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Wednesday, December 30, 2015

बीत गयी सो बात  अब दिन नया है नयी रात 

सर्द सन्नाटा आसमाँ का ही पिघला है ;
अब यही मंज़र मेरे हमराह निकला है !

राह यही मंज़िल की तरफ ले जाएगी ;
 पाँव कैसा भी पड़ा है खुद ही संभला है !

भूल जाओ गुज़री साअतों के हादसे ;
दीप जला लो  देखो तो कैसा जलता है !

तूफानी हवाओं से तुम मत डरना कभी ;
कहर-ए-आइन्दा सब के सर से टलता है !

बेदाग़ फ़ज़ा है और खुशनुमां समाँ भी ;
धीरे धीरे समय ''तनु ''कैसे बदलता है !.. तनुजा ''तनु ''

Sunday, December 27, 2015

सागर हूँ मैं....... 

मुखालिफत सह,  रोते हुए गुजरूँ ?
खुली मुनाफ़िकत, ढोते हुए गुजरूँ ?


कब तक सहूँ मैं अपने से दूरियाँ ; 
अपने ही वजूद से, रोते हुए गुज़रूँ ?

चाहा किए जिसे वो सपनों में मिले ;
अब क्या हरदम, सोते हुए गुजरूँ ?

क़मर को अज़ीज़ मेरे सिवा गुल भी ;           
खार और गुल, पिरोते हुए गुजरूँ ?

जाना किया ज़माना सानेहे की ; 
अपनी ताजियत से, होते हुए गुजरूँ ?

रेत पर मत लिखो नाम अपना ''तनु '' ;
सागर हूँ सब कुछ, धोते हुए गुजरूँ ??...तनुजा ''तनु ''

Saturday, December 26, 2015

मसीहा 
वो एक कद और जिस्म में नहीं रहता ;
वो एक हद और किस्म में नहीं रहता ! 
दिल मसीहा जेहन पाक़ीज़ा है उसका , ,,
वो इक ज़िद औ तिलिस्म में नहीं रहता !!

Monday, December 21, 2015

गलबहियां नींद से जो हुई भूल गए संताप !. 
आ पहुंची है शीत शर्बरी घट गया है ताप ;
दिन छोटे रात बड़ी तकिया बिछौना प्यारे, ,,
लेकर नींद सलाइयाँ चलें ख्वाब बुन लें आप !!,,,...तनुजा ''तनु ''

Sunday, December 20, 2015


 चाँद और झील 

चाँद को मेरे इरादों की ------ खबर नही  ;
जबीं छू के उसको,   दिल की बता रही हूँ !!! ...

वो अर्जमन्द है,  अज़ल भी वही है .......
ख़ुशी ख़ुशी उसको,  दिल की बता रही हूँ !!!

वजूद से अपने गुज़र  यहां है आया हुआ ,.... 
गहराइयों में छुप जा,  दिल की बता रही हूँ !!!

मैं चाँदनी हूँ, ,, तवज्जोह चाँद है ;
ये मेरी कुव्वत है,  दिल की बता रही हूँ !!!

कायनात के कहकहों को सुन कर  ;
ये चश्में पुरआब नहीं,  दिल की बता रही हूँ !!!....

भली बहुत लगती है ''तनु ''की  ख़ुशी उसे ;
खुद ही  दिल - गिरफ्ता,  दिल की बता रही हूँ !!!... तनुजा ''तनु ''

Saturday, December 19, 2015

आ पहुंची है शीत शर्बरी घट गया है ताप ;
लेकर नींद सलाइयाँ चलें ख्वाब बुन लें आप !
दिन छोटे रात बड़ी तकिया बिछौना प्यारे, ,,
गलबहियां नींद से जो हुई भूल गए संताप !!.. 

सिहर उठते हैं ठंढ बिन,  देख -- ऐसा जगत व्यवहार ?
जाने कहाँ से आया है, ,, जन - मानुष में ये कदाचार ?
कौन बताए  राह, ,, और कौन पंथ के शूल हटाये ??
जिससे सुखद सलोना जीवन हो  पावन हो आचार, ,, 

Friday, December 18, 2015


चाहत का  सितारा है ''बद्र''


ये मेरी चाहत नहीं सितारा है ''बद्र'' को , ,,
अब तो इश्क ज़ाहिर सबां, गुमाँ है ''अत्र'' को !!......

सीने में वो दर्द का कोहराम मचाकर, ,,
प्यार खो ईमान लुटाकर ढूँढे है कद्र को !!....


दर्द -विरासत पाकर मैं काम चला लूँगा , ,,
लग गया जो रोग बड़ा जिद्दी है उम्र को !! ..

मानिए मैं अपने शोर-ओ-शर से भागता नहीं,,,
ग़म के कुछ कशीदे पढ़ूँ साथ लिए फ़ख़्र को !!

क्यों लौट लौट आते हैं लोग ''और'' जिस्म में , ,,
''तनु ''ख्वाहिशें कई बाकी मेरे जी बेसब्र को !!.... तनुजा ''तनु''

Tuesday, December 15, 2015

वि किताबां लावे ड्राइंग रूम में रखवा वास्ते ;
वि घणों मीठो बोले लोगां ने दिखावा वास्ते !
अबे लो ,,,,कसी लागि या स्टेंडर्ड री बीमारी , ,,,
काम हगरा वे वणाके, सबने दिखावा वास्ते !!!!

Saturday, December 12, 2015

अहं 

नापते ही रहे अहम के फीते से अब्र को  
इक मर्तबा फिर चढ़ाया सूली पे सब्र को 
पानी के बुलबुले की मानिंद है जिन्दगी 
जिस्म दीया दोनों मिटटी,  जी है कब्र को 

Friday, December 11, 2015


सबाब के टूटते दरख़्त 


कहाँ चला आया हूँ, मैं कहाँ तक सोचूँ ;
ख्वाहिशे परवाज़ है, आसमां तक सोचूँ !

दर्द किसे ? किसकी आँख का बहा आँसू ?   

हकीकत भुला दूँ, ,, और गुमाँ तक सोचूँ , ,,

पड़ा हुआ ओंधा, ज़माना गश है खाकर ;
इक मैं ही चैन खोकर, कहाँ तक सोचूँ !!

दरख़्त सबाब के,  टूटते रहे हर पल ;
शजर कभी बदला नहीं,  वहाँ तक सोचूँ !

कहाँ दर्द की फ़ुग़ाँ ,  कौन ये सुनता है ?  
कंगन आइने से देखूँ, निहाँ तक सोचूँ , ,,  

जिसम मर गया है, सदा मगर ज़िंदा है ;
जिंदगी मौत सी,  मैं जहाँ तक सोचूँ , ,,

गुनाह करके वो छूटते, सबाब है क्या ?  
मर गया ज़मीर, कैसे गिरां तक सोचूँ !!!  तनुजा ''तनु ''

Tuesday, December 8, 2015

जुग जुग जीवता रीजो कालजा री कोर ;
दादोसा जी रा आंगणें मोती चुगे मोर !
देवण पोता ने असीस देवी देवता आय , ,,
बलखावै ने  गीत गावै  चोखी पुगे भोर !! 

रंग भवन में सोवे लाल कोई मती जगाजो ; 
दादीसा रा पाछे -पाछे धीमें - धीमें जाजो !
निछावर करजो जी सोना चाँदी रा थाल , ,,
चाचो सा मामो सा थें गोदी माय रमाजो !!...तनुजा ''तनु ''
नज़राना

वुसअतें आफताब की गुलों पर महरबां रहे ;
तनवीर ही तनवीर हो जहां में हम जहाँ रहे ! 

हर फन के ख्वाब की ताबीर हो कायदा रहे ;  
पहलू में जन्नत हो दिल सदा रक्साँ रहे !

ज़र्रा ज़र्रा सुनाता रहे कहानी मिरे इश्क की ;
 मैं तेरा दीवाना रहूँ  और तू सदा जवां रहे !

हर नफ़स हमनफ़स हमकदम हमदम हर दम ;
फस्ल- ए -ग़ुल रहे क़मर हो सदा कहकशां रहे !

इससे पहले भी हम कई बार मिले हैं ''तनु '';
नसीम चमन में, कुर्ब हो, सदा नज़राना रहे !.... तनुजा ''तनु ''

Monday, December 7, 2015

बधाई !!!बधाई!!! बधाई!!!


स्वर्ण किरणें आँगन आई , 
खिले सुमन प्रभात !
मनोवेग मधुकर सा डोले , ,,
काँप रहा है गात !!

वर्षा ये कुसुम मकरंद की , 
बरसे मधुमय नीड !
स्पर्श सुख से आनंदित हो , ,,
भूला दुखमय पीड !!

शून्य मना, नवल रागों से ,
रंजित गुंजित, साभार !
गाकर प्रथम प्रभात गीत , ,,
मिल बोलें,   आभार !! 

लतिका झुक छलकाए गागर ;
सु - मना सुमन उलीच ! 
पुलकित प्लावित सौंधी पवन , ,, 
ज्यों बालू  के बीच !! 

सद्यस्नाता मलयानिल में ,
कनक किरणें भाई !
बेला विभ्रम की बीती अब , ,,
कह दो जी बधाई !!,,, तनुजा ''तनु ''



माँ और बेटा 


भूख और गरीबी के,  नज़ारे कहाँ से आए हैं ;
तलब थी नहीं इनकी, अश्क ये कहाँ से आये है !

सर -ए -नियाज़ इस जहां का कहाँ तेरे मुक़ाबिल ;
कह माँ !!! अपने हक़ में ये आबले कहाँ से आये हैं !

खलिश बहुत है दर्द और तड़फ भी है अभी बाकी ;
ये चुभते खार और दर्द - ए -निहाँ कहाँ से आये है !

अपनी मंज़िल है कहाँ और सितारे होते कहाँ हैं ;
ये छिपी आरज़ू और वो ग़ुम फरेब कहाँ से आये हैं !

आशियाँ गुलसिताँ और शीरे ये सब ख्वाब की बातें ;
उन्स कफ़स का और खिजाँ नसीब ये कहाँ से आये हैं !

हद्द- ए - गुमाँ देखते हैं सपनों की दुनिया की ;
''तनु'' दिल और नज़र के तकाजे कहाँ से आये हैं !तनुजा ''तनु ''

भूख और गरीबी के,  नज़ारे कहाँ से आए हैं ;
तलब थी नहीं इनकी, अश्क ये कहाँ से आये है !
सर -ए -नियाज़ इस जहां का कहाँ तेरे मुक़ाबिल 
कह माँ !!! अपने हक़ में ये आबले कहाँ से आये हैं ... तनुजा ''तनु ''

Sunday, December 6, 2015

दीप चाहत के जलाकर दिल अपना रोशन कर लेना 
किसी की वफ़ा के बदले लबों पर मुस्कान भर लेना !
जाने कौन काट रहा रतजगे तुम्हारी खुशियों के, ,,
कोई गुल, चाँद, तारे लुटाए तो दामन भर लेना !!,,..तनुजा ''तनु''


Saturday, December 5, 2015

नज़राना 

खिले हों फूल तो खुशबु ही मिलेगी ;
दूर कोई अगर हो तो यादें ही मिलेंगी ! 
लिए नज़राना हम आ गए देखो , ,,
हँसे तू, हँसी तो मेरे लबों ही खिलेगी !!... तनुजा ''तनु ''



जिंदगी यही है , ,,

टूट कर ग़म ही मिला करते हैं ;
खूब तब हम भी गिला करते हैं !!

सामने तख्लीक़ पे दाद देने वाले ;
जाने ऐब की परतें छीला करते हैं !!

चाँदनी चाँद की ओ चाँदी के बाल ;
वक्त आने पर ही मिला करते है !!

चमन में हो गयी है गुलों की कमी ;
इख़्लास जाहिर तो खिला करते है !!

गम ओ ख़ुशी का हिसाब रखे जो ;
अल्लाह से कहाँ सिला करते हैं !!

आ थोड़ी देर बैठ कुछ दर्द तो थाम ;
कुछ पल अपनों को मिला करते हैं !!

अज्जियत जागने की जिंदगी भर ;
''तनु''सबको तो नहीं मिला करते हैं !!

तख्लीक़ = सृजन,   अज्जियत  = मुसीबत,  इख़्लास = गहरा लगाव 


Thursday, December 3, 2015

क्या करूँ  !!

वादियों से गुम वो हुई क्या करूँ ;
रूठ कलियों से वो' गयी क्या करूँ !

दस्त -ए - कातिल बावफ़ा हूनरमंद ;
रंग तितली के चुराए क्या करूँ !

आँख से बूँद गिरना लाजमी है ;
बाग़ सारे शहर के जले' क्या करूँ !

कौन जाना कब तलक मीठी सुबह ;
बे मज़ा इश्क, ,,  हुस्न' तन्हा क्या करूँ ! 

जो कभी बदले नहीं वो किस्मत' है ;
उठ कर चलूँ ?  किधर जाऊँ ? क्या करूँ !!

''तनु'' इस बुलंदी पर कहाँ थे हम कभी ;
सीढ़ियाँ बिन पायदानों , ,,क्या करूँ !!

Monday, November 23, 2015

अद्भुत दृश्यों को साकार करे चित्रकार / छायाकार ,
 दृश्यों को आपके द्वारा हम रहे निहार!
प्रकृति का सानिध्य बहुत  प्रेरक होता है 
धन्य हैं हम आपका बहुत बहुत आभार !!!
कैसा फ़र्ज़ 

कैसा फ़र्ज़ आश्ना है बंदूक नाम हिसाब का ?
लगता है, जिंदगी में नहीं काम किताब का !

दश्त - ए - हयात में सबा अफ़सुर्दा है क्यों ?   
राहें नामालूम सी, फिर भटकना सराब का !  

दम-ब-दम इंतज़ार मुझे,  तेरे लौट आने का ;
दर-ओ-दीवार लिए बैठी तेरे पहले जवाब का ! 

खून खराबा कहाँ पढ़ा सिखाया किस अदीब ने ??  
कहाँ गढ़ी कहानियाँ सबक कहाँ के निसाब का , ,,  

फरिश्ता बन समझाए कौन दे बाहों का सहारा ?
'तनु' दर्द जाना होता, सैल-ए-चश्म-ए-पुर-आब का !  …तनुजा ''तनु ''

Sunday, November 22, 2015

पाल कर रखी थीं कई गलतफहमियां .... 
जाने कौन ये आया तेरे मेरे दरमियां ??
तू दीखता नहीं बस पाँव की छाप है तेरी  , ,,,
अहा!!! यही तो हैं जीवन की खुशफ़हमियां !!
देखता हूँ मैं के चाँद है कहाँ ??
मिलता हूँ जा के मांद है कहाँ ??
क्षीर हूँ अधीर भी हो जाऊँगा ,,,,,,
नमक का सार हूँ खाण्ड है कहाँ ???

Saturday, November 21, 2015

  चाहत 

आपको देखा कि चाहत ये झलक से यूँ हुई;
  आँख रोई तो शिकायत ये पलक से यूँ हुई !
 आँगन बरसती रही बरसात मेरे प्यार की, ,,
  बादल हँसे तो इनायत ये फलक से यूँ हुई !!!
   

Friday, November 20, 2015

नामा-ए-आमाल में दर्ज़ हैं मेरी शिकायतें ;
सूद-ओ-जियां में कटती हैं तेरी इनायतें !
तू तो कभी रोज़-ए-जज़ा से डरता ही नहीं , ,
कहा !!! ना मालूम फ़र्ज़ हैं सुनेरी रवायतें !!!तनुजा ''तनु ''

Wednesday, November 18, 2015

एक पुरानी रचना गीत बन गयी 

बद अख़लाक़ 

बिगाड़ी तुमने नेमतें, 
  फिर शोर किसलिए ?   
उजाड़ी तुमने अराइशें,
  फिर शोर किसलिए ?  

रोज़ फैलती है पर्वतोँ पर,-
---   धूप की चादर !  
बिखेरी तुमने कालिखें, 
 चहुँ ओर किसलिए 
उजाड़ी तुमने अराइशें,
  फिर शोर किसलिए ?  

एहले चमन न छोड़ा
 अब कौम हो उजाड़ते !  
कुचले तुमने इंसान,
 बरजोर किसलिए 
उजाड़ी तुमने अराइशें,
  फिर शोर किसलिए ?  
  
मर्दों के लिए औरतें , 
  औरतों के लिए मर्द!    
खेलते ले खिलौने सा,
ले पतंग डोर किसलिए 
उजाड़ी तुमने अराइशें,
  फिर शोर किसलिए ?

ऊँटों पे लादे मासूम, 
--चकलों पे ख़वातीन! 
कितने बनाए मनु बम, 
घनघोर किसलिए 
उजाड़ी तुमने अराइशें,
  फिर शोर किसलिए ?

कोठे पर चल के जाना, 
    ईमान बेच देना ! 
हर इल्ज़ाम दूसरे सर, 
फिर सिरमौर किसलिए 
उजाड़ी तुमने अराइशें,
  फिर शोर किसलिए ?

नेमतों को नवाजिये ,-
--   सजाइये ज़मीर को !
कुदरत को जला जला दिया,
फिर विभोर किसलिए 
उजाड़ी तुमने अराइशें,
  फिर शोर किसलिए ?

हर बुराई हमारी है,
 ----- हर दोष हमारा है ! 
बुराई को करें तमाम, 
फिर शोर किसलिए ?
उजाड़ी तुमने अराइशें,
  फिर शोर किसलिए ?
बिगाड़ी तुमने नेमतें, 
  फिर शोर किसलिए ?   

कहाँ है रब दुआ माँगूं उसे कर दूर' गुनाहों से 


इक  दर्द सा रहा ठहरा , दिल तेज़ाब' उबाल गया
फफोलों में जलन झार गम देकर मौत टाल गया 

शब तर रही आँसुओं से,सहर भी दामन-ए- दिल नहीं 

लिपट रेज़ा रेज़ा लहू लाशों का ढेर डाल गया 

कहाँ तू सहारा में भटका हुआ और बे -अमाँ है दिन 
तेरा कदम घर से बाहर, गिरा तुझे निढाल गया 

दिलों जाँ से गुजर तुम्हे हासिल' क्या हो पाएगा 

गुज़रती क्या उस माँ पर अपना जिसका लाल गया 

कहाँ है रब दुआ माँगूँ  उसे कर दूर' गुनाहों से 
बद्दुआ कौन सी जाने किस' का गुनाह साल गया 

वहशी दिल !!! आशिकी तेरी तुझे उसी कूचे में मारेगी ;
सितम की जिस आग में  तू इस जहाँ को डाल गया !!!

हयात-ए-जावेदाँ हो ''तनु''या के दुनिया हो दिलक़शी की , ,,
एक गोशा भी क्या कोई , अपने लिए निकाल गया ??

Monday, November 16, 2015

 आतंकवादी 

तुझे कुछ याद नहीं होगा ,
 खून बहा क्यों बहा ?
 दिल किसी का रोया होगा,
 वो आँसू बहा क्यों बहा ?


 पल में बदन राख हुए ,
 पल में रुण्ड विखण्ड हुए !
 तुझे कारण क्या पता ,
 वो मजलूम मरा क्यों मरा !
  तुझे कुछ याद नहीं होगा;
 खून बहा क्यों बहा ?


बिन मकसद अत्याचार,
इंसानियत पर होता वार !
ऊपर बैठा ईश्वर देखे
तू न डरा क्यों न डरा ??
तुझे कुछ याद नहीं होगा
 खून बहा क्यों बहा ?
 दिल किसी का रोया होगा
 वो  … वो आँसू बहा क्यों बहा ?


ज़ख्म दिखते न तलवों के ,
 दिखते नहीं मन के घाव
राह ए तलब क्या यही है तेरी,
  तू उस ओर बहा क्यों बहा
 तुझे कुछ याद नहीं होगा
 खून बहा क्यों बहा ?
 दिल किसी का रोया होगा
 वो  … वो आँसू बहा क्यों बहा ?



आतंक … खून मासूमों का
 और निगाहें सवाली ??
ईश्वर का बना इंसानियत का मंदिर
बोल ढहा क्यों ढहा !
तुझे कुछ याद नहीं होगा
 खून बहा क्यों बहा ?
 दिल किसी का रोया होगा
 वो  … वो आँसू बहा क्यों बहा ?


क्षितिज से उगता सूरज देख,
 रात  की बाहों में सो !
मानवतावादी था तू तो
आतंकवादी रहा क्यों रहा 
तुझे कुछ याद नहीं होगा
 खून बहा क्यों बहा ?
 दिल किसी का रोया होगा
 वो  … वो आँसू बहा क्यों बहा ?


मज़हब से बड़ा मुल्क है ;
आतंक से बड़ी है मानवता !!
देख प्यार का मोल नहीं है ,
अब तो तू सम्हाल जा !!
तुझे कुछ याद नहीं होगा
 खून बहा क्यों बहा ?
 दिल किसी का रोया होगा
 वो  … वो आँसू बहा क्यों बहा ?

Sunday, November 15, 2015

मानवता 

इक सद्गुण तू मानवता का धार ले ;
दुखों के दरिया से सब को उबार ले !

हँसते लब हों सबके,   फ़रियाद न हो ;
दर्द वाले दिलों को दिल अपने उतार ले ! 

मनहूस मौत !! जीवन की कीमत है ;  
ले प्रभु का नाम फूल बसंत बहार ले !

सिवा प्रभु के डरना नहीं पाप से ड़र ;
कोई ख़्वाब प्यारा सा नैनो में डार ले !

पत्थर भी बोलते हैं बूंदों को तौलते हैं ;
पत्थरों से प्यार कर बुतों को निहार ले!  

नही हारते हौसले आँधियों से;
दीप खुशियों के आँधियों में बार ले !,,,, तनुजा ''तनु ''

चाँद बेनूर ग़ुम,  एहतमाम शमा का चाहिए ;
बादलों में आफताब , झौंका हवा का चाहिए ! 

शाम आयी  और आहें, क्यों वही दिन रात है ?
थाम कर बाहें चलो , तुम्हारा' सहारा चाहिए .... 

Wednesday, November 11, 2015

दीवो म्हे माटी रो, चाँद री चाहत नी;
अंधड़ में जलूं करूँ  कदि शिकायत नी !  
उखड़ती भी वे जो म्हारी सांस कदी , 
जाणु राह में आफत हे , पण कयायत नी !! ....   तनुजा ''तनु ''

Tuesday, November 10, 2015

दीया हूँ मैं माटी का, चाँद की चाहतें नहीं ;
तूफां में भी जलता हूँ, करता शिकायतें नहीं !
तनाब मेरी साँसों की कभी उखड़ती भी है तो , ,,
जानता हूँ राह में आफतें हैं,  कयामतें नहीं !!

Monday, November 9, 2015

आज अभिनव चाँदनी सा हो उजाला चारों तरफ ;
जगमगाते दीपकों का हो उजाला चारों तरफ !
लो समेटो  बाहों में ख़ुशी चाँद ले आओ जमीं , ,,
गीत प्यारा बहारों का हो निराला चारों तरफ ! … तनुजा ''तनु ''

Tuesday, October 27, 2015

विधा --गीत
विधान-- सरसी छंद (16,11 अंत 21 अनिवार्य)
शरद आ गया है ,,,,, क्या सौंदर्य दिखा इसके परिवेश में ?? न पपीहे की पीहू पीहू , ,,न ही मालती चटकी , ,, न कमल खिला और न ही कुमुदिनी ....  पर शरद तो आ ही गया है………। 


जागी धरती वैभव लेकर ,
फूले हरसिंगार !
कहती शरद ऋतु है आई ,
बहती मृदु बयार ! 

खिलता रातों में चुपके से ,
कहता मन की बात !
खिलते ही वो झरने लगता ,
जीवन है इक रात !

उत्सव से मन प्रफुल्ल झूम ,
पूजन है उपक्रम !
साथ विसर्जन महिमा इसमें ,
नवीन जीवन क्रम ! 


सभी देवता एक ऋतु में ,
होते नहीं मगन !
कृष्ण ,गणेश, पितर मनाये ,
शिवमय है सावन !!


शरद की हो कोमल यामिनी ,
राग हो मालकौंस !
नभ बरसा कर भूल गया हो ,
विभावरी में ओस !!


शरद कृष्ण मय कृष्ण शरद मय़ , 
रचाया महारास !
कृष्ण साथ उसके ही हैं हर, 
गोपी को अहसास !!


कर्म करके सौ शरद जीवें ,
जीजिविषा प्रतीक !
पा चाँद की सोलह कलाएँ ,
हो अमरत्व सटीक !!… तनुजा ''तनु ''




Thursday, October 22, 2015


तो कदी ??

उ तो दस हार्यो थें एक भी नी 
सीधी राह कदी चाल्या भी नी 
जदी जागो, देर वई नी जावै , ,,
अबे तो चालो ?…कई ?? … अबार भी नी  … 
 तो कब ??

वो दस हारा तुम एक भी नहीं ;
कभी सीधी राह चलते तो सही , ,,
शायद तब बहुत देर हो चुके 
अभी नहीं ? ओह !!.... अभी भी नहीं  ??


Sunday, October 18, 2015

दीवार 

दीवार पर उग आई है,  दूब कुछ और ;
कैसी बदरिया छाई है , ऊब कुछ और ??
हवा के दोश पर रहा है आशियाना , ,,
शाम जिंदगी की आई है, खूब कुछ और  ! 

दीवार 
आसमां के नीचे घर  बे दर ओ  दीवार का ;
 मकसूद ए प्यार का हर पल हो दीदार का !
लो सबा कह कर गयी थाम कर ये बाहें चलो , ,,
नाम क्यों लेना है अब दर्द का औ बीमार का !!!
दीवार 

आँखों में है खून बातों में शिकवे  -  गिले हुए ;
दूरियाँ बहुत , कहाँ अब हमारे दिल मिले हुए ? 
दाँत काटी रोटियाँ थी  नेह नयन भर' नीर था , ,,
उठ गयी दीवार ख़त्म अब सारे सिलसिले हुए !!
       

Saturday, October 17, 2015

दीदार 

सुनालूँ आज दिल की जो मेरी ही तरह है;
आरसी के मानिंद है वो वफा की तरह है !
दिल में  उसके हैं बहुत से रंगीन ख्याल, ,,
दीदार उसका कर भी लूँ जो खुलती गिरह है !!
बेटी रो सुख 

कणी री बेटी अगर थारा घरे दुखी वेगा !
थारी बेटी भी क्यों कर कठे सुखी वेगा !!
आस्था प्यार विश्वास है जीवन रा आधार , ,,
वठेज स्नेह सनी फलां री डाली भी झुकी वेगा !! .... तनुजा ''तनु ''

Tuesday, October 13, 2015

धीरज एक गाँठ है सब्र से खोलिए ;
मित्र की ज़रूरत हो मुँह से बोलिए !
सभी चलते रहें धर्म मर्यादा के साथ, ,,
नर हो या नारी हो कभी न तौलिये !!

Sunday, October 11, 2015

 बलि चढने वाला आपकी चाह पर बलि बलि गया ?
 मूक!! बिना मन  घसीट चाह पर चढ़ बलि गया , ,,
 ये कौन सी पीढ़ी तरी किस कर्म मर युग कलि गया !
 आज नर न नृप कोई धर्महित बंध बंधन बलि गया  !!
भारी करी 

सुपणा रा सितारा टूट्या ;
गिरगिट हगरा रंग लूट्या !!

कसी सिंदूरी जाजम विछि ;
दन सूरज नारायण संग लिप्ट्या !!

जिनगी दौड़ी सरपट ;
दर्दां रा एहसास घट्या !!

वणी आँगणे चाँद है ; 
डूंगर रस्ता से हट्या

अबे आस रो साथ है ;
जाणजो पासा पलट्या !!

जाणे खुशबु फैली थकी ;
फुलडा वायरा संग लिपट्या !!

अंधारो डरी ने भाग्यो ;

रात आखि सितारा लूट्या !!
…  तनुजा ''तनु ''

Thursday, October 8, 2015

एक जिंदादिल ख्वाब 

ख्वाब के सितारे मिट गए ;
रंग ये   चुरा गिरगिट गए !!

तान कर सिंदूरी चादरें ;
सूरज संग दिन लिपट गए !!

चल पड़ी राह ये जिंदगी ;
दर्द के एहसास' घट गए !!

अंधियारा डर' के भागता ;
जात अपनी में सिमट गए !!

सोच कर उस जमीं चाँद है ;
रास्ते से परबत भी हट गए !!

मोअत्तर हुआ है जहान भी ;
गुल भी   हवा से लिपट गए !!

खेलना   साथ में    आस के ;      
अब यहाँ   पासे पलट गए  !!.... तनुजा ''तनु ''

Wednesday, October 7, 2015

शिव भोले भंडारी 



वो जटाएँ  कमाल रखते हैं !
पेंच ख़म में सवाल रखते हैं !!

नाग तम के जकड कर पाश में !
शीश शशिधर जमाल रखते हैं !!

भूल जाते बहुत बहुत भोले !
नाम लेकर मलाल गलते हैं !! 

लो चुग रहे हैं जहर भरे मोती !
पाप मोचन न' मराल थकते हैं !!

तीसरा नेत्र जो खुले भी तो !
जान लो जग, बवाल जलते हैं !!

जाप शिव का करो नित मनन कर !
सकल जग दुःख भगवान' हरते हैं !!… तनुजा ''तनु ''






Monday, September 21, 2015


माता पिता को समर्पित 


दिन बचपन के जो सँवारे न होते ;
मिले संस्कारो के' सहारे न होते !

बिखर ही गए थे बिगड़ भी हम'जाते ;
समय पर जो नैना तरारे न होते !

बचाया उमस बारिश ठंढी गर्मी से ;
हुलसकर ख़ुशी के झलारे न होते !

तमस को हटाया जलाकर के' दीया;  
जो दिन  रैन हमारे उजारे न होते !

उसूल निभ जाये वही जिंदगी' है ;
वरना हम सबके दुलारे न होते !

सरल सी डगर की नहीं चाह कोई ;
पथ वह नहीं जहाँ अंगारे' न होते !

कर रही ''तनु''नमन झुक चरणों को छू ;  
गुलाब तो  गुलाब हैं हजारे न होते !.... तनुजा ''तनु ''