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Friday, September 13, 2019

लेकर चंद्र भाषा का

लेकर चंद्र भाषा का,    भाल देते सँवार ;
व्यंजन की कश्ती चली,  मात्रायें पतवार !
हिन्दी गुनगुनाती है, गीत सकल संसार  ,, 
स्वर बन गये हैं लहर,   मीठे मन उदगार !!!… ''तनु''

Thursday, September 12, 2019

भादों बरसे बदरिया,    ऐसा किया बवाल!
घोर घटा ने बरस कर, बुरे कर दिये हाल!!
बुरे कर दिये हाल , तोड़ सभी करार अड़ी!
भूल गयी व्यवहार,       ये मूसलाधार झड़ी !!
जगत करे संताप,    रवि बिन न सूखे कादो !
चढ़ा करारा ताप,        वायरल जकड़े भादों!!-----"तनु"
भादों बरसे बदरिया, ऐसा किया धमाल,
घोर घटा ने बरस कर, बुरे कर दिये हाल
बुरे कर दिये हाल,तोड़ सभी करार रही,
भूल गयी व्यवहार, कभी मधुर बयार रही!!
जगत करे संताप, रवि बिन न सूखे कादो   
चढ़ा करारा ताप,  बदरिया बरसे भादों!!-----"तनु"

Wednesday, September 11, 2019

कितनी काली रात है ?


कितनी काली रात है ?
कैसी ये शुरुआत है ?

श्वेत वसन काले करम, 
यही आज सौगात है ? 

'मत' अभी जीवन उनका !
लुटेरों की बरात है !!

रोज उड़ाते दावतें,  
उनकी क्या औकात है ? 

लूट गरीबी भुखमरी !
लोकतंत्र की मात है!!

 खोया दिल ने चैन है!
चुपके चुपके घात है !!

 हम चौड़े सँकरी गली !
कितने "तनु" कुख्यात हैं !!.... "तनु"









आज धर्म के नाम दिखावा है बहुतेरा !

आज धर्म के नाम दिखावा 
है बहुतेरा !
जोर शोर से बप्पा लाते
मोरया मेरा !! 

वन्दन वार झूमर सजाते,
रोज आरती भोग लगाते!
गीत गाते फिर से बुलाते, ,,
बप्पा तुम भूलो ना मुझको
भाव उकेरा !!

उड़ रही गुलाल चारों ओर,
डीजे का है भरपूर  शोर!
नदी तालाब प्रदूषण घोर, ,,
सारे मिल कर गन्दा करते
दरिया डेरा !!

भक्ति के नाम फिर वही भूल,
गणपति के धाम फिर वही भूल!
धार्मिक नेतृत्व है निर्मूल, ,,,
हे गजानन अब करो माफ
पाप घनेरा !!

हो रहा अपमान तुम्हारा ,
खो गया सम्मान तुम्हारा!
जाने अनजाने तुम्हारा, ,,
सिरजन विसर्जन के चलते
हुआ बखेड़ा !!

साल दर साल यह ही सूरत,
दिखती फुटपाथों पे मूरत!
पहले पूजन फिर विसर्जन, ,,
झूठा है ये लोक दिखावा
शाम सवेरा!!.... ''तनु''

Sunday, September 8, 2019

पुस्तक पुस्तक आखर बाँटू,

शिक्षा का दीपक जलाऊँगा,
घर घर में अलख जगाऊँगा !

पुस्तक पुस्तक आखर बाँटू,
शिक्षा तेरा खज़ाना बाँटू !
लिखो पढ़ो निज उत्थान करो, ,, 
मैं सबको खूब पढ़ाऊँगा !!.. घर घर में अलख जगाऊँगा!! 

कहीं कोई न होवे अनपढ़,
शिल्पकार बिन रहते अनगढ़ !
ग्रंथकार ग्रंथों को रच दो, ,,
मैं नव चेतना जगाऊँगा!!  ...   घर घर में अलख जगाऊँगा!!

वाणी का उपकार बहुत है,
व्यवहार की बात बहुत है! 
अपने अधिकारों को समझो, ,,
मैं मान सम्मान सिखाऊँगा!!....  घर घर में अलख जगाऊँगा!!

संबंधों में नेह को रोपो,
ईश कृपा से उसको सींचो!
गुरु शिष्य की पावन परम्परा, ,,
मैं आत्म विश्वास जगाऊँगा!!.... घर घर में अलख जगाऊँगा!!

गुरुवर तो इक कृपा पुंज हैं,
गुरु महकते पावन कुञ्ज हैं! 
छाँह ज्ञान की आकर ठहरो, ,, 
मैं छाँहगीर बन छाऊँगा!! .. घर घर में अलख जगाऊँगा!!....''तनु''

Thursday, September 5, 2019

रोज़ थोथी जा रही है!

रोज़ थोथी जा रही है! 
नाम जिसका जिंदगी है!!

रात बीती चाँद नहीं था !
आँख में अटकी नमी है!!

बिन पढ़ी कितनी बची है!
जिंदगी पुस्तक नयी है!!

शूल कितने फूल कितने!
महकती चुभती हुई है!!

समझती समझाइशें हैं!
उलझ उलझ सुलझी हुई है!!

दिलबर बिना खो गयी ख़ुशी !
नाम गोया बन्दगी है!!

राह में ग़म धूल कितनी!
डगर ''तनु'' छोटी नहीं है !!.... ''तनु''

इक गुजारिश है हवाओं से!

इक गुजारिश है हवाओं से!
बहना धीरे से अदाओं से!!

बाद मुद्दत के मिले वो हमे!
पाया तकदीर ने दुआओं से!!

कितने फूलों से चमन महका!
आज जो सींचा है वफ़ाओं से!!

जाहिर उसने की खुशी दिल की!
देखकर छुप छुप निगाहों से!!

प्यार की नदियाँ गुनगुनाये!
कौन दूर जाये इन पनाहों से!!

ना पुकार अब "तनु" गा गाकर!
इन बहारों को सदाओं से!!..... ''तनु''

Monday, September 2, 2019

गजानना तुम सबके प्यारे,

गजानना तुम सबके प्यारे,
शिवा सुत गौरा के दुलारे !!


भोली भाली प्यारी सूरत,

लगती सुंदर न्यारी मूरत !!

लाडू मोदक भोग लगाते,
थाल भर भर चाव से खाते !!

प्रथम पूज्य देवा हमारे ,

उनकी पूजा करते सारे !!

रिद्धि सिद्धि के तुम दाता हो, 
 हम सबके भाग्यविधाता हो !!


जो आपकी  पूजा करते , 
संकट उनके तुम हर लेते!!


गणेश चतुर्थी आज आयी , 
प्यार से हम सबने मनायी !!


घर हमारे गणेश पधारे, 

मंगल हो सब काज सँवारे !!... ''तनु''


Sunday, September 1, 2019

ऐसी बाढ़ हमें ना भाये,


ऐसी बाढ़ हमें ना भाये,
नभ से बादल फट फट जाये!

बाड़ खेत भी डूब गए हैं ,

कीचड़ से सब ऊब गए हैं! 
इंद्र देव को जा समझाये , ,,
नभ से बादल फट फट जाये!!... ऐसी बाढ़ हमें ना भाये,

आटा दाल घुला अब जल है, 

भारी मेघ बना बादल है! 
विधना हमको रूठ सताये , ,,
नभ से बादल फट फट जाये!... ऐसी बाढ़ हमें ना भाये,

तन देखो हरदम है गीला 

सूरज बिन पीला दर्दीला !
जा पानी तू हम घबराये   , ,,
नभ से बादल फट फट जाये!!.... ऐसी बाढ़ हमें ना भाये,

भर कर  उफने नाले सरवर, 

बाढ़  निगलती आज धरोहर !
धरती का दुख सहा न  जाये, ,,
नभ से बादल फट फट जाये!.... ऐसी बाढ़ हमें ना भाये,

कुनबा ढाणी ढोर डूबता 
सम्बंधों का मेह सूखता !
साम गीत जन कौन सुनाये,
नभ से बादल फट फट जाये!.... ऐसी बाढ़ हमें ना भाये,

कोई घर दिखती ना बारी 
आह!! डूब सोयी किलकारी
बीमारी से कौन बचाये?
नभ से बादल फट फट जाये !.... ऐसी बाढ़ हमें ना भाये,... ''तनु''



भीड़ जुटा राज कर ले

 भीड़ जुटा राज कर ले, बन जा नुगरा संत ;
ले झूठी दरियादिली, , आग लगा निर्बंध !
आग लगा निर्बंध, जितना गिर सके गिर जा ;
डरा दीन ईमान, बेबस साँच से भिड़ जा !!
पर इतना तू जान, इक दिन तरसे तू नीड़  ;
आज बेच ईमान, चाह जितनी जुटा भीड़  !!... ''तनु''