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Friday, March 29, 2019

ये वक्त है जो बदलने की कसम खाये हुए ;
है बहारों का जिक्र कभी खंज़र उठाये हुए!
ये तूफां दिल का,  ये हवाओं की भी बेरुखी , ,,
यहाँ बियाबाँ ही बियाबाँ हैं नज़र आये हुए !!..तनुजा ''तनु ''

Thursday, March 28, 2019

इश्क महकता अधिक, गुमाँ नही अत्र को,
सितारा दे नहीं सकता कोई भी बद्र को!
लौट कर आऊँगा मैं और और जिस्म में,, ,,
ख्वाहिशें बहुत हैं बाकी मेरे जी बेसब्र को!!-----"तनु"

Wednesday, March 20, 2019


जनम जनम की चाहतें, भीने भीने रंग!
महकी महकी सी फिरुं, पाय पिया का संग!!

संग पवन उडता फिरे, गगन का कलाकार!
बिन तूलिका रंग भरे,  पाती ना दरकार!!---"तनु"

Thursday, March 7, 2019

जन का मन और मन की जननी नारी,
यूँ ही नहीं सकल विश्व उसका आभारी!
वैभव , गौरव, श्रद्धा, विश्वास भाग्य जहां का, ,,
धरा धैर्य धरती सा,  तुम्ही हो उपकारी!! ----"तनु"

Monday, March 4, 2019

आज क्यों होंठ सी लिये मैंने

आज क्यों होंठ सी लिये मैंने!
आँख आँसू भरी भरी ढलके!! 

चाहती हैं  घनी घनी अलकें!
बोलती हैं बिछी बिछी पलकें!!

साथ फूल सजते रहे दिल में!
संग मैं भी चली उसी पल के!!

गूँजते भँवर फूल को चाहे!
कलियों की दिली खुशी छलके!!

आहटें हो गयी बहारों की!
 क्यारियाँ केशरी, कली कलके!!---"तनु" 

बगल में छुरी धार की



बगल में छुरी धार की , मीठी मीठी चूप !
कितने झूठे रंग हैं,      कितने झूठे रूप !!

चोरी करते शान से , बनते थानेदार !
सिंह समझे थे हम जिसे, निकले रँगे सियार !!

सबके अंतर विष यहाँ, अमिय बोल रसधार
सदाचरण हैं भूलते,    करते हैं व्यभिचार !!

गर्दन पर तलवार रख,  मनवाये हर बात !
जोड़ूँ जिससे तार मैं , वही कर जाय घात !!

कर्ज में डूबे रहते, हैं देश के किसान !
सूखे बंजर खेत हैं, खाली है खलिहान !!

सारे बहरे लोग हैं,  गूंगा सब संसार !
निर्बल जन इस जगत में,किससे करें गुहार !!----'तनु'

Sunday, March 3, 2019


चाहती हैं घनी घनी अलकें!
बोलती हैं बिछी बिछी पलकें!!

साथ फूल सजते रहे दिल में!
आज मैं भी चली उसी पल के!!

गूँजते भँवर फूल को चाहे!
कलियों की दिली खुशी छलके!!

आहटें हो गयी बहारों की!
 क्यारियाँ केशरी कली कलके!!

बात ने होंठ सी दिए मेरे!
आँख आँसू भरी भरी ढलके!! ---"तनु"
अंकुर था सींचा नहीं,   की यह कैसी भूल !
सूख गये हैं पात जब,   क्या सींचे रे  मूल !!

अंकुर सँवार लीजिये,  बाकी सब निर्मूल !                      
पात फूल पर जल नहीं, सीँचा जाता मूल !!.. ''तनु''