Labels

Wednesday, February 28, 2018

उड्यो है गुलाल रंग


उड्यो  है गुलाल रंग, गाल भाल लाल हुया !
अंग अंग गोपिन के,    इठलायो फागण है !!

घडी इक गोपी संग ,  घडी इक ग्वाल संग !
भोर से गोधूलि तक,   रंगलायो फागण है !! 

अनंग रो उत्सव है, अनबोली चाहत लई !   
डालियाँ झकझोरे है, पगलायो फागण है !!

कलियाँ ले झूमी डाल, बदली ग्या चाल ढाल !
ढप औ मृदंग लई ,      इतरायो फागण है !!

देखो जी चंग वाजे,  गली हुड़दंग साजे !
टोली ''तनु'' टोलियाँ रे, हुरियायो फागण है !! ... ''तनु''




गहर अंधेरी भँवर दुनिया



गहर अंधेरी भँवर दुनिया   लोभ के विषधर डसे ,
मान अपमान सदा रुलाये ना उलझ बकोट कसे !
जब बजे  बाँसुरी जीवन की, तू खुशियाँ ले समेट , ,,,
काया की ड़ाल सुनहरी रे ,आत्म का फूल हँसे !!... ''तनु''

Tuesday, February 27, 2018



जब मंद पवन की मादकता,
मन भाव हिलोर ले !
जब रुनझुन पायल किंकिणियाँ, 
धीमी चहुँओर  रे ---

नयनन सोहे रंग सिंदूरी,
 प्रीत दुनी हो गयी , ,,,,
टेसू मन में खुशियाँ बोते, 
है लगन अछोर रे ----

जब प्रीत प्रेम के दाम नहीं 
चाह सजाती रूप 
देह जगाती कामना 
तुम प्रिय चितचोर रे ---

महुआ तरुवर गदराया है 
महका है हर ठौर 
केसर क्यारी धूप चली है 
बाँध नेह डोर रे ---
... ''तनु''



Monday, February 26, 2018

जब मंद पवन की मादकता

जब मंद पवन की मादकता, मन भाव हिलोर रे 
जब रुनझुन पायल किंकिणियाँ , धीमी चहुँओर रे 
नयनन सोहे रंग सिंदूरी, प्रीत दुनी हो रही, ,,,,
बसंत मन में खुशियाँ बोता , है लगन अछोर रे ----''तनु''

Sunday, February 25, 2018

उडा है गुलाल रंग , गाल भाल लाल हुए !



उडा है गुलाल रंग , गाल भाल लाल हुए !
अंग अंग गोपिन के , इठलाया फागुन है !!

आस परम की लगी,  ध्यान में मगन भई !
हिय में हुलास भर  ,  मनभाया फागुन है !!

बिरहन का जियरा ले, धीमे से हुई भोर !
यादों के अहसासों में,  अलसाया फागुन है !!

कबहुँक  गोपी संग , कबहुँक ग्वालों संग !
भोर से गोधूलि तक , रंगलाया फागुन है !! 

ढल गयी शीत अब ,  भ्रमरों ने गाये गीत !
अलि कली नाच रही , थिरकाया फागुन है !!

अनंग के उत्सव में , अनकही चाहत में !
डालियाँ झकझोरती , पगलाया फागुन है !!

कलियाँ ले झूमी डाल, बदले हैं चाल ढाल !
ढप और मृदंग ले,      इतराया फागुन है !!

देखो अब चंग बजी , गली हुड़दंग मची !
टोली ''तनु'' टोलियों में,  हुरियाया फागुन है !! ... ''तनु''

Friday, February 23, 2018



 बसंत हूँ  मन भरा नहीं हूँ !

 हरियाया पर हरा नहीं हूँ  !!

 मेरे मन का आँगन सूना !

 पारिजात पर झरा नहीं हूँ  !!

 कसौटियाँ ही कसौटियाँ हैं   
 सोना फिर भी खरा नहीं हूँ  !!

 कभी सजाया कितना सँवरा 
 मयंक सा पर करा नहीं हूँ  !!

 कभी अनहद नाद सुनता हूँ !
 अपरा हूँ मैं    परा नहीं हूँ !!

 दर्द सभी का सुन कर रोता ! 
 विगलित हूँ पर गरा नहीं हूँ !!

 मुझ में सबके प्राण समाये !
 पोषण दूँ पर धरा नहीं हूँ !!

 शायद सबकी अभिलाषा हूँ !
 ज़िंदा हूँ मैं       मरा नहीं हूँ !!

''तनु'' क्षण क्षय है क्षरित रहा है !
 नश्वर सभी     अक्षरा नहीं हूँ !! ... ''तनु''

Thursday, February 22, 2018

ले फागुन का रंग !


अँखियन बातें कह गया,  ले फागुन का रंग !
रोम रोम महका गया, कुछ पल पी का संग !!

चुपके बहती फगुनिया, तीखी हो या मंद !
रोक रही है राह को,    डाल रही है फंद !!  

मन का टेसू खिल उठा, है तन रंग गुलाल ! 
गुलमोहर है सपन में , झूमी महुआ ड़ाल !!         

ऋतुराज भी अनूप हैं,      कस्तूरी सी साँस !
आज महोत्सव प्रीत का  मनवा में उल्लास !!

कौन मनवा बंधन में,           सब हैं बेपरवाह ! 
गालों पर सबके मिली,  खिली कलियाँ अथाह !!... ''तनु''

Tuesday, February 20, 2018

ना रस जिव्हा पंग री !!


  कलियाँ खिली विहँस विहँस कर, बसंत लाया रंग री ;
  महुआ लहराया महक कर,        मनवा रहे  उमंग री !
  जाग उठी चिड़िया चहक कर ,    गाये कोयल संग री , ,,,  
  फागुन चढ़ा हुलस हुलस कर ,       झूम रहा उद्दंड री !!

  भाल कुमकुम मुख गुलाल कर ,     मना रहे आनंद री ;
   गोप -गोपी ,बाल -ग्वाल सब,        ढोल बजावै  चंग री !
   फगुनिया  संग पल्लव पवन ,        उलझे नंग धडंग री , ,,,
   देख लो ऐसा विहान अब ?          इस पूरब के अंग री !!

   गूँज रहे हैं अलि कमलदल ,        ज्यौं देव रहे पंच री ;  
   उड़ी धवल पाँत बगलन नभ,     मन धोय रहे पंक री !   
   फूल तितलियाँ पंख मलमल ,        नैनन देखे दंग री , ,,
   ज्यों लेखनिका रंक मसि बिन , ना रस जिव्हा पंग री !!... ''तनु ''

Sunday, February 18, 2018

बसंत आया खुशियाँ लुटाने के लिए !

बसंत आया खुशियाँ लुटाने के लिए !
हँसने लगी वादियाँ   हँसाने के लिए !!

पतझड़ गया मुड़ के पीछे देखो न तुम !
खिलती रही कलियाँ साथ पाने के लिए !! 

प्रकृति के प्यार संग गा रही है धरती 
सुनाती कहानियाँ ,गुनगुनाने के लिए !!

खिल गये  है फूल और गा रहे भौंरे ! 
ये जिंदगानियाँ साथ निभाने के लिए !!

चलिए दो कदम साथ दिन है सुहाना !
छोड़िये  रुसवाइयाँ   फ़साने के लिए  !!... ''तनु''

Friday, February 16, 2018

ये पर्दा -ए -दिल हमें नजर क्यों आता नहीं,
रम्ज़ हर्फ़-ए-दुआ बन नज़र क्यों आता नहीं !

कितने पर्दे और कितने रंगों का है जेहन,
आइना रक्खूँ कहाँ नज़र क्यों आता नहीं !

ये चुप सी क्यों लगी है दीयों की लवों में,
सिलसिला रौशनी का नज़र क्यों आता नहीं !

ख़िज़ाँ गयी क्यों सूखे हैं शजर अभी भी,
बहारों का वो मौसम नज़र क्यों आता नहीं!

जंग के लिए हाथों में तो खंज़र ही उठ गए,   
दुआ में  उठता हाथ नज़र क्यों आता नहीं !

दीजिये दिल और ले भी लीजिये  'तनु',
वो एहसास प्यार का नज़र क्यों आता नहीं!!... ''तनु''



Tuesday, February 13, 2018

प्रेम नगर के बाशिंदे जुड़ गए ;


प्रेम नगर के बाशिंदे जुड़ गए ;
प्रीत लेने प्रेम परिंदे उड़ गए !

गीत गायें,  बुलबुलें नाचें चमन  ;
लेने मधु प्रीत कारिंदे निचुड़ गए  !

चैन से सो लूँ  मेरी  है चाह इक , ,,
पाप से डर सारे दरिंदे मुड़ गए !!

बस्तियाँ हैं चाह की कुछ दूर पर ;
लो खुदा के नुमाइंदे उमड़ गए !!

दिल धड़कता है जज़्बात प्यार के  ;
राग रसिया ले,  साजिन्दे जुड़ गए !!..... तनुजा ''तनु ''

Sunday, February 11, 2018

गालों पर गुलाब खिले



 गालों पर गुलाब खिले , बदल गयी है चाल !
देह मछरिया फँस गयी , कामदेव के जाल !!

 पात हो तुम तो पियरे,   कल का क्या हो ठौर ?
 कल हरियाए से हँसे ,     आज ठिकाना और !!

 पात हैं हम तो पियरे, कल का क्या हो ठौर 
कल हरियाए से हँसे ,   आज ठिकाना और !!.. ''तनु''

एक रसता टूट गयी

एक रसता टूट गयी , आया है मधुमास !
ये उद्घोष वासंती, मुझको आया रास !!

धीरे धीरे झूमते,       सेमल साल पलाश !
वासंतिक बयार में,  हँस रहे अमलतास !!... ''तनु''

मन बहेलिया बाज सा


मन आँगन ऋतुराज है,  जागे हैं उद्गार !
कलम भाव ऐसे झरैं ,     जैसे हो कचनार !!

मन बहेलिया बाज सा ,नहीं मानता हार !
आखर पाखी बींधता,  बार बार हर बार !!

आखर के पाखी उड़े,  रचा राग संसार ! 
वासंती बयार कहे,      मनवा के उद्गार !! 

आँगन में ऋतुराज के, खिला खिला संसार !
भाव लेखनी यों झरै ,  जैसे हो कचनार !!.... ''तनु ''

Thursday, February 8, 2018

काँटे संग पुहुप खिले


  काँटे संग पुहुप खिले , जाने संत महंत !
पतझर को ठुकराय के , पाओगे न बसंत !!

 संदेशन  ऋतुराज का , करे कोकिला गान !
 फिर बसंत लो छा गया, निज पर कर अभिमान !!

डाल बिखरी सुगंध है ,  पिक ने छेड़ा राग !
गुन गुन भौंरे गा रहे ,   पंकज खिले तड़ाग !! ... ''तनु''

Wednesday, February 7, 2018

छा रही मेरे चेहरे पे गहरी उदासी है


छा रही मेरे चेहरे पे गहरी उदासी  है !
हरसमय सीमा पर तना-तनी खासी है !!

कुछ देर चलो हम तुम लिपट कर रो लें !
आ गया है ऋतुराज पर रुत रुआँसी है !!

जो दर रोज़ होता है तो नया क्या हुआ है !
अब तो ताज़ी खबर भी लग रही बासी है !!

सियासत के दावपेंच और सिकती रोटियाँ ! 
भरती न पेट, जो खुद खून की पियासी है !!

इक सबक लिए ठोकरें नई क्यों खायें हम !
चाय गिरी सच में मक्खी , नहीं आभासी है !!

हर दिन ''तनु'' माँ के लाल शहीद होने लगे !
घोंपते पीठ में छुरा क्या ये बात जरा सी है !!... 'तनु'



Tuesday, February 6, 2018

रेखा  / लकीर 

ये किरण लकीर सी चली, --जा बूँद में बनी इन्द्रधनुष  ,
कल्पना कवि की साकार हुई, --जब धुला मन का कलुष ,
खुशियों के चमन खिल गये,------- आई जीवन में बहार !!!
देख लो !!! हर कोई ही चाहे आशाओं का इन्द्रधनुष !.... ''तनु ''


सोचो जो ये इन्द्रधनुष रंगों की इक रेखा होता ?? 
क्या इतने प्यार से फिर तुमने इसको देखा होता ??
धरा निहारते टिकी क्षितिज पर जब इठलाती चितवन ,  
मिलना धरती अम्बर का ऐसा कहीं देखा होता ??.... ''तनु ''

लकीर का फ़कीर,…न होना तू  कभी ,
हाथ की लकीर में. न खोना तू कभी ,
पुरुषार्थ ही जीवन का  तू ध्येय रख.
आफतों में घिर कर   न रोना तू कभी !!! ''तनु ''

अंजुमन में अज़ीम  -ओ- अज़ीज़ हैं आये हुए 
आँखों में काजल की रेखा ओ गेसू हैं लहराए हुए 
दिल की राहें हैं अलग औ खूबसूरती एक तरफ 
फैज़ बन कह दूँ मैं कुछ फ़ाज़िल भी हैं आये हुए 

माथे पे लकीरें चहरे पर शिकन नहीं देखी 
सदा कर्मठ रहे शरीर में थकन नहीं देखी 
ऐसे हैं मेरे पिता और पिता के पिता भी 
लक्ष्यहीन नहीं देखा कभी भटकन नही देखी 

न आये तुम्हे कुछ तो कोई बात नहीं यूँ शरमाया न करो 
किसी और की रचना को अपना  कभी यूँ बनाया न करो 
तुम जैसे भी हो वैसे ही मुझे अच्छे लगते हो 
चलते - चलते सागर किनारे  रेत के घर यूँ बनाया न करो 












मेरे छोटे भैया सुधांशु पटेल ने मेरे शेर को कुछ इस तरह से तोडा मरोडा है ..........वाह ...यह शेर एसा हो गया है ..वाह..आप भी गौर फरमायें वाह   

कल जो दुश्मनी निभा गया मुझ गरीब से
 आज वो मुस्कुरा के गुजरा मैरे करीब से
 दुश्मनी उसकी दोस्ती से ज्यादा नफीस है
 सलामते दुश्मनी की दुआ माँगता हूँ रकीब से,,, सुधांशु पटेल 
लिबास !!!

पहले मेरी कविता थी एक ----  लिबास में
नन्ही अंगुलियाँ झांकती एक -- लिबास में
वक्त की करवट और अब कविता बन गयी दुल्हन
नज़ाकत है शर्म भी है छुपी एक  --  लिबास में

कोहरे की चादर पर्वतों का लिबास बन गयी
शीत की धुंध नज़ारों का लिबास बन गयी
पहाड़ का जेहन तोड़ने आसमाँ झुक गया 
बहती हुई नदी धरा  का लिबास बन गयी

मेरा लिबास फटा है---- फटा ही रहने दो
घटा का खिजाब घटा है घटा ही रहने दो  
ये शोर दिखावटी रहनुमाओं की भूख है 
शोहरत का चाँद कटा है कटा ही रहने दो 

बहर नहीं, वज्न नहीं, ग़ज़ल नहीं  …  किताब  भी नहीं
काजल नहीं, महक नहीं, अलंकार नहीं .  खिताब भी नहीं
दाद तो रियाज़ आवाज़ अंदाज़ और अलफ़ाज़ पे मिलती है
बात नहीं तहजीब नहीं तरतीब  नही … लिबास भी नहीं 

मन में मैल और लिबास बदलने से क्या फ़ायदा 
आँखों में शोखी और हिजाब बदलने से क्या फायदा 
डाका, चोरी और इल्ज़ामात कई लिए हुए हैं वो  
नज़र दरोगा की है निवास बदलने से क्या फ़ायदा। ... ''तनु ''
  निगाहें जाती है जहाँ तक, ये आसमान मेरा है ;
 कहे उफ़ुक़ समंदर ये लहर,  ये जहान भी मेरा है !
 चलती रही हूँ मैं  जहाँ तक,     लहरें आ ही जाएँगी , ,,, 
 अभी उस चाँद तक जाऊँगी,  वो निगहबान मेरा है !! .. ''तनु'' 

नव वर्ष 

अभी तो एक कदम ही चले, बहुत संघर्ष बाकी है;
अंधियारे की रजनी ढले , बहुत उत्कर्ष बाकी है !
कलम की धार पैनी हो कटे विचारों की फसल, ,,
सृजन मार्जन परिमार्जन ज्ञान सहर्ष बाकी है !!...तनु 

Monday, February 5, 2018


शाम ही से हुआ खफा देखो ;
शाम ही से दुआ दवा देखो !!

दिल जलाया अभी अभी उसने ;
दूर ही से रवा दवा देखो !!

रंग फूलों सा  ''संग'' ले चले ;
उलझन में रहा बागबा देखो !!

शाख फूलों भरी कहाँ ज़ख़्मी ;
खार सब ही हुए महरबा देखो !!

शाम ढलती रही बिना उसके ;
आज ऐसा सितम सहा देखो !!

क्यों धुँआ दे रहे जिस्म जां भी ;
आतिश है रग रग में रवा देखो !!

कौन चला ये अभी अभी आगे ;
ज़िंद खोकर रहा जवा देखो !!,,,,तनूजा ''तनु ''

रुत आई पतझड़ की




रुत आई पतझड़ की कानन में पात निपात रहे; 


फिर वसंत के आगमन वन में साज निवाज रहे!
  
पिक बैनो ने गूँज लगाई तन उल्लासित हो गया; 
  
प्रकृति संग जन जन के मन में राज विराज रहे !!.... तनुजा ''तनु ''

Friday, February 2, 2018

तुम सर्वज्ञ ;


जान कर अनजान बन कहाँ हो तुम सर्वज्ञ ;
भूल कर सबके मर्म को रहे न अब मर्मज्ञ !
छली गयी बेटी टूटे रिश्ते खोया धर्म , ,,
जाने किस भुलावे में तुम बन गये स्थितप्रज्ञ !!... ''तनु''

कौन बाज


कौन बाज आये गर बाज ही न हो ;
कौन बाज़ आये गर राज़ ही न हो !
बाज़ ही रहते हैं और बाज़ नहीं आते , ,,
फिर कौन बात करे जब बाज़ ही न हो !!... ''तनु''

पल पल मेरे साथ है

पल पल मेरे साथ है ,   चलती है इतराय ,
झूठ मूठ हँसती कभी, कभी देती रुलाय !
कभी देती रुलाय, मौज में अपनी रहती ,
इत उत ढूँढूँ जाय ,   भावना में है बहती !
बरसों से है साथ ,  कहे नदिया ये  कल कल !
जितना दुरूह पाथ ,     मेरे साथ है पल पल !!.. ''तनु''

नसीब तेरा सवाल ऐसा था !



रोटियों का सवाल ऐसा था !
नसीब तेरा सवाल ऐसा था !!

गोल चपटी नक्श लिए फूली !
सोँधी  रोटी सवाल ऐसा था !!..

ठंढी या जली, पकी कच्ची ही हो !
पतले मोटों का सवाल ऐसा था !!

रोटी तो हाल हर चाहिए साहब !
नेक ही था पर ख़याल ऐसा था !!

हाथ की किस लकीर में खोया !
कौड़ियों का सवाल ऐसा था !!

रोटियाँ जब सिकी सिकती गयी !
मौजियों का जवाल ऐसा था !!

परत परतें जली मिली मौला  ! 

था नहीं पर इक़बाल ऐसा था !!

नोचती थी निगाह भूखी थी 
 बोटियों का सवाल ऐसा था .. ''तनु''





Thursday, February 1, 2018

सूखा तन रोटियों का सवाल ऐसा था !



सूखा तन रोटियों का सवाल ऐसा था !
 बेदम हूँ रोटियों का सवाल ऐसा था !!

सब ने अपने अपने तरीके से सोचा !
आखिर रोटियों का सवाल ऐसा था !!

जली परत ही रोटी की मिल जाए मौला  !
 बोटियाँ नहीं, रोटियों का सवाल ऐसा था !!

कितनी हथेलियों की घिसी लकीरें !
नहीं था किस्मत का सवाल ऐसा था !!

गोल होकर फूली पेट सभी का भरा 
छदाम कौड़ियों का सवाल ऐसा था !!

कभी उन्माद में भी खोयी न रोटियाँ !
सिकती रोटियों का सवाल ऐसा था !!

रोटी तो रोटी है साहब हर हाल चाहिए !
ठंढी-बासी रोटियों का सवाल ऐसा था !!... ''तनु''