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Monday, September 26, 2016




कैसे कह दूँ बात मैं  ,  छुपे नहीं जज्बात  !
नैनों को मैं मीच लूँ ,  कहीं करदे न घात  !!
छुपती है हर बात ना खुली ढोल की पोल , ... .
कान कहाँ दीवार के ,  कैसे खुलती बात ??....  तनुजा ''तनु ''




जगतनियंता चल पड़े,   ले मधुमय संगीत ;
सबकी अपनी चाकरी ,मिले हार औ जीत !
मिले हार औ जीत,  छल रहा यम का फंदा !
जीवन की यह रीत,    चलाते जगतनियंता !!... ''तनु ''



बोलता अब  मौन रहा, मनआखर की बात ;
पुस्तक किस्मत बावरी, कौन पढ़े जज़बात !
कौन पढ़े जज़बात, कौन विधि लेख खोलता  
दिन जाने ना रात ,     रहा अब  मौन बोलता !!.तनुजा ''तनु ''

गुलाब


आप जिसको गुलाब कहते हैं ;
आब का जमीं को जवाब कहते हैं !

आँच सा तपता है ज़रा देखो ;

दीया, ..  कभी आफताब कहते हैं !

ओस से नहाया है अल सुब्ह ही ;

हम इसे नज़ारों की शराब कहते हैं !

डूबकर नज़र की गहराई में ;  

कल खिला कल का खाब कहते है !

चूम नज़रों से इस नियामत को ;

 गीत,  गजल, की किताब कहते हैं !....तनुजा  ''तनु ''

Saturday, September 24, 2016


तू ही बता 

तू कहाँ है ?  ढूँढता हूँ ताब तेरा ;
आसमा में अब नहीं मिलता आब तेरा !

झुक गया मैं सजदे में खो देर-ओ-हरम ;
देखता हर सूं रहा,  कहाँ बाब तेरा !

छूट ना जाए कहीं ये सिलसिला भी ; 
खाब ही था, खाब है तू, ये खाब तेरा !!... 

कौन सम्हाले कौन रखवाली करेगा ;
तू नहीं तो कौन देखे असबाब तेरा !


आ यहाँ की रौनकें आँसू बहाती ;
काश आये याद तुझे अहबाब तेरा !... ''तनु ''

Wednesday, September 21, 2016





अपनी अपनी भाषा तो सबको प्यारी है ,
मेरी हिंदी तो सभी भाषाओं से न्यारी है !
जैसी बोलो वैसी लिख लो है सरलता इसमें, ,, 
स्वरों और व्यंजनों से सजी ये फुलवारी है !!..''तनु ''

Wednesday, September 14, 2016




कल से कल मज़बूत है,  कल ही का है राज !
कल ही से बनाएँगे ,      कल को सुंदरआज !!''तनु ''

Tuesday, September 13, 2016



आभार 

मुझे आपके नेह की ,        सदा रही दरकार!
शुभकामना बहुत मिली ,  मिला आपसे प्यार !!

ये शुभेच्छा आपकी, फिर कर गयी निहाल!
आशीर्वाद आपके,           मैं हूँ मालामाल !!

आगमन हुआ आपका ,मिला आपसे प्यार !
नमन कर रही आपको, बहुत बहुत आभार !!....तनुजा ''तनु ''



क्षमापणा ,,... 

क्षमा मुझे कर दीजिये, रचना रचनाकार ,
मैं तो कवि हूँ ही नहीं, न ही साहित्यकार !
न जानती कोई विधा , ना कोई आचार , ,,,    
अक्षर माला पिरो गए , मन के कुछ उद्गार !!...तनुजा ''तनु ''

Sunday, September 11, 2016




कश्ती कागज़ की

बचपन बीतता खुशियों ,     खेले कैसे खेल !
कागज़ से जहाज़ बने, मुँह से छुक-छुक रेल !!


 कितनी दूर जा सकती,    ये कागज़ की नाव !
 गल कर डूबती पल में , मत कर इसका चाव !!

 ये कागज़ की नाव है,       ना पंछी ना गाँव !
खिल खिल बच्चों की हँसी, ठंडी ठंडी छाँव !!,.... ''तनु ''


Saturday, September 10, 2016


बोल रहा अब मौन है, दुःख की यह है बात ,
मनु दुश्मन है मनुज का,  कैसे करता घात !!



मंजुल मंजुल मंजुला,      मन मोहे हरबार !
जीवन में खुशियाँ मिले, दुःख ना आयें द्वार !!..''तनु ''




ये कैसी है आस्था, खुद लुटने की चाह !! 
कौन सम्हाले इनको, कौन बताये राह !!
लूटे झूठे संत,  अशिक्षा बनी है कारण, ..  

कौन सुझाये पंथ, और कौन पकडे बाँह !!... ''तनु ''

Friday, September 9, 2016



गुरु की भक्ति है भली कर जाए निहाल ,
कृपा मिले जो उनकी हो जाए मालामाल ,
हो जाए मालामाल, शिखर पे गुरु पहुँचावै !
बिन हल्दी फिटकरी रंग ज्यूँ चोखा आवै !!
गुरु महिमा अनंत है सबको लेती पाल,
गुरु भक्ति में डूबकर सुंदर करले चाल !!तनुजा ''तनु''






आपणी आपणी बोली तो सगळा ने प्यारी है ;

पण म्हारी मालवी तो सगळा से न्यारी है !

काका दादा भाभी जीजी बेन भई ओ मामा , 
,,
थां से म्हासे सगळा से सजी या फुलवारी है !! ''तनु ''


बोल रहा अब मौन है, दुखी है एक साज
मरम रचा है मरम से, खोल रहा है राज 

Thursday, September 8, 2016




राधिके , ... 

प्यारी मोहन राधिके ,  हिय में बसै हमार,
मन तोहे समर्पित है ,   जाप  हजारों बार !
जाप हजारों बार,  तुम ही मोहन मन बसी !
चाकरी जी लगाय,  चरनन में है मति रची !!  
मोहे राधा मोह ,      मेरे मना गति न्यारी !
सहूँ कैसे बिछोह,   राधिके मोहन प्यारी !!... ''तनु ''




Wednesday, September 7, 2016





 गुलाबी सी विभावरी ,    पूनों का प्रकाश ,
 पलक बिछाए बावरी, सोया सा आकाश !
 सोया  सा आकाश ,   पल्लव द्रुम भी सो रहे ;
 मन में थी इक आस, सपन मिलन में खो रहे !
 चाँद यामिनी साथ क्यों खोयी है बिलासी ?
 हँसे मंद आकाश,     विभावरी है गुलाबी !!.... ''तनु ''                              




चाँद सा दिल आसमां में लटका है ;
सुखद सुन्दर एहसास में अटका है !
ये किसने खुशियों के रंग हैं बिखेरे ,
हिचक कैसी ? क्यों राह में भटका है !!,...''तनु ''




ये चाँद भी न ,....

परदा झीना मान का, पाया रंग उधार !
पल में उतर जाएगा, मुहब्बत का बुखार !!

लेकर खुशियाँ चाह की, दरदर भटकी रात !
चाँद एक जलता दिया,  पर क्यों रूठा रात !!

ये है अभिनय चाँद का,  रवि जैसा प्रभास !
जगा कर सो जायेगा , पौ फटने की आ !!

 दिल लेकर चाँद भटका,     बीती जाती रैन !
 अमा पूनम में अटका,     कहीं न पाया चैन!!

एक गुलाबी रात का ,       ये रहा मेहमान ?
झूठा निकला बात का ,  जानता है जहान !!....तनुजा ''तनु ''








दिल आसमां का लिए चाँद  निहारता है जमीं को ;
आसमां भी उफ़क चूम कर निखारता है जबीं को! 
कितनी रंगीनियाँ  हैं कायनात में आओ कि देखो , ,,
 कौन है!! खुद को सँवार कर सँवारता है सभी को !!..''तनु ''

Sunday, September 4, 2016





पेला मनाऊ गणपति ने,   थें सकलविघन ति तारणवारा ;
मोदक भोग उमासुत ने महा दुःख कलेस विनाशनवारा ! 
बुद्धि के दाता सिंधुरवदन हो ,  वासरमणि तमहारनवारा , ,,, 
मोक्ष की चाह  पाय लगूँ  मत देर करो वर देवनवारा  !!... ..तनुजा ''तनु ''   

Saturday, September 3, 2016







कहाँ चल पड़ी ये जिंदगी, अहसास दर्द के घट गए ;
कहाँ खो गयी है बंदगी,   शूल दामन से लिपट गए , ,,
इक था फरिश्ता चाँद सा कौन अब राह दिखाएगा ?
खुद की सलीब हम ढो रहे,  कैसे ये पासे पलट गए ??...''तनु ''


माँ



दूत की जब बात चले तब ''रामदूत'' की बात ही क्या ;

बालक सम बन के रहे उस अवधूत की बात ही क्या !


प्यार सब पर लुटाती   बहन, पत्नी, बेटी  बनकर वो , ,,, 

जननी  की जब बात चले ''माँ '' रूप की बात ही क्या !!... ''तनु ''


दूत की जब बात चले तब राम दूत की बात ही क्या ;

बालक सम बन के रहे उस अवधूत की बात ही क्या !

निराहार रहे कंठ सूख रहे निद्रा सुख भी त्याग दिया , 

जननी पालनहार है वो माँ सम रूप की बात ही क्या !!..''तनु ''
                     

Friday, September 2, 2016




प्रथम मनाऊँ मैं गणपति को वो हैं सकल विघ्न के हारे ;     
मोदक भोग उमासुत को महा दुख कलेश विनाशनवारे !   
बुद्धि के दाता सिंधुरवदन को वासरमणि जो तम टारे , ,,,
मोक्ष की चाह पाय लगूँ मत देर करो वर देवनवारे !!...तनुजा ''तनु ''   

Thursday, September 1, 2016



नन्हे बटुक बताओ तुम अवधूत कब बने ? 
दाँत तले जिव्हा दबी बंदआँख कब खुले ?
कुछ कर बैठे हो अब बता भी तो दो जरा ?
धूल धूसरित हो बैठे क्यों शैतानियों तले , ..''तनु ''




बचपन बीतता खुशियों ,     खेले कैसे खेल !
कागज़ से जहाज़ बने, मुँह से छुक-छुक रेल !!
 मुँह से छुक-छुक रेल !! फुलवारी ऐसी सजी   
 झूला डोले  डाल ,         झूले में गुड़िया सजी 
 पेड़ लगाओ सब भूल,   तुम सँवारो पचपन,  
कोमल कोंपल फूल,  हँसाता हँसता बचपन !!... तनुजा ''तनु ''