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Thursday, August 31, 2017

राम राम रटे है !





थारी चाहत में रातां दुःख री कटे है;                
 हर बख्त लागे जाणे नश्तर 
डटे है !    
           
 अबार तक टीसे है ई जखम हरा है;                        
 जुबां से मति पूछ या तो यूँज नटे है !

आज काल करूँ हूँ भरोसो काल नी ;
जिनगी ने देख या दर रोज घटे है !

जड़ सींचे तना पोषे फूलां से है बहार ;
रोज की मारा मारी हर जीव खटे है!


कसा भी ग़म वे बारे है जीवडो ;
यादां थारी मनवो भारी पूर पटे है !

कदी ''तनु'' याद ऊपरवाला ने कर ;
थारा से  सुओ भलो राम राम रटे है !.. ''तनु ''




दोगे तुम ???





हर बात पर कहते रहे जला दोगे तुम ;
ये अरमान सारे हमारे गला दोगे तुम !!  

दिल में हर वक्त तुम्हारे आग है जलती ;
अब और किस बात का सिला दोगे तुम !!    

तुम्हारे जजबात उबाला देते जहां को;
जाने कौन सी आफत-ओ-बला दोगे तुम !!   

अल्लाह की नेमत की कीमत कुछ नहीं ;
अनजाने ही आँसू खूं के रुला दोगे तुम !!

काँटों के रास्ते,  बारूद का सफर है,... 
मुंदे आँख !! जब तलक आबला दोगे तुम !!

ये विष भरी फुफकार रुकती क्यों नहीं ?
मेहरबानियाँ उसकी कैसे भुला दोगे तुम ??

हमारे होकर दुश्मनी तुम हमसे ही करते ,
अब क्या संसार को जहर पिला दोगे तुम !!... ''तनु'' 

Tuesday, August 29, 2017



ओढ़ चादर बादल की,  सारे तारे सोय !
इत बदरिया भू  ढूँढे,   रोकर आँसू खोय !!

ओढ़ चादर बादल की ,        सारे तारे सोय!
इक बदरिया ढूँढे शशि,   रोकर आँसू खोय !!

बादलों लिखी चिट्ठियाँ ,  पवन हाथ पैगाम !
बिजुरिया के हरकारे ,    बारिश है अंजाम !!

गले लगाये  बिजुरिया,    ले बाँहों के हार ! 
बादलों की मनमानियाँ,  घुमड़ करे श्रृंगार !! 

अब सौतनिया पवन का, बढ़ने लगा उत्पात !
 बिजुरी की मनमानियाँ, उसको नहीं बर्दाश्त !!... ''तनु ''

मेसेंजर ऑफ़ गॉड ;




आये पट्टी बांध के मेसेंजर ऑफ़ गॉड ;
  चलो फैसला हो गया झूठे कायर फ्राड !
   झूठे कायर फ्राड, चल अब जेल के अंदर ;
   तू  फैला कर जाल  झूठा  बनता  कलंदर !
    पानी वाली दाल जली सी  रोटी खाये !
    मेसेंजर ऑफ़ गॉड बांध के पट्टी आये !! .... 'तनु'

डूबी लुटिया,




धर्म की डूबी लुटिया,   नुगरे संत कहाय ;
सोय बिछौने काम के, सुंदरियाँ सहलाय !

सुंदरियाँ सहलाय, पाप का उबटन मलते;
कभी खून करवाय      छाँह में गुर्गे पलते !

जाने है संसार ,    जब जब बढ़े बुरे कर्म ; 
लेते हैं अवतार,        भगवान बचाने धर्म !... ''तनु''  

Monday, August 28, 2017

फालतू री वातां से होणो हो कई !!.








आंख्या मूंदी रात दन सोओ हो कई;
 चौमासा में बात बिन रोओ हो कई !

  जिंदगी रा आरसी रे सामे;
  हारी ने आंख्या भिगोवो हो कई !

अचानक खुली जावे बारणा तो ;

यादां री गांठड़ी आज भी ढोवो हो कई !

 उतर ग्यो पाणी अबे उतार है ;

 दरदां रा आंगणा थें धोवो हो कई !

काल सुदी जो सीख्या आप था ;
भूली जावो भलो है सुओ हो कई !

 थोड़ी डालां है ने थोड़ी वेलडी ;
 दिलां में लो संजोई वावो हो कई !

 सन्नाटो कसो पसर्यो काली रातां में ;
 चालो शबनमी मोती पोवो हो कई !

  एक ''तनु ''देखि सुणी ने कई नी बोले 

  फालतू री वातां से होणो हो कई !!... ''तनु ''




सोता है क्या ;


आँख मूंदे रात दिन सोता है क्या ;



जिंदगी तनहा कहीं खोता है क्या ;
बारिशों में बात बिन रोता है क्या !

जिंदगी के आइने के सामने ;
हारकर यूँ आँखें भिगोता है क्या !

हाँ अचानक खुल गया दर जो कभी ;
पूछूँगा भार यादों के ढोता है क्या !

 उतर चला पानी फिर बाद बाढ़ के ;
 दर्द के आँगन हैं  तू धोता है क्या !

कल तलक सीखा हुआ खो जाएगा ;
भूलकर होगा भला तोता है क्या !

बेल औ कुछ फूल शाखों बच गये ;
कुछ निशानी दिल में ले बोता है क्या !

सन्नाटा पसरा कयामत का फ़ज़ा में;
कोई शबनम के मोती पोता है क्या !!

एक तनु देख सुन कर कहती नहीं ;
फ़ालतू की बात से  होता है क्या !! ... ''तनु ''



सच्चे सौदे




 सच्चे सौदे ने लिए,           झूठे डेरे डाल ;
भक्त बनाये बहुत हैं, पहनाकर जयमाल !
पहनाकर जयमाल,   लूटते भोले जन को ;
करवाते हैं काम ,   जो नहीं भाते मन को !
फैला माया जाल ,    गच्चे खा जाय अच्छे ;
चले भ्रम की राह ,    धोखा खा रहे सच्चे !!... ''तनु''

Sunday, August 27, 2017

कैसा विश्वास





ये कैसा विश्वास है,  खुद लुटने की चाह !! 
कौन सम्हाले इनको,  कौन बताये राह !!
कौन बताये राह,  अशिक्षा बनी है कारण , ,, 
चाह न छूटे चाह ,   है चकाचौंध लुभावन !
भटके क्यों भरमाय, जिंदगी छोटी सी ये ;
कहे कौन समझाय,    कैसा है विश्वास ये !! ...''तनु''

खफा है





मीत तू क्यों कर खफा है ;
कब निभाई मैंने जफ़ा है !

हो गयी तुमसे मुहब्बत ;
तुम कहते कितनी दफा है !

दिल यही है पूछता बस ;

मायने क्या    बे-वफ़ा है !

आँख में छाई घटा है ;

बरस गयी है बा-वफ़ा है !

क्या तुम्हें मालूम भी कुछ;

जो खरा है वो तपा है !

 ऐसा चारागर है मेरा;
दे जहर कितनी दफा है!

चल बैठें अब छाँव मितवा ;
कुछ लिखूँ  कोरा सफा है !

देख मौसम गा रहा कुछ ;
''तनु'' अब मरने में नफ़ा है !...''तनु''

नुगरा संत ;






जुटा भीड़ राज कर ले,  बन जा नुगरा संत ; 

ले झूठी दरियादिली ,     आग लगा निर्बंध ! 

आग लगा निर्बंध,   जितना गिर सके गिर जा ;

डरा दीन ईमान         बेबस साँच से भिड़ जा  !! 

पर इतना तू जान       एक दिन तू रहे घुटा ;

आज बेच ईमान     चाह जितनी भीड़ जुटा !!... ''तनु''

किताबें








कुछ लिखूँ और कुछ गुणु है मेहरबानी आपकी;
संज्ञान के काबिल बनाया है कदरदानी आपकी!
खुशनसीब बन कर जिया जिसने पाया आपको , ,,
कह लिया ,गुण लिया सब कुछ जुबानी आपकी !!.... ''तनु''

पुस्तकें






वहीं हैं प्यार की मंजिल जहाँ पर रुक गयी नज़रें ;
 वहीं है ज्ञान की मंज़िल वहाँ पर झुक गयी नज़रें !
 लिखे हर्फों का ज़खीरा है ये किताबों  की दुनिया !
 है पसंदीदा मंज़िल कहाँ ?? चलकर खुद गयी नज़रें , ,,,''तनु''

Saturday, August 26, 2017

नाक दबई




नाक दबई ने मुंडो खोल्यो,
सिकुडी गी भौं नाक ;
नाक में  दम करी नाख्यो,          
करम वणाका शरमनाक !
नाक रगडता कदि नी वि, 
ऊँची राखता नाक,         
नाक मक्खी बैठवा नी देता !
अबे खोय नाक री सीध,
ढूँढी रया कटी थकी नाक ; 
कदी नाक दिवो बालता था वि, 
बुझी ग्यो दीप,
नीची वई गई वणा री नाक !... ''तनु''

नाक





नाक दबी तो मुँह खुला, सिकुड़ गयी भौं नाक ;
नाकों दम करते रहे,            कर्म थे शर्मनाक !
कर्म थे शर्मनाक,            नाक रगडते ये नहीं ; 
ऊँची रखते नाक,            मक्खी भी बैठे नहीं !
खोय नाक की सीध,         ढूँढ़ते हैं कटी नाक ; 
बुझा नाक का दीप,          नीची होती है नाक !... ''तनु''
                                




चरण वन्दना मैं लिखूँ  चरणों का रख ध्यान ,
सादर गाऊँ चरण  नित नित चरण गुणगान ,
नाप रहे अखिल विश्व  युगल चरण तुम्हारे,
नयन धरूँ चरणन में  करूँ मैं सम्मान !!... ''तनु ''

Thursday, August 24, 2017

तीज री बधय



थाने मंगल तीज री ,  मोकळी जी बधाय !
कर सोला सिणगार जी, मेहँदी लो रचाय !!
मेहँदी लो रचाय,      आली हरले आलिका !
चरणन शीश नवाय, करो व्रत हरतालिका !!  
मंगलमय है तीज,     घणा मीठा रे सबंध !
कुमारियाँ वर पाय,  रे वे सौभाग्य अखंड !!... 'तनु' 

हरतालिका







अखंड सुभाग कामना,  गौरी पूज मनाय !
कर सोलह सिंगार मैं ,    मेहँदी लूँ रचाय !!
मेहँदी लूँ रचाय,     आली हरती आलिका !  
चरणन शीश नवाय, व्रत करे हरतालिका !!  
मंगलमय है तीज,    अपने मधुर हो सबंध !
कुमारियाँ वर पाय,  रहता सौभाग्यअखंड !!.. ''तनु ''

Tuesday, August 22, 2017

औरत





औरत तुम तो एक पहेली सी हो ;
कभी अंजान कभी सहेली सी हो !

घनी रजनी में तुम किरण भोर की ;
जलते रेगिस्तान बेला चमेली सी हो !  

पापा थके जब दौड़ पानी भर लाओ ;
 सिर सहलाती नन्ही हथेली सी हो !

जीवन की धुंध सुनहरा ख्वाब हो तुम ;

सहेजती हर चीज को हवेली सी हो !

बहन है प्यार घर का कोना महकाती ; 
लड़ती झगड़ती कभी अलबेली सी हो !

कभी प्रौढ़ बनकर, कभी शृंगार में ग़ुम ;
कभी दुल्हन बन तुम नवेली सी हो !

मिठास से मीठी तुम नीम से कड़वी ;

खटाई में इमली  कभी गुडभेली सी हो !
  
लिए वैराग्य का कोना पड़ी ठिठुरती ;
धवल धारण किये तुम अकेली सी हो !,... ''तनु ''


सवेरा



 सवेरा 

निशा का फिर सवेरा हो गया है 
अन्धेरा फिर अकेला हो गया है 

आओ मिल नीड का निर्माण हो 
प्रेम पथ पर नेह का आह्वान हो 
आ रही उन आँधियों को फेर दो 
प्राची में देखो उजेरा हो गया है 

निशा का फिर सवेरा हो गया है 
अन्धेरा फिर अकेला हो गया है 

कौन डर जाएगा यूँ  दुर्देव से 

कुनीतियाँ कुचली गयी सदैव से 
गा रहे उन पंछियो को टेर दो
आशाओं के हित बसेरा हो गया है 

निशा का फिर सवेरा हो गया है 

 अन्धेरा फिर अकेला हो गया है 

कौन कमल विहँसने से रुकेगा 

चाँद भी कुमुदिनी पर झुकेगा 
चलो बादलों, चाप इंद्र उकेर दो 
क्षितिज भी अब घनेरा हो गया है

 निशा का फिर सवेरा हो गया है 
अन्धेरा फिर अकेला हो गया है 

प्रतीक्षा का समापन नजदीक है 
क्यों निर्झर ले नयन भयभीत हैं  
श्वास ओ  सिहरे पवन ना अबेर दो 
मधुरिमा घुली !!! लो जगेरा हो गया है 

 निशा का फिर सवेरा हो गया है 
अन्धेरा फिर अकेला हो गया है 

संभावनाओं के पथ धुंधले न होंगे 
मनुज व्यर्थ वाणी से गंदले न होंगे 
आओ किरणों तुम नई सवेर दो 
भानु भोर का चितेरा हो गया है

निशा का फिर सवेरा हो गया है 
अन्धेरा फिर अकेला हो गया है , ,,, ''तनु ''






Monday, August 21, 2017

अंधी बाढ़ !






आजकल आती ही ऐसी ;
होती कभी न मंदी बाढ़ !

कई बरस में देखी होगी ;
सबने ऐसी अंधी बाढ़ ! 

हरियाली पर ये क्या बोले ;
कीचड़ के संग बंधी बाढ़ !

कर न पाया प्रतिकार कोई ;
कैसी ये प्रतिद्वंद्वी बाढ़ !

कीमत जिंदगी ने खोयी ;
क्रूर नाचती नंगी बाढ़ !

कितनी घातक कितनी मैली ;
कहाँ होती सुगंधी बाढ़ !

जाने कर्म की सजा दे रही ;
 बनी है अब तो चंडी बाढ़ !

कितना हर्जाना मांग रही ;
लेती ही जा रही खंडी बाढ़ !

कितने दरख्त कितने छौने ;
खा गयी कितने पंछी बाढ़ !

अभिशप्त हुआ है जन जन ;
तोड़ गयी सब संधि बाढ़ !

विनती नहीं किसी की सुनती ;
 निर्मम निर्दय हंत्री बाढ़ !,,, ''तनु''

बाढ़

बाढ़ 

धरती विप्लव गान गा रही 
प्राणों के लाले पड़ गए 
अंबर चीखे त्राहि त्राहि
आया तम उजाले घर गए 

लहरों की लीला देखो
जीवन को ले लील गयी 
क्षितिज अब तो डूबा डूबा 
कहाँ खो अबाबील गयी 
पेड़ फसलें बह गयी,   खेत खलिहान उजड़  गए
धरती विप्लव गान गा रही, प्राणों के लाले पड़ गए 

दूध मलीदा खाने वाले 
स्वच्छ जल को तरस गये 
रोटी कहां नसीबा में थी 
दुःख के बादल बरस गए 
जीवन देने वाला जल,  जीवन उजाड़ उजड्ड गए 
धरती विप्लव गान गा रही, प्राणों के लाले पड़ गए 


घर डूबा छत पर पहुंचे 
छत से ही देखें आकाश 
शायद कोई आ जाये तो 
पहुंचे कोई कहीं से आस 
देखो कोई बहा मवेशी, बही सड़क संग रगड़ गए
धरती विप्लव गान गा रही, प्राणों के लाले पड़ गए 

पथरा कर  पत्थर हो गये 
जल में जलहीन नयन है 
कौन डूबा गिनती नहीं है 
कुअंक लुटा रहा गगन है 
कितनी माँएं पूत बिन सोई, कितने लाल सुघड़ गये 
धरती विप्लव गान गा रही, प्राणों के लाले पड़ गए 

सुख पल के  सिंदूर बह गये 
पता नहीं वे  सुदूर बह गये  
दफ़नाने को जमीन नहीं है 
अब न आऊँगा नयन कह गये 
डूब डूब मैं डूब रहा हूँ ,जीव मौत से झगड़ गये 
धरती विप्लव गान गा रही, प्राणों के लाले पड़ गए !!... ''तनु ''














Sunday, August 20, 2017






लेखन की उनको रही,    बड़ी अनोखी चाह !
जब तब लिखा ही करते,  पकड़ कलम की बाँह !!
पकड़ कलम की बाँह,    कागज के कज्जल करे ! 
मनन  में अति उछाह        ज्योँ रीते घट जल भरे !!
कौन कहे कविराय, लिखी पोथी देखन की !
दनादन हैं कमाय,   लागी लगन लेखन की !! ,,...'तनु'





कैसो यो सिणगार है, बोले मिरगा नै!
थारा बंद होठां से ,   घणा करे तू बै !!
घणा करे तू बै , फेर खोय जावे कठे ?
ढूँढूँ मैं दिन  रैन,      रे थने अठे ने वठे ??
आंख्या ली सुजाय, लग्यो धपडको ऐसो,
कठे रे लागि लाय, है सिणगार यो कैसो !!.. ''तनु''

Saturday, August 19, 2017





दरख्त हरे गिरा गयी,   कैसी निर्दय बाढ़ !
नैन का जल जला गयी, डूब गयी है भाड़!!

गीत गा रही बाँसुरी,    ताल पखावज देत,
नृत्य करे मन बावरा, पग पग आहट लेत !

लगाती आग भूख की, बीत गयी जो रात !
उगाता दिन मौत का,  सूरज करता घात !!

सपने दरिया के दूर हैं,  देखी नहीं बहार !
मरीचिका सी जिंदगी, भोजन भी दुश्वार !!

थकन पाँव से बाँध के, नींद गयी है डूब !
दीवाने सपने हुए ,     छुपे नयन महबूब !!

टुकड़ा ढूँढू मेघ का,    जिस पर मेरा नाम !
खुद तरसा है तरस के,  नाहक है बदनाम !!

काम करता कुदाल का ,मजदूरों का स्वेद !
बिस्तर तोड़ें आप तो,     नाहक करते खेद!!

इक किसान लिखवा रहा, फाकों की तफ़्सील ! 
बुरा वक्त नाकामियाँ,        कौन करे तब्दील ??

पराये पोंछे अँखियाँ  प्यार जताते गैर !
अपनों में हम गैर से ,कैसे मनती खैर !!,,...''तनु''




Friday, August 18, 2017







नज़र ढूँढे हामिद को, लटक गयी है खाल !
पडोसी पूछते यही, कह!!...है ?? तेरा लाल !!

नज़र ढूँढे हामिद को,   ईदगाह की राह !
मुरादों के पंख लगे,  ले विदेश की चाह !!

अकेले अकेले रहे,     लिखा यही था भाल !
दो दिन की ये जिंदगी,    बीतती है मलाल !!

एक लड़ाई जिंदगी,      जीवन है जंजाल !
मैं निरीह लड़ती रही, आखिर मे कंकाल  !!

आस गयी दीपक बुझे, पलकें रही निहार !
माँ बेटे के प्यार का,   उजड़ गया संसार !!

तुझको मुझसे आस थी, जब थे नन्हे पाँव !
जब उमर लाचार हुई , छोड़ गया तू गाँव !!

 तेरे रंगी सपन थे,   चाहत रही उड़ान !
 कभी तेरे सपन लिए ,ली मैंने मुस्कान !!

 रहे सरसों से बिखरे ,          छूटे दाने हाथ ! 
 बाँह पकड़ जिनकी चले, छूटा उनका साथ !!... ''तनु''







Wednesday, August 16, 2017






चोर हैं तेरे 
थैली के चट्टे बट्टे 
भिन्न चेहरे


काल का गाल 
अश्रु से नम आँखें 
बीती है बात 

खूब गढ़िये 
पल पल नवीन 
माटी का तन 

मित्र न होता 
दर्पण तन बिन 
दीप  नयन 

मिटे न भाल 
कुअंक विधान के 
अश्रु नयन 

कल काल का 
दुःख भी परस्पर 
होते संग में 

पीड़ा के पार 
सुख की अनुभूति 
जन्म नया 

पली कामना 
नए सृजन कर 
पंख लगाये 






ठौर





सलीब पर सिर्फ तुम ही नहीं और भी हैं ,
हँसी लबों से ग़ुम, ग़मगीं नहीं गौर भी है ! 
मंदिर मस्जिद या कि  हो गुरुद्वारा यहाँ , ,,
कहाँ जाऊँ कौ जाने मेरा कहीं ठौर भी है !!.. ''तनु ''

Tuesday, August 15, 2017




चलनी में अब रह गयी,  कैसी मानव जात ! 
नीचे छानन जा गिरा ,     खाये घूँसे लात !!

प्रीत निभावे छूरियाँ ,      बात करें बंदूक !
दुनिया बदली देखते,  जी में  उठती हूक !!

सारा खेल है कुर्सी ,     बड़ा बुरा ये रोग !

फिर कभी नहीं पायगा  इस जन्म ले भोग 

आप आप में उलझिये,रहे सेंक हम रोट !
यही सियासी पैंतरे ,    खूब बनाते नोट !!

छुपी सभी नाक़ामियाँ ,   परदे पीछे साँच !
चूल्हे ऊपर खिचड़ी, पकती है बिन आँच !! 

शीश ढकते पैर खुले,  आफत में है जान ! 
गरीब के दुःख थेगले,     हैं पैबंद निशान !!

कौन  देखता चेहरा ,  छुपा पीछे नकाब !
लगाते सारे एक से,  बडा सुर काँव काँव !! 

सत्य छुपता नहीं कभी,  उसमें नाही खोट !
राख  रही चिनगारियाँ,  सूरज बादल ओट !!

बंधन बाँधू प्यार के ,          ले भावों के बंध !
जनम जनम शुभकामना, रिश्तों की सुगंध !!

राखी सिर्फ सूत नहीं, 
नहीं नाम परिहास !
निर्मल मन मुक्ता धरे, सागर सा अहसास !!... 'तनु' 



Saturday, August 12, 2017

उत्तर दो

  


पेशे में आने से पहले,  कुछ कसमें खायी जाती हैं ,
कैसे सच की राह चलूँगा,  बातें समझायी जाती है !  
राह सत्य संकल्पित होकर, चार दिन भी न चल पाये तुम, ,,
कैसे वफादार तुम बोलो,  यूँ रसम निभायी जाती है ???... ''तनु''