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Sunday, October 29, 2017

एक अरदास



दाता रा दरबार में , .म्हे तो म्यानदार ;
असि री अटक कठे जाणे  म्यानदार !
थें जाओ तो कर दीजो दुई कर जोड़, ,, 
जाणे वि  घणो छोटो, छोटो म्यानदार !!.. ''तनु '' 


ओ देव साँवरा




ओ  देव साँवरा , थां उठ ने कईं करो ;
शरद री शीत है, थां उठ ने कईं करो !

देख जो मति कालो कालो आकाश ;
थां तो कर्यो नी  थां उठ ने कईं करो !

कोई सूरज नी देखे , थांको कई दोस ;
सब रा काम वे है थां उठ ने कईं करो !

कादो घणों फैल्यो गाम ने शेहर में ;
गोड़ा गोड़ा डूब्या थां उठ ने कईं करो !

बात बात  उबले आंख्यां लोई उतरयो ;
थोड़ीक सी बात है थां उठ ने कईं करो !

करम घाणी निकल्यो मनखां रो तेल ;
आप आपरा करम थां उठ ने कईं करो !

आप को ही परसाद ने आपकी आरती ; 
आप ''तनु '' सोवे उठे थां उठ ने कईं करो !!... ''तनु ''

Saturday, October 28, 2017

दिल की अपनी सुना रहा है ;






हमारे दिल की जो न समझा  दिल की अपनी सुना रहा है ;
कभी जिंदगी का बना सहारा वो अभी हमारा कहाँ रहा है !

कभी तलाशता चाँदनी को  कभी बहारों से बात करता ,,
परछाइयों के शहर बनाकर ,, वो चराग़ झूठे जला रहा है !

ख्याल कितने किसे खबर है,  सभी दायरे अब टूटते हैं ;
बुतों की दुनिया जहां पराया  सायो के पैकर बना रहा है !!... ''तनु ''


 


शब्दों के मोती थोड़े थे





शब्दों के मोती थोड़े थे
रो रो कर दिल ने जोड़े थे
जब हाथ पकड़ने की इच्छा थी
न जाने मुँह क्यों मोड़े थे ....

कभी कभी रूठो तो ठीक 
आँख मिचौली खेलो तो ठीक 
जब दिल तसल्ली चाहता था 
तब सारे रिश्ते तोडे  थे 
जब हाथ पकड़ने की इच्छा थी 
न जाने मुँह क्यों मोड़े थे .... 

इतने अज़ीज़ इतने क़रीब 
थे आप बस हमारे नसीब 
खुद को भूले भटके हम 
अब तो राह में रोडे थे 
जब हाथ पकड़ने की इच्छा थी 
न जाने मुँह क्यों मोड़े थे ....

रूठ  के दिल दुखाया है 
ये खुदा को नहीं भाया है 
अब गिरूँ तो कौन उठाये 
संग संग हम कितने दौडे थे 
जब हाथ पकड़ने की इच्छा थी 
न जाने मुँह क्यों मोड़े थे ....

अभी चाहतें बढती हैं 
साथ चलूँ ये कहती हैं 
देख तो लेते एक बार 
कब नयनन आँसू  छोड़े थे 
जब हाथ पकड़ने की इच्छा थी 
न जाने मुँह क्यों मोड़े थे ....तनु 

Tuesday, October 24, 2017

जो अटल होते गिरिवर तुम ;







जो अटल होते गिरिवर तुम ;
       वज्र उर न डरता छेदन से !

जो अगर महकते चंदन से ;
       तो सभी लिपटते वंदन से !

अम्बुधर से तृषा बुझाती ;
       मनु चौपाये खग लेहन से !

 जो मंद मंद पवन दे प्राण ;
      तो उपकृत हो नित सेवन से !

दिनकर चन्दा लगे अहर्निश ;
          सृष्टि की नैया खेवन से !

वंचक मानव वंचित रहते ;
    इस अपार निधि के जेमन से ! 

कौन हो तुम ? आये कहाँ से ; 
    कौ बच न सका इस लेपन से !.... ''तनु ''


Sunday, October 22, 2017







ये  शोरिश-ए-हयात दिल में उठते क्यों हैं ,
ऐसे मासूम से जज़्बात दिल में उठते क्यों हैं ,
या परवरदिगार मेरे दिल की रुत बदल दे ;
बेइम्तियाज ये सवाल  दिल में उठते क्यों हैं ? ... ''तनु''

Monday, October 16, 2017





आखिरी तीर कमान से निकल सितम बन ही गया ;
भूल कर हादसे सामान से निकल बम बन ही गया !

काँच के बुत, एहसास काँच के, हवा से चटकते हैं , ,,,
आदमी अपने दामान से निकल वहम बन ही गया !!.... ''तनु''

Saturday, October 14, 2017

दर्द लिखा न होता जब जी में आया नहीं होता




दर्द लिखा न होता जब दिल में आया नहीं होता ; 
जब चराग से अपने नशेमन जलाया नहीं होता !

 आदमियों के बुत,  बुतों के ताबूत सजाये  हमने ;
जब सोते बच्चों को पलनों में रुलाया नहीं होता !

 न परछाइयों का गाँव नहीं तितलियाँ आभासी ;
जब मरकज़ -ए -ख़याल को सुलाया नहीं होता !.. ''तनु ''





Friday, October 13, 2017

एक मोती ....सुआ ही रहा





तोड़ नहीं पाया धुआँ धुँए को, धुँआ ही रहा;
समंदर का दर्द कुआँ नहीं समझा कुआँ ही रहा!
था कितना पढ़ाया उसको नहीं समझा कुछ भी, ,,,
तोता रटता ही गया सुआ था सुआ ही रहा!!... ''तनु ''

एक मोती ...इश्किया





मुस्कुराओ की तल्खियाँ खो जाये ;
जिंदगी है की  अश्किया सो जाये !
जिस चाँद की तलाश में भटका हूँ , ,,,
मिल जाए दिल इश्किया हो जाये !! ... ''तनु ''

Wednesday, October 11, 2017

तीर खंज़र चुभा नहीं होता ;







तीर खंज़र   चुभा नहीं होता ;
जैसे हमको गुमां नहीं होता !!

आग शह्र में लगी अपने देखो;
जलता जो संभला नहीं होता !!

आप कुछ बोलते तो अच्छा था ;
दोष हमीं पर लगा नहीं होता !!

कोई तहरीर ही छोड़ देते ;
मुक़द्दर में कुछ लिखा नहीं होता !!

टूटता कैसे गुरुर सागर का ;
जो किनारा मिला नहीं होता !!

मोड़ ही मोड़ हैं चलता जाऊँ; 
यूँ सफर तमाम हुआ नहीं होता !!...''तनु ''





आह !!! -- के हवाएँ बदनाम हो गयी ;






आह !!! -- के हवाएँ  बदनाम हो गयी ;
बचो ---बचाओ   सदाएँ आम हो गयी !


मकां  में डर है---- रहगुज़र में डर है ;
सुनहरी शाम---  बला ए शाम हो गयी !

शब में तीर---सहर उठी खंज़र लिए ;
साया बिन दिन ----जलाये घाम हो गयी !

रहबर के भेस में    घूमते रहजन ;
लुटा माल दुश्मन ये चाम हो गयी !

पयंबरों के होते आलम तबाही का ;
कैसी  जिंदगी  बेआ'  राम हो गयी !

चुप रहने वाला बेचारगी में मरता  ;
दुनिया एक को मारे लाम हो गयी !.. ''तनु ''

Tuesday, October 10, 2017

ऐ मेरी लाड़ली ;




रूठने न दूँगा तुझे ऐ मेरी लाड़ली ;
गिरने न दूँगा तुझे ऐ  मेरी लाड़ली !

चाहूँगा तेरी राह में कंकर न आये ;
लगने न दूँगा तुझे ऐ मेरी लाड़ली !

तंज के नश्तर नहीं ख़ुलूस रखूँगा ;
सब्र समझाऊँगा तुझे ऐ  मेरी लाड़ली !

 गन्दी गलियों में  भटकने नहीं दूँगा ;
आइना दिखाऊंगा तुझे ऐ मेरी लाड़ली !

जिंदगी की राहें आसां नहीं होती ;
हौसला हर दूँगा तुझे ऐ मेरी लाड़ली !

कब कहाँ तुझे मेरी जरूरत हो जाए ;
पहुँचूँगा चाहूँगा तुझे ऐ मेरी लाड़ली !!,,  ''तनु ''

Monday, October 9, 2017

टूट कर अब तो बाकी है बिखरना,






टूट कर अब तो बाकी है बिखरना, 

साँस का हर साँस से है सिहरना !!

गिर पडूँ तो  हौसला लाऊँ कहाँ से ,
जिंदगी में किरचों पर है थिरकना !!

झूठ के धुएँ की धूनी रमती गयी ,
 झूठ से क्या कभी होता है निखरना !!... ''तनु ''

Sunday, October 8, 2017

मैं ही मैं रहूँ खुदा है ज़िया अब !




आह भरना जरुरी है क्या अब ? 
 मैं ही मैं रहूँ खुदा है ज़िया अब !

 चाहतें माँगे  बिना हुई पूरी;
 रौशनी है जल गया दीया जब!

बे-सुतूँ  घर कहाँ रहा तुम्हारा ;
 दे यहाँ मुकाम बना है ठीया रब !

 पैरहन से जुदा हुए पैबंद ;
 थेगलों को सभी है सीया तब !

 बोल दीजिये नवाज़िश शुक्रिया ;
 तुम नहीं , जी उसी का है किया सब !

एक भी मिसरा लिखा नहीं मेरा ;
प्यार लिखकर इश्क है जिया अब !... ''तनु ''

Saturday, October 7, 2017

आह भरना जरुरी है क्या अब ?




आह भरना जरुरी है क्या अब ?
ज़िन्दगी ने तुम्हें दे ही दिया जब,

चाहतें पूरी हुई बिना माँगे;
रौशनी है जल गया दीया जब !

इक ही मिसरा सिर्फ नहीं मेरा ;
मैं ही मैं रहूँ खुदा है ज़िया अब  !... ''तनु ''

Friday, October 6, 2017

जरुरी है क्या





आह भरना जरुरी है क्या अब ?  
 ज़िन्दगी ने तुम्हें दे ही दिया सब 

 चाहतें पूरी हुई बिना माँगे ;
 रौशन हो गया है दीया जब !  

बे-सुतूँ  घर कहाँ रहा तुम्हारा ??
 दे यहाँ मुकाम बना है ठीया रब , ,,

 पैबन्दों से जुदा हुए पैरहन ;
 थेगलों को सभी है सीया तब !

 बोल दो ''तनु''  नवाज़िश शुक्रिया ;
 तुम नहीं ,  जी उसी का है किया सब !! .... ''तनु ''

देखी नहीं थी




दिल की राहें आपने देखी नहीं थी ;
हमने चाहा आपने समझी नहीं थी ! 

क़दर हमारी नहीं किसी बज़्म में ;
ऐसी बे-क़दरी कभी देखी नहीं थी !

साँस ग़ुल थी और थे चश्म-ए-नम ;
गुल बहुत पर शबनम ही नहीं थी !

ग़र्दिश में हूँ और शायद आसमा भी;
कहूँ क्या कोई नई कहानी नहीं थी !

कभी मौसम ने फूल बरसाए नही ;
चाहा जिसको इक वो कली नहीं थी !

कुछ तो ग़म की आबरू रख ले ''तनु'';
बहुत ढूँढा ख़्वाब की जमी नहीं थी !.. ,,,,''तनु ''

क्यों हैं ?





ऐसे कठिन सवालात दिल में उठते क्यों हैं ?
ये फिर और ख़यालात  दिल में उठते क्यों हैं??

 कहीं चमन उजड़ कर सहरा न बन जाए ,
 बेवजह से ये सदमात दिल में उठते क्यों हैं ?

खूब नागवार गुज़रे अब तो दर्दे ग़म मेरे लिए ;
 ये कातिलाना जुल्मात दिल में उठते क्यों हैं ?

कोई नक्श उभरे फिर हर्फ़े तमन्ना बन जाए ;
ऐसे मासूम से जज़्बात दिल में उठते क्यों हैं?

ना जाने कब कतरा दर्दे दरिया बन जाये ,
सवाल बेइम्तियाज दिल में उठते क्यों हैं ?

या परवरदिगार मेरे दिल की रुत बदल दे ;
''तनु'' शोरिश-ए-हयात दिल में उठते क्यों हैं ?? ... ''तनु ''








Thursday, October 5, 2017

उम्मीद ए सहर






चाँद की तरफ नज़र उठाई मैंने ;
आइना देख  नज़र झुकाई मैंने !

दिल के सुकूँ को आजमाया है ;
 उसकी  हर ज़फ़ा निभाई मैंने !

सलाम को मेरे अनदेखा किया ;
बे-गानगी -ए -दोस्त भुलाई मैंने !

तू मुझे देख मैं दुनिया देख लूँ ;
कैसे ज़र्रे से दुनिया बनाई मैंने !

चाँद से शुरू हुई हर बात में तू ;
शबे हिज़्र , उम्मीद ए सहर बुलाई मैंने !.. ''तनु''








Wednesday, October 4, 2017

फ़साना बन गया ;

फ़साना बन गया ;
  ये जज़्बा सागर भी  दिवाना बन गया !!

  थामो इक दूजे को रिहाई क्यों मिले;
  प्यार दे दो सैलाब दिवाना बन गया !!

  ज़ख़्मों ने ली हूक टीसें बरकरार ;
  दिल इक दर्द का निशाना बन गया !!

  नींद टूटी सपन हैरां हो गये ;
  गीत झींगुरों का तराना बन गया !! 

  सैलानियों के आने से बेहतर हो गया ;
  पाँव चादर में रहें बहाना बन गया !!

  छोड़ तुझको मैं मशहूर हो जाऊंगा ;
  दिल की रुत का एसा फ़साना बन गया !!

   हूँ परेशां  महरूम नाकामी मिरी ;
  क्यों दिले बीमार ठिकाना बन गया !!

  खूबसूरत है सफ़र हसीन जिंदगी ;
  नाम लिया जाने का आना बन गया !! ... ''तनु''








एक मोती , ,,झूठे किरदार , ,,



एक मोती , ,,

दिनकर की सुधियों में घाम के शूल ;
रजनी की बगिया में   तारों के फूल !
आभासी दुनिया के  झूठे किरदार , ,,,
आज की है दुनिया कल को तू भूल !! ... तनु 



Monday, October 2, 2017

लहरों को ;



ले लूँ  मैं सागर की लहरों को ;
छू लूँ  मैं सागर की लहरों को !
खेल कर भी जी नहीं भरा अभी , ,,
घर ले चलूँ सागर की लहरों को !!

एक मोती ...दोहरा गए !!




प्रीत के सब पात देखो झूम कर लहरा गए ;
रंग हीना के हथेली      चूम कर गहरा गए !
मैं हूँ तुम हो और केवल ये सुहानी शाम है , ,,,
हर्फ़ प्यार के बारहा  घूम कर दोहरा गए !!... ''तनु ''          

एक मोती रवानी बनते जाना !!




जीवन में रोना मुसकाना और कहानी बनते जाना ;
इसकी उसकी सबकी ही जानी पहचानी बनते जाना !
हों कर्म हमारे इतने अच्छे जो सबको प्रेरित करे , ,,
जीव का पोषण करती नदियों की रवानी बनते जाना !! .... ''तनु ''

एक मोती ,,,परछाई ;



हम तुम साथ रहे थे ऐसे,  जैसे हो परछाई ;
कहाँ गुम हुई इन नयनों की, सागर सी गहराई !
मीत प्रीत बिन दिल की धड़कन,  जैसे खोने को है , ,,,
आ जाओ अब रूठ गयी है , जीवन की शहनाई !!... ''तनु ''