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Monday, August 31, 2015

 बटोही 

कोयल कुहुकी 
कहती है यहीं बजी
बाँसुरी श्याम की
कुञ्ज में फिरते शाम 
जो होती हमारी फ़िकर
आ जाते न 
कहीं नज़र ??
कहाँ हो निर्मोही , ,,
सूर के नयन 
रसखान की खान 
रैदास के दास 
भूले हो क्यों मोहे 
ओ मीरा के कन्हाई 
सखी बनाई जमुना को 
पूछा कदम्ब डाल को 
पूछा गोपिन ग्वाल को 
पूरी न होगी ये ऊनता 
कब तक भटकूँगा ??
मैं बन बटोही, …………तनुजा ''तनु''

Thursday, August 27, 2015

बेटी , 

कतरा  झट  जावे ई !
नान पणा रा दन !!
खोसी लिदा म्हारा कने ति, 
म्हारा आपणा जन !!

थें इ ज मने करी परई,
थें ई ज हिकायो फरज ! 
बेटा अबे म्हे नी ,
ई ज थारा माँ बाप! 
यो नानो देवरियो,
यो ज थारो भई !
या नणद या थारी बेटी ,
कई वयो जो थे ! 
नि  दीधो जनम, .....  कतरा झट जावे ई 

हगरा ने खवाडजे ,
पछे तू खाजे! 
पुच्छया वना तू,
 कठे मति जाजे !
सबरो  ध्यान राखजे, 
पछे आपणो !
ने मान राखजे म्हारो ,
ओलबो नी आवे कट !!!
हाथ हमारी ने चालजे ,
मति वगाड़जे कण , .... कतरा झट जावे ई 

वरस वरस वीतया ,
अबे म्हे भी बेटी परणई !
ई ज वातां म्हें भी ,
 वीने सिखई !
कसो कालजा पे, 
भाटो मेलि !!! 
माँ बाप करे बेटी री विदई, 
घणि घणि ओलु आवे, 
कसो भी आवे तिवार !
पण ,, घणों जीव दोरो वे ,,
जदी  आवे सावण
ने रक्सा बंधन ,,,,,,कतरा झट जावे ई 




Tuesday, August 25, 2015

नाता भाई बहन का 



मधुर मीठा और सादा होता है;
भाई,  बहन का प्यारा होता है !
बहना भी होती सबसे न्यारी,
पर, …भाई तो भाई होता है !!

साथी कई, पर भाई न हो; 
दिल गम से चूर होता है !
साथी कई, पर बहन न हो 
दिल में गम पूर होता है 
बहन से है ये दुनिया सारी … 
पर, .... भाई तो भाई होता है 

लड़ते हों चाहे कितने भी 
रिश्ता विश्वास का होता है 
 भरा होता स्नेह नेह ही 
 स्वार्थ न इसमें होता है
होती बहन दुनिया पर भारी 
 पर,....  भाई तो भाई होता है 

बड़ी बहन है '' माँ '' समान 
भाई ''पिता'' सा होता है 
बहन की गोद बड़ी न्यारी 
भाई छत्र सा होता है 
बहन है गुणवान निराली 
 पर, … भाई तो भाई होता है 

वो कवच बन रक्षा करता 
भाई ढाल सा होता है 
चाहे कितनी ज़िद मचाये 
भाई तो प्यारा होता है 
बहन रिश्तों की जागीर  
पर, .... भाई तो भाई होता है 

दुनियावी कपट से दूर दूर 
रिश्ता निश्चल  होता है 
एक दूजे के लिए करे दुआ 
यह रिश्ता ऐसा ही होता है 
बहन से  सारे रिश्ते हैं
 पर, .... भाई तो भाई होता है

माह सावन का हो जब
 चाँद पूनम का होता है 
सजी कलाई रेशमी धागों से 
 दिन ''रक्षा बंधन'' होता है 
बाँध राखी माँगे दुआएँ  
और, …  भाई रक्षक होता है 

मधुर मीठा और सादा होता है;
''भाई -बहन'' का नाता होता है !
बहना  होती सबसे न्यारी,
पर, … भाई तो भाई होता है !!

Monday, August 24, 2015


मेरी इच्छा  को लगे पर 

उड़ कर जाए प्रभु के घर 

 तिलक भाई के मस्तक पर 

लगे न तुम्हे किसी की नज़र 

हर वर्ष थालियाँ सजे जरूर 

सुख के बाजे बजे भरपूर 


तुम  जो चाहो हो पूरा 


ईश्वर करें कभी न बुरा 


मन से मेरी यही भावना 


पूरी हो जाए तेरी साधना 


चन्द्रमा की चाह लिए आगे बढ़ो 


सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ते चढ़ो 


तुम लो अंगड़ाई उगे सूरज 


यही करूँ मैं आराधना 


देख तू मुझसे रूठ न जाना 


चाहे माग कर कोई नज़राना 


तू हँसते मुस्काते रहना 


करती माँ नजर उतराई 


हँसते रहना मेरे भाई 


देख सामने जीजी आई 


Thursday, August 20, 2015

हरियाय या चुन्दड़ली, सावण री फुँवार ;
राधा संग साँवरिया,  बावरी है बयार !
बावरी है बयार,  आँचल लहरावै दूब रो ;
मिट गी मन री रार,टूट्यो नातो ऊब रो !!…तनुजा ''तनु ''

Wednesday, August 19, 2015

भाई!!!

तुम कितने
कर्तव्यनिष्ठ !
तुम मेरे अभीष्ट ,
तुमको पाकर 
चाँद न पाऊँ !
कृष्ण न गाऊँ !
राम न ध्याऊँ !
भूलूँ इष्ट !!!
भाई तुम कितने
कर्तव्यनिष्ठ !
तुम पर लिखना ,
आसान नहीं,
कलम कर सकती,
गुण गान नहीं !
रहे अडिग ,
हुआ समय क्लिष्ट,
भाई तुम कितने
कर्तव्यनिष्ठ !
कहाँ श्रवण ?
न करूँ मन मनन ,
है अभिमान !!!
तुम श्रवण से भी 
एक निष्ठ ,
भाई तुम कितने 
कर्तव्यनिष्ठ !
कैसे समझते कहे बिन ?
मेरे नयनों की भाषा, ,, 
अपने आप ही ,
होते दूर मेरे अरिष्ट,
सदा चाहते रिष्ट !
भाई तुम कितने ,
कर्तव्यनिष्ठ !!
तुम जानते हो ,
 हूँ बहन तुम्हारी !
 राखी का मान ,
धागों का नहीं !!
दिखावे का नहीं ,
अनंत प्यार मीठा दुलार  !!!
स्नेह आशीष , ,,
मन बन्ध निर्दिष्ट ,
भाई तुम कितने ,
कर्तव्यनिष्ठ !!




Tuesday, August 18, 2015

 विरह और सावन 

सावन उत्सव माह है, सूखा दिया बुहार !
बदली घुमड़ी उमड़ है, मनवा करे गुहार !!
मनवा करे गुहार !!  सजनवा दूर बसे हैं, ,,
बिंदिया की पुकार !!  नैन हँसे ना  हँसे है , ,,
करूँ आप ही बात,  तुम बिन घाव है सावन !
अपने करते घात,      उत्सव माह है सावन !!
शिव महिमा 

शिव देवों के देव हैं, ------ सबके भोलेनाथ !
अहि विराजते कंठ हैं,     बाम उमा है साथ !! 
बाम उमा है साथ,         शिव बाघाम्बर धारी !
डम डम डमरू हाथ,   शिव की महिमा न्यारी !!
भस्म अंग रमाये,   जपो सावन में शिव शिव !  
जोगीया  रचाये ,            देवों के देव हैं शिव !!
सावन और शिव महिमा 

सावन में शिव गाइये, महिमा अपरम्पार ! 
नटराज को मनाइये,    बम भोले  उच्चार !!
बम भोले उच्चार, शिव-शक्ति  महिमा न्यारी !  
सुनते करुण पुकार ,       शम्भु  भोले भंडारी !! 
जन मन कर जयकार, भजो भोले मनभावन !
ले चल कावड़ गंग,    मन शिव गाइये सावन !!
सावन झूला 

सावन रिम झिम बरसिये , करिये कुछ उपकार !
मेहा मनवा सरसिये , --------- सूखा सा संसार !! 
सूखा सा  संसार ,  ------ तलैयाँ  सरवर भर दो ,
मिटे सभी तकरार !!!  जिंदगी सुखमय कर दो !
मन गाये मल्हार ,-----   बना दो मौसम पावन !
झूले डाले डार !   ---- बरसिये रिम झिम सावन !!
             

















Sunday, August 16, 2015

आज़ादी

लौ दीये की जलकर भी कहाँ आज़ाद है ;
बूँद सीप में गिरी और कहाँ आज़ाद है !
दास रखो  दसों को और आज़ादी पाओ ;
दास नहीं दसों का वही यहाँ आज़ाद है !!

Friday, August 14, 2015


वेति रेवे सगळा जन पे खुसियाँ री बारिस ;
झिरमिर झिरमिर वरसे  ईसी वादळी चावे !

आण राखां नमन करां हाँ तिरंगा री शान है  ;
म्हारो झंडो तीरथ, मान करे इसी जवानी चावे !

लाय नी लागे धरम नी टूटे  देस म्हारो प्यारो ;
कदम कदम पे म्हाने तो फूलडा री क्यारी चावे !

लोई ब्हे है कोई चीखे है डर पसर्यो है आगणें ;
हाथ पसारया बाथ भरे जो ,म्हाने इसा जन चावे !

उगमणों सूरज न्यारो आथमणों सूरज प्यारो ;
चांदड़ली हँसती रातां खिल खिल करतो दन चावे !

झूठ री खेती करे नी कोई सच रा मोती वारां ; 
जयहिन्द बोलां मिश्री घोळां भूली जावां गारा !,,,तनुजा ''तनु ''

Monday, August 10, 2015

प्रस्तुत है'विचार हमारे काव्य तुम्हारे' कार्यक्रम के अंतर्गत साप्ताहिक विचार;
'हम आज़ादी पाते हैं जब हम अपने जीवित रहने के अधिकार का पूरा मूल्य चुका देते हैं'
:द्वारा रविंद्र नाथ टैगोर




मन स्वतंत्र को प्रभु के बंधन में रखिये ;
तन स्वतंत्र को समय के बंधन में रखिये ! 
भीड़ में  स्वतंत्र हो  बेकाबू ना रहिये;
''जन स्वतंत्र को ''सत्संग के बंधन में रखिये !!

आज़ादी का यह सपना साकार रखिये ;

अपनी सोच का कोई आधार रखिये !
वक्त बदलाव का भविष्य बनाने का है ;
आज़ाद !!! आज़ादी का अधिकार रखिये !!

करना हो कोई भला काम दूर न जाइए ;
अपने ही आसपास निगाह ले जाइए !
कीमत भले काम की होती नहीं कभी ;  
इंसान  संग जज़्बा है भूल न जाइए !!

चुनौतियों के साथ अजी खुद को बदलिए ;
जिंदादिली के साथ अपने बुत को बदलिए !
अतीत  जानना है हमारे विकास की दिशा ;
अतीत जान लिया है वर्तमान को बदलिए !!

जीवन का मूल्य जीवन ये जान जाइए ;
आज़ादी का मूल्य जीवन ये जान जाइए !
बेजा वक्त न गँवाइये यूँ मार पीट में ;
जवानों अमूल्य है जीवन ये जान जाइए !!.... तनुजा ''तनु ''



Sunday, August 9, 2015

याद आवे री


याद आवे री बरसाने जन की !!! 
वृषभानु आँगन झनक रुनझुन की  !!!              
याद आवे झूलत मन मोहन की,
बाँसुरी टेर सुन राधे गुनन की !!!……


भ्रमर बन कुञ्जन गूँज मधुकर की !!!
कमल दल निहार कुल पद्माकर की  !!!
संग सखियाँ  कर विहार सुखकर की, 
करत श्रृंगार अरुषि भर दिनकर की !!!……


पूजति मन लुभावन छवि गिरधर की !!!
राजति मुरली अधर     अधराधर की !!!
जन जन रहे आस मन  चक्रधर की , 
पंथ  निहारते नयन बृजधर की !!! .... तनुजा ''तनु ''
                                

Saturday, August 8, 2015

त्रिपथगा 

मन पवित्र लेकर चलो पावन गंगा के किनारे ;
रश्मियाँ सकल चली आईं त्रिपथगा के किनारे !
ये देवनदी भागीरथी  कहते सुरसरि भी इसको ;
सब  पाप करो तिरोहित  देवपगा के किनारे !!




Tuesday, August 4, 2015


निबल 


तल अतल तलातल नितल रहा ;
तेरे सिवा कोई न निछल रहा !

वाग्बाणों से गिरा कर वाग्मी ;

गिर नयन, आगे कहाँ निकल रहा !

विष भरे,  करे अमि की चाहना ;

हाय!!! नेक इरादों में निफल रहा !

धूल धुआँ हो गयी है जिंदगी ;

आदमी को आदमी निगल रहा !

डूबने को कितनी बाढ़ेँ आ गयी ;
मरा आँख का पानी निजल रहा !

है कहाँ सोने सी वो बंदगी ;

चाँदी सोना कहाँ  ''निकल'' रहा !

कभी तुझसे बड़ा न हो पाएगा ;

निबल है औ सदा ही निबल रहा !!,,,तनुजा ''तनु ''


Monday, August 3, 2015

आस की दौलत 

वाबस्ता है कहानियाँ तुमसे ?
लीजिये सुन ??? फिर दोहराई है !!

दूर मंदिर से कहाँ मिले भगवन ?
साथ चलती सदा परछाई है !!

मौन होकर साथ चल रहे हो ?
गुप -  चुप रस्मे वफ़ा निभाई है !!

टपकना बूँद का अंगारों पर ?
आज कैसी तिश्नगी छाई है !!

आस की दौलत लूट' क्या गम है ?
साथ अलहदा सजन साईं है !!

ग़म परिंदा जान अगर सकता ?
धूप सागर न सुखा' पाई है !!!

खो नहीं जाता सुबह का तारा ;
परबत पीछे छुपना ''राई'' है  !!!   … तनुजा ''तनु ''                        
                              

Sunday, August 2, 2015

 ''श्रृंगार ''


सोलह रातें रंगीली रजनी रंग भरती रही ,
करके श्रृंगार नदिया जलधि सी सँवरती रही ! 
पूनम का  चाँद निकल आया मेरु के पीछे से  ,
''तारों की चूनर'' ''चाँद टीका'' रात निखरती रही !! ,,,तनुजा ''तनु ''

Saturday, August 1, 2015

गुरु 

दीप बन अध्यापक खड़े , द्युति लाऊँ किस तरह !
बिखरे माला के मनके,   माल बनाऊँ किस तरह !!
समक्ष संदीपनी आप थे  बन सका न  घनश्याम !
चरित्र  में अपने अब वो निखार लाऊँ किस तरह !!...… तनुजा ''तनु ''