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Saturday, March 28, 2015

बड़ा कठिन है जीवन के ,  संशय से लड़ते जाना , 
दुख से कहते क्या जीना ?  हमको तो मर ही जाना !
कब जीवन के त्रास मिटें ? अब कब होगा उजियारा ??
संघर्षों से पाएँ पार ,  हमने दीये से जाना ,,,,,,,,''तनु ''

आओ सब मिल करें प्रार्थना, ....रहे अस्मिता दीये की !
जीवन खुशियों का हो रत्नाकर, रहे सुष्मिता दीये की !!
देते सन्देश अखंडता का ,     जाते अस्ताचल को रवि !
पावन उजास की बाती जले,     रहे विमलता दीये की !!…… ''तनु ''

Friday, March 27, 2015

राम की तरह रहो.…… 
     
आँसू की एक बूँद के साथ,  ---- है हँसी का इन्द्रधनुष !
प्रायश्चित  करके धो डालिये काली जिंदगी का कलुष !! 
अभिमानी हो आकाश न छुओ, गम में न डूबो दो चमन,,,,,,,
राम की तरह रहो निकालो ना, यूँ  कामनाओं का जलुश !!… ''तनु''

Monday, March 23, 2015

ये जो शाम कर देता है कोई क्यूँ नाम किसी के;
जज्बे में इतनी रिफ़ाक़त क्यूँ बेकाम किसी के !

गुल बिखरे बिखर गए मुकद्दर था उनका ;
नामालूम सियासत है क्यूँ बेनाम किसी के ! 

बदला मौसम खुदा का अब रास न आया  ;
लग गयी कीमत वफ़ा की क्यूँ बेदाम किसी के ! 

है वक्त - ए  - रुखसत न घबराएगा ये दिल ;
दरिया दर्द का बहता है क्यूँ बेआराम किसी के 

मिटटी की खुशबू से नावाकिफ रहना ''तनु '' ;
ये बारिश की बगावत है क्यूँ बेबान किसी के !




प्रदूषण की मार
गोरैया तो खो रही , सूरज भूला रंग 
धीरे धीरे छा रही  , ये कालिख बदरंग  
खेले बहुत, चल !!!  अब आ धो दूँ
मार्जन कर थकन तेरी सागर को दूँ !!!
ऐसा ना हो तुझे माँ तेरी डाँटे ,,,,,,,,,,,,,,,,,
आँखें तेरी नम हो और मैं रो दूँ !!!…… ''तनु ''
शाम फिर ढलती ही क्यों ये एक दर्द लिए!!!
रात फिर पलटी ही क्यों ये एक पर्त लिए !!!
इन्तजार तुम्हारा फिर चाँद के साथ,,,,,,,,,,
और जलते ही क्यों संग मेरे ये बेदर्द दीये !!!....... ''तनु ''

Sunday, March 22, 2015

चाँद मुस्कुराया है........ 



चाँद मस्कुराया है , ज़रा आँगन बुहार लूँ आज ;
आसमाँ लुभाया है,  ज़रा आँगन उजार लूँ आज !

मुंसिफ है , सबके अफसानों की खबर रखता है ;
नज़र न लगे , ज़रा उस की नज़र उतार लूँ आज !

रूहों को हरी करता है दे के पुरनूर चाँदनी ;
रौशन है जहां , ज़रा उसको दिल में उतार लूँ आज !

कोई शबाहत ही नहीं , चाँद और दरिया में !!!
सिमटे हुए उस चाँद को,  कैसे उभार लूँ आज ? 

उस ख्वाब - ए  - सबा को क्यों बिखरने का हो ग़म ;
चाँद का दामन है , शगूफ़ों गुलशन को ओहार लूँ आज !

वो प्रीतम !!! वो दोस्त है, है वो चराग -ए  -रहगुज़र ;
बोल क्या नाम दूँ ? ज़रा साजन पुकार लूँ आज  ???  .... '' तनु "






Saturday, March 21, 2015

घर में हर आदमी ,  .... आदमी हो सामान न हो
सब सन्मान पाएँ ...  सादगी हो अपमान न हो 
बेचारगी में दाव पर लगे क्यों ये जिंदगी ???
जियें सभी सुखी रह  ..... पूजा हो घमासान न हो 
घबरा के मर जाना इतना आसान नहीं ! 
हर जगह मिलता ये मौत का सामान नही!!
काश वो हँसके कहते के मैं गमगीं नहीं ,,,,,,,
फिर मिलता या मिलता उनका दामान नहीं !!!....''तनु''

Friday, March 20, 2015



कतरो मुस्किल है अणि ऊपरी झूठा खोल ने तोड़णो ;
अणि ओछा नकली जन रे,  मन रा एहम ने छोड़णो !
मीठो मीठो स्नेह रो झरनो जो है हगरा रे हिय माय !!!
वणी झरना री प्रीत ने जाणी जन रा प्रेम ति जोड़णो,,,,,,''तनु ''  


कितना कठिन है इस ऊपरी, झूठे खोल को तोडना ;

इस छद्मवेशधारी मानव, मन के अहम को छोड़ना !
मीठा मीठा स्नेहिल झरना , जो हमारे उर बहता ;
उस झरने की प्रीत को जान , जन के प्रेम से जोड़ना !! 
नवसंवत्सर ऐसा हो 

सिर्फ जीने की चाह न हो 
किसी लब पर आह न हो 
शुभ नव संवत्सर हो सदैव 
दीन दुखी की कराह न हो 

चलो मरुभूमि सरसाएँ 
अँधियारो में दीप जलाएँ 
मंगलकारी नव वर्ष हो 
सत्काम संकल्प कर जाएँ 

देशी पहनो देशी खाओ
मातृभूमि पर जान लुटाओ 
प्रेम मन्त्र है नए साल का 
आओ मिल इसे निभाओ 

शुभ चिंतक बन सँवारो 
चरैवेति से कर्म निखारो 
श्रांत क्लांत होकर न बैठो 
नित शुभ शुभ को उचारो 

उपकारी हो विद्वान बने 
यशस्वी और विनीत बने 
नवसंवत्सर सुरभित हो जाए 
सृष्टि उपवन के पुष्प बने ,,,,,'' तनु ''


Thursday, March 19, 2015

माँ !!!
चुटकी 
भर धूप  
से भी भर देती
संस्कारों की गर्मी,,, 
अपनी 
साँस से  !!!
देती जीवन 
बालिश्त भर
जमीं सी 
तुम  
देती जीवन
भर का प्यार 
दुलार ,,, 
आँख भर समंदर !!!
जो सींचने के 
काम है आता
अपनी
औलादों के पथ ,,,
झिर्री भर !!! 
आसमान से
उड़ा देती 
नन्हों को 
उनके पंखों को 
सिखा उड़ना ,,,,
फिर, 
कहती लो 
और मैं तुम्हारे लिए 
और क्या करूँ ???
ये
सदा है
खुशियों की
नगमा
दिल का
कुसुम भावों के
चुनता
दुनता रहा,,,


मैं
सृजन हीन
दिल पत्थरों के
देखता
गुणता
सुनता रहा ,,


ये
उड़ते गेसू
लहराता आँचल
सपने
केशरिया
बुनता रहा ,,,


देखा
दरिया सा
लहराया है
उनके
कदमों तले
मुस्काकर !!!
ठुनता रहा 


अब
क्यों न 
छू लूँ
उसी आसमां को
जिसे
मन ही मन
चुनता रहा 
लुभावना कहमुकरिया  छंद  ..भागते दौड़ते कुछ यूँ ही………..... पहेली के अंदाज़ में ये छंद अमीर खुसरो ने आरम्भ किया था.
उस बिन फूलता नहीं केक
फूले इडली चाहे करलो बेक 
हल्का फुल्का तुरत पच जाए
क्यों सखी समीर?????
ना सखी खमीर 
बालक बिगड़ा क्यों?
 मैल जमा क्यों ?
पीटा न था

साँस रुकी क्यों ?
खिलाड़ी रोया क्यों ?
जीता न था


  दो सुखन

व्यापारी  को राह नहीं 
सुने बिना निबाह नहीं 
.. दूकान 

सर्दी में राहत नहीं 
लबों पर लाली नहीं 
…पान न था  

कमल खिला नहीं
 भ्रमर गया नहीं 
दिन न था

  

Wednesday, March 18, 2015

एक सफर का सिफ़र 

कुरेद लो यूँ ग़ज़ल मेरी,   न वज्न है न बहर है ;
अल्फ़ाज़ हैं टूटे फूटे से, अंदाज़ कुछ तो मगर है !

निगाह में कोई पढ़ गया कोई कशीदा गढ़ गया ;
है फज़ा बदली बदली सी, पढ़ा लिखा हर शहर है !

कुछ दोस्ती के गीत हैं और मन भाते मीत हैं ;
सुहानी है मुस्कुराती है गाती हुई सी सहर है !

ज़ख्म न दिखाओ, बेसाख्ता आँख न भर लाओ ;
रंगीन हैं प्याले सब यहाँ,  हम प्याले में ज़हर है !

बात की बात हो, बात इतनी सी हो, इतनी न हो ;
नतीजा सिफर हो भूले डगर हो कर लेना सबर है !! …''तनु ''











Sunday, March 15, 2015

यम अतिथि
घात आघात करे
बिना आवाज

यम अतिथि
घात आघात करे
बिना संवाद 


आज पाहुने
प्रीत रीत न जाने
मन न भाये

हुई दूषित
मेहमान नवाजी
स्वार्थ ही हित . 'तनु '
असो करोगा कई ?

जदसे पिजा बर्गर ने,  भोजन लियो वणाय !
म्हाए  जोगी जीव ने , घणों लियो उलझाय !!
घणों लियो उलझाय,    भूल्या रोटी दाल ने !
फ़ास्ट फूड खाय,    नी देणों न्यौतो काल ने !!
रसना ने ना ललचावो, मति विगाडो अणि जर्जर ने !
भटको ने ना भरमावो ,    छोड़ो अणि पिज़ा बर्गर ने !! … ''तनु ''

Saturday, March 14, 2015

फास्ट फूड करे स्लो 

जबसे पिज़ा बर्गर को, भोजन लिया बनाय !
हमने योगी जीव को , बहुत लिया उलझाय !!
बहुत लिया उलझाय,  भूले रोटी दाल को !
फास्ट फ़ूड खिलाय,  ना दो न्यौता काल को !!
रसना ना ललचाय,    ना बिगाड़ो जर्जर को !
भटको ना भरमाय,    छोड़ो पिज़ा बर्गर को !!.... ''तनु ''







हँसी आसमान की तारों में चमकती है !
हँसी सागरतट की मोती ले दमकती है !!
सूरज पूछता है ?  किरणें  देकर धरा को,,,,

बता हँसी तेरी क्या ओस में ठमकती है ??  …''तनु '' 
चाँद अब वैसा न रहा ………

क्यों तुम नज़र आते नहीं,  चाँद में अब वो बात कहाँ ;
फिर झुरमुट मुस्काता नहीं, अब चाँद में वो बात कहाँ !

आबला-पा कबसे हूँ, ………  और दूर अपने घरौंदे से;

चाँदनी मरहम लगाती नहीं, अब चाँद में वो बात कहाँ !

मशरिक़ से मग़रिब तक,  ये चश्मों की शिकायत है;

क्यों अक्स बेनूर बिखरा ?? हाँ उसमें अब वो बात कहाँ !

शोला है, दश्त का सीना और तश्कीक के नेजे !

ये कतरनें हैं सितारों की, चाँद में अब वो बात कहाँ !!

अल्फाज़ में चेहरे कहाँ हैं ,  सदाएँ खामोशियों की है !!!
''तनु''अहद -ए- तहजीब में, पर चाँद में अब वो बात कहाँ !…''तनु ''

Friday, March 13, 2015

आग्रही मन
प्रतीक्षित नयन
बाँधे तोरण 




फागुन बदरिया बरसे , पडे मौसमी मार !
तीखी सर्द सी चलके ,  तोड़े सभी करार !!
तोड़े  सभी करार, कभी गरज कभी चमके !
चाहिए नहीं  दुलार ,  कहाँ से आई चलके !! 
एचवन एनवन ताप, करे अनबोला औगुन !
जगत करे संताप ,  बदरिया बरसे फागुन !!....''तनु ''


फागुनी मल्हार .......

फागुन बदरा गीत है , कैसे करें सत्कार ???
ये कीचड कायम रहे , जीवन हो नाकार ,
जीवन हो नाकार , छींक का साथ हमारा !
रहें छींक के संग , बहती  नाक की धारा !! 
हमें रुलाये धूप , खोय भँवरों की गुन  गुन ,
कड़वा काढ़ा सूप , बदरा गीत है फागुन !!

Wednesday, March 11, 2015

फेसबुक फेसबुक फेसबुक


फेसबुक की मैं अलख जगाऊँ !
घुस इसमें फिर निकल न पाऊँ !! 


चटकीली चमकी सी दुनिया,
बिना फूल महकी सी दुनिया !
झूठे प्रेम के फूल खिलाऊँ ,
झूठे मुरझाऊँ खूब रुलाऊँ !!… फेसबुक की


इसको टेगू उसको टेगू !
लाइक न करे निकाल फेंकूँ !!
चलो कुछ नए दोस्त बनाऊँ !
अपनी पोस्ट के लाईक्स बढ़ाऊँ!!…  फेसबुक की 


ऊपर से बोलूँ लुक एट मी !
अंदर से बोलूँ डोंट टैग मी !!
पी गुस्सा मुस्कान बढाऊँ !
शब्दों से आभार जताऊँ !!....  फेसबुक की 


देख कमेंट में कितना दम है ! 
मुस्काता ये कदम कदम है !!
इस पर अपनी जान लुटाऊँ !
कभी न लिखा इतना लिख जाऊँ !!… फेसबुक की


चेहरे का क्या , बिल्ली हो !
माता, भेरू की सिल्ली हो !!
बोर्न डेट बिन बोर्न कहाऊँ !
परिचय अपना ना दिखाऊँ !!… फेसबुक की


कौन मुझे पहचाने फिर ? 
जान जाए तो नोचे सिर ??
ओझल हो फिर दिख जाऊँ ?
इसीलिए आभासी कहलाऊँ  ,,,,,,,,,,फेसबुक की


मीठी चर्चा ये मीठी बात है !
शुभसंध्या औ शुभप्रभात है !!
केन्डी क्रेश के पहाड़ लगाऊँ !!!!!!!!!!!!
सता  सता  सबको इतराऊँ ,,,,फेसबुक की


जो स्थापित हैं पहले से !

वे नहले पर हैं दहले से !!
संशय अपना तोड़ न पाऊँ !
गुत्थी को कैसे सुलझाऊँ ,,,,,,, फेसबुक की


रोटी के साथ हो अचार
सिर्फ दो ही को दो आभार 
दिन को खींचे खींचे जाऊँ 
तभी रचनाकार कहाऊँ ,,,,,,फेसबुक की  


आया एक अभागा बन्दा 
गाँठ का पूरा नयन का अंधा 
दौड़ उसको मित्र बनाऊँ 
कमेंट डाल उसको ललचाऊँ ,,,,फेसबुक की 


उसकी रचना पर वाह !!!वाह !!!
उसके दुखों पर आह !!!आह !!!
फिर सींग वाला गधा बन जाऊँ 
बिलकुल ऐसे गायब हो जाऊँ ,,,,,,,,फेसबुक की 



कौन बताओ है इससे दूर ?
कौन कितना है मशहूर?? 
बहुत प्यार मैं इससे पाऊँ ,
इसके बिना मैं रह न पाऊँ ,,,,,,,,,,,,,,फेसबुक की


फिर भी कहती हूँ ज़रूर !
कभी न होना इससे दूर !!
दूर होकर भी पास कहाऊँ !
अपने मन की बात जताऊँ!!

फेसबुक की मैं अलख जगाऊँ !
घुस इसमें फिर निकल न पाऊँ !!…… ''तनु ''








Tuesday, March 10, 2015


कसो है यो रंग सदा कायम नी रे हे ,
काँटो भी चुभी जावै तो लोई नी बे हे !
नयणा ने छुपाऊँ हूँ जो रोवै है लोई रा आँसू ,
कसो है यो ढंग जो कई ने भी नी के हे !.... 

Monday, March 9, 2015


अमिय मय धरा सरसी, बूँदे झनक उठी
मुरली बाजी कान्हा ,चूड़ी खनक उठी 
कान्ह कान्ह कह शरद में विभाकर भी !!!
कान्हा निरखें गोपी, राधा ठनक उठी ,,,,,,,,,,,,''तनु ''


बहे सुरभि 
मौन मुखर हुआ 
 लरजे पात........ ''तनु ''

Sunday, March 8, 2015

तांका 

पिता/तात
तात स्नेह से 
सँवारते जिंदगी 
नन्हे कदम 
छा जाते धरा पर 
लिए पग उनके … 

2   तुम जैसा मैं 
कद कदम काठी 
व्यवहार से 
पाया जीवन नया 
पा मधुबन जिया …

भूल गया हूँ 
सब वेदना दर्द 
मन कसक 
छाँव तले तुम्हारी 
वट वृक्ष से तुम 

नैनों में स्नेह 
पिता परमेश्वर
सँवार देता
सपनों की दुनिया
लिए जादुई छड़ी 









शिव अवढरदानी रहे, बम बम भोले नाथ !
नित ही उमा बाम रहे, कहाये उमा नाथ !!
कहाये उमा नाथ,  भस्म संग जोगी बाना ! 
जटा में गंग साथ,     बाघाम्बर परिधाना !!
कर भोले का जाप, सब शिव शिव शिव गा रहे ,
सर पर शिव का हाथ,  शिव अवढरदानी रहे!!.... ''तनु ''
                        

नारी की उपलब्धियाँ, जीवन में भरपूर !
उन्नत शिखर को छू रही, उड़ कर के पुरनूर !!
उड़ कर के पुरनूर, सदा स्व को पहचाना  !
नारी नहीं निराश , जीवन चुनौती जाना  !!
खुद के प्रयास से,  दूर हुईं विसंगतियाँ , 
रही कदम को चूमती, नारी की उपलब्धियाँ !!
शशिमुख पर सजे घूँघट कहाँ अब नहीं लजाते नैन  
हाय हलो वो बोलती आंग्ल सजाती उसके बैन  
लज्जा बनी रहे,  लज्जित न हों यही हम चाहें तुमसे   
संयम अनुशासन में वो रहे तब नहीं खोता चैन

फागुन मन का मीत है, आओ करें सत्कार
ये सुगंध कायम रहे , जीवन हो साकार 
जीवन हो साकार , महकता साथ हमारा
रहें  प्यार के संग , प्रेम ही जीवन धारा 
खिला खिला हो फूल, रहे भंवरों की गुन गुन 
हो जमुना का कूल, रंग बरसावे फागुन ||

Saturday, March 7, 2015

सत असत का अभिनय न हो ;
सहज मन असहज न हो ,
बन जानकी तू न दे परीक्षा !!!
समर्थन असमर्थन में हाँ या न हो ,,,,,,

बीते कल की याद दिला न ;
आते कल को यूँ रोना न ,
तू ब्रम्हाणी तू रुद्राणी !!!
कल में कल को खोना न ,,,,,

काला काजल सफ़ेद चूना ;
कर्मों पर अब मलना न,
जीवन अनुभूति सुखद अनुभूति !!!
पाकर इसको खोना न ,,,,,

शेष अशेष कभी बचे न ;
अवेश आवेश कभी रुचे न ,
तू सावित्री तू है दुर्गा !!!
धारिणी बन कर सोना न,,,,, …''तनु ''

ये रंग  है कैसा जो सदा कायम नहीं रहता  ??
कभी नश्तर भी चुभ जाए तो खून  नहीं बहता ??
छुपा लेती हूँ आँख जो आँसू खून के रोती   !!!
बता ये ढंग है कैसा जो कभी कुछ नहीं कहता ??  .... ''तनु ''

Thursday, March 5, 2015

चाँद से 

तू अकेला कई रूप का तुझे  रंग की क्या जरुरत ;
तू नशीला मनभावना तुझे भंग की क्या जरुरत !

तारों की लिए बारात चले तू तेरे संगी साथी कई ;
तू निराला चाँदनी वाला तुझे संग की क्या जरुरत ! 

कभी टुकड़ा कभी अधूरा कभी पूरा है गोला तू ;
तू सजीला तू रुपहला तुझे ढंग की क्या जरूरत !

लिए चाँदनी और निखर जा जीवन में सबके उतर जा ;
शम्भू तू शम्भू के सिर तू तुझे उतंग की क्या जरुरत !

तुझसे ज्वार तुझसे भाटा जीवन से तेरा है नाता ;
तू हँसाता तू रुलाता तुझे उमंग की क्या जरुरत ! …… ''तनु ''

सूनो आँगण सूनी राताँ मिठ्ठा बोल कुण सुणावै ;
कान्हा भी नी गोपी भी नी,  मीत वना होरी नी !

कलेस जावै दरद भागै कोयल कूके गीत सुणावै;
अब थें भी गावो म्हे भी गावाँ, प्रीत वना होरी नी !

फागण आवै रंग लावै झूमें गोरी नाचे गावै ;
ढप नी  बाजै चंग नी बाजै, गीत वना होरी नी !

वसंत आवै सुगंध लावै फागण में रस बरसावै;
बारूद री दुर्गन्ध नी भावै, रीत वना होरी नी !

हिवड़ो हरखै नैणा वरसै प्रीत पुराणी सरसै ;
मनड़ो गावै मीत मनावै, जीत वना होरी नी !… ''तनु ''

Wednesday, March 4, 2015

जीवन में रंग अलंकार हैं !
बिखर जाएँ तो लट  लकार हैं !!
 सजें अगर हित दूसरे के ,
अजन ,सजन हैं !!!ॐ कार हैं !!! ''तनु ''

Tuesday, March 3, 2015


फागण आयो झूम झूम रे !!!
 लई रंगा रा थाल,
टेसू फुल्यो सूरज रे संग,
उसा रा व्या गाल लाल!!! ............ फागण आयो

पिली धुप फसरती चाले ;
फागण चाले लंबी ब्यार,
सर्दी धीरे धीरे जई री,
दुकाना में सजी गुलाल !
टेसू री अधखिली है डाल !!!....... फागण आयो


जली होलिका जले बुरायां !!!
नवो धान है हैकी राख्यो,
होरी पे नाना री ढूँढ ;
नाना ने निजरा पे राखो,
दादा वईज्ञा घणा निहाल
निखरयो निखरयो है जमाल !!!…  फागण आयो


चढ्यो होरी रो क़माल !!!
मजो करो ने करो धमाल ;
धूम धाम से मने या होरी ,
दूर करी ने आसुरी अहंकार ,
रंगी दो रंगी दो सब रा भाल !
दूर करो जग रा जंजाल !!!…… फागण आयो







Monday, March 2, 2015

फागुन आया बाँह पसारे;
 लिए रंगों के थाल,
टेसू  फूला सूरज संग!
हुए ऊषा के गाल लाल!!! …फागुन आया

पीली धूप पसरती चलती;
धरती चमकीली लगती,
फागुन में लम्बी बयार;
सर्दी अब धीमे धीमे ढलती ,
दूकानों में सजी गुलाल !
टेसू की अधखिली है डाल !!! … फागुन आया

दहन होलिका जली बुराई ;
नए धान की हुई सिकाई,
होली में नन्हे की ढूँढ ;
ये हुई नजर उतराई ,
नानी दादी का नन्हा लाल!
निखरा हुआ कैसा जमाल !!!…  फागुन आया

ऐसी होली ऐसा खुमार ;
लुत्फ़ उठाना  बेशुमार,
धूमधाम से मने होली;
दूर करो असुर  अहंकार ,
रंग दो रंग दो सबके भाल !
दूर कर सारे जंजाल!!!…  फागुन आया








Sunday, March 1, 2015

 कभी नश्तर भी चुभ जाए तो खूं  नहीं बहता
छुपा लेती हूँ आँख जो खून के आंसू रोती है।  .... ''तनु ''