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Sunday, January 31, 2016


गज़ब है तिल !! दिल में है तिल ,
तिल तिल बेदिल, बेहद कातिल !!
हठेला हो गया तो गया है छिल ,
फटेला है? क्यों नहीं जाता सिल ??
मुहब्बत में घायल पियें करेला ,
रोता ही रह जाए बिगड़ा हठेला। ... 
दुपहिया हो सायकिल हो या ट्रक  ,,,,
भोंपू तो बजेगा बजना है बेशक 
बेवजह ही जले दिल, जलते दिल
 तिल तिल बेदिल, बेहद कातिल !!
गज़ब है तिल !! दिल में है तिल ,....तनुजा ''तनु ''


झीनी रे चदरिया 

चादरों के ढेर में चादर इक' मेरी,  बहुत मैली ;
कौन चोर चुरा चला,  नभ से सितारों की सहेली !
टूट जाएगी इक पल में ही सरगम साँस की अब , ,,
कब मिटा नूर  जरा' ने घेरा  तन भूल गया केलि!! ...तनुजा ''तनु ''

Saturday, January 30, 2016


चाँदनी की मेहरबानी हो गयी ;
चाँद की अलग कहानी हो गयी !
झील में उतरते ही बिना चाँदनी, ,, 
लहर ही अब जिंदगानी हो गयी !!...  तनुजा ''तनु ''

चादर ,,,

रहमतों की चादर है अंदाज़ा कीजिये ;
ख्वाहिशों को खुल कर नवाज़ा कीजिये !
आइयेगा झुककर ये अल्लाह का घर है , ,,
खुदा  से नहीं खुद से तकाजा कीजिये !!...तनुजा ''तनु ''



ओढायी थी रजनी ने, धरा को मोती की चादर ,
ऊषा लाई प्रभात,  समेट ली सूरज ने सादर !

बिखेरे   समेटे  रोज़ - रोज़   जीवन संग ये होता !!!
एक सूरज ही तो जन - जन को खुशियाँ देता आकर ...तनुजा ''तनु ''
चादर .... 

ग़ुरबत से तार तार चादर चली गयी ;
मैं सिमट के रह गया चादर चली गयी !
तमाम दिन के सफर से थका सूरज भी , ,, 
कोहसार से धुंध की चादर चली गयी !!...तनुजा ''तनु ''

Friday, January 29, 2016


चादर.... 

खुद को कभी, कभी ज़माना देखता हूँ ;
काफ़िर हूँ फिर, कोई बहाना देखता हूँ !
गुरबतों की, चादर में पुराने दिनों को , ,,
उदास कभी ,  कभी शहाना देखता हूँ !!... तनुजा ''तनु ''

Monday, January 25, 2016



नया आदमी 


आदमी भी अभी नया शायद ;
जिंदगी के नए मक्र शायद !

कारवाँ -ए -ख़याल था मुझ को;
जब चले हैं जुदा जुदा शायद !

चाक सीना ज़ख़्म मिरे अपने ; 
घाव सिए  ना  नसीबा' शायद ! 

चुप जहाँ तक मुश्किल ही मुश्किल ;
बोलते   ही रुकी जुबाँ शायद !

असल ओ नक़ल के  इस जहां में ;
 ढूँढ़ते हैं खरा सोना शायद ! 

बात थी भी वही पुरानी सी ; 
संग खाकर हुआ जवां शायद !

राह सच की कठिन रही तनुजा;
झूठ के दाव घिरा सच्चा' शायद !!... तनुजा ''तनु ''

Friday, January 22, 2016

कुछ पल ही गुजरे हुए,  रख्त-ए-सफर है ;
आँखें कई लगी हुई,   अहल-ए-नजर है!
लब -ए -दरिया हकीकत में चार कदम ही , ,,
सम्भलो के लोग हुए बाजार-ए-हुनर हैं!!,,,,,,तनुजा ''तनु ''

Thursday, January 21, 2016

मेहर उसी की 

खूबसूरत खयालों से न छूटा कभी ; 
     कहर कोई ,  तूफां  न टूटा कभी ! 
         आसमाँ  में उसी ने भरे  रंग हैं , ,,
             मेहर रही खुदा की वो न रूठा कभी !!
    


तुम बिन कभी चला चाप से अपनी डरा ;
राह नीरव बुझे नैन अपने से तनहा रहा !
मंज़िल वही  मैं  बे-करां क्यों कर हुआ , ,,
सूरज की मानिंद देकर उजाला ढलता रहा !!...तनुजा ''तनु ''

Tuesday, January 19, 2016

वाह वाह क्या बात है 

सब सुनेंगे सबको सुनाएँ, वाह वाह क्या बात है ;
उमड़े भावना शोर मचाएँ, वाह वाह क्या बात है !

गिरह खोले लिख कर बोले क्या तलब है भाई ?
लिखे को मिल गुनगुनाएँ, वाह वाह क्या बात है !

सबके पास दिल है औ भावों की नदिया ठहरी ;
मोती चुने न खाक उड़ाएँ, वाह वाह क्या बात है !

इंद्र धनुष पर फूल खिलाएँ, बूंदों पर टाँकेंगे तारे ;
सब्ज शाख़ परिंदे न उड़ाएँ,  वाह वाह क्या बात है !

तू मेरे अक्स सा ढल जा, तेरे अक्स सा मैं हो जाऊँ ;
एक दूजे का काव्य सराहें ,वाह वाह क्या बात है!!....तनुजा ''तनु ''






निर्धनता

बचपन गया ख़ातिर कमाई, किसे पीड़ा दिखाऊँ ; 
भूख के मारे मन बिलखता किसे वीणा सुनाऊँ !
गिरह न खुलेगी उम्र बीते,...  रहेंगे प्रश्न अधूरे ,
नयन सूने सपन छौने,  कैसे' साकार कर जाऊँ ??  

Sunday, January 17, 2016



हिम्मते मरदां मददे खुदा 


गुलों के मुक़ाबिल, न कोई हुआ ;
छली के दिल, मिली न कोई दुआ ! 

मुद्दतों बढ़ा, जुनूँ और तिश्नगी ; 
कनार-ए-आबजू, दरिया न कोई हुआ !

कश्ती न भरोसा साहिल का कभी ;
जुनू साथ था शहपर न कोई हुआ !

उजाड़े खिजाँ दरख्तों से पत्ते ;
नहीं ये रुत सावन न कोई हुआ !

उसे थी हसरत रब के दीदार की ;
तब आँखों में दूजा न कोई हुआ !!..... तनुजा ''तनु ''

कनार-ए-आबजू = पानी का सोता 
शहपर  = मजबूत परों वाला 

Monday, January 11, 2016

मौन की पौन ...

बोला तो , ,,पर  मन की बात कौन सुनता है ?
जो मन को समझ जाये वो मौन गुणता है ,
न मौन समझे न बोल !!! कुछ जीते ऐसे भी ?
खुदी में ही रहे मगन दुनिया गौण चुनता है, ,,,,,




चप्पे चप्पे पर निगाह उनकी रहती है ;
चमक आँखों में शब स्याह उनकी रहती है !
वतन की राह में चले हैं सर कफ़न बांधे , ,,
बारहा शहादत की चाह उनकी रहती है !!

Tuesday, January 5, 2016

नाखुदा 


बात की बात है पोटली ''काल'' की ;
भाग्य बुन कर देता रहा ''जाल'' की !!

आज भी अब गया कुछ कभी ना रुका ;

बिजलियाँ गिर रही ईश के ''बाम'' की !!

आँसुओं की झड़ी बरस कर किस कदर ;

शाम से पहल करती हुई ''शाम'' की !!

ग़म अभी दास्ताँ कौन सी कह रहा ?
शोख़ियाँ खो गयी ''खास-ओ-आम'' की , ,,

खूब है आप की बात भी दोस्तो ;

बेहिसी अगरचे छा गयी ''राम'' की !!

 कैफियत धूप की पूछता रह गया ;
झूलता छाँव में नाखुदा ''घाम'' की !!,,,तनुजा ''तनु ''
आसमां कौन रंगता होगा ;
सुबह तारों को चुनता होगा ! 
खींच कर सूरज से रेखा को, ,, 
शाम को फिर मिटाता होगा !!,,,तनुजा ''तनु ''

Sunday, January 3, 2016

जादू है इश्क भी ....... 



झुकी गर आँख, ,, तो दिल की कहानी यूँ सुनाओगे ;
बंद होठ कलियाँ बन के, ,, मुस्कुराके, खिलाओगे ! 

अजब सेहर, ,, कभी सुलझी इश्क की राह भी दिलबर ? 
चल पडे हो, ,, मगरिब कहीं मशरिक़ कहीं दिखाओगे !!

कहाँ खिड़की मुहब्बत की, ,, दर ओ दीवार भी गुम हैं ;
कब तलक चाँद तारों को दुनिया अपनी बनाओगे !

अब बिखर के गुल, ,,कहीं बिफर दरिया, न बन जाना तुम ;
नहीं तूफां बना साहिल, सितम अगर समझाओगे !!

भली इक शब,  भला है एक चाँद कहीं नज़ारों में ; 
 ''तनु ''कभी सोचा नहीं था तुम दुबारा चाँद लाओगे !!!.... तनुजा ''तनु ''

Saturday, January 2, 2016

पग नी धरयो मग में घणों दूरो  है गाँव  
अंधारा री रात वीती चालो आगे है ठाँव  
भणवा वारा भणजो ने लिखवा वारा लिखजो 
संत, ग्यानी,  महात्मा री मिलती रेवे छाँव 
विधना

विधना ही खोलते पोटली, काल की ;
ले भी जायें दे कर जाते ,   साल की !
इसमें कुछ मोती  अनबिंधे दुखों के , ,,
बिंधे सुख मोती मानव के, भाल की !!
अभी तो एक कदम ही चले, बहुत संघर्ष बाकी है ;
अंधियारे की रजनी ढले , बहुत उत्कर्ष बाकी है !
कलम की धार पैनी हो कटे विचारों की फसल, ,,
सृजन मार्जन परिमार्जन ज्ञान सहर्ष बाकी है !!,,,तनुजा ''तनु ''
नया साल 

कार्तिक की शीत हो या फूले हों टेसू लाल ;
ज्वाला बन मित्र हो या टपका हो स्वेद भाल !
जीव के जीवन में नित ऋतुएँ आकर के जाएँ , ,,
ले दिन रात संग अपने आप आता नया साल !!

Friday, January 1, 2016

नव वर्ष 

मार्तण्ड के साथ कुछ श्रम कण बोये मैंने ;
अधरों सूखी हँसी देख कुछ अश्रु खोये मैंने !
संसृति हो अशोक ये चाह रही मेरे दिल की , ,,
स्वर्ण से इस नव वर्ष में कुछ मोती पोये मैंने !!


अभी तो एक कदम ही चले, बहुत संघर्ष बाकी है ;
अंधियारे की रजनी ढले , बहुत उत्कर्ष बाकी है !
कलम की धार पैनी हो कटे विचारों की फसल, ,,
सृजन मार्जन परिमार्जन ज्ञान सहर्ष बाकी है !!,,,तनुजा ''तनु ''
ऋषभ का कोमल स्वर कठोर बन क्यों साल गया ?
सर्द दर्द धीरे से  सुमधुर  जीवन क्यों बाल गया ?
घट रीत गया नव वर्ष बीता दे कर अभिशाप , ,, 
रजनी सा स्याह रवि बना अनमना क्यों साल गया ?