एक आवाज़'' !!
''सिर्फ एक आवाज़''    ''कफ़न'' के ताने उधड़े ,
गयी ''पूस की रात''     ''आखिरी मंजिल पकडे'' !!
न ''आल्हा''''आधार''  न ''क्रिकेट मैच मचंद'' !
न ''गैरत की कटार''    ''बड़े बाबू '' प्रेमचंद !! ,.... ''तनु ''          

Sunday, July 30, 2017



जावां भी तो कां 


थारा दुःख लई ने जावां भी तो कां 
ई रिश्ता लई ने जावां भी तो कां 
आवा से थारा फूल महकया नी 
नी सितारा टिमटिमाया गगन 
नी हँस्यो मोगरो मन मगन 
थारा होंठाँ री हंसी लई ने जावां भी तो कां 
थारा दुःख
निभाई रिया हाँ खोखला रिश्ता 
जो दरद दे ने टीसां भी दे 
भटकी गया था रस्ता में चुभ्या काँटा 
ई टीसां लई ने जावां भी तो कां 
थारा दुःख
प्यार खट्टो भी ने मीठो भी 
आखी उमर नी भूली पावांगा 
देखी थी थारी झुकी निजरां 
ई झुकी निजरां लई ने जावां भी तो कां 
थारा दुःख

तू रूठे भी तो मनावांगा 
गम वेगा भी तो हसावांगा 
कठा से लावां हँसती आरसी 
रोती आरसी लई ने जावां भी तो कां 
थारा दुःख

थारा दुःख लई ने जावां भी तो कां 
ई रिश्ता लई ने जावां भी तो कां , .... 'तनु' 

Saturday, July 29, 2017


 बेट्याँ,

नदी नाम की
 बेट्याँ
आवे वां
सावण में
भादवां में मिलवा
आपणी
सगळी बेना से

बाप भी
ने भई भी
केवाय समंदर
खुश वे ने
बड़ी लेहराँ
बणावे
वी के कई
मतलब
लेणा देणा से

घणा
मान री भूकी
बेट्याँ
नि कई मांगे
नि  कई चावे
बस चावे प्यार
दुलार उनके
 कई लेणो
गाँठा गेणा से

सबुरी री
पोटली माय
राखी मेल्या
मनडा 
रा मोती
जग जाहिर
 नी  वे
 आँसूडा
बोल नी
फूटे केणा से , ,,, ''तनु ''








बेटियाँ


नदी नाम की
बेटियाँ
आती हैं वहाँ
सावन  में
भादौं में मिलने
अपनी सभी
 बहनों से


माँ  की 
ममता में 
भाई का 
 नेह लिए 
आँगन
आती हैं 
मिलने 
 बचपन के 
इन्ही 
महीनों से  


पिता भी
भाई भी
कहलाता समंदर
खुश होकर
बड़ी बड़ी
लहरें बनाता है
उसको क्या
मतलब
दहनो से



 मान
 की भूखी
बहनें
उन्हें चाहिए क्या??
बस चाहिए
 प्यार दुलार
उन्हें 
क्या लेना
 गाँठ के गहनों से


सब्र की
पोटली में
रखे हुए हैं
हँसते मन के
 मोती
जग जाहिर
 न हो दुःख
आँसू और
बोल कहनो से ,,... ''तनु ''


Friday, July 28, 2017





रिसते जख्मों को सज़ा मत देना !
इस तरह दिल को मज़ा मत देना !!

ख्वाब जो गुनहगार हो गए मेरे !
आँखों में आने की रज़ा मत देना !! 

बस इक शिकायत है सुन लो तुमसे !
यूँ रह के खामुश कज़ा मत देना !! ...'' तनु ''






जलते जख्मों को हवा मत देना !
इस तरह दिल को दवा मत देना !!

रात आँसू से बुझी अगन दिल की !
रोने वाली अब सबा मत देना !!

दर्द चेहरे पे उभर आये है !
दर्द छुपाने को खवा मत देना !!

 मेरी  उम्मीद नहीं बदले की !
 दोस्त तुम मुझको गवा मत देना !!

 एक ही बस है शिकायत तुमसे  !
 चुप चुप रह कर के तवा मत देना !! 

अब सुलगती है कोई चिंगारी !
खुदा कोई हम नवा मत देना !!... ''तनु ''  








जलते जख्मों को हवा मत देना ,
इस तरह दिल को दवा मत देना !

सुन लो बस एक शिकायत तुमसे ,
रह के खामोश क़ज़ा मत देना !

आँसुओं से ही बुझी अगन दिल की,
रोने वाली अब सजा मत देना ! ... 'तनु' 




Tuesday, July 25, 2017





मुँह बिसूरति ग़ज़ल चली,गीतों का है विलाप !
ठुमरी टप्पा दादरा,            खोया है आलाप !!

पत्र,पुष्प,फल गुम हुए, खोये उच्च विचार !
द्वेष दम्भ पाखंड में,    उलझा सब संसार !!

भाव विधा कुछ भी नहीं   शब्दों का जंजाल !
दग्ध शब्द में छंद भी,      लगते हैं  कंकाल !!

मुझसे कहते थे गुब्बारे-
उड़कर पकड़ो सारे तारे
हम भी तो थे शक के कारे,
खींच के पत्थर दो ठौ मारे??,भाई अशोक जी शर्मा की पंक्तियों से प्रेरित
मारे??,
हम भी तो थे शक के कारे,

शक के कारे शक के मारे
फिर क्या हुआ ?बेचारे हारे
हुए अपने तो वारे न्यारे
पर आँसू  भर नैन बिचारे
कितने प्यारे थे  गुब्बारे
फूटे सारे के सारे
हाँ रे

खींच के पत्थर दो क्यों  मारे??
फिर तो फूटे वो गुब्बारे
कैसे पकडे तुमने तारे
 जब फूट गए सारे गुब्बारे
झूठ ही कहते थे गुब्बारे
हाँ  रे

बोलो क्या तारे थे झूठे
या फिर वो गुब्बारे फूटे
कैसे पकडे तारों को
या फूटे गुब्बारों को
मन के अंगना टूटे तारे
फूट गए  झूठे गुब्बारे
 हाँ रे

अहम में ऊँचा मत उठना रे
फूट ही तो जाते ये गुब्ब्रारे 
कोई फोड़े या खुद फूटे
 गुब्बारे तो होते हैं झूठे
कभी न पकड़ते है ये तारे
 मुझसे कहते थे गुब्बारे-
हाँ रे ''तनु ''

Sunday, July 23, 2017




महकते चन्दन में कहाँ गणित रहा,
पूजन ओ वंदन में जहाँ वणिक रहा ! 
एक सिरे से चला पहुँचा दूजे तक नहीं , ,,
जीवन उसी का मैं यहाँ पणित रहा !! ... ''तनु ''

एक सावणी गीत 
''इन्दर राजा'' 

कसो थारो गाम देस कसो 
हो इन्दर राजा 
कां से आया थें म्हारा गाम 
हो इन्दर राजा
 सावण आवे थे आई जावो के 
थें आओ जदी सावण आवे 
हो इन्दर राजा।  कसो थारो गाम देस कसो 

थें आओ तो निपजे जी धरती 
थें आओ तो उपजे जी धान जी 
ए जी थें आओ तो बालूडा हँसे हो 
इंदर  राजा कसो थारो गाम देस कसो 
कां से आया थें म्हारा गाम 
हो इन्दर राजा 

गाजे बिजळी नाचे जी मोर 
बादळ ओसरया घटा घनघोर 
एजी काकड़ भुट्टा रा मान घणा हो 
इंदर  राजा कसो थारो गाम देस कसो 
कां से आया थें म्हारा गाम 
हो इन्दर राजा 

सरसिजे धरती सावण झूला 
भई घरे चालां ने पिऊ घर भूलाँ  
एजी मायड़ घणी याद आवे हो 
इंदर  राजा कसो थारो गाम देस कसो 
कां से आया थें म्हारा गाम 

हो इन्दर राजा 
सावण आवे थे आई जावो के 
थें आओ जदी सावण आवे 
हो इन्दर राजा।  कसो थारो गाम देस कसो।   ... ''तनु ''
मन कहे तो मौज मना , मन में मन, मन मार !
दिलों की छाँह दिल्लगी ,दिल से ही दिलदार !!,,..''तनु ''



अच्छे करम  पानी हुए  हालात ये तूफानी' हुए  !!
जान सकती लहरें हदें बिना कहे के रवानी हुए  !!

 शह्र में नहीं नज़र में भी कोई दर्द देने वाला नहीं !
अड़चनें सिमटती दामनो ख़ामुश ये जिंदगानी हुए !!

तूफ़ाँ है जोर और गुरुर के चराग़ भी हैं जलते हुए !
डूबा सफ़ीना मझधार में फिर भरम ये फ़ानी हुए !!

तबीअत उदास बहल गयी रुत भी कहीं बदलने लगी !
फिर खामखाँ किस्मत रूठी फिर ख्वाब आसमानी हुए !!

आँसू रवाँ फिर खुश लिबास थी जिंदगी जाना किये !
ज़मी आसमान मिले नहीं यूँ दुश्मन क्यों जानी हुए !!

थी ग़ज़ल ज़हीन घरो की रौशनी भी थी उस जा क़ायम !
कद्द-ए-आदम आइनों देखो  लिक्खे करम पेशानी हुए !!

शुआ-ए-महर के साथ उठे नज़र झुक गयी तो शाम थी !
होते अगरचे कुछ ख़ुदा होते नाहक हुए लाफ़ानी हुए !!... ''तनु ''

Friday, July 21, 2017






मोर करे वन शोर , अहा !!!
मन चोर रहे कब से घन कारे !
आवत हूँ सजनी कहते, 
सहते सहते कब के मन मारे !!
शाम भई अब श्याम सखे, 
तनु राह तके मन साँझ सकारे !
कौन कहे तुमसे सजना ,
मन मीत पिया मन घन कारे !!... ''तनु ''

दोहे

ऐसी रचना क्या लिखे , मीम नून तो देख !
ज्यों सोने के थाल में , जड़ी लौह की मेख !!

कुतर्कों से कभी हुआ,        सही शंका निदान !
अज्ञ, विज्ञ औ,अनभिज्ञ,  बनते सभी महान !!

एक मतला मातुल सा,  मक़ता ईश समाय ! 
पूरी ग़ज़ल अजान सी, हिय पार होइ जाय  !!.... ''तनु ''







Thursday, July 20, 2017



गौण !


सही गलत के फेर में,  सच को सुनता कौन ! 
हर कोई अपनी कहे,        बातें धुनता मौन !!
मन की वीणा पर कहीं,      छिड़े दर्द के राग , ,,
सुनी अनसुनी अनकही,   बातें रह गयीं गौण !! ... ''तनु ''

Wednesday, July 19, 2017





जीवन ये नाटक नहीं,        सच्चाई से नाम ! 
इक दिन मुखड़ा धुल गया,बिगड़े सारे काम!! 

मोती थी किरचा बनी, खोया अपना ताब !
ज़ंग लगा लोहा हुई ,  लाय कहाँ से आब !!

रात चाँद की बावरी,  पर्वत ऊपर मौन  , ,,
मुखड़ा देखे झील में, सपने बुनता पौन !!

सही गलत के फेर में,  सच को सुनता कौन ! 
हर कोई अपनी कहे,        बातें धुनता मौन !!

अपने आप से लड़ते,   हार गये हर जंग ! 
आइना वही का वही ,    आप हुए बेरंग !!.... ''तनु ''


रात चाँद की बावरी,  पर्वत ऊपर मौन  , ,,
मुखड़ा देखे झील में, सपने बुनता पौन !!

शाम सुहानी मदिर है , नभ भी है कुछ ख़ास !
धीमी बहती पवन है ,     मन को भाता रास !!... ''तनु ''







बात बात पर बिखरना, ऐसे उनके ढंग !
निपट अकेले कक्ष में, संग रह गए संग !! 

जीवन ये नाटक नहीं,        सच्चाई से नाम ! 
इक दिन मुखड़ा धुल गया,बिगड़े सारे काम!! 

मोती थी किरचा बनी, खोया अपना ताब !

ज़ंग लगा लोहा हुई ,  लाय कहाँ से आब !!

रात चाँद की बावरी,  पर्वत ऊपर मौन  , ,,

मुखड़ा देखे झील में, सपने बुनता पौन !!

सही गलत के फेर में,  सच को सुनता कौन ! 

हर कोई अपनी कहे,        बातें धुनता मौन !!

अपने आप से लड़ते,   हार गये हर जंग ! 

आइना वही का वही ,    आप हुए बेरंग !!.... ''तनु ''

                           



लेखन के मंच पर ही  मचाते क्यों विवाद , ,,
अज्ञानी लड़ते हैं यहाँ, ज्ञानी मन अवसाद !

ज्ञान बड़ा है बोझ से,अहंकार है नीच , ,,
आसान सुलझना इसे,क्यों उलझे हम खीज !

व्यंग्य-बाण से वार है,  कह  कर आदरणीय !
चिकनी चुपड़ी ही सुनो,  घूँट जहर का पीय !!

नदिया से सागर बडा, होता रोज बखान , ,,
विनम्र बनकर ज्ञान लो,  दिखे नहीं अभिमान !

समुंदर में खार मिला, नदिया गुण की खान, ,, 
विनम्र बनकर ज्ञान लो,  दिखे नहीं अभिमान !!... ''तनु ''







की हर इक शजर सितम की नोक है , ,,,
सूरज ढकने पर किसने की रोक है !

आसमा धूम है धुँआ सा छा रहा ,,,,
उसे नहीं किसी को छुपाने की टोक है !

दिल जले हम साथ सबके क्यों चले , ,,,
झुक गयी नज़रें लगते डरपोक है !

देखकर रुख हवा का संभलते नहीं, ,, 
ओढ़ अँधेरे को लगाते धोक है !

आदतें अच्छी धीरे धीरे पनपती , ,,,
पत्थरो में देर से लगते ओक है !!

तनु समझना तुम्हारे बस में नहीं !
दृष्टि से बाहर भी अनजाने लोक हैं ..''तनु ''

Tuesday, July 18, 2017



सावण  में 


खूब चोखो सावन यो डट्यो देखो ;
धुल गया पात नीर ले पट्यो देखो !!

आज काल कर दन घणा वीत्या ;
वरस्यो नई बरस खट्यो देखो !!

आयो सावन सरस गई माटी ;
कण- कण यूँ गयो सट्यो देखो !!

गीत झूला रा गावे है कोई ;
दुखदर्द दिल से गयो कट्यो देखो !!

प्रीत है गोरी पीऊजी है बारे ;
सासरा पियर में प्यार बट्यो देखो !!

जाजम हरी, फ़ुहारां प्रीत री सोणी ;
चाँद नई आवे आज तो नट्यो देखो !!

मोर बोले पपीहो पीऊ बोले ;
वादरा रो कालजो फट्यो देखो !!... ''तनु ''




Monday, July 17, 2017

बदलाव आता नहीं कभी आदत ओ खुराफ़ात में ,
अंतर कुछ तो रहता है,---  जले दूध ओ छाछ में !
समझ गए आपसे तो दूर ही से नमस्ते अच्छी !!!
क्यों गले पड़ जाते हैं यूँ  ?? बेबात ओ बात में ,,,,,,,,,,''तनु '' 

Sunday, July 16, 2017






आयो  कने वणी ने प्यार दीजो सा !!
जग  री खुशियां उपहार दीजो सा !!

यूँ बाँधी ने हाथ उबा मति रिजो ! 
हाथां ने खोल जो दुलार दीजो सा !!

घणी जबर लागि या कपट री गाँठ ! 
आँटी राखो मन मति खार दीजो सा !!

नया रा साथ चालो जूना री वात मानो 
पुण्य पुरखाँ रा करज उतार दीजो सा 

अकड़ी ने आँख्यां थें मति दिखाजो !
निजरां भरी प्यार थें वार दीजो सा !!

खातर कणि जरा झुकी जावो तो कई !
जो जीत्या चालो वणाने हार दीजो सा !! 

 मोल कौड़ी जीवन कीमत नि अणि की !
बुरी  वातां भूलजो सदव्यवहार दीजो सा !!

काले आया ने काले चालता वणोगा !
ताबूत वो के सीढ़ी ''तनु''सिणगार दीजो सा !!,,,..''तनु''









मालवी गज़ल 



सूरज उगमणो  ही  रे !
सूरज आथमतो ही रे !!

सई साँझ सिंदूरी लुगडो !
परबतां फिसलतो ही रे !!

झरनो गावै मीठो गीत ! 

साथे पौन झरतो ही रे !!

थारे म्हारे बीच में !
प्यार धीमें वदतो ही रे !!

सोना सी रूपारी तूँ !

घर जगमगातो ही रे !!

उगमणे  रा साथे साथै !

आथमणों भी सजतो ही रे !!

वादला री  प्रीत माय !

चांदड़लो छुपतो ही रे !!

आंख्या बंद ने हाथ जुड्या !

राम राम थांसे वेति ही रे !!.... ''तनु''






मालवी गज़ल 

कस्तर !

आँख्यां बहे आँसू छिपावाँ कस्तर !
समंदर में लेहरां उठावाँ कस्तर !!

जिनगी रा मोड़ घणा रोके कदम !
मंजिल ने कने     बुलावाँ  कस्तर !!

वख़त री साँसां तेज़ घणी चाले !
बोलो रातां ने दन बणावाँ कस्तर !!

जो फुलड़ा री खुशबू चावै थाने !
रई बागाँ  बहार बुलावाँ कस्तर !!

कणिके नी आया ''तनु''ई चाँद-तारा !
अणि माटी दीवा बणावाँ कस्तर !!,..... ''तनु ''










सावन झूला

सावण झमाझम वरसो, करजो जी उपकार !
मेहा मनड़ा सरसजो, ..... सूखो रे संसार !!
सूखो रे संसार,  ..... ताल तलैया भरी दो ,
मिटि जावै तकरार ,जिनगी सुखमय करी दो !
मनडो गाय मल्हार ,   वणा दो पावन सावण !
झूला डालां  डार,  वरसो झमाझम सावण !!.. ''तनु ''

सावन झूला
सावन रिम झिम बरसिये , करिये कुछ उपकार !
मेहा मनवा सरसिये , --------- सूखा सा संसार !!
सूखा सा संसार , ------ तलैयाँ सरवर भर दो ,
मिटे सभी तकरार !!! जिंदगी सुखमय कर दो !
मन गा रहा मल्हार ,----- बना दो मौसम पावन !
झूले डाले डार ! ---- बरसिये रिम झिम सावन !!.... ''तनु''

Saturday, July 15, 2017






दिमागों पे पड़ा ताला हुआ है,
कहीं फिर से घोटाला हुआ है ?

बहुत स्वार्थ की दुनिया बसा ली ,
हर आस्तीन ही अहि पाला हुआ है ?

 जिसे पूजा जिसे देवता बनाया,
उसी ने बनाया निवाला हुआ है ?

कि घटता जा रहा मैं चाँद जैसा ,
अमा पूनम का बवाला हुआ है ?

सभी निर्दोष हैं जिन्होंने ली है जां,
 ये खूं क्यों नाहक उबाला हुआ है ?

वही प्यासा उसे है प्यास कितनी ,
वही साकी वही प्याला हुआ है ?

अरे जाँ देता तो देश खातिर देता ,
लिए आतंक क्यों जियाला हुआ है ?

 चढ़ाना ''तनु'' क्यों आसमा पर उसी को ,
 बुझी शमा का जो परवाना हुआ है ??,,,, ''तनु ''

Wednesday, July 12, 2017







आँख से बहते, आँसुओं को छुपाना होगा !
समुन्दर बन के  लहरों को उठाना होगा !!

हर एक चौराहा रोक लेता है बढ़ते कदम !
मंजिलों को बताने हवाओं को बुलाना होगा !!

कैसे वक्त की साँसों को कोई छू पाये !
नक्श आने वाले लम्हों को बनाना होगा !!

रखना है कायम गुलों की  महक तुमको !
चमन में रह कर बहारों को बुलाना होगा !!

चाह कर कौन ला पाया चाँद -ओ- तारे !
''तनु ''इसी ख़ाक से दीयों को बनाना होगा !!.. ''तनु ''







Saturday, July 8, 2017



लिखने वालों का दिल मत तोड़िये उनमे विज्ञ बहुत हैं ,
अनजाने भी जानकर कौतुक लाते उनमें अज्ञ बहुत हैं !
साधनों के अभाव में भी होती ही रही मानसपूजा , .. 
ईश्वर भावों से खुश होता नहीं जानते अनभिज्ञ बहुत हैं  !!, ''तनु ''


आखर दोहे बन गए,   लेखनी है कमाल
मुक्तक की माला बनी, रसरंग बेमिसाल,...''तनु ''  

Friday, July 7, 2017



 अपने हित साधने के लालच को भुलाना होगा ,
 अपनी खोयी हुई खुशियों     को बुलाना होगा !

  देश प्रेम के नाम पर जो खूनी खेल खेल रहे,
 खून के आँसू  देश द्रोहियो को रुलाना होगा !

मूक बन दर्शक हम जिसको देख रहे हैं बोलो ,
अपनी आँखों  के सामने  पर्दे को हटाना होगा !

वीरों के बलिदान का अपमान क्यों होता है ,
बढ़ कर आगे अपने क्रोध को बताना होगा !

कोई नहीं है जो इसका बहिष्कार विरोध करे ,

सच्चा है प्यार देश से तो उसको जताना होगा !,,, ''तनु ''

Thursday, July 6, 2017


गुमशुदा , ...

आसमा में कहीं छुपा होगा !
बादल भी बेदिल रहा होगा !!

वो परिंदा नाकाम प्यासा सा ! 
प्यास रूह से बुझा रहा होगा !!

शब उसके नसीब की तारीकी !
डूबते सा बख़्त रहा होगा !!

दूर औ पास कोई नहीं उसका !
पेड़ बिन साया ही रहा होगा !!

 जो सदाओं दम ही नहीं उसके  !
  या सदा -ए -करख्त रहा होगा !!

 वो किसी का नहीं गुमशुदा ''तनु '',
 जानकर गुमशुदा रहा होगा !!, ..... ''तनु ''

Tuesday, July 4, 2017


गजल - समय चक्र चलता रहा

समय चक्र चलता रहा,
सूरज नित ढलता रहा !

दामन सिंदूरी साँझ का, 
पर्वतों फिसलता रहा !

गा रहा गीत झरना ,
संग पवन झरता रहा !

धीमे धीमे दरमिया ,
प्यार फिर बढ़ता रहा ! 

सुनहरी सी किरण तुम ,
घर जगमगाता रहा ! 

कामनाएँ सोणी सी,
ये जहां सजता रहा !

प्रीत ओढ़े बदरिया ,
चाँद भी छुपता रहा !

बंद आँखें झुका 
सर 
मेरा ये सजदा रहा !... ''तनु''




Monday, July 3, 2017


दीजिये ,


आ गया पास कोई उसे प्यार दीजिये ,
जहां की खुशियाँ उसे उपहार दीजिये !

 यों हाथ बाँध कर मत खड़े रहें साहिब , 
हाथों को खोल लीजिये दुलार कीजिये !

अकड़ कर आँख क्यों दिखाते साहिब ,
नजरों में भरे प्यार का इजहार कीजिये !

बेसबब खड़े हुए फोटो खिंचाते साहिब ,
ऐसा कहा नहीं हमने उपकार कीजिये !

बातें टालना ये अदा तुम्हारी है साहिब ,
भुलाकर बुराइयाँ  सदव्यवहार कीजिये !

खातिर किसी ज़रा झुक जाइये साहिब ,
अजी जीत पर हमारी, चलिए हार दीजिये !

कौड़ियों के मोल ये जीवन है साहिब ,
अमीर - गरीब मत देखिये वार दीजिये !

कल कज़ा आयी  मिटटी कहाँ साहिब ,
ताबूत हो के सीढ़ी ''तनु ''श्रृंगार कीजिये !,,.... ''तनु ''




आभासी दुनिया, ... 




महफ़िलों में अब कहकहों के अपने मज़े खो गए ,
तुम सुनाओ मैं कहूँ कुछ वो कहते कहते सो गए !
कह चुको तो देखना रुक दुनिया आभासी सनम ,...  
जो रहे रोते हँसे फिर वो हँसते हँसते रो गए !! .....  ''तनु ''

Sunday, July 2, 2017


नव कुण्डलिया
 'राज छंद' 


अपने बिठाय, जात गठजोड़ !
जात गठजोड़ !   कुर्सी बैठा 

कुर्सी बैठा ,     आचार हीन !
आचार हीन !! खो अनुशासन,

खो अनुशासन,  बँटे रेवड़ी !
 बँटे रेवड़ी !!  अपने बिठाय, ,,,,..''तनु ''