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Tuesday, January 30, 2018

मलिन मुख




आया फिर मधुमास है, आम्रकुंज है त्राण !
तानी कूक कोयल ने ,   अकुलाये हैं प्राण !!

भौंरों से गुंजित हुआ,  किसलय ले मधुमास !
खिल खिल कर कलियाँ कहे, मधुर मिलन की आस !!

मलिन मुख है विभावरी,  हुई अमा की जीत !
सावन या ऋतुराज हो,   विधु तजता ना रीत !!

मदमाती गंध बिखरी,       लहराए हैं बौर !!
 कोकिल कूजति कुंज है , उठती हृदय हिलोर !


मलिन मुख हुई यामिनी,     सोये तारे चाँद !
सभी अमा के मोह में ,  खोये तम की माँद !!

विभावरी के मोह में , ठंढ़ा शिशिर मुस्काय !
दिवस छोटे रैन बड़ी,  फूल फूल इतराय !!... ''तनु''

सजे आखर तारों के, रजनी पढ़ती याद ;



सजे आखर तारों केरजनी करती याद ; 
नवल सवेरा आ गया, लेकर के अवसाद ,
लेकर के अवसाद,  कुछ कण आँसू बो गयी !
कौन सुने फ़रियाद, ओस बनी फिर खो गयी !!
आये जब दिनमान, स्याह वसन तम ने तजे , 
हँस रहा आसमान,     माँग सिन्दूर में  सजे !! ... ''तनु''

कोई भी सौदा देखो



कोई भी सौदा देखो, खुदा के हक में होता है ;
वो पूरा है अधूरा नहीं  मान ले अब तो होता है !
क्या पता कब कहाँ किस रूप में हो सामना, ,, 
सब जगह है वो, सब में है और सब में होता है !!... ''तनु''

Friday, January 26, 2018

हर कुँए पड़ी भांग है, पवन कर रहा घात !



हर कुँए पड़ी भांग है, पवन कर रहा घात !
सजन पराया गाँव है, जहर मिला है भात !!

जन जन से गणतंत्र है, जन ही है लाचार !
आग अपना लगा गया, जलता है घर बार !!

जाने किस रंग रंगे,  तीन रंग को भूल !
खोते ना ये तीन जो, नहीं सूखता मूल !!... ''तनु''

वीरों की कुर्बानी लेकर

 वीरों की कुर्बानी लेकर 
गौरवमय इतिहास रहा हूँ ,
सीने पर अपमान लिखाकर ??
बोलो हिंदुस्तान भुला दूँ , ,,,,,

शक्तिहीन बनी ये वसुधा ;
लिपट रही जननी से विपदा,
चीत्कार क्रंदन करे धरती 
कैसे मन के भाव सुला दूँ ?


कौन रीत करे सुनियोजित ;
कौन प्रीत करे पयोदित, 

स्वप्न कौन करे साकार ?

किसे निमंत्रण मैं खुला दूँ ?

जन दुखी और रोना धोना ;

आहत मन का कोना कोना, 
कौन दुश्मन घात लगाए ?
आओ सबको अब मैं बला दूँ , ,,,

मुझे रास नहीं है साजिश ;
आग लगाने वाली माचिस,
 जात-पात औ ऊंच -नीच को, ,,
गुणवान हूँ  क्यों वलवला दूँ !

प्रीत की रसधार बहाऊँ ;
प्रेम पगे मैं गीत सुनाऊँ ,
हरित सुकोमल देश धरा है , ,,
मुस्कानों में शहद घुला दूँ !...''तनु''


Wednesday, January 24, 2018

द्रौपदी या पद्मिनियाँ,



द्रौपदी या पद्मिनियाँ, राजनितीक शिकार ,
टूट पड़ते शोषण को,  मन ,शरीर, बीमार !
मन ,शरीर, बीमार,   देशवासी भी सहते , ,,  
कैसी है ये हार,   कुछ मुख से नहीं कहते !
मर्ज है लाइलाज ,  नहीं मिलती है औषधि  !
आग लगी चहुँओर,  जली पद्मिनी द्रौपदी !!... ''तनु''

ये पर्दा -ए -दिल हमें

ये पर्दा -ए -दिल हमें नजर क्यों नहीं आता ,
रम्ज़ हर्फ़-ए-दुआ बन नज़र क्यों नहीं आता !

कितने पर्दे और कितने रंगों का है जेहन ,
आइना रक्खूँ कहाँ नज़र क्यों नहीं आता !

ये चुप सी क्यों लगी है दीयों की लवों में ,
सिलसिला रौशनी का नज़र क्यों नहीं आता !

ख़िज़ाँ गयी क्यों सूखे हैं शजर अभी भी ,
बहारों का वो मौसम नज़र क्यों नहीं आता !

जंग के लिए हाथों में तो खंज़र ही उठ गए ,   
दुआ में  उठता हाथ नज़र क्यों नहीं आता !

कीजिये तक़्तीअ खूब वज़्न देखिये 'तनु',
वो शिद्द्त -ए - एहसास नज़र क्यों नहीं आता !!... ''तनु''



Tuesday, January 23, 2018

हौसला हूँ


हौसला  हूँ अपने गिर्द,  गिर्दाब नहीं देखता ,
गौहर हूँ ,अपने  तब-ओ -ताब नहीं देखता !
करता हूँ शान से ईमान का हक़ अदा, ,, 
मजदूर हूँ गैरों के असबाब नहीं देखता  !!... ''तनु''


तारों के दीपक बुझे,


तारों के दीपक बुझे,  रजनी करती घात,
नवल सवेरा दे रहा,  झोली भर सौगात !.... ''तनु''

जिंदगी!!! सिवा दर्द के

जिंदगी!!!
सिवा दर्द के
कुछ नहीं
आँख में नमी है
कोई बात नहीं ,,
बहलना!!!
आसान नहीं
सिर्फ दुखी हूँ
दुःख से , ..
इतनी उदास के उदासी 
दरवाजे खिड़कियों 
से भी जाहिर है
दीवारें भी रो  रही  है ,..
दिल करता है !!!
चाँद छू लूँ ..
मेरे हाथ लम्बे  नहीं
इतना बड़ा अँकुड़िया
भी नहीं मेरे पास
के  चाँद अटका लूँ
और ले आऊं अपने पास
क्या करूँ!!!
ईश्वर का नाम लेने से तो 
आत्मा को 
मोक्ष मिल जाएगा
मंदिर मस्जिद 
जा ही रहे हैं!!!
जमीन को रौंदते हैं 
वहाँ की 
मिटटी छानते हैं बस
जिसको कहते हैं
ख़ाक छानना!!!
वो हर बन्दा कर रहा है , ,,,,''तनु''

पहुनाई करने लगे

पहुनाई करने लगे घाटियाँ औ पहाड़,
फूल बिखेरे वादियाँ पौधे सजे ओ झाड़ !  
कण कण सृष्टि महक रही आया है ऋतुराज , ,,
मानो जननि बच्चों का यों करती हो लाड़ !!.... ''तनु''

Sunday, January 21, 2018

भादौं की बदली नहीं


भादौं की बदली नहीं ,ना सावनी फुहार ,
देखो पहने धरणि ने ,कैसे बूँदन हार !!... ''तनु''

तारा तारा दर्द है ,चाँद आँसू बहाय !
मटमैले दिवस रजनी, स्मॉग रहा इतराय !!
नवनीत राय रुचिर हैं,  दोहों के सरताज !
निर्मल दोहे रच रहे, गुरु अर्चन  में आज !!
न्यारी उनकी सीख है, उपासना है राज़  , ,,
गुरु मिलाये मीत मिले, हम को उन पर नाज़ !!.. ''तनु''


Saturday, January 20, 2018

घटता बढ़ता चाँद भी ,छुप छुप करता घात !


तारों के आखर पढ़े,      रजनी सारी रात;
घटता बढ़ता चाँद भी ,छुप छुप करता घात !
उदित हुए आदित्य हैं , अनबोली है रैन , ,,
दिन दिन मन गुनती रही, कह ना पायी बात !....''तनु''

तारों के आखर




तारों के आखर पढ़े,      रजनी सारी रात;
दिन भर मन गुनती रही, कह ना पायी बात !... ''तनु''

Friday, January 19, 2018

गुलों के मुक़ाबिल, कोई हुआ न हुआ;




गुलों के मुक़ाबिल, कोई हुआ न हुआ;
छली को देता दुआ कोई हुआ न हुआ!

मुद्दतों बढ़ता गया , जुनूँ और तिश्नगी;
कनार-ए-आबजू, दरिया कोई हुआ न हुआ !

कश्ती न भरोसा था साहिल का कभी;
जुनू साथ था शहपर कोई हुआ न हुआ !

देखो उजाड़े खिजाँ दरख्तों से पत्ते ;
नहीं ये रुत सावन कोई हुआ हुआ !

हसरत जिसे थी ''तनु '' रब के दीदार की ;
तो आँखों में दूजा कोई हुआ न हुआ !!.. तनुजा ''तनु''

कनार-ए-आबजू = पानी का सोता
शहपर = मजबूत परों वाला

Thursday, January 18, 2018

उस पतंग का क्या उड़ना



उस पतंग का क्या उड़ना काटे गले हज़ार ;
उस दीपक का भी क्या जलना जलाये सदाचार !
सुकर्मों से मनुज की बनती, है सुन्दर पहचान , ,,
सुख सहयोग प्रेम सांत्वना ले आओ व्यवहार !!... ''तनु''

अब बिसूरता मुँह लिये, खो बैठे हैं होश, ,,



उलझी डोर पतंग की, बिखर गये अरमान ;
राह कठिन थी जिंदगी, समझी थी आसान ! 
अब बिसूरता मुँह  लिये, खो बैठे हैं होश, ,, 
अपने हाथों लुट गए, हुआ न उनको भान !!.... ''तनु''

Wednesday, January 17, 2018

उलझी डोर पतंग की, बिखर गये अरमान ;



उलझी डोर पतंग की, बिखर गये अरमान ;
राह कठिन थी जिंदगी, समझी थी आसान ! 
रोते काला मुँह लिये, खो बैठे हैं होश, ,, 
अपने हाथों लुट गए, हुआ न उनको भान !!... ''तनु''

उड़ती पतंग सा रहा , मनवा बेपरवाह



उड़ती पतंग सा रहा ,   मनवा बेपरवाह ,
कोई भी ना पा सका,  कितनी उसकी थाह !
संयम की है सख्तियाँ, अनहद गीत सुनाय , ,,
ढील ज़रा सी मिली तो, भूला अपनी राह !! .... ''तनु''

अनजान हूँ उस से, पहचान क्यों रखूँ ;




अनजान हूँ उस से, पहचान क्यों रखूँ ;
तारीफ़ करूँ उसकी,  ध्यान क्यों रखूँ !

जानती नीयत, भरोसा नहीं किसी का ;

वो नहीं अपना, उसे मेहमान क्यों रखूँ !

आए जिंदगी में, जायेंगे सभी इक दिन; 
मुकाम नहीं  इतना सामान क्यों रखूँ !

मुस्कुराते  चेहरों की कीमत है बहुत ;
फूल ये मुरझाये ,  गुलदान क्यों रखूँ !

लगता डर उसे जो गुनाहों में डूबता ;
मुझसे तो ख़ता नहीं मीज़ान क्यों खूँ !...'' तनु ''

मन पतंग आहत हुआ , बिखरे मीठे भाव



मन पतंग आहत हुआ ,    बिखरे मीठे भाव ;
बात बात पर दिख रहे,   विषम कँटीले दाव !
खोयी आँखों की शर्म,    शब्द नुकीले बाण , ,, 
होता अब सहना कठिन,  जलते रिसते घाव  !!.... ''तनु ''

Monday, January 15, 2018

दहकते कुछ पलाश हैं करीब दिल के ;



दहकते कुछ पलाश हैं  करीब दिल के ;
अनजाने से सवाल हैं     गरीब दिल के !

कितने पास हो कर भी वो दूर ही रहे ;
 फ़िराक़ और विसाल हैं नसीब दिल के !

आखिर हम जा न सके उसके रू ब रू ;
उलझने और जाल हैं हबीब दिल के !

नामजद किसे हुआ इश्क का तोहफ़ा ;
खुशियां और मलाल है शरीक़ दिल के !

चाहत रही मेरी कभी उफ़ुक़ को चूम लूँ ; 
उरूज़ और जवाल हैं रक़ीब दिल के !.... ''तनु ''

Friday, January 12, 2018

इस जहां में कहीं जो मोतबर है मेरा ;




इस जहां में कहीं जो मोतबर है मेरा ;
रब तू भी तो है यहीं जहाँ घर है मेरा !

धूप देने वाले तू देता रहा धूप मुझको ;
हर जगह तू ही तो मुन्तज़िर है मेरा !

पहुँचूँ कहीं भी मैं तुझसे न बिछड़ूँगा ;
तू ही तो हमसफ़र हम नज़र है मेरा !... ''तनु''

Thursday, January 11, 2018

आडंबर से मीत विलग हूँ ;




आडंबर से मीत विलग हूँ ;
कैसे मैं मधुमास बुलाऊँ ,
मीत , प्रीत में आँसू बहते 
कतरा कतरा टूटा जाऊँ !


एक बावरी साँझ मिली थी ;
पलकों पर ऐसी सँवरी थी ,
बूँद ओस की कहीं बुझी थी !
नदिया भी तो कहीं रुकी थी, ,,
लो पत्ता पत्ता सहम गया है ,
बिखरा बिखरा बूटा पाऊँ  , ,,
कतरा कतरा टूटा जाऊँ !.... कैसे मैं मधुमास बुलाऊँ ,


बुझे दीप तो तम गहरा था ;
मनवा में तो ग़म ठहरा था , ,,
उठी नहीं डोली अरमानों ,
जाने किस किस का पहरा था !
सुनाता शून्य पथ विकल था ,
औ मैं जग को रूठा पाऊँ !... 
कतरा कतरा टूटा जाऊँ !.... कैसे मैं मधुमास बुलाऊँ ,


उसके इंतज़ार की घड़ियाँ ;
टूट गयी मोती की लड़ियाँ , ,,
पल पल होता दर्द सवाया , 
हँसती बिरहा की सुंदरियाँ , 
अगन जलन कैसे सहता हूँ , ,,
चाँदनिया को झूठा पाऊँ !... 
कतरा कतरा टूटा जाऊँ !.... कैसे मैं मधुमास बुलाऊँ ,
... ''तनु ''



  

लिखने वाले हाय रे , क्या क्या तू लिख जाय ;





लिखने वाले हाय रे , क्या क्या तू लिख जाय ;
धरती को मूरख बना ,       माया से नहलाय !
माया से नहलाय !          बर्फ की करे बुवाई ;
बहरों से बतियाय,    आग की फसल उगाई !
रही ''तनु'' घबराय ,     जगत तो देखे सपने !
पाथर भी शरमाय ,   बोल ?? बैठेगी  लिखने !! .. ''तनु ''




Wednesday, January 10, 2018

जाड़ा




ओस बिछाये चदरिया,  सूरज ढूँढे ताप ,
बटुक बना संसार है, जाड़ा करता जाप !

Sunday, January 7, 2018

मन के हाथी घोड़े


मन के हाथी घोड़े दौड़े सूखे गीले पथ में ;
बादलों के पीछे छुप गए भानु अपने रथ में !
ये सलोनी साँझ लिए फिर गहरायेगी रजनी , ,,
पहन सितारों की चुनरिया चन्दा डाले नथ में !!.... ''तनु''

चित्र के मित्र बहुत अभिन्न हैं 
मित्र ही मित्र भिन्न भिन्न हैं 
आभार आदरणीय मित्र को 
आप भी हमारे अभिन्न हैं। .. ''तनु ''

Saturday, January 6, 2018

बेकरार होकर आया जाड़ा



बेकरार होकर आया जाड़ा ;
जाकर धूप को दिया लताड़ा ,
हल्की होकर पसरी अब , ,,
शायद दिया नहीं था भाड़ा !

कितनी खटपट होती झटपट ;
घड़ियाँ भाग रही हैं सरपट ,
आलसियों को पीछे पछाड़ा , ,,
ओढ़ें रज़ाई पढ़ें पहाड़ा !
 बेकरार होकर आया जाड़ा 

कभी कोहरा धूप का दंगल ;
पाला कभी करे अमंगल ,
बीच बीच में मावठ गाढ़ा , ,, 
बहे नाक तो पी लो काढ़ा !
बेकरार होकर आया जाड़ा 

मिली सर्दियाँ मटरगश्तियाँ ;
 धूप की मीठी सरगोशियाँ ,
खूब इसने गर्मी को झाड़ा , ,, 
तार तार कर सबको ताड़ा ! 
बेकरार होकर आया जाड़ा 

 दिन छोटे और रात बड़ी है ;

कहीं कहीं तो बर्फ पड़ी है ,
ठिठुरन ने चमड़ी को फाड़ा ,,,
रंग हो गया बिलकुल पाड़ा !
बेकरार होकर आया जाड़ा ,,, ''तनु ''

Friday, January 5, 2018

तू नहीं, तो ये माहताब कुछ भी नहीं

तू नहीं,  तो  ये माहताब कुछ भी नहीं;
गुल और गुलों के ख़्वाब कुछ भी नहीं !

हूँ उदास, गुम मेरी नज़रों की हँसी ;
तारों से अदब -आदाब कुछ भी नहीं !

इस चमन में कभी गुलों की बहार थी;
है नहीं शाख़  को शादाब कुछ भी नहीं !

रिस गए ज़ख्म दर्द से भी हूँ बेज़ार;
दिल में खूं का सैलाब कुछ भी नहीं ! 

की अश्क़ मोती से बहे बहते ही रहे ;
दिले गौहर की तब-ओ-ताब कुछ भी नहीं !!... ''तनु ''

Thursday, January 4, 2018

कहे जलेबी प्यार ही चाहूँ

कहे जलेबी प्यार ही चाहूँ ;
बदले में आभार न चाहूँ !

मुझको खा तकरार न करना ;
मन की कड़वी दरार भरना ,
मुझसी मिठास रिश्तों में घुले, ,,
आपसी लड़ाई झगड़ा भूले !
बस मीठा  प्रचार ही चाहूँ !!
अलगाव की दीवार न चाहूँ , ,,
बदले में आभार न चाहूँ !

चाहे टेढ़ी मेढ़ी मैं हूँ ;
रंगभरी अलबेली मैं हूँ ,
रस रस देखो अंग समाता , ,,
खट्टे से दूर तक न नाता !
कड़वाहट के घूँट न चाहूँ!!
मैं तो सबसे प्यार जताऊँ , ,,
बदले में आभार न चाहूँ !

लोकप्रिय भारतीय मिठाई ;
इमरती है मेरी माँ जाई ,
और बहुत हैं मीठी चीजें, ,, 
रहते हैं हम बहना भाई 
तन मन को अल्हादित चाहूँ !!
मन पर कोई भार ना चाहूँ , ,,,
बदले में आभार न चाहूँ! ... ''तनु '' 










Monday, January 1, 2018

हर इक जन्म पिछले जन्म का जवाब होता है ;




हर इक जन्म पिछले जन्म का जवाब होता है ;
हर इक जन्म अगले जन्म का ख़्वाब होता है ! 

है किनारा दूर मझधार में है कश्तियाँ ;

हर इक क़दम सोच के रखना जनाब होता है !

लिखी हुई कहीं आपके कर्मों की बही है ;
हर इक जन्म पिछले जन्म का हिसाब होता है !!... ''तनु''