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Wednesday, November 29, 2017

हाथीजी के विवाह में



हाथीजी  के विवाह में ;
चींटी ने किया उत्पात !
जिद पर चढ़ कर ऐंठी थी, ,,
इक कोने में बैठी थी, 

सारे जंतु गए मनाने ;
पूछी सबने मन की बात!
वो किसी का कहा न माने, ,,
बीती ऐसे सारी रात, 

सुबह सवेरे सबने देखा;
चींटी पहले जागी थी!
चाशनी में मुंह धोकर, ,,
शकर की साड़ी टांगी थी ,

शकर चाशनी दोनों प्यारे ;
चींटी के तो वारे न्यारे !
खुश हैं अब तो हाथी जी !
खुश है अब तो चींटी जी !!

भालू ने जब ढोल बजाया ;
मछली ने पानी लहराया !
अब नहीं वो गुमसुम जी !
बाँध के नाची रुनझुन जी !! .... ''तनु''

दाना री सुणे कुण, दाना री वात गयी ;




दाना री सुणे कुण,      दाना री वात गयी ;
निसाण भी मिटी गया, दाना री वात गयी !

वातां करे खोटी ने ,        खोटी जगा बैठे ;
टेगड़ो भी सूंघी ने बैठे ,दाना री वात गयी !

वाचा में जेहर घणों , कालजे कटार लागे ;
अरथ को अनरथ करयो,दाना री वात गयी !

अच्छो काम करे नई , ने करवा दे नी ;
मिली ने कुण चाले , दाना री वात गयी 

मानता था ''तनु'' सब जो केता था दाना;
आपणों ही राज है,      दाना री वात गयी !.... ''तनु''

Tuesday, November 28, 2017

चाँद पिया की रजनी आरती ,
हौले हौले जलूँ बन बाती !
प्रेम समर्पण भाव निरंजन ,
प्रमुदित उदित ऊषा है राती !! .... तनुजा ''तनु ''
पल पल की नादानियाँ, खुशियों का इजहार !
बाल बाल की चूक से,  मिले विषम व्यवहार !!

Monday, November 27, 2017

जब तू आँधी में घबराये



जब तू आँधी में घबराये ;
पानी में जब घर बह जाए !
 घर में पेड़ कहाँ लगाऊँ , ,,
तेरा घोंसला कहाँ बनाऊँ !!

चींचीं चूँ चूँ कर उड़ जाए ;
नन्हे के तू हाथ न आये !
दाना डालूं खूब रिझाऊँ , ,,
बोल चिरैया कैसे मनाऊँ !! 
घर में पेड़ कहाँ लगाऊँ 
तेरा घोंसला कहाँ बनाऊँ ,

तू हमारी पर्यावरण मित्र ;
देखूं  तेरे मैं कितने चित्र !
तुझ जैसा मैं गा ना पाऊँ , ,,
तुझ जैसा मैं उड़ ना पाऊँ!!  
घर में पेड़ कहाँ लगाऊँ 
तेरा घोंसला कहाँ बनाऊँ ,

कितनी गर्मी सर्दी कितनी ;
और फिर वर्षा भी इतनी !
तिनके पत्ते सूत जुटाऊँ , ,,
तुझसा घर बना ना पाऊँ !!
घर में पेड़ कहाँ लगाऊँ 
तेरा घोंसला कहाँ बनाऊँ, 

तेरी मेहनत ज्यादह मुझसे ;
तेरी पीड़ा  ज्यादह मुझसे !
नन्ही जान कैसे बहलाऊँ , ,,
तुझ सी संत न मैं बन पाऊँ!!
 घर में पेड़ कहाँ लगाऊँ 
तेरा घोंसला कहाँ बनाऊँ , ,,   ''तनु ''

आसमान में देखो बच्चों



आसमान में देखो बच्चों ;
कितने हैं उडगन न्यारे !
सबसे बड़े हैं सूरज-चाँद,  
औ सबसे हैं छोटे तारे!!

दादी की कहानी में चन्दा ;
नानी की कहानी में चन्दा !
माँ कहती मामा है चंदा, ,,
औ साथ दमकते तारे!!

होती रात जब चन्दा आता ;
तारों की छत बन जाती !
एक चन्द्रमा सबसे प्यारा, ,, 
औ सबसे हैं प्यारे तारे !!

 सूरज जी जब दिन में आते ;
धूप कड़ी वो संग में लाते! 
पर हमें तो चन्दा प्यारा , ,,
औ साथ चमकते तारे !!.. ''तनु ''








Sunday, November 26, 2017

कोई पलकें बिछाये, फूल बिखरते आइये ;



कोई पलकें बिछाये,फूल बिखेरते आइये ;
दुआएँ बहुत हैं आप दामन भरते आइये !

कोई है जो दिए बैठा है खुशियाँ अपनी , ,,
समेट लीजिये उन्हें आप निखरते आइये !!

अफ़सोस नहीं जाहिर करते अभावों का 
हैं नियामतें उसी की आप सँवरते आइये ...'' तनु ''

Saturday, November 25, 2017

चाँद बिन चाँदनी नहीं, सूरज बिन ना धूप;




चाँद बिन चाँदनी नहीं, सूरज बिन ना धूप;
बिन तुम्हारे बालकों,    अच्छी लगे न चूप !
अति प्यारी किलकारियाँ, मोहक है मुस्कान ,... 
किसके मन ना भायगा बालक वाला रूप !!... ''तनु''

Wednesday, November 22, 2017

एक मोती , ...दिनों की गगरी कब की गई रीत ;



प्रीत वल्लरी ना सरसी गई पीत ;
सावन बदली ना बरसी, गई मीत !
जीवन माला के मनके हैं बिखरे .
दिनों की गगरिया कब की गई रीत!!,,... ''तनु''




Tuesday, November 21, 2017

मंज़िल यही मेरी, यही मकाम मेरा ;



मंज़िल यही मेरी, यही मकाम मेरा ;
देख ले जी भर के, यही पयाम मेरा !!

ये सवालों की दुनिया जवाब नहीं हासिल ;
ज़िंदगी में बेचैनी रही इनाम मेरा !!

रौशनी की इक झलक मुझको भी मौला ;
जुगनुओं को भी रास नहीं सलाम मेरा !!

आफताब नहीं हूँ जुस्तजू है जलने की ;
चिंगारी भी नहीं जानती सही दाम मेरा !!

कल तक बिना मेरे मुहाल था जीना ;
भूलते हैं क्यों  ''तनु'' वही नाम मेरा !!... ''तनु''

Monday, November 20, 2017

दाग ही दाग उसके किरदार में ;


दाग ही दाग उसके किरदार में ;
वो क़मर है कितने बहके प्यार में !

मिटटी में मिली सब बदगुमानियाँ ;
चाँदनी ने कुछ कहा अशआर में ! 

दीप कितने जल गए हैं तारों के ;
शब चली खोने नींद के संसार में !... ''तनु''

Thursday, November 16, 2017

मनडा में आवै विचार सखी ;


मनडा  में आवै विचार सखी ;
कसा वे  ग्या  व्यवहार सखी !

कसी  बदली गई  या  दुनिया ;
ने बदली ग्या आचार सखी !

पहचान मुखौटा खोई  गई ;  
लगाऊँ किणने गुहार सखी !

दुष्ट आततायी जीती ग्या :
मासूम निरीह शिकार सखी !

सब रा आगे साँच रो परचम ;
रई ग्यो पाछे क्यों हार सखी !

लोई आपणों मुंगो थो; 
रह्यो क्यों नी वफादार सखी !

बुनियाद आपणी काची घणी ;
लो  वई ग्यो बंटाढार सखी !!... ''तनु ''

मन में ज्वलंत विचार सखी ;


मन में ज्वलंत विचार सखी ;
कैसे हुए व्यवहार सखी !

देखो  बदली अपनी दुनिया ;
औ बदल गया आचार सखी !

पहचान मुखौटों में ग़ुम है ;
लगाऊँ किसको गुहार सखी !

दुष्ट आततायी की जय है ;
मासूम निरीह शिकार सखी !

सच सब से आगे चलता था;
कैसे माना  है   हार सखी !

कितना गाढ़ा लहू हमारा ;
क्यों रहा ना वफादार सखी !

बुनियाद हमारी कच्ची थी ;
लो पल में  बंटाढार  सखी !!... ''तनु''

Tuesday, November 14, 2017

तितली




तितली जी ओ  तितली जी ,
उड़ कर आना  तितली जी !!


बड़ा भला लगता आँखों को 
उड़ते रहना तुम्हारा,
इन फूलों से उन फूलों पर
ठुमक ठुमक कर इठलाना !
कौन सँवारे पंख रंगीले 
तुम बतलाना  तितली जी !!

बाग़ बगीचे दौड़ लगाती 
धूप से भी न घबराती,
कभी बहारों से बतियाती 
फूलों से खाना पाती !
अभी कितना काम तुम्हारा ,
कभी न सोना तितली जी !!

खड़े खड़े लेती हो जान ,
सेंसर पाँव के हैं महान !
उड़ न पाओ ठंड़े ख़ून 
नहीं तो जा पहुँचो रंगून !
अंडे तुम पत्तों पर देती,
रंग रंगीली तितली जी !!

रहती कभी ना तुम टेन्स ,
आँख में बहुतेरे लेंस !
बड़ी तितली है बारह इंच 
सबसे छोटी आधा इंच !
छू कर समझ सब जाती ,
नहीं देखती तितली जी !!

तितली जी ओ  तितली जी, 
उड़ कर आना  तितली जी!!... ''तनु'' 


Monday, November 13, 2017

मन क्यों हारे इह संसारे, 
जो मन जीता रहा न रीता.
मन मन का भारी,

मन मन का हल्का. 
गगन का तारा,
गगन की उल्का.
मन क्यों हारे इह संसारे,
जो मन जीता रहा ना रीता ..........Tanuja .'tanu'

Sunday, November 12, 2017

बाब कभी के बंद हुए नामा-ए आमाल के ;



बाब कभी के बंद हुए नामा-ए आमाल के ;
झोली में मेरे कुछ ना रहा नाम कंगाल के !
लहरें होंगी ख़्वाबीदा तो तूफ़ान आएगा , ,,  
या ख़ुदा रहम, ,,अनाम हूँ नाम इक़बाल के !! ... ''तनु ''

Saturday, November 11, 2017

गुल मुरझाया क्यों ख़ारों से पूछा होता,




गुल मुरझाया क्यों ख़ारों  से पूछा होता ;
कल मुस्काया वो बहारों से पूछा होता!

सभी ने आलम देखा ब-अंदाज़-ए-दिगर;
आपने देखा क्या नजारों से पूछा होता!

 कोहसार नदी पवन की सीरत बदली;
आब औ ख़ाक के जर्रों से पूछा होता!

 मुन्कशिफ़ है तबाही का हाल क्या कीजै;
 सबा में आग क्यों अंगारों से पूछा होता!

 गैर की बात नहीं खुद ये दिल कह देगा;
 नहीं डगरआसां दुश्वारियों से पूछा होता!... ''तनु ''

आओ तो मिल बैठेंगे 
जाओ तो दिल रो देंगे 
बताओ क्या होगा फिर 
यादों में दिल डुबो देंगे। ... ''तनु'' 

Thursday, November 9, 2017

धुँए धूल की जो हमने आरज़ू कर ली




धुँए धूल की जो हमने आरज़ू कर ली ; 
बुरा ही किया जो ऐसी जुस्तजू कर ली !

ये जज़्बा है लगाते इक दूजे इल्ज़ाम ?
 के खुश हैं खूब गन्दगी की ख़ू कर ली ,

पर्यावरण छतरी टूटी तपन सही जाए ना ;

कुछ देर बैठ ए. सी. में हाँ और हूँ कर ली !

मोहताज हम आराम के चाह खुशियों की ;

आहिस्ता ही सही कयामत रु-ब-रु कर ली !

शह-ए -ख़ूबाँ हम डरते न अब किसी से ;

ज़र्रा ज़र्रा अस्काम आग हर सूं कर ली !!... ''तनु''

Wednesday, November 8, 2017

तुम सामने बैठो के क़रार आया नहीं;






तुम सामने बैठो के क़रार आया नहीं;

बहुत दिन हुए के ग़मगुसार आया नहीं!!

मेरी आँखों में नहीं सपन किसी और के ;

दीद की उम्मीद थी के यार आया नहीं !! 

जज़्बा-ए-दिल पर इल्ज़ाम ना लगे कोई ;
कमतर सभी रहे के मुख़्तार आया नहीं !!

फिर बेपनाही के अंदाज़ भूल गया मैं ;

 तरीक़-ए-आशिक़ी पे निखार आया नहीं !!

फ़रेब ग़म था मगर आरज़ू थी यही मेरी ;
कैसी जुस्तजू थी ये दिलदार आया नहीं !!

ऐ तनु वफ़ा दफ़्न हो गयी है ज़माने में ;
मज़ार ही मज़ार अपना दयार आया नहीं !! ....'' तनु ''



Sunday, November 5, 2017


तितली के मन के उदगार धूप के साथ चुहल


धीमी धीमी ठंढी सी है तू
दीवार पर सहमी सी है तू
पात को तूने,  मैंने तुझे छुआ
कुछ देर की पाहुनी सी है तू। . ''तनु ''

ऐ मेरे मन दीपक जल





ऐ मेरे मन दीपक जल ,
ऐ मेरे मन दीपक जल ,
तूने उजारा है मेरे,
अंधियारे मन का महल !


तेरी बाती जलती है 
रवि सी अनवरत ऐसे 
तेरी चमक में मुझको 
मिलती है दुआएँ जैसे 
मेरी राहों में बिखरे हैं 
कई कोमल से कँवल !! .... ऐ मेरे मन दीपक जल

कभी रोऊँ मैं हँस दूँ 
कभी करता इंतजार 
यहीं काँटे यहीं गुल हैं 
यहीं आती है बहार 
मस्ती भरी आँखों में 
कभी बरसते बादल !!.. ऐ मेरे मन दीपक जल

तू जो साथ चले तो 
ये दिल नगमें गाये 
जड़ में जीवन हो 
और पात भी लहरा जाए 
लहरा बुझना ना कभी 
देख मेरा जाये ना बल !!... . ऐ मेरे मन दीपक जल... ''तनु ''

Saturday, November 4, 2017

थकता दीप कहाँ था सोया





थकता दीप कहाँ था सोया ,
सूखी पलक शुष्कता रोया ?
वर्तिका नेह  प्राणपगी थी , ,,
तन भी था अनुराग भिगोया। .. थकता दीप कहाँ था सोया ,

मूक प्राण में व्यथानहीं थी ,
धूम रेख की कथा नहीं थी ! 
प्रणय लौ का प्रेम निवेदन , ,,
लहराती सी वृथा नहीं थी !!

उज्जवल शिखा शिखरिणी, 
मुख म्लान मलिन था धोया। ..... थकता दीप कहाँ था सोया ,

कज्जल कूट धारा जिसने ,
यों तनूनपात वारा जिसने !
तम बवंडर ले आगोश में , ,,
सकल विश्व उजारा जिसने ! 

मयंक भामिनि के अंक के 
ज्यों शशि शिव भाल संजोया। .. थकता दीप कहाँ था सोया ,

तू मौन प्रहरी ज्योति का ,
तू  दृश्य नयन द्युति का !
हर लेता तिमिर हृदयंगम , ,,
तू दानी प्रखर ज्योति का !

जीवन में पलपल जल कर ,, 
तूने प्रकाश पुंज है ढोया .. 
थकता दीप कहाँ था सोया। ... ''तनु ''

Thursday, November 2, 2017

जिंदगी लज्जते ग़म है कुछ और नहीं





जिंदगी लज्जते ग़म है कुछ और नहीं ;
अभी आँख पुरनम है कुछ और नहीं  ! 

मैं अब बहलाऊँ खुद को किस तरह ;
ये अज़ाब से कम है कुछ और नहीं !

दर-ओ-दरीचे  उदास हैं मेरे घर के ;
आज अजीब आलम है कुछ और नहीं  !

मेहर-ए-मह को छू लूँ पर किस तरह ;
सिर्फ कमन्द ही कम है कुछ और नहीं  !

रफ़्ता रफ़्ता रूह गम से आबाद होगी ;
नाम तेरा ही मरहम है कुछ और नहीं !

छान कर काबा बुतखाने की मिटटी ;
खोजता इब्न-ए-आदम है कुछ और नहीं  !.... ''तनु''

जिंदगी लज्जते ग़म है और कुछ नहीं





जिंदगी लज्जते ग़म है और कुछ नहीं :
अभी आँख पुरनम है और कुछ नहीं ! 

मैं अब बहलाऊँ तुझको किस तरह ;
ये अज़ाब से कम है और कुछ नहीं !

दर-ओ-दरीचे  उदास हैं मेरे घर के ;
आज अजीब आलम है और कुछ नहीं !

मेहर-ए-मह को छू लूँ पर किस तरह ;
सिर्फ कमन्द ही कम है और कुछ नहीं !

रफ़्ता रफ़्ता रूह गम से आबाद होगी ;
नाम तेरा ही मरहम है और कुछ नहीं !

छान कर काबा बुतखाने की मिटटी ;
पूजता इब्न-ए -आदम और कुछ नहीं !.... ''तनु''