Labels

Tuesday, September 30, 2014

तितली खोई-- गोरैया खोई !



तितली खोई-- गोरैया खोई !
आँख क्यों तब भी नहीं रोई !!
मैं मनभावन तुम मनभावन,,,,
बतलाओ तो कौन है रावण ??


प्रकृति की उदास आँखें हैं ,
शब्द नहीं हैं कहने को !
बुलबुल रोई सूखी शाखें हैं ,
अश्रु नहीं हैं बहने को !
गोपी नहीं , नहीं कोयल अब,
 मधुबन गीत गुंजावन !!!
मैं मनभावन तुम मनभावन,,,,,
बतलाओ तो कौन है रावण ??


बादल का संयम है टूटा,
कहीं भी बरस जाते हैं !
मोरों से संगीत है रूठा ,
नृत्य को तरस जाते हैं !
तानसेन तो रहे नहीं अब ,
गाकर कौन बुलाये सावन !!!
 मैं मनभावन तुम मनभावन,,,,,
बतलाओ तो कौन है रावण ??


टूटे रिश्ते है खोई ठाँव ,
बिरहिन बन रोता गाँव !
गाँव की बेटी अपनी बेटी ,
जल गयी वो पीपल छाँव !
अपनी ढपली अपना राग अब ,
नहीं कोई आये ''समूह'' गावन  !!!
 मैं मनभावन तुम मनभावन,,,,,
बतलाओ तो कौन है रावण ??…


अंधड़ बन गयी पवन मंद ,
सबके सब हैं दरवाज़े बंद !
भूला पथिक नहीं आएगा ,
दर कोई नहीं खटकायेगा !
एप्प की चाहत नेट की रंगत ,
अब भूले सम्मुख बतलावन !!!
मैं मनभावन तुम मनभावन,,,,,
बतलाओ तो कौन है रावण ??… ''तनु''




         










  
मैं मुमुक्षु बन माँ ---द्वार तुम्हारे आया !
कितना पापी हूँ माँ ,कल्मष धोने आया !
हे महागौरी  काज सवांरो ,,,
मैं द्वार तुम्हारे आया !!
मैं मुमुक्षु …………

गौर वर्ण है  तुम्हारा तुम महा गौरी कहलाती हो !
कुंद के फूल ,शंख , चन्द्र सी श्वेताम्बरा धारी हो !
अष्टवर्षा भवेद हो चांदनी ने तुम्हे नहलाया !!
 हे महागौरी  काज सवांरो ,,,
मैं द्वार तुम्हारे आया !!  मैं मुमुक्षु …………


चार भुजा है, वाहन वृष है, --- वृषारूढ़ा कहलाती हो !
अभय , वर मुद्रा है, अमोघफलदायिनी कहलाती हो !
कठोर तपस्या करके माँ ने महादेव को पाया !!
 हे महागौरी  काज सवांरो ,,,,
मैं द्वार तुम्हारे आया !!  मैं मुमुक्षु …………


पाप हरके हमारे,, हमको अलौकिक सिद्धियां देती हो !
डमरू, त्रिशूल की महिमा न्यारी भव पार लगा देती हो !
गंगाजल से नहाकर  नाम महागौरी कहलाया!!
 हे महागौरी  काज सवांरो ,,,,,,,,
मैं द्वार तुम्हारे आया !!  मैं मुमुक्षु … ''तनु ''








है रूप माँ का अति विकराल !
गले में  है विद्युत की माल !!
तीन चक्षु वाली मेरी माँ ,
भागता डर  के उनसे काल……


सहस्त्रार चक्र स्थित साधक है ,
ब्रम्हांड की सिद्धियां देती माँ !
सहस्त्रार चक्र पर स्थित सूर्य है  ,
बाधा  कलेश मिटाती  माँ !
मंगल कारक देवी कालरात्रि हैं,
श्रद्धा भाव से चढ़े जयमाल ,,,,,,,  है रूप माँ


नयनों की ज्योति राह दिखाए,
रूप देख कर पापी डर जाए!
इनके साधन अर्चन से ही,
पथ के सब कंटक मिट जाए!
व्यापार नौकरी धन देकर माँ,
करदे सबको मालामाल ,,,,,,,,,  है रूप माँ


वाहन है इनका गर्दभ निराला ,
वर मुद्रा में दायाँ हाथ उठे !
श्वास प्रश्वास  जलती ज्वाला ,
माथे चन्द्र  मुकुट सोहे !
विनाशिका बन दुष्ट संहार करे.
दूर होती तमस  रात्रि काल ,,,,,,,,है रूप माँ






Monday, September 29, 2014

महर्षि कात्यायन की पुत्री हैं अपनी कात्यायिनी माँ ,
सिंह पर सवार चार भुजा हैं अनगिन फलदायिनी माँ ,
धर्म अर्थ और काम मोक्ष के सुन्दर फल देने वाली  !!!
स्वस्तिक आशीर्वाद हाथ लिए महिषासुरमर्दिनी माँ ,,,,,''तनु ''
काश के निशान कदमों के छोड़े होते ?
पाप नहीं पुण्य की तरफ ही मोड़े होते ,,,
भला ये चप्पलें कितने दिन चलेंगी ???
पहले ही वहां चल लेते जहाँ रोड़े होते ,,,,,,,,,,''तनु ''
ललिता का लालित्य    ये बूझ सका न कोय !
इतना कनक क्यों धरा ?  पूछ सका न कोय !!
नाक के नीचे,,,,,,,, न जाने कितने चूहे खाए !!! 
बिल्ली के गले में घंटी --- बाँध सका न कोय ,,,,,,,,''तनु ''

Sunday, September 28, 2014

माँ तुम्हारे ''पाँचवे स्वरूप'' की  महिमा गाऊँ  मैं ,
कमल आसन   पर बैठी ''पद्मासना'' रिझाऊँ मैं , 
विशुद्ध चक्र में अवस्थित हूँ, पराक्रम, शान्ति दो!!!
स्कन्द बनाओ मुझको आपके चरणों में पड़ा हूँ मैं ,,,,,,,,,,,,,''तनु ''

Saturday, September 27, 2014

लई धनुस  बान , गदा चक्र, अमृत कलस , कमल धारण करवा वारि माँ !!!
मंद हास  लई ने  माता जग वणायो  , मंद मंद मुस्कावा वारि माँ  !!!
जगरातो दई  !!! पूजी ले !!!  थारी  आधि - व्याधि छूटी जाएगा !!! 

 चौथो रूप रुपारो  ''कूष्मांडा'' माँ -------------- बलिहारी मैं थारी माँ !!!  … ''तनु ''
धनुष बाण, गदा चक्र, अमृत कलश, कमल धारण किए आए, 
मंद हास्य से माता सृष्टि उत्पन्न करके , मंद मंद मुस्काए ,  
आराधना करके !!!  आधि - व्याधि से मुक्त हो जा मानव!!!  
चौथा रूप माँ का--- ''कूष्मांडा'' -----    मन में उतरता जाए , ''तनु ''
जीवन में संयम, समाज में संयम, की ढील हुई ,
परिजन ही खतरा बने ,  कन्याओं की लील हुई ,
दीपक का उजाला हो या चमक हो सूरज की !!!
रोशनी स्वयं ही, मांस - लोथड़े खाती चील हुई ,,,''तनु ''

Friday, September 26, 2014

देव जागो ---- शक्ति पूजन है,
भाव सुन्दर हों  यही मार्जन है ,
भीतर का मातृ भाव ही शक्ति !!!
मलिन मन --  कैसा अर्जन है ?  … ''तनु ''
निर्माण करे -- माँ देह का ,
सम्मान करे माँ,  देव का ,
सृष्टि निर्माण माया है माँ !!!
सृजन साज काज नेह का ,. ''तनु ''
माँ !!! विराजो  घट में , ---------- घट - घट में विराजो !!!
माँ !!! विराजो  पट में , ---------- पट-पट  में   विराजो !!!
ब्रह्मचारिणी रूप !!! कमंडल जप माला लिए ,,,,,
माँ !!! विराजो !!! ब्रह्मचर्य लिए , मन - मन में विराजो !!!  ''तनु '' 

Thursday, September 25, 2014

ये खिलौना नहीं है   ये ग्रह मंगल है, 
मिल कर राहु से कर देता   दंगल है ,
तेरा भी, मेरा भी, अच्छा भी, बद भी,,,,,
फूल फुलवारी को कर देता जंगल है  ........''तनु ''..... 
मंगल पर हो सकते हैं कचरा पहाड़ या राई 
हो सकते हैं भक्त ,पूजा, भक्ति,-  ओ साँई 
न है,,,,, न होगा,,, दूजा सम्पूर्ण पृथ्वी मंगल पर 
हमारे अपने, प्यारे, दुलारे,-- इस्माइल भाई,,,''तनु ''
पहली बार में ही मंगल अभियान -----  मंगल हुआ ,
मंगल यान की सफलता  ---    मंगल सुमंगल हुआ !
सम्पूर्ण देशवासियों को बधाई हो इस मिशन की !!!
''इसरो'' बधाई !!!शुभकामना!!! सुमंगल मंगल हुआ ,,,,,,,''तनु ''
पहले कचरे का ढेर  ----  लगाएंगे ,
फिर इसको ------ धुएँ में उड़ायेंगे ,,
नाम सफाई के हम करेंगे क्या  ??? 
शायद और और प्रदूषण फैलाएंगे !!  ''तनु '' 
ठंडा करके खाओ गरम  -  गरम मत गीटो , 
सांप चला गया अब ----- लकीर मत पीटो !
सदा मेहमान नवाज़ी की परम्परा है हमारी ,
सदा सद्व्यवहार रखो  -- सबका मन जीतो !!.... ''तनु ''

Tuesday, September 23, 2014

''माँ ''


सौ सौ दुआएँ ,
लक्ष लक्ष हो जाती । 
माँ के मुख से ,,,,,,,,,,

पीड़ पराई ,
भर लेती दामन । 
माँ तेरी मेरी,,,, 

आँचल माँ का,,,, 
 तन मन धन का । 
बोझ न रहा , 

सम्पूर्ण सुख, 
माँ के आँचल तले। 
पाया न ग़म,,,''तनु ''



रग  दुखती है के----  हाथ न धरो तुम
कल मरना है के---- आज न मरो तुम
राहे कंटकाकीर्ण नहीं होती सारी,,,,,,,,,,,,,,
सीट नहीं मैदान को अपना करो तुम। …'' तनु ''

तीन जूते  दो लोग  कैसे पहनेंगे ?
नहीं पहनेंगे नहीं वो कैसे पहनेंगे !!!
नंबर का जूता लाओ या बदलो टांग,,,,,,,,,,,,,,,,,,
या बचे एक को अपने ही सर ठोकेंगे !!!…''तनु ''

Monday, September 22, 2014

''माँ ''


मन अथाह सागर है गहरा,
''माँ'' महिमा कैसे गाऊँ !
जितना भी मैं चाहूँ लिखना ,
कुछ भी मैं न लिख पाऊँ !!


दृष्टि तुम्हारी पावन पावन ,
दिल पर छाया करती है !
और कामनाएं  मेरे मन की , 
तुम्हारी दृष्टि तले सँवरती है !
सूरज की लाली लेकर मैं ,
''माँ ''अक्षत कुमकुम बिखराऊँ !!
जितना ……………


मेरी जिव्हा का पहला शब्द ,
भगवान से पहले ''माँ''आया !
मेरी राहों का पहला कदम ,
माँ तुम तक ही तो आया !
चाँदनी ले तुमसे शीतलता , 
''माँ ''तुमसा शीतल कैसे हो पाऊँ  !!
जितना  …………… 


मेरे प्राणों संग प्राण तुम्हारे , 
तुमसे ही तो जीवन मेरा !
मेरी हंसी की निश्चलता ,
तेरे नयनों के भाव भरे !
फूलों से रंग भीनें लेकर , 
''माँ ''तेरी चुनर को रंगता जाऊँ !! 
जितना ……………


जितनी खुशियाँ जितने सुख ,
तुमसे ही तो जो मैंने हैं पाये !
तुमने ही तो राहों में  मेरी ,
जगमग जगमग दीप जलाये !
दीपकों का उजियारा लेकर ,
''माँ''मैं सूरज सा बन जाऊँ !!
जितना भी मैं चाहूँ लिखना  ,
कुछ भी मैं न लिख पाऊँ …''तनु '' 
               












बदलाव आता नहीं कभी आदत ओ खुराफ़ात में ,
अंतर कुछ तो रहता है,---  जले दूध ओ छाछ में !
समझ गए आपसे तो दूर ही से नमस्ते अच्छी !!!
क्यों गले पड़ जाते  हैं ?? यूँ आप बेबात बात में ,,,,,,,,,,''तनु '' 

Sunday, September 21, 2014


गुन अपार 
आर पावै न पार 
तल अतल .... ''तनु ''
सींच  सृजन 
नियमित मंथन
गीत मुखर  ......'' तनु ''

जब दिल टूट जाते हैं आस्था बिखर के रह जाती है,
मन्नतों और शिवालों में श्रद्धा मर के रह जाती है !
सुलगते दहकते  जख्मों को कहाँ ले जाके रोयें हम, 
सूखे अश्रु, बंजर दिल , ....  आहें जर के रह जाती है !!.... ''तनु ''
लोमड़ी ने न पाये अंगूर तो अंगूर खट्टे हो गए ,
इबादतों में दम न था तो खुदा से कट्टी हो गए ,
आस्था औ विश्वास  से ही ये दुनिया कायम है !!!
श्रद्धा से न सींचे थे ---- दिल तो बंजर हो गए ,,,,,,,,,,,,,,''तनु ''
या 
श्रद्धा से न सींचे थे ----दिल तो भट्टी हो गए 

Saturday, September 20, 2014

कलम ने ना कही बात
ये चित्र -कह जाए बात
शेर होता- -तो देते दाद
बार बार कहते इरशाद।  ''तनु ''
जो तुम्हारा नहीं उसे तुम भूल क्यों नहीं जाते !
जो तुम्हारा है उसे --- तुम क्यों नहीं अपनाते !!
नाहक इधर नाहक उधर न धरती न ही अम्बर,
जो राह तुम्हारी है तुम उधर  क्यों नहीं जाते  !!''तनु ''
फूल जादुई हैं या ये कोई, मसालेदार सालम है ,
इबादतों का दौर है ----प्रार्थना का ये आलम है!! 
मुस्कुराते फूलों तुम सदा मुस्कुराते ही रहना !!!
बनी बात कभी न बिगड़ेगी खुदा को मालम है ,,,,,,,,,,,,,,,''तनु ''


श्रद्धा न होती तो नहीं होते  मीरा के शालिग्राम ,
माता पिता के चरणों में. गजानन के चारों धाम ,
रहा  चंगा मन तभी तो कठौती में  आई है गंगा  !!!
मंदिर घट में है आया जब रोम रोम बसें हों राम,,,,,,,,,,,''तनु '' 

मान लो , चन्दा तुम हो   सदा के चोर , 
उस अदालत आओ …जो लगती भोर !
क्यों छुप जाते हो ले अपने सब संगी ,
ओढनी !!! तारों की ले .....  नई नकोर !!! ''तनु ''

Friday, September 19, 2014

कैसी हमारी सदाशयता ??  वो कर रहे घुसपैठ ,
नहीं जानते ???जैसे कुछ हमेशा ऐसे रहते ऐंठ !
कहीं चीनी पानी घुल अतिसंतृप्त न हो जाए !!
खिलौने ''औ '' अन्य वस्तुओं के लुभावने पैंठ !!! …''तनु ''

Thursday, September 18, 2014

  पराकाष्ठा प्यार की मिठास में ही नहीं होती ,
  अधिक चीनी खाने से डायबिटीज़ नहीं होती , 
  बिना मिठास के रिश्तों में मधुरता आएगी , 
  बिना चीनी की चाय , क्या चाय नहीं होती ???.... ''तनु ''
भारतीय चरखा है ----ये चीज़ मेड इन ''चायना नहीं है ''
गांधी की आत्मा है -- बाल आया हुआ ''आईना नहीं है ''
सीमा पर घुसपैठ ये बहुत  पुराना  मुद्दा ठहरा है !!!
अब उसका-- बार बार दोहराना , कोई ''मायना नहीं है ''.... ''तनु ''

भारतीय चरखा है ----ये चीज़ मेड इन ''चायना नहीं है ''
गांधी की आत्मा है -- बाल आया हुआ ''आईना नहीं है ''
सीमा पर घुसपैठ ये बहुत  पुराना  मुद्दा ठहरा है !!!
अब उसका-- बार बार दोहराना , क्या ''मायना नहीं है ''.???... ''तनु ''

Wednesday, September 17, 2014

उप चुनाव की मंज़िल बिलकुल न समझो कठिन है,
हर चुनाव के मुद्दे , हमेशा रहते--- भिन्न भिन्न हैं ,
उप चुनाव के कुछ नतीजे चौंका गए हमें ???
जाएं किधर -- ये सोच सोच मन उदास है, खिन्न है ,,,,,,,,,,,''तनु '' 

Tuesday, September 16, 2014

तू मेरा घोडा में तेरा घोड़ा
में कहता तू चल
तू कहता मैं चलूँ
इस असमंजस की दौड़ में
तू भी वहीँ मैं भी वहीँ। ''तनु ''

Monday, September 15, 2014

देखो !!!
तुम !
हवाओं को कभी ,
नाराज़ ना करना !
ये नाराज़ होकर ,
तूफ़ान बन जाती हैं ! 
और !!! 
बुझा देती  है दीया ,
दे जाती है दर्द !
कभी न मिटने वाला ,
कि फिर पत्ता खड़कने ,
पर,
काँप जाती है,
रूह भी !!!… ''तनु ''



हिंदी है हमारी माँ ,,,,,,,,,पर हिंदी में बिंदी भूल जाते हम ,
लपेटते  रोमन में हिंदी को,,,,,, देना चिंदी भूल जाते हम ,
हिंदी दिवस का ढकोसला हिंदी को आगे कैसे बढ़ाएगा ???
एक दिन की हिंदी बाकी वर्ष भर को हिंदी भूल जाते हम !!,,''तनु ''

Saturday, September 13, 2014


 हिंदी हमारी 
 झूमें नभ जाकर  
 विश्व में छाए ,,,,,

सबकी भाषा 
मान पाये हिंदी में 
अक्षर गाएँ ,,,,

मरती हिंदी 
कर्मकांड को देख 
खून  खौलता ,,,,

हिंदी दिवस 
एक दिन हिंदी का 
साल अन्य का ,,,

अपनाये है  
लहज़ा पश्चिम का
हिंदी भी आज,,,,,''तनु ''







चूम रही हिन्दी नभ को, -- सम्पूर्ण विश्व में छाए ,
बनी उतरे परियों सी , -----  सबके मन बस जाए !!...''तनु ''

जब भूख पेट  में  आग लगाती !
 हर गोल चीज रोटी दिख जाती!!
 सूरज भी बन रोटी चमकता !
 दीखता जब रोटी न दिख पाती!!........''तनु''







सब भाषाओं की माँ है सरस्वती ---प्यारी हिन्दी  मेरी !
मान बढ़ाती हम अभिमान हैं करते प्यारी हिन्दी मेरी !! 
सब भाषा  ................... 

गुलदस्ते के--- सारे फूलों में फूल वो गुलाब का !
सपनों को रोज़ सजाए पर बन कर- सुर्खाब का !
घुल जाती यूँ मन में ऐसे मिश्री की डली हो जैसे  …
भौंरे आकर गुण गान सुनाते ऐसी हिंदी मेरी !
सब भाषाओं की माँ है सरस्वती प्यारी हिन्दी मेरी !!
मान बढ़ाती………… 

दीपावली के दीपों में जगमग प्रकाश होता है !
भाव सजा के कवि कविता के मोती पोता है !
भाव सजाते चलते शब्द ज्वाजल्यमान हों जैसे  …
नभ के चन्दा सूरज चमकते ऐसी हिन्दी मेरी !
सब भाषाओं की माँ है सरस्वती प्यारी हिन्दी मेरी !!
मान बढ़ाती …………
…  
बुलबुल जैसे गाये तराना कोयल कुहूकती जाए !
झरना झर झर नदिया कलकल कह बहती जाए !
हिन्दी  भाषा सौन्दर्यवान है अक्षर मोती जैसे .... 
ज्ञान जगाती पाठ पढ़ाती प्यारी हिन्दी  मेरी !
सब भाषाओं की माँ है सरस्वती प्यारी हिन्दी मेरी !!
मान बढ़ाती………… ''तनु ''

Friday, September 12, 2014

  जब बात कभी निकलेगी हम किस्सों में मिल जाएंगे, 
  जब चाँदनी तुम्हें रुलाएगी हम यादों में मिल जाएंगे, 
  प्रकृति के सुन्दर नजारों को वक्त की छड़ी संवारेगी, 
  जब सूरज दिन उगायेगा हम फूलों में खिल जाएंगे ,,,,,''तनु ''


तिरोहित हुए ये सारे तरीके - मांगने वोट के ,
आपदा आती  नहीं साथ में - हरे हरे नोट के 
कर्म शुभ हों तो किनारा भी दूर नहीं होता !!!
पार लग ही जाता है मुसाफिर- बिना बोट के ,,,,,,,,,,''तनु ''

Thursday, September 11, 2014

गले गले तक डूब  गए -  चुल्लू कहाँ से लाएँ  ,
कीचड ,पानी देख के ---  ज़ार ज़ार  रो जाएँ !
पानी की एक बूँद हो गयी अब स्वाति की बूँद !!
बिजली बिन फिल्टर प्लांट भी नाकाम हो जाएँ   ,,,,,,,,,,,,,''तनु '' 

Wednesday, September 10, 2014


हम सीढ़िया चढ़ें, चढ़ते रहें,  रीढ़ियाँ मज़बूत हुईं !
रीढ़ियाँ मज़बूत हुईं, देखो तो ! पीढ़ियां मज़बूत हुईं !!
मन काँधे पर नन्ही पकड़ स्पर्श नन्ही छुअन सी ,,,,,,,
तकती मोती हैं बंद जिनमें सीपियाँ मज़बूत हुई !! ''तनु ''


 चाँद !!!
 एक बिगड़ा बच्चा ....... 
 उसने है ये खेल रचाया ,
 माँ की आँखों से ओझल हो 
 सागर के संग मेल दिखाकर 
 ज्वार भाटा दे ,.
 डराता,.....हँसाता,.
 कल्पना के रथ पर सवार हो.… 
 कवि बनाता !!!
 धरती के लोगों को ,,
 और धरा कुछ न कर पाती ,
 न रोक सकती चाँद को,
 न रोक सकती उठती गिरती लहरों को ,
 न कवि को कविता बनाने से,
 चाँद अमावस पर भी खुश !
 चाँद पूनम का भी खुश !!
 करके मनमानी !!!… ''तनु ''
कॉपी किया है ???

कॉपी ??? कॉपीड लिख देने में दर्द कैसा ???
कहीं से भी लाये हों बता देने में दर्द कैसा ???
जिस किसी की भी रचना है ....  वो भी खुश हो जाएगा ,,,,,,,
बोलो बाँट के खाने में अब दर्द कैसा ?? ……:)



दूर के दाग !!!
सुहाने नहीं होते ,
पीड़ित मन ,,,,

 दाग धो रही  ,
ये उद्दाम लहरें !!!
नाता धरा का ,

 विधु विनोद, 
ज्वार भाटा सुरम्य,  
खेल विधि का !!!

 दागमय तू ?
लहर पहाड़ छू ,,,,,,,
वन अकेला !!!

ज्वार उमड़ा,
छूने नभ का चाँद ,,
विवश धरा ,,,''तनु ''













Chief cartoonist at dabang duniya....... से साभार 


मेरे दुखी दिल की आवाज़ --- खुदा तक यूँ पहुंची !
उड़ते हुए  कैसे ये दख्वास्त --- उन तक यूँ पहुंची !! 
फाईल दबाने में पैसे फाईल आगे बढ़ाने में पैसे  !
खुदा की कुदरत है,फाईल यहां उन तक यूँ पहुंची !!  ''तनु ''


आदमी ही आदमी की फाईल को दबा देता है !
 न सम्हाली जाएँ तो--- आग ही लगा देता है !
 ये बात जुदा है  जो ये बाढ  में बह जाएं कहीं  !
इसी तरह से कोई यूँ नामो निशां मिटा देता है ! ''तनु ''


 

Tuesday, September 9, 2014

 वायु  प्रदूषण से बढ़ते  सूखे और बाढ़ का खतरा !
 सूखे से अवर्षा और अवर्षा से अकाल का खतरा ,
 ग्लोबल वार्मिंग से झुलसता ज़मीं का टुकड़ा !!!
 रहा स्वप्निल धरती के टूटते स्वप्न का खतरा ,,,,,,,,,,,,,,''तनु ''

Monday, September 8, 2014

सारी  कौमों को,  कॉम्ब करके झाड़ दो !
सिर्फ एक ही कौम  हो बाकी उखाड़ दो !!
एक कॉम जिससे देश गौरवान्वित हो !
कॉम हो या कौम हो ऐसा हमें उपहार दो !!"तनु''

Sunday, September 7, 2014

लफ्ज़ोँ की कमी
अहसास अमीर 
अलहदा हूँ। .... ''तनु ''
त्रिवेणी

जानती हूँ टूटे  छप्पर को सहारा कौन देगा
जानती हूँ जिद्दी मौसम को कौन बदलेगा

लो फिर बदले हैं बादल बूंदों में 
विसर्जन .... 

कुरूपता क्यों ? जगत में व्याप्त है,,, भगवान के नाम पर !
नीचता पर ही पहुँच जाता नर है,,,,,, भगवान के धाम पर !!
मजबूर होकर सोचते होंगे गजानन ,,,अब न आउँगा यहाँ !
क्या क्या नहीं है कर रहा इंसा   ये,,, भगवान के नाम पर !!

अगले बरस भी देखना है क्या यह सब मुझको यहाँ ???
 बक्क्ष दे ए मानव अब कभी न आऊँ,,, मैं यहां ,,,मैं यहाँ !!! 
 छोड़ दे !!! लेकर चला तेरी बुराई और तेरे दिल का मैल ,,,,,,,
 बहा दूंगा तेरे कलुष !!! तू वहीँ का वहीँ,,, मैं वहां और तू यहाँ ,,,''तनु ''


















लघु गुरु, गुरुता भूली गए  ,
गुरु को दिया है आसन !
गुरु लघु ,लघुतर हो गए, 
छा गए  सकल जहान !!''तनु ''
ज्ञान सोच से,------- है ----- या सोच से है ज्ञान !
बुद्धिहीन धर्मभ्रष्ट हैं,----- पहने धवल परिधान !
ग्रहण करो और बांटो शायद यही रह गया ध्यान !
कहाँ जाना और  कहाँ  नहीं भूल गए अभिज्ञान !!… ''तनु ''

Saturday, September 6, 2014




धर्मपथ पर चली हूँ जहाँ फूलों का कालीन बिछता है !!
जीवन और मृत्यु के बीच सचमुच एक अटूट रिश्ता है  
सुनसान रात मैं सोऊँ और सोयी  ही गर रह जाऊं!!!
मौत मुझे डराती है, दर्द औ डर का एक घाव रिसता है !…''तनु ''







मृत्यु जाने कहाँ है रहती नहीं जानते वह  है ''अनिकेत ''
देह सांस का कैसा बसेरा  नहीं जानते वह है ''अनिकेत''
हम क्या जाने  कौन हैं मृत्यु और कहाँ  वह रहती है ???
जीवन मृत्यु रिश्ता अटूट नहीं जानते दोनों हैं ''अनिकेत''…'' तनु ''


कल के गुरु जो पदपूजित,  आज उठाते बर्तन झूठे,
गुरु जो ईश्वर समक्ष थे , क्यों उनसे ईश्वर हैं रूठे !
एक दिन का राजा बना,  दे दो उनको सम्मान !!
फिर चाहे पुलिस कर्मियों की मार क्यों न उन पर टूटे,,,,,,,,,,, ''तनु ''

Thursday, September 4, 2014

 शिक्षक बन आप वशिष्ठ, मैं  न राम बन सका
 अपने चरित्र में अब वो निखार लाऊँ किस तरह ...

 व्यास पीठ पर गुरु बिठाऊँ ज्ञान की ज्योत जलाऊँ !!!…''तनु ''
 त्रिवेणी .......... 

बिन दोहा बिन रोला मैं कैसे छंद बनाऊँ  ?
आठों याम भटकूँ तड़पूँ क्यों मैं राह न पाऊँ 


व्यास पीठ पर गुरु बिठाऊँ ज्ञान की ज्योत जलाऊँ !!!…''तनु ''
जहां अधिक की खायकी वहां अधिक की तोंद !
ऐसे चिपकते कुर्सी से जा जैसे चिपक्कम गोंद !!
नेता पुलिस और ऐसे   जिनकी खायकी होती !
बढ़िया गुब्बारा बन जाती उनकी प्यारी तोंद!!! … ''तनु ''


 त्रिवेणी .......... 

बिन दोहा बिन रोला मैं कैसे छंद बनाऊँ  ?
 आठों याम भटक रहा पाया नहीं आयाम !!


 व्यास पीठ पर गुरु बैठे पाये चारों धाम !!!…''तनु ''




शिक्षक दिवस पर .......... 

दिव्य ज्ञान की खोल पोटली,
शिक्षक शिष्य को पढ़ाते पाठ !
मैली धोती धो अज्ञान की , 
ज्ञान के मोती देते हैं टाँक !!

रात अन्धेरी जैसे सूरज ,
पल में देता दूर भगा !
कर्म धर्म के झीने भ्रम ,
शब्द से गुरुवर देते मिटा !!

सोच जगत में न तू है बड़ा ,
सोच न है तेरी जात  बड़ी !
अभिमान को त्याग कर ,
दे कर परीक्षा कड़ी कड़ी !!

किससे सीखा किससे पाया , 
गुरु ओ मात पिता की छाया !!
लज्जा मर्यादा साथ है तेरे ,
तभी तो तेरा कुल तर पाया !!

कच्चा घड़ा है नन्ही काया ,
चाह कर क्यों मूल गँवाया !
काम क्रोध तृष्णा को तज कर,
गुरु बना और पार उतर जा !!.... ''तनु ''




Wednesday, September 3, 2014

जा पानी जा , --- पानी को कहते हम पानी वाले ,
पानी पानी होकर, --- सहते रहते हम पानी वाले ,
पानी था, पानी है , पंडित, पीड़ित, पिपासु पानी के !!!
बूँदबूँद, अंजुरीअंजुरी, घटघट रहते हम पानी वाले ,……''तनु ''
शंख घंटा घड़ियालों के साथ--देव मनाये हैं ,
आदरांजलि पूजा है अर्पित नैवेद्य लगाए हैं !
आओ देव पधारो देव हमारी पूजा को स्वीकारो !!
जीवन प्रकाश से भर दो हमने दीप जलाये हैं  ,......... ''तनु ''


 जीवन में राह दिखाई, अाभार जताऊँ  किस तरह ,
 शिक्षक बन आप वशिष्ठ थे मैं बन सका न राम !! 

 बिखरे हैं माला के मनके,माला बनाऊँ किस तरह ,
 सांदीपनी आप समक्ष थे मैं बन सका न घनश्याम !!

 दीप बन गुरु खड़े  हैं मेरे , प्रकाश पाऊँ किस तरह ,

 गुरु परमहंस के सामने मेरा विवेकानंद नहीं नाम !!

 गुरु बिन साज भी बजे न , --- मैं गाऊँ किस तरह ,

 चरण वन्दना मैं कैसे करूँ -नित ध्याऊँ कैसे नाम !!

 आप शुक्राचार्य, बृहस्पति !!!विनय जताऊँ किस तरह ,

 नयन बिना मैं अंधा हूँ ,  जैसे दीपक बिना नहीं धाम !!

 सार्थक जीवन की राह बिन गुरु पाऊँ किस तरह ,

 राह दिखाते, चाह जगाते, करूँ नमन सुबह शाम !!

  दोहा बने नहीं,  बिन रोला मैं छंद बनाऊँ किस तरह ,
  वर्ण खोए,  आठों याम भटक रहे पाया नहीं आयाम !!

  वाणी वाणी न पाए ,मैं स्वरहीन गुनगुनाऊँ किस तरह ,

  भाव भक्ति नहीं, मैं पदविहीन, गुणहीना ''तनु'' बदनाम !! ……''तनु ''




















Tuesday, September 2, 2014



 ये जो चाँद है न
 ये भी सोचता है.…  
 मेरा कोई साथी नहीं,,,,
 रोशनी !!!
 भी मेरी नहीं,,,
 ये तारे !!!
 भी मेरे नहीं,,,,, 
 याचना !!!
 की भी तो किससे ?
 सूरज से ??
 न ये चाँद ,,
 न ये सूरज,,
 न ये तारे,, 
 कोई नहीं होता किसी का !!!
 सब अपना अपना काम करते हैं ,,
 सब नहीं सोते !!!… ''तनु''
काट दिए सब..  वृक्ष हमने जिनसे पानी मिलता था ,
जिन्हे देख कर हमारे इस दिल का फूल खिलता था !
भुगत रहे हैं अब हम अतिवृष्टि अनावृष्टि दृष्टि दृष्टि ,
विधाता तू कहाँ है जो कभी मंदिर मंदिर मिलता था !!''तनु ''
 प्रीत निशानी,
 धरा की ले बावरा !!!
 रक्ताभ रहा ,,,,,,,,,,,''तनु ''


चित्र ; शास्त्री जी की वाल से साभार


 बरसाने की ,
 वृषभानु दुलारी,
 मोहन प्यारी !!!

राधे राधे री,
मन माने मने न !!!
कृष्ण प्यारी री,.....

गोविन्द माधौ!!!
राधे राधे रटत,
हिय हुलसै,.... ''तनु '' 

बचपन सबका मीठी यादों की धरोहर है ,
कहीं मोगरा है फूला कहीं खुशबू अगर है,
बीत न जाए सभी कहते पर अब है कहाँ ???
चन्दामामा की नींद है तमचुर की सहर है। ''तनु ''

हम यूँ ही थे घबराये हुए होंठ थे बंद कि बात हो कैसे
मुँह से न कही गयी बात वो इशारों में समझ गए 
तकदीर का साथ था सुलझे हुए थे लटों के पेंचो ख़म भी 
बच के निकल रहे थे वो बहारों में उलझ गए। ''तनु ''

Monday, September 1, 2014

गुजरात से सीखो ----- कोई व्यापार करने का ढंग ,
बनारसी पान सा होता------ नहीं पान का कोई रंग ,
हम तो रंग में अपने----------  सभी को रंग देते हैं !
देखकर दबा लेता उंगलियां रह जाता है ज़माना दंग  !!''तनु ''