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Wednesday, December 30, 2015

बीत गयी सो बात  अब दिन नया है नयी रात 

सर्द सन्नाटा आसमाँ का ही पिघला है ;
अब यही मंज़र मेरे हमराह निकला है !

राह यही मंज़िल की तरफ ले जाएगी ;
 पाँव कैसा भी पड़ा है खुद ही संभला है !

भूल जाओ गुज़री साअतों के हादसे ;
दीप जला लो  देखो तो कैसा जलता है !

तूफानी हवाओं से तुम मत डरना कभी ;
कहर-ए-आइन्दा सब के सर से टलता है !

बेदाग़ फ़ज़ा है और खुशनुमां समाँ भी ;
धीरे धीरे समय ''तनु ''कैसे बदलता है !.. तनुजा ''तनु ''

Sunday, December 27, 2015

सागर हूँ मैं....... 

मुखालिफत सह,  रोते हुए गुजरूँ ?
खुली मुनाफ़िकत, ढोते हुए गुजरूँ ?


कब तक सहूँ मैं अपने से दूरियाँ ; 
अपने ही वजूद से, रोते हुए गुज़रूँ ?

चाहा किए जिसे वो सपनों में मिले ;
अब क्या हरदम, सोते हुए गुजरूँ ?

क़मर को अज़ीज़ मेरे सिवा गुल भी ;           
खार और गुल, पिरोते हुए गुजरूँ ?

जाना किया ज़माना सानेहे की ; 
अपनी ताजियत से, होते हुए गुजरूँ ?

रेत पर मत लिखो नाम अपना ''तनु '' ;
सागर हूँ सब कुछ, धोते हुए गुजरूँ ??...तनुजा ''तनु ''

Saturday, December 26, 2015

मसीहा 
वो एक कद और जिस्म में नहीं रहता ;
वो एक हद और किस्म में नहीं रहता ! 
दिल मसीहा जेहन पाक़ीज़ा है उसका , ,,
वो इक ज़िद औ तिलिस्म में नहीं रहता !!

Monday, December 21, 2015

गलबहियां नींद से जो हुई भूल गए संताप !. 
आ पहुंची है शीत शर्बरी घट गया है ताप ;
दिन छोटे रात बड़ी तकिया बिछौना प्यारे, ,,
लेकर नींद सलाइयाँ चलें ख्वाब बुन लें आप !!,,,...तनुजा ''तनु ''

Sunday, December 20, 2015


 चाँद और झील 

चाँद को मेरे इरादों की ------ खबर नही  ;
जबीं छू के उसको,   दिल की बता रही हूँ !!! ...

वो अर्जमन्द है,  अज़ल भी वही है .......
ख़ुशी ख़ुशी उसको,  दिल की बता रही हूँ !!!

वजूद से अपने गुज़र  यहां है आया हुआ ,.... 
गहराइयों में छुप जा,  दिल की बता रही हूँ !!!

मैं चाँदनी हूँ, ,, तवज्जोह चाँद है ;
ये मेरी कुव्वत है,  दिल की बता रही हूँ !!!

कायनात के कहकहों को सुन कर  ;
ये चश्में पुरआब नहीं,  दिल की बता रही हूँ !!!....

भली बहुत लगती है ''तनु ''की  ख़ुशी उसे ;
खुद ही  दिल - गिरफ्ता,  दिल की बता रही हूँ !!!... तनुजा ''तनु ''

Saturday, December 19, 2015

आ पहुंची है शीत शर्बरी घट गया है ताप ;
लेकर नींद सलाइयाँ चलें ख्वाब बुन लें आप !
दिन छोटे रात बड़ी तकिया बिछौना प्यारे, ,,
गलबहियां नींद से जो हुई भूल गए संताप !!.. 

सिहर उठते हैं ठंढ बिन,  देख -- ऐसा जगत व्यवहार ?
जाने कहाँ से आया है, ,, जन - मानुष में ये कदाचार ?
कौन बताए  राह, ,, और कौन पंथ के शूल हटाये ??
जिससे सुखद सलोना जीवन हो  पावन हो आचार, ,, 

Friday, December 18, 2015


चाहत का  सितारा है ''बद्र''


ये मेरी चाहत नहीं सितारा है ''बद्र'' को , ,,
अब तो इश्क ज़ाहिर सबां, गुमाँ है ''अत्र'' को !!......

सीने में वो दर्द का कोहराम मचाकर, ,,
प्यार खो ईमान लुटाकर ढूँढे है कद्र को !!....


दर्द -विरासत पाकर मैं काम चला लूँगा , ,,
लग गया जो रोग बड़ा जिद्दी है उम्र को !! ..

मानिए मैं अपने शोर-ओ-शर से भागता नहीं,,,
ग़म के कुछ कशीदे पढ़ूँ साथ लिए फ़ख़्र को !!

क्यों लौट लौट आते हैं लोग ''और'' जिस्म में , ,,
''तनु ''ख्वाहिशें कई बाकी मेरे जी बेसब्र को !!.... तनुजा ''तनु''

Tuesday, December 15, 2015

वि किताबां लावे ड्राइंग रूम में रखवा वास्ते ;
वि घणों मीठो बोले लोगां ने दिखावा वास्ते !
अबे लो ,,,,कसी लागि या स्टेंडर्ड री बीमारी , ,,,
काम हगरा वे वणाके, सबने दिखावा वास्ते !!!!

Saturday, December 12, 2015

अहं 

नापते ही रहे अहम के फीते से अब्र को  
इक मर्तबा फिर चढ़ाया सूली पे सब्र को 
पानी के बुलबुले की मानिंद है जिन्दगी 
जिस्म दीया दोनों मिटटी,  जी है कब्र को 

Friday, December 11, 2015


सबाब के टूटते दरख़्त 


कहाँ चला आया हूँ, मैं कहाँ तक सोचूँ ;
ख्वाहिशे परवाज़ है, आसमां तक सोचूँ !

दर्द किसे ? किसकी आँख का बहा आँसू ?   

हकीकत भुला दूँ, ,, और गुमाँ तक सोचूँ , ,,

पड़ा हुआ ओंधा, ज़माना गश है खाकर ;
इक मैं ही चैन खोकर, कहाँ तक सोचूँ !!

दरख़्त सबाब के,  टूटते रहे हर पल ;
शजर कभी बदला नहीं,  वहाँ तक सोचूँ !

कहाँ दर्द की फ़ुग़ाँ ,  कौन ये सुनता है ?  
कंगन आइने से देखूँ, निहाँ तक सोचूँ , ,,  

जिसम मर गया है, सदा मगर ज़िंदा है ;
जिंदगी मौत सी,  मैं जहाँ तक सोचूँ , ,,

गुनाह करके वो छूटते, सबाब है क्या ?  
मर गया ज़मीर, कैसे गिरां तक सोचूँ !!!  तनुजा ''तनु ''

Tuesday, December 8, 2015

जुग जुग जीवता रीजो कालजा री कोर ;
दादोसा जी रा आंगणें मोती चुगे मोर !
देवण पोता ने असीस देवी देवता आय , ,,
बलखावै ने  गीत गावै  चोखी पुगे भोर !! 

रंग भवन में सोवे लाल कोई मती जगाजो ; 
दादीसा रा पाछे -पाछे धीमें - धीमें जाजो !
निछावर करजो जी सोना चाँदी रा थाल , ,,
चाचो सा मामो सा थें गोदी माय रमाजो !!...तनुजा ''तनु ''
नज़राना

वुसअतें आफताब की गुलों पर महरबां रहे ;
तनवीर ही तनवीर हो जहां में हम जहाँ रहे ! 

हर फन के ख्वाब की ताबीर हो कायदा रहे ;  
पहलू में जन्नत हो दिल सदा रक्साँ रहे !

ज़र्रा ज़र्रा सुनाता रहे कहानी मिरे इश्क की ;
 मैं तेरा दीवाना रहूँ  और तू सदा जवां रहे !

हर नफ़स हमनफ़स हमकदम हमदम हर दम ;
फस्ल- ए -ग़ुल रहे क़मर हो सदा कहकशां रहे !

इससे पहले भी हम कई बार मिले हैं ''तनु '';
नसीम चमन में, कुर्ब हो, सदा नज़राना रहे !.... तनुजा ''तनु ''

Monday, December 7, 2015

बधाई !!!बधाई!!! बधाई!!!


स्वर्ण किरणें आँगन आई , 
खिले सुमन प्रभात !
मनोवेग मधुकर सा डोले , ,,
काँप रहा है गात !!

वर्षा ये कुसुम मकरंद की , 
बरसे मधुमय नीड !
स्पर्श सुख से आनंदित हो , ,,
भूला दुखमय पीड !!

शून्य मना, नवल रागों से ,
रंजित गुंजित, साभार !
गाकर प्रथम प्रभात गीत , ,,
मिल बोलें,   आभार !! 

लतिका झुक छलकाए गागर ;
सु - मना सुमन उलीच ! 
पुलकित प्लावित सौंधी पवन , ,, 
ज्यों बालू  के बीच !! 

सद्यस्नाता मलयानिल में ,
कनक किरणें भाई !
बेला विभ्रम की बीती अब , ,,
कह दो जी बधाई !!,,, तनुजा ''तनु ''



माँ और बेटा 


भूख और गरीबी के,  नज़ारे कहाँ से आए हैं ;
तलब थी नहीं इनकी, अश्क ये कहाँ से आये है !

सर -ए -नियाज़ इस जहां का कहाँ तेरे मुक़ाबिल ;
कह माँ !!! अपने हक़ में ये आबले कहाँ से आये हैं !

खलिश बहुत है दर्द और तड़फ भी है अभी बाकी ;
ये चुभते खार और दर्द - ए -निहाँ कहाँ से आये है !

अपनी मंज़िल है कहाँ और सितारे होते कहाँ हैं ;
ये छिपी आरज़ू और वो ग़ुम फरेब कहाँ से आये हैं !

आशियाँ गुलसिताँ और शीरे ये सब ख्वाब की बातें ;
उन्स कफ़स का और खिजाँ नसीब ये कहाँ से आये हैं !

हद्द- ए - गुमाँ देखते हैं सपनों की दुनिया की ;
''तनु'' दिल और नज़र के तकाजे कहाँ से आये हैं !तनुजा ''तनु ''

भूख और गरीबी के,  नज़ारे कहाँ से आए हैं ;
तलब थी नहीं इनकी, अश्क ये कहाँ से आये है !
सर -ए -नियाज़ इस जहां का कहाँ तेरे मुक़ाबिल 
कह माँ !!! अपने हक़ में ये आबले कहाँ से आये हैं ... तनुजा ''तनु ''

Sunday, December 6, 2015

दीप चाहत के जलाकर दिल अपना रोशन कर लेना 
किसी की वफ़ा के बदले लबों पर मुस्कान भर लेना !
जाने कौन काट रहा रतजगे तुम्हारी खुशियों के, ,,
कोई गुल, चाँद, तारे लुटाए तो दामन भर लेना !!,,..तनुजा ''तनु''


Saturday, December 5, 2015

नज़राना 

खिले हों फूल तो खुशबु ही मिलेगी ;
दूर कोई अगर हो तो यादें ही मिलेंगी ! 
लिए नज़राना हम आ गए देखो , ,,
हँसे तू, हँसी तो मेरे लबों ही खिलेगी !!... तनुजा ''तनु ''



जिंदगी यही है , ,,

टूट कर ग़म ही मिला करते हैं ;
खूब तब हम भी गिला करते हैं !!

सामने तख्लीक़ पे दाद देने वाले ;
जाने ऐब की परतें छीला करते हैं !!

चाँदनी चाँद की ओ चाँदी के बाल ;
वक्त आने पर ही मिला करते है !!

चमन में हो गयी है गुलों की कमी ;
इख़्लास जाहिर तो खिला करते है !!

गम ओ ख़ुशी का हिसाब रखे जो ;
अल्लाह से कहाँ सिला करते हैं !!

आ थोड़ी देर बैठ कुछ दर्द तो थाम ;
कुछ पल अपनों को मिला करते हैं !!

अज्जियत जागने की जिंदगी भर ;
''तनु''सबको तो नहीं मिला करते हैं !!

तख्लीक़ = सृजन,   अज्जियत  = मुसीबत,  इख़्लास = गहरा लगाव 


Thursday, December 3, 2015

क्या करूँ  !!

वादियों से गुम वो हुई क्या करूँ ;
रूठ कलियों से वो' गयी क्या करूँ !

दस्त -ए - कातिल बावफ़ा हूनरमंद ;
रंग तितली के चुराए क्या करूँ !

आँख से बूँद गिरना लाजमी है ;
बाग़ सारे शहर के जले' क्या करूँ !

कौन जाना कब तलक मीठी सुबह ;
बे मज़ा इश्क, ,,  हुस्न' तन्हा क्या करूँ ! 

जो कभी बदले नहीं वो किस्मत' है ;
उठ कर चलूँ ?  किधर जाऊँ ? क्या करूँ !!

''तनु'' इस बुलंदी पर कहाँ थे हम कभी ;
सीढ़ियाँ बिन पायदानों , ,,क्या करूँ !!