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Tuesday, December 31, 2013

अहं ब्रम्हास्मि..........


मंगल कामना  


''विश'' करें विष नहीं 
प्यार भरें भीति नहीं 
नया सबेरा लायेंगे 
हम समग्र हो जायेंगे 

पंच प्राण जीवन जीवंत 
नव संचार तन मन दिगंत 
ईश ईश हो गायेंगे 
हम समग्र हो जायेंगे 

लूट नहीं खसोट नहीं
मक्कारी की डकार नहीं
मिल कर मंगल गायेंगे 
हम समग्र हो जायेंगे 

राहें सबकी निष्कंटक 
जीवन सबका निष्कलंक
मिलकर दीप जलायेंगे
हम समग्र हो जायेंगे 

हारें नहीं जीते यहीं 
पाप व्यभिचार नहीं
योग की महिमा गायेंगे
हम समग्र हो जायेंगे ..........तनुजा ''तनु''  

  
  

Monday, December 30, 2013

कुछ का कुछ .........

कुछ का कुछ .........

रोमन की रुमानियत , 
क्या कहिये.. 
किसी गज़ल़ के अंदाज़ पर ..
लिखा था...
gazal  andaj achcha hai   
हम थे भूख के मारे ,
हमने पढ़ा..
गाजर अंडे का अचार है ........ तनुजा ..''तनु''

Sunday, December 22, 2013

सांस..........




साँस ..........
ये.... उड़ गये सूखे पात से स्वप्न 
और लो.... ये ढह गये रेत के महल
उड़ाने में हवा, 
ढहाने में हवा, 
सांस...
ये सांस,  
क्यों चल रही है ..........तनुजा .. 'तनु' 03-12-2011

Thursday, December 19, 2013

मन गाये है

ऊपर वाला बड़ा खिलंदर
वही रचे कुछ सुन्दर् सुन्दर
सुरों की डफली बजनें दे
मन गाये है गाने दे 
क्योंकि ,
मन मस्ती है अति निडर 
मन कश्ती है ढूंढे डगर 
आशा के पंख पसरने दे
मन उड़ता है उड़ने दे
क्योंकि ,
मन की कामना है अति सुन्दर 
पाप हो न कोई  भूलकर 
शंख घडियाल बजने दे 
मन झूमें है झूमने दे 
क्योंकि ,
अनहद हो मन के अंदर 
निर्मल हो मन का मंदिर 
धरती आकाश को मिलने दे
मन बोले है बोलने दे  
क्योंकि ,
मन गाये है
मन झूमें है 
मन उड़े है 
मन बोले है !!!... तनुजा ''तनु'' 

Friday, December 13, 2013

सिगड़ी



'सिगड़ी' ...




बीते दिनों की याद 'सिगड़ी' .......

यादों के दौर, 

ठहाकों के दौर..

बड़ा दर्द दिल में सम्हाले है 'सिगड़ी'...

भून भुट्टे,


भून होले मूंगफली

..
न जाने कितनों का पेट पाले है 'सिगड़ी'...

सर्दी में 'कांगड़ी'

,
पार्टी का बारबेक्यू

.
सर्द रात में अलाव सा जागे है 'सिगड़ी' ...

अपनों की प्यास,


परायों की आस

..
बुझनें के बाद चुपके से क्यों चमके है 'सिगड़ी'... 


-तनुजा 'तनु'

Sunday, December 8, 2013

दुनिया से कर मुहब्बत तू





दुनिया से कर मुहब्बत तू , 
प्यार का दर्द आसां हो जायेगा.. 
कभी न छूटेगा अपनों का साथ , 
जब अपने हों साथ तो... 
खुदा , 
साथ अपने आप हो जायेगा .............

शब्द ..


शब्द 


शब्द , 
शब्दों को बुनकर.
वाक्य बनाये 
किसी विषय पर.
और ,
उछाल दिये पन्नों पर .
चिन्हित हुए मन पर . 
अच्छा या बुरा भाव लिये, 
ज़ार ज़ार रुलाया..
खुश हो हँसाया..
और, 
फिर शब्द ,
शब्द हो बिखर गये 

शब्द 
शब्द ये चुने हुए
रचे हुए पोथी में 
कहे हुए किसी के 
और 
रच बस गए 
मन पर चरित्र पर
सँवार दिया जीवन को 
निर्मल किया मन को
और  
फिर शब्द  
शब्द हो निखर गए 

शब्द 
शब्द की 
पहचान से 
वाक्य को 
अभिमान से 
उठाये और सजा लिए 
गीत ग़ज़ल में 
कथा सरोवर में 
साहित्य के सागर में 
जो थे पड़े
और 
फिर शब्द 
शब्द हो निकर गए 

 शब्द 
घुलते ये मिश्री से 
प्रीत को 
प्रतीति दे 
और 
मोह को ममत्व दे 
कलुष को
 खार दे
 क्रोध को ज्वार दे 
चुभते, प्रताड़ित करते 
ये थे लड़े 
और 
फिर शब्द
शब्द हो कीकर गए 

शब्द 
फिसलते से 
ध्यान को खोते हैं 
अभिमान को बोते हैं 
और 
नयनों में चमक ला 
गर्वीले भाव से 
छोटे से गाँव से आ 
भावना को खोकर 
फटे हुए चीथड़ों 
को बदल चमकीले 
और
फिर शब्द 
शब्द हो चिकर गए !!... तनुजा ''तनु ''

















..............

आधी

आधी.......
आधी, 
आधी, आबादी आधी.. 
क्या आधी ही रह जायेगी ? 
हौव्वा पर तो बीत रही,
आदम ज़ात क्या बच पायेगी ?

दुख ,
उत्पीड़न , शोषण मुद्दे ...
मुद्दे और मुद्दों की जांच 
क्या पूरी हो पायेगी ?
हौव्वा पर तो बीत रही
आदम ज़ात क्या बच पायेगी ?

दूसरी ,
आधी , बिन उसके..
क्या पूरी कहलायेगी ?
किसको पूजे ?
किसको पोसे ?
कौन सजनी बन पायेगी ?
हौव्वा पर तो बीत रही
आदम ज़ात क्या बच पायेगी ?


किसके ,
बोये बीज हैं ये ?
जिसके बोये बीज हैं ये ?
दूसरी आधी क्या बिन आधी ..
कब पूरी कहलायेगी ?
हौव्वा पर तो बीत रही ,
आदम ज़ात क्या बच पायेगी ?

डरो ,
डरो कि ईमान रखो ,
डरो कि सच से न डिगो.
डरो कि ऊपर वाला भी है ?
आओ संभलो अब भी तुम
इंसा हो इसां रहो भी तुम
हौव्वा पर तो बीत रही ,
आदम ज़ात क्या बच पायेगी ?

- तनुजा ''तनु''