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Thursday, December 26, 2019

आग तन से निकल न जाए कहीं !
भूख फिर ये निगल न जाए कहीं !!

अब तो आँखों पे  टिकी जाती है !
जान आँखों को छल न जाए कहीं !!

कौन किसको करे निवाला फिर !
कोई खा कर बदल न जाए कहीं !!

कौन सोचे है जो ये सोचेगा ?
वक्त हाथों फिसल न जाए कहीं !!

आदतें सब हुई अजी बिगड़ी !
और पल कर बहल न जाए कहीं !!

नोच डालूँ पलक झपकते ही !
झपटते घात टल न जाए कहीं !!

क्रोध आँखों लिए जला जाता है !
''तनु'' ये सूरज पिघल न जाए कहीं !!....''तनु''


Monday, December 23, 2019

है कहाँ ज़मी सा चाहने वाला !


है कहाँ ज़मी सा चाहने वाला !
ग़ौर करिये, ना माँगने वाला !!

उसको देना पड़ेगा दिल आखिर !
वो जो है प्यार बाँटने वाला !!

याद आता रहा भुलाने पर !
दिल जिगर जी में झाँकने वाला !!

समझता दर्द की जुबां को !
चुटकियों पीर काटने वाला !!

झाड़ फूँक बिन ही करे चंगा !
मंतर हवा में उतारने वाला !!

चाहता है सदा सदा यूँ ही !

प्यार पलने में पालने वाला !!... ''तनु''









कोई अपनी चला नहीं सकता,

कोई अपनी चला नहीं सकता, 
मौत, जीवन भुला नहीं सकता !

मौत तो, जैसे पाँव अंगद का ! 
कोई रावण हिला नहीं सकता !!

वो जहां से चला गया देखो , ,,
कोई उसको बुला नहीं सकता !! .... ''तनु''

Thursday, December 19, 2019

सजदे में तेरे झुकूँ कब तलक,


सजदे में तेरे झुकूँ कब तलक,
दुआ में तुझको ढूंढूँ कब तलक !

साँस उधार की जी रहा यूँ ही,
इस तरह ज़िंदा रहूँ कब तलक!

चाहत मेरी गुलों सा महकना, 
काँटों संग बसर करूँ कब तलक !

याद करूँ याद आ उम्मीद में,
सब्र का दामन थामूँ कब तलक !

मुहब्बत ख़ुदा यहीं क़ायम रहे,
बता तुझे याद आऊँ कब तलक !... 'तनु'

Sunday, December 15, 2019

जुर्म की तहरीर, कहाँ दर्ज होती है थानों में ?

जुर्म की तहरीर, कहाँ दर्ज होती है थानों में ?
रौशनी जायेगी कैसे अँधेरे तहखानों में ??

आसमानों की ऊँचाइयाँ  ये नाप न पाएँगे !
परिंदों का यकीन टूटा, दम नहीं उड़ानों में!!

ये कैसी तरक्की है अजब सी बेतरतीबियाँ इसमें ?
कैसे कैसे लोग ढल रहे इस वक्त कारखानों में ??

असर से तुम्हारे,  चीखें निकलेंगी सादगी से !
चुप चुप है बग़ावत भी रोकर के बेजुबानों में !!

सब कुछ जान, पेट पर हाथ रख ताली बजाता है, 
यूँ  इक ही जिक्र होता रहा अब सारे मकानों में !

नुचती गयी डालियाँ चमन में गुंचे झुलसते हैं ,
बचाएँ  गुल -औ - कलियाँ चर्चा है बागबानों में !

जारी कर क़वायद अब खुद में कमियाँ ढूँढ़ने की !
मिलते हैं अब भी हीरे कोयले की खदानों में !!

कलम सोना, चाँदी सियाही तू  लिख के बोल !
तभी जिक्र होगा 'तनु'  का कभी तो दास्तानों में !!.... ''तनु''

Wednesday, November 27, 2019

बिछड़े मीत



मन की पीर छुपा ना पाऊँ !
मन भाते सुर गा ना पाऊँ !!

उखड़ी उखड़ी सी साँसें हैं ,
उजड़ी उजड़ी सी रातें हैं !
जो चाँद अकेला रूठ गया , .. 
लगी सितारों की घाते हैं !!
किससे आशा मन समझाऊँ !!.... मन भाते सुर गा  ना पाऊँ

धूप गुनगुनी गुनगुनी खिले, 
यूँ हवा चले फिर कली खिले !
फिर गीत भ्रमर जो गायेगा, ..  
जन्मों के बिछड़े मीत मिले !!
कब कैसे दिल को समझाऊँ !!.... मन भाते सुर गा  ना पाऊँ

सावन की बदली चोर बनी, 
भादों की बदली घोर बनी !
सूरज के पाखी हार गये , ..  
सोती सोती सी भोर पली !!
सजना सपन साजन बुलाऊँ !!.... मन भाते सुर गा  ना पाऊँ

इक दुपहर की धूप अकेली ,
जाने कहाँ कहाँ थी डोली !
जिद्दी आँगन और छज्जे ने, .. 
दरवाज़े की चीर न खोली !!
खिड़की कहती झुलसी जाऊँ !!.... मन भाते सुर गा  ना पाऊँ 

जो खिल जाये मुस्कानो में , 
इन रातों में  इन साँसों में !
एक मुट्ठी किरणें भोर की, ,,
चमकती ओस सी फूलों में !! 
कुछ ऐसे सपने पा जाऊँ !! .... मन भाते सुर गा  ना पाऊँ। ... ''तनु''

सजा ली साँझ जीवन की


सजा ली साँझ जीवन की
हटा सच झूठ का ताना !
मगन मन कर्म की चिड़िया, 
बुनी थी चाँद सा बाना !!..

बटोही आज राहों का, 
चला जग में रुचा मग में !
सितारों को बना चाहत, 
सजाकर आप पहचाना !!
मगन मन कर्म की चिड़िया, 
बुनी थी चाँद सा बाना !!..

कभी तो चाह मन भर की,
हुई पूरी मैं जानूँगा !
सभी करता रहा जी की
कभी मन झाँक ना जाना !!
मगन मन कर्म की चिड़िया, 
बुनी थी चाँद सा बाना !!..

बड़ी थी ऐंठ दौलत की,
कहीं था मुग्ध अपने पे !
बहुत से रूप धारे थे,
कभी जी राम ना माना !!
मगन मन कर्म की चिड़िया, 
बुनी थी चाँद सा बाना !!..

घटे पल पल घिसे गल गल,
चदरिया जिंदगानी की ! 
गगरिया गल रही माटी, 
यहीं सब छोड़ना-जाना !!
मगन मन कर्म की चिड़िया, 
बुनी थी चाँद सा बाना !!..''तनु ''


Tuesday, November 26, 2019

रात की गाँठ मत खोलो,

रात की गाँठ मत खोलो,
अधूरा चाँद टूटेगा !
सजे दिन के घरौंदे में, सलोना ख़्वाब रूठेगा !!

ये भावों की कहानियाँ,
नदी की धार सी बहती !
कह न पाये सुन न पाये,  निरुत्तरित प्रश्न उठेगा !!

अमराई के आमों को,
भ्रमर की गुणी तानों को
हृदय मकरंद गुनता है, कभी तो शब्द फूटेगा !!

अँधेरे को समेटोगे,
अँधेरा भी नहीं रुकता !
फ़लक को भेद कर के फिर, नया सा सूरज उगेगा !!

भरी झुर्री सफेदी सर,
आँतों का ना दाँतों का !
छुपे क़दमों तले चुपके,  वक़्त हर वकत लूटेगा !!

एक दरपन जैसा उफ़क़ ,
देखता साँझ और सुबह !
किरणों से दिन लिखकर के. चाँदनी रात ढूँढेगा !!... ''तनु''



Friday, November 22, 2019

टेढ़ापन इसका कहूँ, बैठा मुँह को मोड़ !

टेढ़ापन इसका कहूँ, बैठा मुँह को मोड़ ! 
पर टेढ़े भाते कहाँ,   तोड़ सके तो तोड़ !!

गये समय को टेरना, बहुत बुरी है बात !

गया समय आये नहीं, अपने करते घात !!

कपट कटारी साध कर, उड़ने को बेताब !

हम फूल एक डाल के,  काहे तोड़े ख़्वाब !!

हृदयहीन बिलकुल नहीं, कहता मन की बात !

हूँ मैं तेरा राजदाँ,    इक अपनी है जात !!

पर फैलाये उड़ चलूँ,  चल तू मेरे साथ ! 

जहाँ चोंच दाना मिले, काम हाथ को हाथ!!... ''तनु'' 

Thursday, November 21, 2019

आँख्यां मे थारे जोगी, बन्दगी भी नई !

आँख्यां मे थारे जोगी, बन्दगी भी नई !
चढती घटती साँसां में, तिशनगी भी नई !!

नई दरियादिली,  नई दरिया रे बहे   !
आई गी  मौत तो,  ज़िन्दगी भी नई !!

वाट जोवे टकटकी, रया नि वी लोग !
वा कुर्वत वो मरासिम, आमादगी भी नई  !!

आयो कुण यो संजीदगी साथे लायो !
शोख़ ग़ज़लां रोवे दिल्लगी भी नई !!

मारग अंधारो घणो सूझे नइ सूझ !
खोई गयो नूर, की वा ताज़गी भी नई !!

खिल्यो रूप,  निखर्यो, चालवा री बेला !
इश्क़ की रूहानी, पाक़ीज़गी भी नई !!

गाम एक देश एक सौदाई ई सारा !
चाल ''तनु'' अब कणि से नाराज़गी भी नई !!... ''तनु''

आँखों मे जोगी सी बन्दगी ना रही !

आँखों मे जोगी सी बन्दगी ना रही !
चढती साँसों में तिशनगी ना रही !!

ना दरियादिल है ना दरिया ही रहा !
शोख़ ग़ज़लों में दिल्लगी ना रही!!

रहे ना एकटक वो निहारने वाले !
कुर्वत वो मरासिम, आमादगी ना रही !!

कौन आया है संजीदगी ले कर !

आ गयी मौत लो ज़िन्दगी ना रही !!

तीरगी कितनी राहों में देख ले !
खो गया नूर की वो ताज़गी ना रही !! 

यूँ खिला जिस्म, निखरा, हो गया बूढ़ा ! 

इश्क़ की रूहानी पाक़ीज़गी ना रही !! 

क ही शहर के 
बाशिंदे ये सौदाई !
अब तो ''तनु'' किसी से नाराज़गी ना रही !!... ''तनु''

Tuesday, November 19, 2019

आकर कान में मेरे चुपके से कोई कहता है !


आकर कान में मेरे चुपके से कोई कहता है !
धीरे - धीरे लहरों पर जैसे दीप कोई बहता है !!

मन की बातें लब पे मेरे कैसे आ जातीं हैं !
दर्द जमाने का दिल में शायद कोई सहता है !!

कैसी - कैसी रीत चली और कैसे कैसे मेल मिले !
आँसू जमीन पर गिरा नहीं ये दर्द कोई सहता है !!

देखो तिनका - तिनका होकर ज्यों नीड़ बिखरता जाता !
तेज़ बली आँधियों में जब भी दरख़्त कोई ढहता है !!

कभी - कभी इतनी मुहब्बत के आँखें भर - भर आएँ !
मानों चंदा के नयनो में रात को कोई दहता है !!

कभी मिले प्रिय जो कोई तो कह दूँ जी की बात !
ज्यों दुख - सुख की कड़वी - मीठी पीड़ा कोई लहता है !! ... ''तनु''


Wednesday, November 13, 2019

कैद ये कैसी रही, उम्मीद भी रोने न दे !



कैद ये कैसी रही, उम्मीद भी रोने न दे !
आस थी ऐसी की तेरी दीद भी रोने न दे !! 

प्यार लौटाना इन बुतों की फितरत में नहीं !
दिल ये पत्थर बन गया मुरीद भी रोने न दे !! 

दामन में खुशियाँ लिए हम भी बहुत मग़रूर थे ! 
रंज की तासीर भी रही खरीद भी रोने न दे !!

ऐ नसीब बनाने वाले गर्दिशे तकदीर देख !
 बेतरह बिगड़ी तस्वीर फ़हमीद भी रोने न दे !!..

जब ख़ुशी देनी न थी क्यों ख्वाब आँखों को दिये !
अब खुली जब आँख तो तनक़ीद भी रोने न दे !!..

शम्स ना तारा न जुगनू अदना बहुत किरदार से !
दर पे तेरे आ पड़ा दिल मुफीद भी रोने न दे !!

क़ासिद मेरे ,तू कभी पैगाम लाये तो पढूँ ! 
ख़त लिखेगा वो मुझे क्या ? ताकीद भी रोने न दे !!... तनुजा ''तनु" 

Tuesday, November 5, 2019

कहना प्रीत निभानी है

कहना प्रीत निभानी है !
मेरी ये मनमानी है !!

तुझे देख के जी लूँगी !

इसमें क्या हैरानी है !!

एक प्यार है इक हैं हम !

बात यही पुरानी है !!

कितनी बातें कितने ख़त !

अपनी यही कहानी है !!

हँसता हँसता जीवन है !

मौजों मौज रवानी है !!

चाँद खिले तारे चमके !

दिन दूना असमानी है !!

तुम आओ रात हँसेगी !

आँखें रोज़ बिछानी हैं !!

रंग हीना का बढ़ेगा ! 
इतनी सरल कहानी है !!

और कभी समझ न आये !
सहज सरल आसानी है !! ...... ''तनु''

Monday, November 4, 2019

लहू के शोर की सुनाई नहीं है



लहू के शोर की सुनाई नहीं है !
तुझे  इंसानियत आई नहीं है !!

अक़्ल तेरी  हुई पत्थर, सही है !
यहाँ तूने ही फतह पाई नहीं है !!

हँसे वो तो, हँसे तू भी, ख़ूब है !
सुन उसकी बात में सच्चाई नहीं है !!

हवा का शोर तेरी उलझने है !
अभी तूफ़ान है, अँगड़ाई नहीं है !!

गिराये आशियाने बंदगी के !
नहीं ऐसी नीयत कमाई नहीं है !!

है तेरे पास ही सारी ख़ुदाई !
क्या आवाज तुझ तक आई नहीं है !!

करूँ क्या समझ कर नासमझ तू है !
सभी इंसा आपस में भाई नहीं है !!

ना आये साँस शमशीरों के साये में !
हैं रावण कोई भी साँई नहीं है !!

कभी तो तजुरबों से काम ले ले ! 
हटा लेना नज़र भलाई नहीं है !!... ''तनु''

Sunday, November 3, 2019

साँच कहना चाहिए अब !

साँच कहना चाहिए अब !
झूठ  डरना  चाहिए अब !!

रात काली बीत जाये !

दिन निकलना चाहिए अब !!

आँसुओं से प्यास बढ़ती !
प्रेम घट घट चाहिए अब !!

आग आग से नहीं बुझेगी !

दरिया बहना चाहिए अब !!

हो गयी गहरी दरारें !
घाव भरना चाहिए अब !!

दिल में अपने प्यार का इक !

दीप जलना चाहिए अब !!

नींद तजकर जागिये भी !

खुद संभलना चाहिए अब !!

एक ठहरा ताल बन कर !

नहीं ठिठकना चाहिए अब !!

ये ज़माना नया ज़माना !
साथ चलना चाहिए अब !!

साजिशों के जाल बुन मत !

तुझे रुकना चाहिए अब !! .... "तनु"

Friday, November 1, 2019

बुतक़दे में क्यों सजाते हम हैं पत्थर ;
फिर दिलों को क्यों बनाते हम हैं पत्थर !

हादसों ने जब बिगाड़ा जिंदगी को ;
चोट अपने ही लगाते कम हैं पत्थर !

बोलना सच इमान हर इंसान का ;
राह इंसानियत की हर दम हैं पत्थर !

खून कितने ही बहा कर चुप रहेगा ;
जाबजा पत्थर दिल ओ हमदम है पत्थर !

इक अनोखा रंग था इकरार का भी ;
मोम खुद को ही बनाता सनम है पत्थर !

एक रेले संग बह गयी है जिंदगी ;
रोक लेगा राह में ही वहम है पत्थर !

एक गुड़िया चुप रही कुछ बोलती ना ;
सुन फ़साना बहते आँसू नम हैं पत्थर !!... ''तनु''

Monday, October 21, 2019

इक लम्हा जिंदगी का निशाँ हुआ !

इक लम्हा जिंदगी का निशाँ हुआ !
मेरा ये दिल लगता आस्माँ हुआ !!

दरख्तों पर आ गए परिंदे कुछ !
सबने देखा सुंदर आशियाँ हुआ !!

रखिये सलामत घर की दीवारें !
इन्ही के कारण ये सायबाँ हुआ !!

प्यार से रहिये घर और बाहर !
जुड़कर चलते तभी कारवाँ हुआ !!

प्यार को प्यार से सँवारोगे तो !
तारे उतरें आसमा जहां हुआ !!

खुशियों की बहार आई सुनिये !
कलियाँ हँस रही यही बयाँ हुआ !!

तन्हाइयाँ रूठें तो रूठ जाने दो !
ये जलवा जाने अभी यहाँ हुआ !!... ''तनु''

Sunday, October 13, 2019

चाँद आने तलक सजा मुझको !

चाँद आने तलक सजा मुझको ! 
बहुत खूबसूरत हूँ बता मुझको!!

अक्स कोई सज़ा है या ईनाम !
आइना दे रहा कज़ा मुझको !!

साथ तेरा मुझे गवारा है !
दर्द दे और दे दवा मुझको !!

चाँद की आदत घटना बढ़ना !
बारहा सोचना पड़ा मुझको !!

चाँदनी संग चाँद का जादू !
हर जगह प्यार ले गया मुझको !!         

चाँदनी चाँद से न रूठेगी !
समझते हैं सब तुझसा मुझको !!      

चाँदनी 'तनु' खिली खिली सी है !
शौक से अब बना खुदा मुझको !!... ''तनु"





Saturday, October 12, 2019

परेशान हैं क्या करें

बारिश और बाढ़ से परेशान हैं क्या करें !
बरसा रहा बाढ़ ये आसमान है क्या करें !!

डूब गए हैं नगर, है आयी बाढ़ शहर में !
अब शमशान बन गया हर मकान है क्या करें!!

परेशां हैं कीचड़ से और खुश्क है गला!
डूबा हुआ तन बदन दिलोजान है क्या करें!!

पक्के घरों ने रोका पानी के बहाव को !
खेतों रुका पानी बहे मचान हैं क्या करें !!

दर डूबा हुआ है दरीचा भी डूबा हुआ ! 
सहम गयी हवा डूबे हवादान है क्या करें!!

फूल कलियाँ टूटी सभी किलकारियाँ रूठी !
अब बाढ़ में लाचार बागबान है क्या करें!!

 बन कर के कहर बरसा अब जीना मुहाल है!
 हैरान हिन्दू और मुसलमान हैं क्या करें!!

बुत डूबते रहे औ' शिवाले भी डूब गए !
भगवान पानी पानी, इन्सान हैं क्या करें!!... 'तनु"





गहरी जड़ें

 सरहदें हैं जहाँ नफ़रतें ही नफ़रतें वहाँ !
 पीठ छुरा भौकते ऐसी ही हरकतें वहाँ !!
 कांक्रीट के जंगल में दरख़्त ही ऐसे लगे, ,,
 बोन्साई हैं बेचारे इनकी गहरी जड़ें कहाँ !!... ''तनु''

  सरहदें हैं जहाँ नफ़रतें ही नफ़रतें वहाँ !
  पीठ छुरा भौकते ऐसी ही हरकतें वहाँ !!
  कांक्रीट के जंगल में बिन सायों के दरख़्त , ,,
  बिना पत्ती के ठूँठ उनकी गहरी जड़ें कहाँ !!... ''तनु''





पत्थर पर मैंने लिखी दास्तान तेरे लिए !


पत्थर पर मैंने लिखी दास्तान तेरे लिए !
मैं फिर बन गया हूँ आसमान तेरे लिए !!

कितनी हवाओं थपेड़ों से बचना है तुझे ! 
डूब जाय न तू ये बादबान तेरे लिए !!

देखता हूँ जिसे भी वही चश्मे-नम यहाँ !
पर मेरी इन खुशियों का दान तेरे लिए !!

मन मकीं है मेरा आ के बस जा यार अब !
पड़ा हुआ यहीं खाली मकान तेरे लिए !!

गाँव की जमीन जब रास आ गयी है तुझको !
क्यों बनाऊँ अब नगर में मचान तेरे लिए !!

जो कहता था कल तक, मैं वही सब कहूँगा !
बदलूँगा नहीं मैं ये बयान तेरे लिए !!

दस्तूर है बहारें तो आती ही रहेंगी !
इंतेज़ार में हैं मेज़बान तेरे लिए !!

आसमाँ सी ऊँचाई तू पा लेगा इक दिन !
यूँ भर रहे हैं परिन्दे उड़ान तेरे लिए !!

पलक पाँवड़े बिछाते आसमा ये धरती !
तो अब है नहीं ये पायदान तेरे लिए !!...   ''तनु''







मैं बियाबां को चमन बनाके रखूँगा !

मैं बियाबां को चमन बनाके रखूँगा !
मैं बुझते दीयों को जलाके रखूँगा !!  

तितली औ भँवरे बाग़ के महमान है!  
मैं दुआ दोस्तों की बचाके रखूँगा !!

कोई डाली नाराज़ न होने पाए !
इस बहाने गुलों को सजाके रखूँगा !!

बच्चों सा बहला, दिल नादाँ है मेरा ! 
मैं काग़ज़ की कश्ती बनाके रखूँगा !!

फिसलन बहुत और मैं फिसलूँगा जाना ! 
अब कदम मैं बहुत आज़मा के रखूँगा !!

पढ़ लेते निगाहें ये जमाने वाले !
सभी मन के ज़ज़्बात छुपाके रखूँगा !!

अभी वक्त के मारों की राहें मुझ तक !
मैं आँगन से दर को हटाके रखूँगा !!

मैं इंसा न होता,  क्या पता क्या होता ! 
हुजूरे-ख़ास में सर को झुकाके रखूँगा !!... ''तनु''

Friday, October 11, 2019

लगन कच्ची मिट्टी से लगाना है जरुरी !

लगन कच्ची मिट्टी से लगाना है जरुरी !
सभी के लिए  घरोंदे बनाना है जरुरी !!

जिंदगी में आये तो रोते क्यों रहेंगे !
हँसने के भी बहाने सिखाना है जरुरी !!

खाली हो जेब तो कुछ भी नहीं हो सकता !
भरने को पेट कुछ तो कमाना है जरुरी !!

तू है दीया हवा से लड़ना ही पड़ेगा !
झूठी बात से पर्दे  उठाना है जरुरी !!

मैंने तेरे लिए है नव सूरज उगाया !
तुझे इन अंधेरों को भगाना है जरुरी !!

सागर में सफीनो को चलाने से पहले !
काग़ज़ की नाव मिह में चलाना है जरुरी !!

जिंदगी मौत में जीत किसकी कौन जाने ?
जीने के ''तनु''अंदाज़ सिखाना है जरुरी !!... ''तनु''

Thursday, October 10, 2019

बहुत चले अभी रुको तुम

ओ मेरी आशा और विश्वास के साथी 
ये है मंज़िल तुम्हारी !

बहुत चले अभी रुको तुम ,
ग़म में जले अभी बुझो तुम !
ज़िन्दगी की राह प्यारी अब नहीं संघर्ष भारी !!

हुए गरल के खाली प्याले,
निगले कितने सूखे निवाले ! 
तुम्हारी परख की आ गयी है आज बारी !!

तूफ़ान देखो शांत हो गया,
सबसे बड़ा इंसान हो गया !
पल में जिसने मिटा दी दुखों की सृष्टि सारी !!

मत कभी विश्वास तोड़ो,
बोलता इतिहास पढ़ लो !
मन की कर न पाया हो कोई भी विध्वंसकारी !!... ''तनु''

Tuesday, October 8, 2019

बसंत बीच अटकी साँस ले

बसंत बीच अटकी साँस ले मुरझा रही है ज़िन्दगी !
काया हड्डियों की बन सिकुड़ती जा रही है ज़िन्दगी !!
बिखरे विनाश और दुख के बीच कहाँ ठिकाना पाऊँ , ,,
प्राणों का गीत अधूरा गह गह  गा रही है ज़िन्दगी !!... ''तनु''

जीवन की छोटी छोटी खुशियों से !


जीवन की छोटी छोटी खुशियों से !
कितने स्नेह-समुन्दर लहराए हैं !!

माटी  के इन नन्हे नन्हे दीपों से !
सारे भवन जगमग जगमगाए हैं !!

अंधियारी अमा की रजनी न्यारी !
दीपक झलमल ज्योति झिलमिलाये है !!

मन मरुथल में नव दीपक भावों के !
भाव प्रवण हो सब कुछ कह पाए हैं !! 

जलते कब तक अब ये क्षीण हो चले !
तारक-शशि, दीपक अब बन पाए हैं !!

चरण देख मुग्ध हुई काव्य वाटिका !
कविता के नव प्रसून खिलखिलाये हैं ! ... ''तनु''