Labels

Saturday, March 29, 2014

अंधेरा घुप्प ?
कभी देखकर भी चुप्‍प ??
हाय नियति  !!
ये बुद्धिजीवी की कैसी ??????
एक दर्द अंदर लेकर जीना है !
लगता है सबको अभी कुछ और भोगना है !!
बुरी बातों के मजे लूटते खुश हो हो कर ,
अच्छी बाते मान न पाते मन मानी कर कर!
एक दर्द अंदर लेकर जीना है !
लगता है सबको अभी कुछ और भोगना है !!   तनुजा ''तनु'' 
बंदा   !!!!!!!!!!!!
 अकेला ही आया,
 अकेला ही जायेगा !
 कोई अपना कभी,
 हुआ ही नहीं !!
 ये जो भ्रम है इससे,
 तू कभी निकला ही नहीं !!  तनुजा ''तनु''
कवि नदी की  धार है ,
कवि गुलों की बहार है ,
ग़म में भी ख़ुशी के तराने छेड़ता !
कवि बेकरार जी का करार है !!

Friday, March 28, 2014

नव संवत्सर   ............. 

''नवसंवत्सर''  ''उगादि''  ''चैतीचांद''  ''गुड़ीपड़वा''  की  हार्दिक बधाइयाँ 

प्रस्फुटित हुई कली
कहानी
''आदि ''से
अंत तक चली
बनी कहानी युग की

''उगादि ''

पडवा पर चाँद
पहला
धीरे धीरे होता
रुपहला
चैत्र का विशेष चाँद

''चेती चाँद''

पड़वा
देवी का आव्हान
माँ
वंदन
वंदन अभिनंदन
 
''गुडी पाड़वा ''

सम्मिलित
स्वर  में अग्रसर
''अभिनन्दन नवसंवत्सर'' 


Thursday, March 27, 2014

हुआ है  …………


शायद कुछ शोर सा हुआ है ,
जो सुन रहे हैं वो सुना हुआ है,
जब दस बार एक ही खबर सुन ली जाए !
इसलिए तो सब अनसुना हुआ है !!

एक वृक्ष मिटटी में सोया हुआ है ,
एक बीज मिटटी में खोया हुआ है ,
कल अंकुरित होकर पलेगा बढ़ेगा !
ये विधाता का किया हुआ है !!

मेरी नज़रों को आज ये धोख़ा  हुआ है ,
चाँद बादलों में क्यों खोया हुआ है ,
ये यहाँ नहीं तो कहाँ हैं ए दिल !
फिजा ऐसी के मन मचला हुआ है !!

शहर मेरा आज यूँ अंजाना हुआ है ,
कोई मेरा आज बेगाना हुआ है ,
सीमेंट  कांक्रीट के इस जंगल में !
एक पंछी का नीड़ उजड़ा हुआ है !!


इश्क जताया नहीं जाता
इश्क बताया नहीं जाता
मैं तेरे दिल में हूँ मैं कहीं भी रहूँ
ये विश्वास है ये तोडा नहीं जाता 
इक नदी की हिलोर बन के आ जाओ ,
कभी तो बहार बन के छा  जाओ ,
दामन मेरा खुशियों से क्यों खाली है  ?
मेरे मन का करार बन के आ जाओ !!

Wednesday, March 26, 2014

ज्वालामुखी  ……… 



मैं सुप्त हूँ मैं दग्ध हूँ !
मैं बोलकर भी नि:शब्द हूँ !!
भूमिगत हो अभिशप्त हूँ !
मैं सुप्त हूँ मैं दग्ध हूँ !!

 जल जाते अनगिन गाँव !
 जम जाते अगणित ठांव !!
 अथाह जल अगणित ज्वालाएँ , 
 अपने अंतर  समेटे हूँ !
 मैं तल्प लेकर तल्ख़ हूँ !!
 मैं सुप्त हूँ मैं दग्ध हूँ !!!

मेंरे आगे भूकम्प प्रबल !
मेंरे पीछे सुनामी सबल !!
आकार नहीं निराकार नहीं , 
धरती अम्बर लपेटे हूँ !
मैं तख़्त लेकर बेतख्त हूँ !!
मैं सुप्त हूँ मैं दग्ध हूँ !!!

करती दुर्देव से मुलाकातें !
काली  अमावस की रातें !!
मैं नव नवीन प्रणेता हूँ ,
अपना इतिहास रचेता हूँ !
मैं तत्व लेकर तत्वज्ञ हूँ !!
मैं सुप्त हूँ मैं दग्ध हूँ !!!

पाषाण हृदय को भेद भेद !
पावक ज्वालायें फटती हैं !!
धरती का सीना चीर चीर ,
जीव समस्त निपेटा हूँ !
तथापि मैं तद्रूप हूँ !!
मैं सुप्त हूँ मैं दग्ध हूँ !!!

भूडोल जायेगी लावा बिखर जाएगा !
गात और पात सब जल जाएगा !!
प्रात रात को भेद भेद ,
कठिन उदगार उलीचा हूँ !
मैं तर्ष लेकर तर्पित हूँ !!
मैं सुप्त हूँ मैं दग्ध हूँ !!!………… तनुजा '' तनु ''

बंद और बंधन 


बंधन टूटे ,
जीवन पाया ,
माँ ,
का आँचल पाया !


मुट्ठी बंद ,
चिट्ठी किस्मत की !
मुट्ठी में.  ..........


बंद ,
आँखों में सपने ,
जीवन के !!


बंद ,
मुट्ठी में ,
रेखाएं है!
किस्मत की !!


बंधन ,
पगड़ी का !
बल में आन !!


मुट्ठी न खुले !
पगड़ी न खुले !!
सुनहरी सपने !!!
नयनों में घुले !!!!




तेल देखो और तेल की धार देखो
गंजों के सिर कंघे संवार रहे देखो
रोती रही जनता अश्रु की धार देखो
लेती रही इससे उससे उधार देखो
नेताओं की जब तब बहार देखो
इसकी गलती उसके रहे डार देखो
अपनी गलती नहीं रहे सुधार देखो .......तनुजा  ''तनु ''......... 19 01 2014 
जाने वाले............. 


कभी कभी न चाहकर हमें अपनों को खोना है
कुछ स्थिर नहीं रहता वही होता है जो होना है
ये उगते डूबते चाँद सितारे भी सदा नहीं कायम
हम कुछ  भी  नहीं हमें भी तो अस्त होना है



माँ  ……… 

माँ !
 एक फूल सहेजे है  ..........
कलाकार !!
 कला सहेजे है
 कृति मानव की
 मानव  में समेटे है
माँ !
 एक फूल सहेजे है  ……। 
क्षणिकाएँ 


धड़कनों से ही   ………  तो सुना !
ख्वाब बिखरने का दर्द  !!
हथेली पे थी सरसों ?
जमी ही नहीं  …………


मैं खुद से लड़ूं या तुझसे ?
तू मन ,
तस्वीर,
पन्नो में..........
कहीं भी नहीं 
खुदा  क्या बतलाये..
खुद के बारे में ... ?


चले तो जाते हैं सब  …
न जाने किस सच की तलाश में !
तुम्हारे पास तो साँसे हैं ?
तुम यहाँ ?
किस सच की
तलाश में  .......... ?


सपनों के रंग .... रंग कहीं ,
पंछी उड़े  …उड़े किसी के संग कहीं  …
शब्दों में बंधे  या चित्रों में ?
छुपा के रख लो पन्नों में कहीं !!


ताजमहल है शाहजहां की आँखों का नूर
कभी दिल में तो कभी पत्थर में दबा
मुमताज का नूर
शाहजहां मुमताज के पास है
शाहजहां नहीं मुमताज़ से दूर  ………


ठहरी ठहरी आँखों में कुछ  स्वपन  से भरे ,
चित्रकार की चित्रकारी में कविता के रंग भरे !!
आज और कल की कश्ती पर सवार हैं सब ,
बीता  कल था आज सामने कमाल रंग हैं भरे !!


दुकानों पर  ……
सामान ,
सड़क पर  ……
आदमी ,
कीमत सामान की ,
आदमी की कीमत  ,
 से ज्यादा है  ………


तेरी मेहर का ही है भरोसा  ,
नियामत तेरी हमेशा से हम पर है ,
तू ही साथ है तू ही साथ है !!!!



सांईं !!
सुमिरिनी फेरी,
 हमने  ……।
 एक !!
एक ही रही,
 एक सौ आठ मोती  !!!


व्यवहार बदलो जग बदलेगा ,
आप खोने से जग हंसेगा !
सच्चा संत है अपना दिल ,
उसके जैसा नहीं मुक़ाबिल !!







Tuesday, March 25, 2014

शाम होते ही पाप करते हो
 सुबह मंदिर क्यों जाते हो
जिंदगी क्यों जीते दिखावे की
भगवान को भ्रम से बहलाते हो

कर्मों की राह को पुण्यों से सींच
आत्म संयम की रेखा को खींच
भव बंधन को कर शिथिल
भव पार कर नयनों को मींच

जो जीव फंसे मझधार हैं
जिनके राम नाम आधार हैं
खाते शबरी के बेर जो
वही तो जीव के तारणहार हैं

उनकी शरण भवभंजन करे
 उनके गान  मन गुंजित करे
तू अनहद नाद से भर प्राण रे
तू गा हरे हरे तू  गा हरे हरे



शराब    ................ 



एक एक दिन से जिंदगी तबाह हुई ,
शरीर तबाह हुआ जिंदगी लाचार हुई ,
दर दर को भटकते मजबूर हैं उनके बच्चे ,
बेटा अशिक्षित रहा बेटी अनाथ हुई !

क्या गटर में गिर कर स्वर्ग देखता है !
क्या जीते जी मरकर नरक देखता है !!
खूब जी भर के गला लो जवानी अपनी !!!
जूते चप्पल को सर अपने पड़ते देखता है !!!!

बेचने वाले भी बर्बाद होते हैं ,
बद्दुआओं के शिकार होते हैं !
पीता एक है असर कइयों पे होता है ,
परिवार पूरे तबाह होते हैं !

पीकर झूम झूम चले !
दुनिया को डराने चले !!
चाहे नशा हो या न हो !
लहराते मदमाते चले !!









कुदरत के प्याले झील से गहरे होते है ,
कुदरत के शिवाले पर्वत से ऊँचे होते है !
दिलों को दिल से मिला कर चल दो ,
चाहने वालों  के दिल बड़े होते हैं
प्याला   ............. 

 प्रेम का  प्याला पिया पिया ,
  दुःख निवृत हो जिया जिया ,
  ध्यान धारणा से मिली समाधि ,
  जपूं राम और सिया सिया !!

सूरज ने ओस समेटी बादलों में भर दी !
बादलों ने बरसाई और धरा में भर दी !!
तू ही देता तू  ही लेता ओ ऊपर वाले !
मांगे बिन तूने सबकी झोलियाँ भर दी !!

नैन पियाले आंसू के !
कैसे क्यों ये छलके !!
दिल में कुछ दर्द भरा था !
आया वो भर भर के !!

हूँ भर कर भी रीता रीता ,
अहसान तले क्यूँ कर जीता !
आज तो सारा हिसाब हो जाए ,
मैं मर मर  क्यों  हूँ जीता !!

दुआएं दो कि दामन कम पड़ जाये ,
नियामत इतनी कि झोली भर जाये !
उठा कर ले के चलो भरे प्याले को ,
इक बूंद भी छलक कर गिर न जाये !!

 इक बूंद इक घूँट  में फर्क होता है ,
 पूरी बोतल से क्यूँ गर्क होता है !
 पीने वाला पीकर तमाम हो जाये ,
 ये आब नहीं है ये जहर होता है !

 पीकर वो बहक बहक गए,
 अरमान सारे मचल मचल गए !
 हम न रहे हम  तुम  न रहे तुम अब ,
 न जाने क्यूँ  हम बदल बदल गए !!





















Monday, March 24, 2014

ज़ख़म


जख्म में दर्द भी है , जख्म में रोना भी है
जख्म में पाना भी है  , जख्म में खोना भी है
आ तू आकर पुराने ज़ख्मों को हरा कर दे ,
सूख कर रिसना भी है , रिस कर सूखना भी है !! .......... तनुजा ''तनु ''

दायित्व  ……………… 



 दायित्व हमारा मिटटी के लिए ,
 हमें जन्मा है उसके लिए !

अक्षरा धरा अक्षुण्ण रहे ,
ये तन मन है उसके लिए !!

दायित्व नमक के मोल सा ,
दायित्व ख़ुशी के ढोल सा !
सिर्फ कंधे ही नहीं उठाते उसको ,
जीवंत जीवन अनमोल सा !!

दायित्व मांग का सिंदूर है ,
ये झिलमिल होती बिंदिया है !
दायित्व माँ के दूध सा पावन ,
दायित्व कोर काजल की  है !!

है जन जन के प्रबल मन ,
है दायित्व उठा ऊपर उठते मन !
है झुकने वाला भार उठा सकता,
है जीना क्या पलायन वादी बन !!

भोर से संध्या की ओर ,
लगी जीवन से जीवन की डोर !
अथक अनबूझ बूझे पल ,
फिर संध्या से भोर की ओर !! ……………… तनुजा  ''तनु ''



Sunday, March 23, 2014

फाग उत्सव में ''भाग'' ले हर कोई, 
भाग उत्सव में ''फाग'' फाग न होई !
फाग में भाग ये बड़े मज़े की बात है, 
भाग भाग फाग ना करे कोई !!  तनुजा''तनु'' 
परवाज़ 

चंद लम्हों की ही परवाज थी ,
उड़ते ही सहारे की मोहताज थी!
घायल पंखों से हाय ....... उड़ना कैसा ?
पाखी की ये दर्द भरी आवाज़ थी !!

''पर ''  …   म्हारा ने मालम हे ,
ऊँची उड़ान कसी वे !
घणा किस्सा हे,
म्हारी ऊँची उड़ान का !
''पर ''   … म्हारा रामजी ,
म्हने  नजरां में राखजो !
वातां म्हे करूँ म्हारी,
म्हने  माफ़ करजो !!… तनुजा ''तनु '' 
ये बदलते दौर का आग़ाज है ,
उलटी हवाओं में परवाज़ है !
सिर्फ हौसलों का ही दम न भरना तुम ,
यही इस वक्त की आवाज़ है !!,,,,तनुजा  ''तनु ''

बिना  जज्बात अल्फाज होते ही नहीं हैं ,
किस्मत हो सोयी जज्बात होते ही नहीं हैं !
अंजाम तक पहुँचना बहुत दूर की बात होगी ,
 आग़ाज  बिना अंजाम  होता ही नहीं है ! .... तनुजा ''तनु '' 
परवाज , उड़ान 



          (1 )           
पंख क्या परवाज़ क्या ?
कंठ और आवाज़ क्या  ?
हौंसले के गीत हैं  जोशीले ,
अब राग क्या तूफ़ान क्या  ?




                  (2)
ये बदलते दौर का आग़ाज है ,
उलटी हवाओं में परवाज़ है !
सिर्फ हौंसलों का ही दम नहीं भरते ,
कथनी और करनी पर हमें विश्वास है !!




                     (3)
उड़ान को है कुछ शेष पल ,
जाग्रत मन के विशेष पल !
पंछी ये फिर उड़ जायेगा ,
न आएगा फिर कल ये पल!!



                (4)
नाजुक कोमल पंखों की ,
आँखों में सजे सपनों की !
उड़ान अभी भी बाकी है ,
आहट लेकर अपनों की !!

                (5)
पंछी पंख से नाकारा हुआ ,
कुछ पलों में ही बेचारा हुआ !
थे ऊँची उड़ान के हौसले उसके ,
हाय दुर्देव ये क्योंकर हुआ !!



                     (6)
ऊँची उड़ान का सपना लेकर  चलो ,
गैरों को भी साथ लेकर  चलो !
अब कोई तूफान न रोक पायेगा ,
बुलंदियों की  चाह लेकर  चलो !!


                       (7)
रात का ठिकाना तो कहीं करना है ,
कल तुझको फिर उड़ान भरना है !
आ शरीर को थोड़ी  राहत  दे दें ,
कल कोई  तो काम  करना है !!
                   

                     (8)
मैं ऊँची परवाज़ का दम भरता था
उडता नहीं सिर्फ आह भरता था
अक्सर ये बात गलत होती है
मैं काम  नहीं सिर्फ बात करता था


                    (9 )
मेंरे ''पर'' वाक़िफ हैं ऊँची परवाज़ के ,
चंद वाकये गुजारिश है 'बा'' आदाब के !
मेंरी राहों पे नज़र बनाये रखना ,
कुछ किस्से हैं गोया ''बा' आवाज़ के !!



                    ( 10 )
परवाज़ ही परवाज़ थी  बेपरवाही से ,
जिंदगी यूँ ही गुजारी लापरवाही से !
अब ये जिंदगी संवार दे मौला ,
तंग आ गया हूँ इस आवा जाही से !!



                   (11 )
मेंरी परवाज़ तुम तक ही थी मौला ,
अब करम मुझ पर ही हो   मौला !
राह में  मेरी गम और बड़ी तन्हाई है ,
आ संवार दे मेरी किस्मत मौला !!



                       ( 12 )
तूफां  ने मेरी परवाज़ का रुख मोड़ दिया ,
बहार ओ चमन से बयाबां की तरफ मोड़ दिया !
क्या गम है बसने और उजड़ जाने का ,
तुझ पर ही भरोसा था तूने ही क्यों छोड़ दिया !!




                        ( 13 )
लो उठाई थी कसम ऊँची परवाज़ की ,
अब बन गयी कहानी मेरी परवाज़ की !
क्यूँ हौसले तमाम पस्त हो गए मेरे,
सुन  तबाही मेरी परवाज़ की !!………………तनुजा  ''तनु ''




Saturday, March 22, 2014

शहीद गान 


गाओ  कि बहारें  गान करती है ,
तुम्हारे गुणों का बखान करती है.!
है और भी किस्से हैं बहुत सुनाने को,
फ़क्त शहीदों को सलाम करती है !!

दिलों को रौंदता सागर जो बहता,
कभी कभी उसमें ज्वार आ जाता !
नम होती आँखों की बारिश रूकती ही नहीं ,
कभी कोई किसी को अकेला कर जाता !!

आज मिलकर हम याद कर लें उनको ,
श्रद्धा सुमन आज हमारे हैं भेंट उनको !
कुर्बानी उनकी कभी व्यर्थ न जायेगी ,
आदर से दिल में बिठा लें हम उनको !!…………तनुजा ''तनु ''30   01 . 1975




Thursday, March 20, 2014

         नवसंवत्सर …………… 

           चैत में ,
           नवा वरस रा नवा दने !
           हँसता हँसता  री जो जी !!
           चैत में ,
           कदी गरमी ,
           कदी सरदी सतावे है.
           जद नवो वरस आवे हे!!
            दन री घाम,
            घणी खराब लागे,
            बदलती हवा,
            सगळा ने मांदा कर जावे हे !
           आपणों जापतो राखजो जी  !!
            चैत में
            मन खुसी रा गीत गावे हे,
            तेवार बी अणा दना में ,
            घणा आवे हे ,
            घर री बवां रे  सजी धजी!
            बेन बेट्यां रे हाथां  से ,
            मेंदी री सौन्दी खसबू आवे हे  !!
            सजता धजता रीजो जी
            चैत में ,
            माताजी सी सक्ति राखो  ने !
            माताजी ने  पूजो जी !!
            रामजी सी मरजादा राखो ने !
            रामजी ने पूजो  जी !!
            संकर जी सो तप करो  ने !
            संकर जी ने पूजो जी !!
            चैत में ,
            नवा वरस रा नवा दने!
            हँसता हँसता  री जो  जी!! ............. तनुजा  ''तनु '' 20 03 2014






Wednesday, March 19, 2014

दुनिया बड़ी जालिम है छोड़ दीजिये होना सुस्त !
जा करके हिमालय हो जाइये चुस्त दुरुस्त !!
हो जाइये चुस्त दुरुस्त ... छानिये एसी मस्ती !
योगी हो बन जाइये दुनिया की ऊँची हस्ती !!
दुनिया दारी से दूर रहके भी बंदे रहते मस्त !
एसे में कोई भी क्यों रह पाये होकर पस्तमपस्त !! .............तनुजा ''तनु'' 

पिता …………… 

पिता ,
और
पिता के पिता को भी
  सदा
ऐसा ही देखा।
भाल पर थी चमक !
अद्भुत चमक !!
न कोई शिकन ,
कोई रेखा !
सदा मेहनती ,
सदा ही कर्मठ !
दिन भर के थके!
कभी न रुके !
पसीने की बूंदें !
रह रह के टपके!!
  पाकर   ………
हमारे चेहरे की ख़ुशी ,
  उनकी ,
फैली आँखों में !
तैयारी कल की ,
सुकून दिल का !
जुटाने कल
नीड़ का तिनका  !! ............. तनुजा ''तनु '' 07 09 2012



पिता मुंह का कौर खिलाते  ..
गर्मिली थपकी थपकाते।
हैं तो सारे ग़म भुलाते  …
न हो तो एहसास दिलाते।  
हम पथिक हैं डगर कठिन है ..
पिता हमको राह दिखाते ……………तनुजा ''तनु''  07 09 2012





हो दिल
मस्ती में  तो
गुलाल उड़ायें हम
हो देश
मेरा खुशहाल
तो फाग गायें हम
हर दिन
एक अलग सा डर
है  हमको खाये जाता
कैसे मरते हुए को जिन्दा बतलाएं हम

वो होली क्या
जिसमें अमन जल जाए
चारों तरफ
नफरत की  आग लग जाए
है बम और बारूद
अपने पाँव के नीचे
सम्भालना पाँव कहीं घायल न हो जाए

मचाते शोर
ये  नेता
'कुर्सी ''आज मेरी है
ये स्व देश मेरा है
ये जन मानस मेरा है
पकाते स्वार्थ की खिचड़ी
लगाते दांव पर पगड़ी
रो रही जनता न जाने क्या झमेला है

याद है
वो गुलाल
भाल पर जो
आपके लगाया था
बड़ी आशाएं ले ले के
एक  सपना सजाया  था
तुम तो भ्रष्ट हो हो कर
नीचे गिर गए  इतने
उसी गुलाल को
तुमने किसी के खूं में मिलाया था


 वतन की
 बागडोर
 हाथ में लेकर
 तुम सवारोगे शान भारत की
तुम निखारोगे आन भारत की
कभी न डूबने देना नाम भारत का
कभी न डूबने देना नाम भारत का  ………… तनूजा ''तनु ''







क्यों ???? अल्पविराम ख़त्म हुए ?
क्यों ??? विराम खत्म हुए ?
जब भी कहीं कोई अंत हुआ ,
स्वप्न वहीँ से शुरू हुए……।

स्वप्न अंकुरित होने का !
स्वप्न पल्लवित होने का !!
तूफान आंधी न आये कभी,
अब समय फलित होने का !

समय पाखी के उड़ान भरने का !
समय बहारों को सजा के रखने का !!
जवान उठ के जब राहें अपनी सवारेंगे ,
समय काँटों को उखाड फेंकने का !

मन की ठानी को पूरा कर लेंगे !
आज मुश्किल को आसान कर लेंगे !!
आज कोई भी राह को न रोके ,
हम तो आसमान को छू  लेंगे   ................   तनूजा ''तनु ''





नाम  .......... 

 नाम तस्वीर  में छुपे होते हैं,
 नाम तो मिश्री से भी मीठे होते हैं.
 नाम क्यों लिखूं मैं तुम्हारा,
नाम दिल पर लिखे होते हैं....

नाम धड़कन को बढ़ा देता है,
नाम प्रेमी को सजा देता है..,
नाम क्यों लिखूं मैं तुम्हारा,
नाम दिल की तड़प बढ़ा देता है.


नाम से टूट जाते दिल के बाँध हैं,
 नाम में   बिजली की कौंध है.
नाम क्यों लिखूं मैं तुम्हारा ,
नाम की कृत्रिम चकाचौंध है.

नाम से नींद भी उड़ जाती है,
नाम से कलियाँ भी खिल जाती हैं.
नाम क्यों लिखूं मैं तुम्हारा,
नाम से तन्हाई बहक जाती हैं.

नाम जब कल कोई तुम्हारा लेगा ,
नाम जब कल कोई मेरा  लेगा  । 
हम जब उड़ते हुए आकाश में समां जायेंगे ,
कोई कभी तो हमें याद कर लेगा।   तनुजा .''तनु ''....................





   
   

Tuesday, March 18, 2014

यही मुराद है यही दिल की आह
कहीं हो न जाए दुनिया तबाह
मेरी मुस्कान थी कभी तेरे नाम
अब हो गए मेरे होंठ स्याह 
वो सितारों के बिना अम्बर को  सजा सकते हैं ,
वो बहारों के बिना बंजर  को खिला सकते हैं ,
मेरे ऐ  मालिक कुछ दिन तो उन्हें अकेला ही रख !
वो बिना  इंसानो के  दुनिया को  बसा सकते है ं !!..  तनुजा''तनु'' 
कुटिलता ये बंधु की क्या क्या रंग दिखाये
बिन स्वार्थ  के बंधू  क्या  ?  बंधू कहलाये
क्या बंधू कहलाये   रे.. . आस्तीन के सांप
भविष्य क्यों नहीं देखे अपना
दूसरों के सपनों को मिटाने वाला
खुद  ही  खो देता अपना सपना 

Monday, March 17, 2014

सृजक किन कल्पनाओं को रगों में लाये हो ?
 चित्र को सजाने क्या नीलमणि लाये हो ?
आकाश और समंदर तो साकार हुए ,
मंदिर के शिखर पर ये देवता बिठाये हो ?
ध्वज का रोहण जीवंत हो रहा सचल ,
कूंची के साथ क्या पवन लहराये हो ?
Artist--Prabhu Joshi
Water Color On Paper
Title--SILENT CORNER OF THE UNIVERSE
Size--A-3
Country--INDIA


Sunday, March 16, 2014

चल होली खेलें यार  …………… 


चल होली खेलें यार ,
चल ख्वाब रंगें इस बार !

मदमाती मस्ती इधर उधर ,
मन मयूर नाचे खिलकर !
उड़े गुलाल जब चले बयार ,
चल ख्वाब रंगें इस बार  .!!.......... चल होली

रिश्तों को सरसाये हम ,
पिछले ग़म भुलाएं हम !
हैं जीवन के दिन चार ,
चल ख्वाब रंगें इस बार  !!………चल होली

मीठी गुझिया से मीठे सपने ,
लगे आम बौराते सपने !
रंग रंगीला ये त्यौहार ,
चल ख्वाब रंगें इस बार  !! ……  चल होली

तेरे चेहरे पर रंगू गुलाल ,
मैं दूर करूँ तेरा मलाल !
मैं सजा दूँ तेरा संसार,
चल ख्वाब रंगें इस बार !!  ……  चल होली

जीवन बहारों सा सजा रहे ,
भीनी फुहारों से भीगा रहे !
तू गा फाग तू गा मल्हार,
चल ख्वाब रंगें इस बार !! .......... चल होली  ....... तनुजा ''तनु'' 15 03 2014


याद ................ 

द्वार पर ईश्वर की फ़रियाद है,
एक सुगंधित महक याद है !
हम आज हैं पर कल नहीं,
सिर्फ याद है सिर्फ याद है !!

याद है दोधारी तलवार, 
करती है दोहरी मार !
ग़म और ख़ुशी इसमें समाये ,
अच्छी याद दे जिंदगी संवार !!

याद इंसान का अर्जित  खेत ,
वर्तमान हाथ की फिसलती रेत !  
प्रात हुई..  सांध्य की बीती सुबह ,
जाना न कोई इसका भेद !!

यादें तिल तिल कर मारती ,
याद अतीत को निहारती ! 
मेरी याद सिर्फ मेरी याद, 
एक अकेली मेरा साथी !! 

खोकर इंसान बन जाता याद , 
पुरखे खो बन जाते याद ! 
आने वाला जाता ज़रूर, 
स्वर्णिम होती उनकी याद !!

मैं भी खो बनूँगी याद , 
तुम सहेजना मेरी याद !
बन जाती अपना इतिहास ,
मेरी याद संग तेरी याद !!

कोई याद  हो भूली बिसरी,
मीठी होती जैसे मिसरी !
आपकी अलग मेरी अलग ,
कोई उथली कोई गहरी !!

याद भौंरों का गुंजन है ,
याद भावों का अमृत है !
याद राज्य की सीमा नहीं, 
याद इतिहास का हस्ताक्षर है  !!!……………तनुजा ' तनु '27 07 2008 


जो गुम हो उसकी जाँच
फिर उसकी जांच की जाँच 
फिर जाँच की जाँच
फिर जाँच गुम
फिर जाँच की आवाज गुम
 और...............
फिर 
स्थिति नियंत्रण में 

Saturday, March 15, 2014

स्वर्णिम सवेरा .......... 
हम  निराश क्यों हो 

कल्पना साकार होगी,
भाग्य जागेगा !
कलम कुंठित क्यों हो ?
जब शब्द दिल से निकले ,
और !!
सरल सुन्दर विचारों को देगी वाणी  ''वाणी ''
भाव भंग क्यों होंगे ?
वे सृजित,
सिंचित होंगे अलंकारों से !
गुंजित होकर मधुकर ह्रदय के
प्रात देव का आलिंगन कर ……… तनुजा  ''तनु ''

Friday, March 14, 2014

सगळा भई  बेन  के होरी री राम राम वंचे

होरी पे !!!
रास रंग करणो 
पर रंग में भंग नी  करणो
होरी पे !!!
रंग भरणो
पर बेरंग नी करणो
होरी पे !!!
सत्संग करणो 
पर सांति भंग नी करणो
होरी पे !!!
चालणों संग संग
पर जंग नी करणो …………तनुजा  ''तनु '' 

Thursday, March 13, 2014

माँ तुझे सलाम  …………
आज भी मैं नन्हा बच्चा हूँ
दुनियादारी में कच्चा हूँ
तेरी ममता की छांव मिली
रही मेंरी दुनिया खिली खिली
आज जो भी है  मैंने पाया
तेरे आशीर्वादों  की है छाया.......तनुजा .'तनु '..... 

Wednesday, March 12, 2014

दिनचर्या को सुधारें………………  
रोजमर्रा की आदतों को बदलें और सुधारे अपने ग्रह :
जाने अनजाने हम रोज़ाना कुछ ऐसा कर गुजरते हैं कि हमें पता ही नहीं चलता और हमारे ग्रह हमें बुरा फल देनें लगते हैं आइए हम ये जानें कि क्या क्या करने से हमारे ग्रह हमें बुरा फल दे सकते हैं ………….............. 

1 प्रथमत: आप ये जाने समझें कि हमेशा सूर्योदय से पहले उठें।  देर तक बिस्तर में पड़े रहना अपने ग्रहों को ख़राब फल देने हेतु तैयार करता है आप पद प्रतिष्ठा दोनों से ही वंचित रह जायेंगे।

2 कभी चीख  कर और चिढ़ कर किसी भी बात का जवाब न दे।

3  अगर आपको  जगह जगह कही पर भी थूकने की आदत है ,  तो यह निश्चित है कि आपको यश सम्मान अगर मुश्किल से मिल भी जाता है तो कभी टिकेगा नहीं चाहे कुछ भी कर ले। 

4 जब भी हमारे घर  कोई भी अतिथि बाहर से आये , चाहे मेहमान हो या कोई काम करने वाला , उसे जल जरुर पिलाए , ऐसा करने से हम हमारे चंद्रमा को बली बनाते हैं  राहू ग्रह का सम्मान करते है , जो लोग बहार से आने वाले लोगो तो स्वच्छ पानी हमेशा पिलाते है उनके घर में कभी भी राहू का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता और चन्द्रमा को बल मिलने से हमारा मन कभी कमजोर नहीं पड़ता। 

जिन लोगो को अपनी झूठी थाली या बर्तन खाना खाकर  वही उसी जगह पर छोड़ने  की आदत होती है उनको सफलता कभी भी स्थायी रूप से नहीं मिलती , बहुत मेहनत करनी पड़ती है , और ऐसे लोग अच्छा नाम नहीं कमा पाते , और इनके आस पास काम करने वाले लोग इनसे जितना हो सकता है बचते है इनसे बात करने में । अगर आप अपने झूठे बर्तन को उठाकर उनकी सही जगह पर रख आते है या खुद ही साफ़ कर लेते है तो  यदि हम हमारे चन्द्रमा और शनि का सम्मान करते हैं,  तो कभी भी भोजनोपरांत अपनी थाली को यूँ ही न छोडें उसे उठा कर सही जगह रखें या खुद ही साफ कर लें।   

6 जिन लोगो का राहू और शनि खराब होगा , जब ऐसे लोग अपना बिस्तर छोड़ेंगे तो उनका बिस्तर हमेशा फैला हुआ होगा , सलवटे ज्यादा होंगी , चादर कही , तकिया कही , कम्बल एक तरफ , उसपर ऐसे लोग अपने पुराने पहने हुए कपडे तक फैला कर रखते है , ऐसे लोगो की पूरी दिनचर्या कभी भी व्यवस्थित नहीं रहती , जिसकी वजह से खुद भी परेशान रहते है और दूसरों को भी परेशान करते है , इससे बचने के लिए उठते ही अपना बिस्तर सही सलीके  से लगाये चादर पर  सिलवटें न हों बिस्तर तकिये साफ़ बिना फटे बिना बदबू के हों।  

 7  राहु शनि जिनका खराब होता है वे कभी भी समय पर नहीं उठ पाते वे समय पर सोते भी  नहीं  देर रात जागते हैं इसलिए सुबह जल्दी उठ नहीं पाते राहु उन्हें समय पर सोने नहीं देता शनि उन्हें उठने नहीं देता इसलिए राहु शनि को ठीक रखना है तो समय पर सोएं समय पर उठें। 


 8  अगर आप  नहाने के बाद  स्नानघर में आप अपने कपडे इधर उधर फेंक आते है , या फिर पूरे स्नानघर में  में पानी बिखराकर आ जाते है तो आपका चन्द्रमा किसी भी स्थिति में  आपको अच्छे फल देगा ही नहीं  हमेशा बुरा परिणाम देगा जब भी आप शौचालय और स्नानघर से बाहर निकले जिस प्रकार आपने अपने शरीर की सफाई की उसी प्रकार स्नानघर व् शौचालय भी उसी वक्त साफ़ होनें चाहिए इस प्रकार से रहने से आपकी त्वचा का ओज व् आकर्षण बना रहेगा। 

9 अगर आपको अपनी प्रतिष्ठा बनाये रखनी है तो  बाहर  से घूमफिर कर आकर अपने चप्पल , जूते , मोज़े इधर उधर न फेंके  अपने चप्पल जूते करीने से लगाकर रखे , आपकी प्रतिष्ठा बनी रहेगी ।

 10  रोज घर शाम को या कार्य स्थल से लौटते समय हमेशा ये ध्यान रखें कि खाली हाथ न हों जब भी लौटें कुछ न कुछ ले कर ही लौटें आपने अक्सर हमारे घर के वृद्ध लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि कभी शाम को खाली हाथ घर नहीं लौटना चाहिए क्योंकि हमारे शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि घर लौटते समय घर के बूजुर्गों या बच्चों के लिए कुछ न कुछ लेकर जाना चाहिए।   इससे  बच्चे और बुजुर्ग खुश रहते है। घर लौटते समय मिठाई लाने से घर में लक्ष्मी  का वास  रहता है।  घर लौटते समय कुछ न कुछ वस्तु लेकर आएं तो उससे घर में बरकत बनी रहती है, उस घर में लक्ष्मी का वास हो जाता है। हर रोज घर में कुछ न कुछ लेकर आना वृद्धि का सूचक माना गया है। ऐसे घर में सुख समृद्धि और धन हमेशा बढ़ता जाता है। और घर में रहने वाले सदस्यों की भी तरक्की होती है। 

 11 पैरो की सफाई पर हम लोगों को ख़ास ध्यान देना चाहिए हर वक्त , जो हम में से बहुत सारे लोग भूल जाते है , नहाते समय अपने पैरो को अच्छी तरह से धोये , कभी भी बहार से आये तो पांच मिनट रुक कर मुह और पैर धोये , आप खुद यह पाएंगे की आपको चिडचिडापन कम होता है , दिमाग की शक्ति बढेगी और क्रोध धीरे धीरे कम होने लगेगा ।रात को पैर धो कर सोने से नींद अच्छी आती है। 

12  घर या बहार आपके नौकर और मातहत कर्मचारियों के साथ बुरा व्यवहार न करें।  शनि की साढ़े साती  है तो विशेष ध्यान रखें। 





तुम  ………


क्यूँ लबों से अंगार बरसाते हो तुम ?
क्यूँ ग़मों के अम्बार लगाते हो तुम ?
खुद से अब डर भी जाओ !!
क्यूँ मुझे जिन्दा लाश बनाते हो तुम !!!


तो ?. खुदा को नहीं मानते हो तुम ?
क्यों बंदगी में सर झुकाते हो तुम ?
कभी वो तुम्हारा साथ दे देगा !
क्या यही आस लगाते हो तुम  ?


अपनी ही सूरत पे इतरा रहे हो तुम,
आग मेरे दिल में लगा रहे हो तुम!
आईने पर क्यों प्यार उमड़ आया है ,
देखकर अनदेखा किये जा रहे हो तुम!!


अच्छे कब लगोगे मुझे तुम ?
जब सादगी से रहोगे तुम !
ओढ़े फिरते हो ये नकली जामा,
उतार फैंको ये मुखौटा अब तुम !!




  ये बहार बन के आये हैं
  ये बहार बन के छायेंगे 

 कल वो बहार बन के आये थे
 कल वो बहार बन के छाये थे 
  
 यही आजकल कल का गीत है
 आज नमो नमो से प्रीत है 
प्यार में दर्द भी  है प्यार में रोना भी है ,
प्यार में पाना भी है प्यार में खोना भी है !
  कहते हैं ये आग का दरिया है,
दीवानगी है ये कि इसमें डूबना भी है   !! 
होली है आज तू गुलाल ला,
पिचकारी औ अबीर भी ला !
तेरे मीत तुझ तक हैं आये हुए !!
ग़म भुला  आ  खुशियों को ला !!!

Tuesday, March 11, 2014

बन आसमां  सा…


तू.………… 
लक्ष्य ठान !
बन सिंदूरी
स्वर्णिम आभा सा ,
तू  ………
हो के नीलाभ!
बन शीतल,
शीतल ………
अहसास जगाता सा ,
तू ………
गगन चमकीला बन.
कठोर
तपस्वी योगी सा,
तू ..........
घन काला बन,
दे सुकून !
धरणी को.………
बना आँचल को छाया सा,
तू …
बिजली बन,
कड़क गड़गड़ा !
 गिर ……
आतताइयों पर वज्र सा,
तू  ……
तारों निशिकर से,
सुसज्जित हो !
शीतल,
चांदनी बरसा बन,
अमृत कलश सा,
ले  …
ले सारे रंग,
आसमां
तुझे सरसाता है !
तू भी बन,
अब देव देव सा !!  तनुजा  ''तनु ''      28  06  1983 
किसी को अपने रंग में रंगना ,
पहले खुद उसके रंग में रंगना।
यही राज है इस जिंदगी का,
एक दूसरे के रंग में रंगना। ……तनुजा  ''तनु ''



आज मैं खेलूं होली उसके साथ
कोई और रंग न उसके साथ
मेरे ही वो रंग में रंगा
मैं चल पडूं कहीं उसके साथ 
रंगीनियां रंगो की थी
सुहाने सपनों की थी
सपने रगों में गुम हुए
बात सिर्फ कहने की थी 
कहीं कुछ बन जाता है
कहीं कुछ ठन जाता है
यही तो गोलमाल है
हो न हो के हो जाता है 

Monday, March 10, 2014

जिन्दा ही जिन्दे का भार ढोता है
पेट का पालन पैर से होता है
यूँ तो और भी तरीके हैं पेट भरने के
पर मेरा गुजर इसी से होता है

दौड़ाती है जब मुझे ये आग पेट की
सर्दी बारिश हो घनी या घाम जेठ की
यही कुरता यही गमछा यही फेंटा मेरा
तभी  तो कम पड़  गयी है आंट फेंटे की

कल जागता था तब भी थी फ़िक्र कल  की
आज जागता हूँ जब भी  है फ़िक्र कल की
कराहता हूँ पांव के छालों के साथ मैं
आज जो  फ़िक्र है वही  फ़िक्र कल ही की.………तनुजा  ''तनु 
लक्ष्मी  और  सरस्वती …………… 



न जाने
कौन ?
कहाँ ?                                                               
कैसे मिल जाएँ भक्षी ?
लक्ष्मी तो परदे में अच्छी ……

मेरे मन का
आधार, 
माँ !                                                           
सरस्वती का द्वार !!
विद्या का
चाहे ,
जितना करो प्रचार  !!!.............  तनुजा  ''तनु ''     06 10 1982 

Sunday, March 9, 2014

यो मनख  ……… 


असो नी  कमाणों 

के कदी


हाड मास नी रे 

असो नी गमाणों  


के कदी 


कमायो ई ज नी 


असो नी जीणों 

के कदी 


मरांगा ई ज नी


असो नी मरणों

के कदी
  
जिव्या  ई ज नी  …………… तनुजा ''तनु ''
जिन्दा ही जिन्दे का भार ढोता है
 पेट  का   पालन पैर से होता है
यूँ तो और भी तरीके हैं पेट भरने के
 मेरा गुजर इसी से होता है 

Saturday, March 8, 2014

राज में त्याग कहाँ
त्याग में राज कहाँ 
राजनीती है स्वार्थ से भरी 
मुँह में राम बगल में छुरी 

Friday, March 7, 2014

"महिला दिवस" पर "बेटियों" और  "बेटों" के लिए ………… 


 दुलारे बेटों
 तुम
 बेटियों से
 ज्यादह सशक्त हो
 मैंने माना
 मैंने जाना
 पर
 तुम्हे भी तो देनी है
 परीक्षा
 भाई होने की
 पिता होने की
 पति होने की
 कैसे दोगे ?
 जब तुम बेटा ही न बन पाये


 दुलारी बेटियों
 तुम
 बेटों से
 ज्यादह सशक्त हो
 मैंने माना
 मैंने जाना
 पर
 तुम्हे भी तो देनी है
 परीक्षा
 बहन होने की
 माँ  होने की
 पत्नी होने की
 कैसे दोगी ?
 जब तुम बेटी ही न बन पाई


 "दिवस"
 कोई भी हो प्यारा
 बेटी दुलारी                                                      
 बेटा दुलारा
अपने अपने कर्त्तव्य का पालनहारा


Thursday, March 6, 2014

आज शाही पुलाव है कल वही खिचड़ी होगी उखड़ा क्या  ?
चैन ?
अगला कौन ?
लुटाने वाला ?
अगला कौन ?
लूटने वाला ?
अगला कौन ?
लुटने वाला ?
रो मत चैन से सोजा …………सोजा
कल फिर चुनाव आएगा
शाही पुलाव लाएगा। ..
  बिगुल चुनाव का बज उठा है प्रजातंत्र के संग्राम की तैयारी पूरी कैसे        हुई ?…………… 


   ऐसे हुई.…………………  
  

   जब तलक दम में है दम

   मुक्का मार करो बेदम 
   
   राजनीति में मार की कीमत है

   मुक्केबाज़ रहो हरदम



  चाहो तो हंटर भी लाओ

  लाठी भाँजो बम बरसाओ
  
 इसकी उसकी टांग को खींचो

  बिलकुल न घबराओ तुम


  करो काम निकृष्ट निकृष्ट 

  बन जाओ   भ्रष्टों के भ्रष्ट 

  आला कमान, आका, राजा
   
  होकर भागे त्रस्तम त्रस्त 



 कुर्सी है आकाश का चंदा

 दलों का दलदल है गंदा

 बातें झूठी कर कर के

 फंसा लो डाल कर फंदा




अब नहीं कोई लाचारी है 

जम के खोलो ढोल की पोल

अपनी राहों की बारी है

संसद जाने की तैयारी है। ........तनुजा ''तनु'' ..... 

  
   

Wednesday, March 5, 2014

दाँत

दाँत 


मुस्कान तेरी रहे अचल,
दाँत को सम्हाल के चल!
सफाई का रख ध्यान तू,,,
जहाँ को लेकर साथ चल!!

तिनके तिनके जोड़ी सी,
पीछे पीछे दौड़ी सी !
खान पान का ध्यान रखो, ,,
 उम्र दाँत की थोड़ी सी !!

दाँत  बिन मुस्कान ग़ुम ,
शब्द ग़ुम गान भी ग़ुम !
आवाज़ दो जवानी को तुम, ,,
है न जाने कहाँ वो ग़ुम !!

दाँत हो खीसे निपोरो,
मुस्काओ हँसी बिखेरो !
ठण्ड में कड़ कड़ का बाजा, ,,
चाहे तुम जितना बजालो!!

दाँत है तो दाद है,
फिर पेट भी आबाद है!
मुँह  पोपले मिश्री ही घुले, ,,
आशीर्वाद की इमदाद है!! ............. तनुजा  ''तनु'' 14 -02- 1981

खून पीने की उनको ये आदत हो गयी ,
सींच सींच लहू इमारत बुलंद हो गयी,
लिबास ओ  रवाज की  न बात करें हम,
बात करना ही हमारी रवायत हो गयी. तनुजा तनु  03 11 1980 
जब जुबां  सिल जाती है ,
अल्फाज़ गुम हो जाते हैं.
आँख से जो गिरा आँसू,
मिटटी में जज़्ब हो जाता है। ........तनुजा  ''तनु'' 
मैं वो दोस्त हूँ जिसके साथ रब
है आग़ाज़ रब है अंजाम रब
तेरी राह में गुल बिछा दूँ आ
मेंरी चाह जिसपे निगाहे रब


अपना जलवा दिखाता चल
दोस्तों से प्यार बढाता चल
ये वो बंदगी की राह है
मैं तेरे आगे चलूं तू मेरे आगे चल


Tuesday, March 4, 2014

मौत का सदा ही कोई न कोई बहाना हुआ ,
मौत आ ही गयी डॉक्टर का आना न हुआ.
जिंदगी के दिन तो चार ही हैं तनु ,
बिन मौत किसी दिन का आना न हुआ। ....... तनुजा  ''तनु''

हटाये गए मित्रों में पहला नाम मेरा ही होगा,
सादर मानना है मेरा ये निर्णय आपका होगा,
गर हाथ पकड़ा है तो दोस्ती आप भी निभाइये,
हाँ मैं नाकाबिल हूँ पर मुझे अपनाना होगा। .... तनुजा ''तनु'' 

Monday, March 3, 2014

शूल ,काँटा और कंटक………


एक ही काँटा नहीं राह कंटकाकीर्ण  है
गात ही घायल नहीं मन भी विदीर्ण है
कहती है माँ विधाता सच के साथ है
उनके शब्द शब्दशः मन पर उत्कीर्ण है


सत्य की राह में शूल हैं
बिना सच जीवन निर्मूल है
दे अपनी जवानी का वास्ता
जो अगर तुझे ये क़बूल है


चलते ही गए कांटे चुभते ही गए
वो न रुके कहीं वो बढ़ते ही गए
जो ये ठान लिया ये ही लक्ष्य है
वो तो बिंधते गए वो बंधते गए


रसरंग में डूब कर शूल ही मिलते हैं
भोग में डूब कर रोग ही मिलते हैं
बर्बाद क्यों कर रहे हो जवानी अपनी
योगी इस संसार में बिरले ही मिलते हैं


माफ़ी तो मांग ऐ खता करने वाले
दुआओं में अब भी तू  है ऐ जाने वाले
तेरी याद काँटों की राह है
मेरा सब कुछ लुट गया ओ लूट जाने वाले………तनुजा  'तनु'… 02 -03 -1978


Sunday, March 2, 2014

सांच री आग सबरा  मनडा में है जागी थकी ,
जणाका संस्कार जिंदा वी बी है जाग्या थका ,
झूठ है बस अबे दो दना रो पामणों,
सगळा रे आंगणे दीवला है संजोया थका। ............ 
सच की आँच सबको है बराबर जलाये हुए
संस्कार कायम जिनके हैं उनको जगाये हुए
झूठ की बात बस एक दो दिन की बात
स्वाभिमानी हैं हम खड़े मशाल जलाये हुए