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Saturday, February 27, 2021

चमन चाहती हूँ, गुल भी चाहती हूँ


चमन चाहती हूँ, गुल भी चाहती हूँ ;
ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ सदा चाहती हूँ !

जहाँ आसमान हो ज़मीं की पकड में ;
हो ऐसा खुदाया यहाँ चाहती हूँ !

मजबूरी आए न हिस्से किसी के ;
यही चाहती हूँ जी यहाँ चाहती हूँ !

रग़ों में रहे हमेशा ही रवानी ;
जिस्मो को जोशे-रवां चाहती हूँ !

जहां सिर्फ़ मेरा, रहे मेरा जाना ;
अजी चाहती हूँ, 'तनु' हाँ चाहती हूँ !... ''तनु''