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Sunday, December 31, 2017

कहीं काम का बोझ है ,

  

  कहीं काम का बोझ है ,    कहीं पढ़ाई बोझ ;
  दोनों के बिन जिंदगी, बनती बिलकुल बोझ !
  बनती बिलकुल बोझ, पढ़कर ले नाम कमा ,
  रोटी खा सम्मान,         बना गैरों को अपना !     
  जब पढ़लिख तू जाय, नीच कर्म करना नहीं ! 
   ऊँचा पद तू  पाय ,   घमंड मत करना कहीं !!... ''तनु ''
  भली है मनोकामना,    भोले मन के भाव !
 तुमसा दोस्त ही सदा , जनम जनम का चाव !! ''तनु ''


Friday, December 29, 2017

छुट्टी !!! तुम कितनी अच्छी हो;

छुट्टी !!! तुम कितनी अच्छी हो;
बच्चों से भी तुम बच्ची हो ,.. 
कितने अरमानों से सजती, ,,
बातों की बढ़ती लच्छी हो !
छुट्टी !!! तुम कितनी अच्छी हो;

दिन में कोई काम करें ना;
सोएँ तो अलार्म बजे ना,... 
मीठी नींद सुहाने सपने,
कोई परीक्षा हमें जँचे ना !
आसमान से तारे तोड़ूँ ,
पर ये सब सच्ची मुच्ची हो !!!
छुट्टी !!! तुम कितनी अच्छी हो;

कहानी सुनकर बीते रात;
तारों के संग प्यारी बात, ,, 
पिकनिक जाएँ धूम मचायें ,
नानी दादी भी दें सौगात ! 
फत्तू  छोटू पिंकू के संग, 
नानी, मामी और चाची हो !!! 
छुट्टी !!! तुम कितनी अच्छी हो;

खायें फल खायें व्यंजन ;
पियें छाछ छक कर छन छन , ,,
करें व्यायाम सेहत बनाएँ , 
खूब मोह लें सबका मन!
जामुन इमली की बहार,  
और अम्बियां भी कच्ची हो !!!
छुट्टी !!! तुम कितनी अच्छी हो;... ''तनु''

दो हज़ार अठारह सब को शुभकामनाएँ !!


शुभकामनाएँ सब को, आ गया नया साल;
करें सत्य की साधना,  सभी रहें खुशहाल !
सभी रहें खुशहाल, शुभ शिव का सृजन करें;
करें गरल का पान,    आत्म अवलोकन करें !!
आगत का उपहार   वर्ष को अंक लगाएँ !
दो हज़ार अठारह सब को शुभकामनाएँ !!

एक मोती ...दिन चुराय ले जात है , आसमान का चोर ;


दिन चुराय ले जात है , आसमान का चोर ;
रही दुपहरी पूछती ,      चलकर ढूँढूँ ठौर ??
रजनी पैर पसारती ,  कुछ पल का है चैन , ,,,
कलरव पंछी का कहे ,   गाती है फिर भोर !!... ''तनु ''

Tuesday, December 26, 2017

बर्गर ने पिजा जद से, भोजन लियो वणाय !



बर्गर ने पिजा जद से,  भोजन लियो वणाय !
म्हाए  जोगी जीव ने , घणों लियो उलझाय !!
घणों लियो उलझाय,    भूल्या रोटी दाल ने !

फ़ास्ट फूड खायी ?? दीयो  न्यौतो काल ने !!
जीभ  ना ललचावो,   मति विगाडो जर्जर ने !
भटक ना भरमावो ,    छोड़ो पिज़ा बर्गर ने !! … ''तनु ''





Monday, December 25, 2017

सांता दिल की तुम सुन जाओ

सांता दिल की तुम सुन जाओ 
खुशियों के उपहार सजाओ 
आँसू ओ ग़मगीनी ना हो 
व्यर्थ नुक़्ताचीनी ना हो 
झोली भर कर हँसते आओ,
सांता दिल की तुम सुन जाओ 

जग में कितने दुखी हैं लोग 
ठंडी कितनी ठिठुरते लोग 
तन ढाँकने नहीं हैं कपडे
चिथड़े ही हैं उनके कपडे 
सबको कपडे देते जाओ 
उनको बिछौना देते जाओ,
सांता दिल की तुम सुन जाओ 

नहीं चाहिए मुझे चॉकलेट 
तुम तो सभी के भर दो पेट 
कोई जग में भूखा ना हो 
मानव मन भी रूखा ना हो 
घर घर क्रिसमस ट्री सजाओ 
उनपर तोहफ़े खूब सजाओ,
सांता दिल की तुम सुन जाओ 

देखो डरती रहती दुनिया 
आतंकवाद सहती दुनिया 
कितने ज़ुल्म सहती दुनिया
लालच दरिया बहती दुनिया 
झूठ कपट से हमें बचाओ 
सत्य प्रेम के भाव रचाओ, 
सांता दिल की तुम सुन जाओ ,... ''तनु''

Sunday, December 24, 2017

लूँ समेट चादर अपनी रात थोड़ी है अभी ;



लूँ समेट चादर अपनी  रात थोड़ी है अभी ;
बात से फिर क्यों विदा लूँ बात थोड़ी है अभी !

चाँद तारों का डोला छुपा दिया है भोर ने ;
आ रही जो किरणों की सौगात थोड़ी है अभी !

मुस्कुराना ख़ुशियों में भी भूलता मैं जा रहा ; 
चुपके ही चुपके नज़रों की घात थोड़ी है अभी !

राजदाँ थे तुम अदू हुए कब रुकोगे आँसुओं ;
दरिया दिल तू जान ले बरसात थोड़ी है अभी !

पूछना मत तुम कभी मेरी बेताबी का हाल ;
मयस्सर होने लगी इल्तिफ़ात थोड़ी हैं अभी !... ''तनु''

Wednesday, December 20, 2017

सर्द सन्नाटा आसमाँ का ही पिघला है ;
अब यही मंज़र मेरे हमराह निकला है !

राह यही मंज़िल की तरफ ले जाएगी ;
 पाँव कैसा भी पड़ा है खुद ही संभला है !

भूल जाओ गुज़री साअतों के हादसे ;
दीप तो सदा ही मुस्कुराता जला है 

तूफानी हवाओं से तुम मत डरना कभी ;
कहर-ए-आइन्दा सब के सर से टला है !

बेदाग़ फ़ज़ा है और खुशनुमां समाँ भी ;
धीरे धीरे समय ''तनु ''कैसे बदला है !.. तनुजा ''तनु '

Sunday, December 17, 2017


भोलू जी की हड़बड़ी,
हड़बड़ी में गड़बड़ी;
करते काम सारे झटपट
होती रहती है खटपट , ,,
फिर चाहे बिगड़े बिगड़ी,
भोलू जी की हड़बड़ी,

कितनी बार उन्हें बतलाया;
सब्र से सब्र समझाया,
करो काम योजना बनाकर
जतन से मन लगाकर  , ,,
नहीं तो फिर खिल्ली उड़ी ,
हो जाए बिगड़ी बिगड़ी,
भोलू जी की हड़बड़ी!

कहीं भी यूँ ना चल पड़ो;
किसी पर भी ना उबल पड़ो ,
दिमाग से कुछ काम तो लो
समझो बूझो औ मुँह खोलो , ,,
बनों ना आँख की किरकिरी ,
ऐसे ही सुधरे बिगड़ी,
भोलू जी की हड़बड़ी!

कभी भोलू जी थे नादान ;
अब नहीं बनते अनजान, 
सोच समझ कर कदम बढ़ाते, ,,
मन लगाकर काम बनाते 
हुईं पार उलझनें बड़ी ,  
दी परीक्षा कड़ी कड़ी ,
भोलू जी की हड़बड़ी!

देखो सारे काम बन गए ;
भोलू जी के दाम बढ़ गए ,
धीरज से करते सब काम 
हड़बड़ भोलू नहीं बदनाम , ,,
करते नहीं अब हड़बड़ी, 
सुधरी कैसे देखो बिगड़ी,
भोलू जी की हड़बड़ी!.... ''तनु''

Saturday, December 16, 2017



ना लिया काम सब्र से रुसवाईयाँ मिलेंगी !
टूट कर जब बिखरोगे तन्हाईयाँ मिलेंगी !! 
राह सब्र की कठिन है परीक्षा भी कड़ी है !
चलिए कभी तो राह में रानाइयाँ मिलेंगी !!.... ''तनु ''