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Thursday, July 30, 2015

जिस्म के साथ दिल पिघलते हैं ;
दोस्तों गुल, . लब पर खिलते हैं !

तड़पती चाह आफतों की है ;
आप हैं राह अपनी' चलते हैं !

जानते हो इक सपन तुम्ही हो ?
आँख भर सजन सपन पलते हैं ! 

चाँद रक्साँ नदी कभी सोई ?
छूकर अदम सभी बहलते हैं !

सर मिरा आज तेरे' शाने पर ; 
शाह रुत्बा दिल खुद मिलते हैं !

जो वस्फ़ पाकर चुप है तनुजा ; 
वो ज़मीर बेवजह' उछलते हैं !!!… तनुजा ''तनु ''
जिस्म के साथ दिल पिघलता है ;
दोस्तों गुल, . लब पर खिलता है !
कौन काफ़िर मुझे दग़ा दे के, ,,,
दिल जला के करीब चलता है !! 

Wednesday, July 29, 2015

जठे परेम वेगा जना एक दूसरा ने हमजेगा !
संसार ने हमजेगा जग ने आपणो जानेगा !
दया ती धरम उपज्यो अणि मूल ने जानेगा !
उगतां रोपा ने हिंचेगा सार ने तत्व ने जानेगा!!.... तनुजा ''तनु ''   
आज अंतिम विदाई पंचतत्व में विलीन हो जाएंगे वो 
अलविदा ,,,कोटि कोटि नमन 

फिर से आ जाना जाने वाले कलाम !
तरसेंगी आँखें  छूने प्यारे ललाम !
देके जाते हो जग को जो व्यवहार ! 
करते हैं हम सब उसको लाखों सलाम !!.... तनुजा ''तनु ''

Tuesday, July 28, 2015

''कलाम को सलाम'' 

आज कलम हाथ है पर शब्द नहीं सूझते ;
अनंत में कहाँ  हो गुम अब्ज नहीं रुचते !
कलाम कलाम में ''कलाम'' को सलाम है; 
बिना तुम्हारे देश अधूरा अब्द नहीं रुचते !! … तनुजा ''तनु ''

अब्ज = चन्द्रमा शंख कमल 
अब्द = मेघ बादल आकाश 

Monday, July 27, 2015

हमारे भूतपूर्व राष्ट्रपति माननीय अब्दुल कलाम जी को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मेरे दो शब्द और चाहत उनकी 

बाधाएँ आएँ कभी न झुकना  ;
''दृढ प्रतिज्ञ'' कभी न रुकना  !

मार्ग कंटकाकीर्ण हो जाए; 
चाहे आग के दरिया आये !
पग पग पर विष पी कर ;
नील कंठ धारण करना  !!
आशाओं की पौध रोपना ; 
''दृढ प्रतिज्ञ ''कभी न रुकना  !!!

जीवन बाधाओं का साथ ;
अगर सूझे न हाथ को हाथ !
मन के दीये जला के तुम  ;
जग में उजियारा करना  !!
दीप से दीप जलाते चलना ;
''दृढ प्रतिज्ञ''कभी न रुकना  !!!

लक्ष्य साध कर दौड़ पडो  ; 
पीर सह लो  उफ़ न करो  !
दरिया फांदो  समुद्र पी जाओ  ;
पर्वत में भी राह बनाओ  !!
संघर्ष में जीवन साधे चलना ;
''दृढ प्रतिज्ञ'' कभी न रुकना !!!

मीरा ने पाये अपने श्याम ;
भीष्म की सेवा है निष्काम !
छुट्टी का करो काम तमाम ;
ये कह गए अपने ''कलाम ''!!
कर्मठ सदा ही चलते रहना  ;
''दृढ प्रतिज्ञ'' कभी न रुकना  !!!

बाधाएँ आएँ कभी न झुकना  !
''दृढ प्रतिज्ञ'' कभी न रुकना !!....  तनुजा ''तनु ''

बाधाएँ आएँ कभी न झुकता ;
''दृढ प्रतिज्ञ'' कभी न रुकता !

मार्ग कंटकाकीर्ण हो जाए; 
चाहे आग के दरिया आये !
पग पग पर विष पी कर ;
नील कंठ धारण करता !!
आशाओं की पौध रोपता; 
''दृढ प्रतिज्ञ ''कभी न रुकता !!!

जीवन बाधाओं का साथ ;
अगर सूझे न हाथ को हाथ !
मन के दीये जला के वह ;
जग में उजियारा करता !!
दीप से दीप जलाते चलता;
''दृढ प्रतिज्ञ''कभी न रुकता !!!

लक्ष्य साध कर दौड़ पड़े ; 
पीर सह ले उफ़ न करे !
दरिया फांदे समुद्र पी जाए ;
पर्वत में भी राह बनाये !!
संघर्ष जीवन साधे चलता ;
''दृढ प्रतिज्ञ'' कभी न रुकता!!!

मीरा ने पाये अपने श्याम ;
भीष्म की सेवा है निष्काम !
छुट्टी का करो काम तमाम ;
ये कह गए अपने ''कलाम ''!!
कर्मठ सदा ही चलता रहता ;
''दृढ प्रतिज्ञ'' कभी न रुकता !!!

बाधाएँ आएँ कभी न झुकता !
''दृढ प्रतिज्ञ'' कभी न रुकता !!....  तनुजा ''तनु ''







Saturday, July 25, 2015

रुत आई पतझड़ की कानन में पात निपात रहे  
फिर वसंत के आगमन वन में साज निवाज रहे  
पिक बैनो ने गूँज लगाई तन उल्लासित हो गया   
प्रकृति संग जन जन के मन में राज विराज रहे 

Wednesday, July 22, 2015

इश्क ही जन्नत … 


न जाने जमाने तुझे क्या हुआ है ;
मुझे क्यों मिटाने पर तुला हुआ है !

मिटेगी मुहब्बत कभी क्यूँ कर यहां 
खुल्द ही यहां पर खुदारा हुआ है !!

मुरीदों अब दवा मुझे क्या बचाए ;
गई सांस मर्ज ये इश्क का हुआ है !

रखो प्यार के बीज दिल में सहेजे;
नियामत खुदा की है पता हुआ है !

जियो तो अहद ओ शबाब में' जी लो;
जियो इस तरह ही जी लो'क्या हुआ है !

जश्न मुहब्बत का मनाने न दिल दे ;
शमा रौशन नहीं उसे क्या हुआ है !!

रखो प्यार के बीज दिल में सहेजे
नियामत खुदा की है पता हुआ है 

Sunday, July 19, 2015

 साँझ 

हुआ सिंदूर से गगन सिंदूरी साँझ बाकी है !
बजेगी यामिनी में, झींगुरों सी झाँझ बाकी है !!
पवन संग लहरा कर बादलों में चाँद का छुपना, ,, 
कहीं सौदामिनी सी घटाओं में, जाँझ बाकी है !!… तनुजा ''तनु ''

जाँझ = तेज़ हवा के साथ आने वाली वर्षा 

Friday, July 17, 2015




                             १ 


क्यों जलाती चली हवा देखो 

शाम ही से दुआ दवा देखो !!


दिल जलाया अभी अभी उसने ;

सांस ही से रवा दवा देखो !!


रंग फूलों सा  ''संग'' ले चले ;

उलझन में रहा बागबा देखो !!


शाख फूलों भरी कहाँ ज़ख़्मी ;

खार सब ही हुए महरबा देखो !!


शाम ढलती रही बिना उसके ;

आज ऐसा सितम सहा देखो !!


क्यों धुँआ दे रहे जिस्म जां भी ;

आतिश है रग रग में रवा देखो !!


कौन चला ये अभी अभी आगे ;


ज़िंद खोकर रहा जवा देखो !!..... ''तनु ''


                              २ 

शाम ही से हुआ ख़फ़ा देखो ;

शाम ही से दुआ शफ़ा देखो !!

शाम ढलती रही बिना उसके ;

रात ऐसी कि खाली सफ़ा देखो !!

की बुलाता नहीं रूठा ऐसा ;

एक बार नहीं कई दफा देखो !! 


वो मुसाफिर कभी नहीं मेरा ;

हार मेरी, मिली जफ़ा देखो !!


जो तिज़ारत के लिए निकला था ;

देखता था अपना नफा देखो !!...


वो लुटेरा ''तनु ''लूट सब गया ;

कोई लगती नहीं दफ़ा  देखो !!..... ''तनु ''


Thursday, July 16, 2015

चाँद और साँझ 


उतरती साँझ  देखे  न गलियाँ आँगन न चौबारा ; 
खिलौना ढूँढ चाँद रही चमकीला चमकन वारा !
''खिलौना चाँद'' ढूँढन की ख़ुशी में भटकी दर बदर, ,,,
उतरती जा रही पल पल मंदिर मस्जिद गुरु द्वारा !!!  
साँझ और सवेरा

चली साँझ अपनी झोली में ले, सारे दिन के तम ;          
 लिए दुःख दर्द  झोली में सबके, सारे दिल के ग़म ! 
 उलट सारे दर्दों को सुबह खुशियाँ लेकर' आएगी , ,,
 नए सूरज संग भागे सबके,  सारे दिल के ग़म !!!

Wednesday, July 15, 2015

रुई हरीखा वादळा फर फर उड़ो थें मटक्या मटक्या !
थाएँ चुरई माटी से  बूंदां  भारी हुया अटक्या भटक्या !!
तन रा काला थें मतवाला थें जग रा पालन हारा हो , ,,,,
वरसई भी दो जो लाया क्यों दिखाओ लटक्या झटक्या !!! .....


बग्दो बर बर जावै पालीथीन, बरी ने भी नी बरै ; 
बारते रो रावण बरे माय रो, बरी ने भी नी बरै ! 
कई नष्ट करूँ ने कणी तरै !!! प्लास्टिक रा अमिकुण्ड ने ,
मानव जीवन जठा हुदी रावण, बरी ने भी नी बरै !!

Tuesday, July 14, 2015

 दया .... 


हर जीव में दया है इंसान क्यों दूर हो गए ;
दानवता के रक्त बीज नीच मशहूर हो गए !
नूर लेकर जन्मे लिए बालक  बेनूर हो गए ;
खुद ही अपनी खुदी में क्यों मगरूर हो गए !!

जहाँ प्रेम होगा जन एक दूसरे को समझेंगे ;
भुवन को जानेंगे जग को अपना समझेंगे !
दया से धर्म उपजा है उसको ''मूल'' समझेंगे;
उगते अंकुर को सींचेंगे  तत्व को समझेंगे !!

दया दया चिल्लाने से दया नहीं है मिलती ;
पलती बढती दया दिलों दीप सी है जलती !
पीड़ा  मरहम लगाती जखम भी है सिलती ;
बून्द बन जमती  कतरा बर्फ सी है गलती !!

भीख दया की मत मांगो स्वाभिमान जगाओ ; 
राम कृष्ण नानक की धरा अभिमान जगाओ !
मिलन के गीत गाओ सुख का परचम लहराओ ;
दया सिर्फ कहो मत दया जीवन में अपनाओ !!

Saturday, July 11, 2015

बारिश बाद सुहानी भोर धुली धुलाई आई है !
चली ठंडी  हवा बादलों में अरुषी मुस्काई है !!
अभी बरस उठेगा कोई बादल भूला भटका सा !
रिम झिम गीत सुनाती सावन की बदली छाई  है !!

Friday, July 10, 2015


बे बहर धमाल 



हद जुदाई की रही, विसाल हो गया देखिए ;
आज हद से पार हूँ, कमाल हो गया देखिए !

वो उम्र भर नाउम्मीदी के जख्म ढ़ोते रहे ;
ज़ख़्म देता कौन है, सवाल हो गया देखिए !

दौलतें इंसानियत की दामन भर के ले चले;
कौन साथी नेक दिल ? बवाल हो गया देखिए!

कौन जाने आफताब कब तलक फलक पर रहे ?
शाम के आते यहाँ जवाल हो गया देखिए !

राह नेकी की चला मैं जीतने के वास्ते ;
राह बन मंजिलें थी निहाल हो गया देखिए !

मुश्किलों के दौर में किसको पुकारूँ क्या करूँ  ? 
मौन हो कर वक्त भी, निढाल हो गया देखिए !  

आइना भी पूछता है कौन तू क्या नाम है ?

अब खुद से मिलना भी मुहाल हो गया देखिये  !       

Wednesday, July 8, 2015

गया वक्त … 


वक्त ए पीरी और शबाब चाहता हूँ:
बुझी हुई आँखो में ख्वाब चाहता हूँ !

गया लम्हा अब कभी नहीं आएगा ;
गुजरते पलों से मैं गुलाब चाहता हूँ !

मह - जबीं दिल के करीब थी तुम ;
फिर से वो शबे महताब चाहता हूँ !

मजे ले सुनते किस्सा जोश ए इश्क; 
मेरे चाँद से ही मैं हिजाब चाहता हूँ !

सुकून आज न सुकून कल ही होगा ;
भटकने दे मुझे मैं इज्तिराब चाहता हूँ! 

बना अपनी यादों का प्यारा ठिकाना ;
कैसे कहूँ मैं सब्र ओ ताब चाहता हूँ !!!.... तनुजा ''तनु ''

Sunday, July 5, 2015

या दुनिया !!!

मतवारी न्यारी हिवड़ा प्यारी या दुनिया ;
बना म्हाने सूरज पेरावै ताज या दुनिया !

काबिल ने देवे गद्दी नाकाबिल रेवे फिसड्डी ;
काबिल सारू घणो मान राखे या दुनिया !

फट्या टांग अड़कावै बर्या लूण बुरकावै ; 
मन री काळी घणी नखराळी या दुनिया !

साथ सबरे चाले है पण दीखै कोनी ;
सयानी है घणी दानी या दुनिया !

हेलो हुणे नी कणी ने हेलो पाडे नी ;
बोल्या वना शोर करे घुन्नी या दुनिया !!.... तनूजा ''तनु ''

Saturday, July 4, 2015

 जीवन में सजती रहें,    सबके  संझा भोर
 आखर पढ़ कर आपके, मन में उठी हिलोर ''तनु ''


वादरी वरसे, ,,,

कारा मनडा रा मेघ, क्यों उपजावौ प्यास रे 
थोब जो जी वरस्या वना क्यों जावो बिदेस रे 
नीर री प्यास जगई  पुकारे थाने हरियाली रे 
अबे तोड़ो उपास, थाने पुकारे चातकड़ो डाली रे    
गोरड़ी जोवै वाट कदी आवै साजन रो संदेस रे 
मीठी चाह भरी ने मति जावो थें कारा मेघ रे 

Friday, July 3, 2015

आओ बदरा !!!

मन मैला है मेघ का,  उपजा मन की प्यास,
बरसे बिन क्यों जा रहे, लगा नीर की आस ! 
लगा नीर की आस.    पुकारे वन हरियाली; 
तोड़ो अब उपवास,      पुकारे चातक डाली!!
गोरी देखे राह, सजना के सन्देश का ;
मीठी है चाह पर, मन मैला है मेघ का…





आकाश 

हवा क्यों है रुकी सहमी रहे विटप मुरझाये से ;           
बना आकाश श्रीहीन दिनकर सोये अलसाये से !      
मही भी कर रही अनुनय अहं कब टूटे अभ्र का, ,,
बरस कर बात मन की खोलो क्यों हो घबराये से !! 
दुनिया 



बनें हैं काबिल तभी तो उठाये नाज़ ये दुनिया ;
वरन नाकाबिल अनेक ठुकराये आज ये दुनिया ! 

मदमस्त हूँ खुमारी है, ग़ुम हुआ मैं तरन्नुम में ;

लर्जिशे यूँ  सबा ने पाईं, बजाये साज ये दुनिया !

मस्जिद झुकी,कलीसा मंदिर झुक गए मिरेआगे ;

बना हमको आफताब' पहनाये ताज ये दुनिया !

फटे में टाँग अटकाती जले पर नमक छिड़काती ;
हमेशा राज़ रहती बहुत नखरेबाज ये दुनिया ! 

चली साथ सबके ये दिखकर दिखाई नहीं देती ;
सयानी हो गयी मासूम उम्रदराज' ये दुनिया !

सदा दे कर नहीं सुनती सुनकर सदा नहीं देती;
बहुत शोर करती है, बड़ी बे- आवाज ये दुनिया ! 






































Wednesday, July 1, 2015

नेट से इश्क 


इश्क हुआ जब नेट से,  बीत गयी कब रात ;
हुआ सवेरा देर से ,  कहाँ सुबह की वॉक!
कहाँ सुबह की वॉक ?  सुबह कब संध्या होती ;
पिज़ा बर्गर खाए  ------   नसीब न रोटी होती, ,,,,,
मोटा चश्मा फिगर गुम यूँ उड़ते जेट से;
टंकित होती बात इश्क हुआ जब नेट से !!.... तनुजा ''तनु ''