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Monday, November 23, 2015

अद्भुत दृश्यों को साकार करे चित्रकार / छायाकार ,
 दृश्यों को आपके द्वारा हम रहे निहार!
प्रकृति का सानिध्य बहुत  प्रेरक होता है 
धन्य हैं हम आपका बहुत बहुत आभार !!!
कैसा फ़र्ज़ 

कैसा फ़र्ज़ आश्ना है बंदूक नाम हिसाब का ?
लगता है, जिंदगी में नहीं काम किताब का !

दश्त - ए - हयात में सबा अफ़सुर्दा है क्यों ?   
राहें नामालूम सी, फिर भटकना सराब का !  

दम-ब-दम इंतज़ार मुझे,  तेरे लौट आने का ;
दर-ओ-दीवार लिए बैठी तेरे पहले जवाब का ! 

खून खराबा कहाँ पढ़ा सिखाया किस अदीब ने ??  
कहाँ गढ़ी कहानियाँ सबक कहाँ के निसाब का , ,,  

फरिश्ता बन समझाए कौन दे बाहों का सहारा ?
'तनु' दर्द जाना होता, सैल-ए-चश्म-ए-पुर-आब का !  …तनुजा ''तनु ''

Sunday, November 22, 2015

पाल कर रखी थीं कई गलतफहमियां .... 
जाने कौन ये आया तेरे मेरे दरमियां ??
तू दीखता नहीं बस पाँव की छाप है तेरी  , ,,,
अहा!!! यही तो हैं जीवन की खुशफ़हमियां !!
देखता हूँ मैं के चाँद है कहाँ ??
मिलता हूँ जा के मांद है कहाँ ??
क्षीर हूँ अधीर भी हो जाऊँगा ,,,,,,
नमक का सार हूँ खाण्ड है कहाँ ???

Saturday, November 21, 2015

  चाहत 

आपको देखा कि चाहत ये झलक से यूँ हुई;
  आँख रोई तो शिकायत ये पलक से यूँ हुई !
 आँगन बरसती रही बरसात मेरे प्यार की, ,,
  बादल हँसे तो इनायत ये फलक से यूँ हुई !!!
   

Friday, November 20, 2015

नामा-ए-आमाल में दर्ज़ हैं मेरी शिकायतें ;
सूद-ओ-जियां में कटती हैं तेरी इनायतें !
तू तो कभी रोज़-ए-जज़ा से डरता ही नहीं , ,
कहा !!! ना मालूम फ़र्ज़ हैं सुनेरी रवायतें !!!तनुजा ''तनु ''

Wednesday, November 18, 2015

एक पुरानी रचना गीत बन गयी 

बद अख़लाक़ 

बिगाड़ी तुमने नेमतें, 
  फिर शोर किसलिए ?   
उजाड़ी तुमने अराइशें,
  फिर शोर किसलिए ?  

रोज़ फैलती है पर्वतोँ पर,-
---   धूप की चादर !  
बिखेरी तुमने कालिखें, 
 चहुँ ओर किसलिए 
उजाड़ी तुमने अराइशें,
  फिर शोर किसलिए ?  

एहले चमन न छोड़ा
 अब कौम हो उजाड़ते !  
कुचले तुमने इंसान,
 बरजोर किसलिए 
उजाड़ी तुमने अराइशें,
  फिर शोर किसलिए ?  
  
मर्दों के लिए औरतें , 
  औरतों के लिए मर्द!    
खेलते ले खिलौने सा,
ले पतंग डोर किसलिए 
उजाड़ी तुमने अराइशें,
  फिर शोर किसलिए ?

ऊँटों पे लादे मासूम, 
--चकलों पे ख़वातीन! 
कितने बनाए मनु बम, 
घनघोर किसलिए 
उजाड़ी तुमने अराइशें,
  फिर शोर किसलिए ?

कोठे पर चल के जाना, 
    ईमान बेच देना ! 
हर इल्ज़ाम दूसरे सर, 
फिर सिरमौर किसलिए 
उजाड़ी तुमने अराइशें,
  फिर शोर किसलिए ?

नेमतों को नवाजिये ,-
--   सजाइये ज़मीर को !
कुदरत को जला जला दिया,
फिर विभोर किसलिए 
उजाड़ी तुमने अराइशें,
  फिर शोर किसलिए ?

हर बुराई हमारी है,
 ----- हर दोष हमारा है ! 
बुराई को करें तमाम, 
फिर शोर किसलिए ?
उजाड़ी तुमने अराइशें,
  फिर शोर किसलिए ?
बिगाड़ी तुमने नेमतें, 
  फिर शोर किसलिए ?   

कहाँ है रब दुआ माँगूं उसे कर दूर' गुनाहों से 


इक  दर्द सा रहा ठहरा , दिल तेज़ाब' उबाल गया
फफोलों में जलन झार गम देकर मौत टाल गया 

शब तर रही आँसुओं से,सहर भी दामन-ए- दिल नहीं 

लिपट रेज़ा रेज़ा लहू लाशों का ढेर डाल गया 

कहाँ तू सहारा में भटका हुआ और बे -अमाँ है दिन 
तेरा कदम घर से बाहर, गिरा तुझे निढाल गया 

दिलों जाँ से गुजर तुम्हे हासिल' क्या हो पाएगा 

गुज़रती क्या उस माँ पर अपना जिसका लाल गया 

कहाँ है रब दुआ माँगूँ  उसे कर दूर' गुनाहों से 
बद्दुआ कौन सी जाने किस' का गुनाह साल गया 

वहशी दिल !!! आशिकी तेरी तुझे उसी कूचे में मारेगी ;
सितम की जिस आग में  तू इस जहाँ को डाल गया !!!

हयात-ए-जावेदाँ हो ''तनु''या के दुनिया हो दिलक़शी की , ,,
एक गोशा भी क्या कोई , अपने लिए निकाल गया ??

Monday, November 16, 2015

 आतंकवादी 

तुझे कुछ याद नहीं होगा ,
 खून बहा क्यों बहा ?
 दिल किसी का रोया होगा,
 वो आँसू बहा क्यों बहा ?


 पल में बदन राख हुए ,
 पल में रुण्ड विखण्ड हुए !
 तुझे कारण क्या पता ,
 वो मजलूम मरा क्यों मरा !
  तुझे कुछ याद नहीं होगा;
 खून बहा क्यों बहा ?


बिन मकसद अत्याचार,
इंसानियत पर होता वार !
ऊपर बैठा ईश्वर देखे
तू न डरा क्यों न डरा ??
तुझे कुछ याद नहीं होगा
 खून बहा क्यों बहा ?
 दिल किसी का रोया होगा
 वो  … वो आँसू बहा क्यों बहा ?


ज़ख्म दिखते न तलवों के ,
 दिखते नहीं मन के घाव
राह ए तलब क्या यही है तेरी,
  तू उस ओर बहा क्यों बहा
 तुझे कुछ याद नहीं होगा
 खून बहा क्यों बहा ?
 दिल किसी का रोया होगा
 वो  … वो आँसू बहा क्यों बहा ?



आतंक … खून मासूमों का
 और निगाहें सवाली ??
ईश्वर का बना इंसानियत का मंदिर
बोल ढहा क्यों ढहा !
तुझे कुछ याद नहीं होगा
 खून बहा क्यों बहा ?
 दिल किसी का रोया होगा
 वो  … वो आँसू बहा क्यों बहा ?


क्षितिज से उगता सूरज देख,
 रात  की बाहों में सो !
मानवतावादी था तू तो
आतंकवादी रहा क्यों रहा 
तुझे कुछ याद नहीं होगा
 खून बहा क्यों बहा ?
 दिल किसी का रोया होगा
 वो  … वो आँसू बहा क्यों बहा ?


मज़हब से बड़ा मुल्क है ;
आतंक से बड़ी है मानवता !!
देख प्यार का मोल नहीं है ,
अब तो तू सम्हाल जा !!
तुझे कुछ याद नहीं होगा
 खून बहा क्यों बहा ?
 दिल किसी का रोया होगा
 वो  … वो आँसू बहा क्यों बहा ?

Sunday, November 15, 2015

मानवता 

इक सद्गुण तू मानवता का धार ले ;
दुखों के दरिया से सब को उबार ले !

हँसते लब हों सबके,   फ़रियाद न हो ;
दर्द वाले दिलों को दिल अपने उतार ले ! 

मनहूस मौत !! जीवन की कीमत है ;  
ले प्रभु का नाम फूल बसंत बहार ले !

सिवा प्रभु के डरना नहीं पाप से ड़र ;
कोई ख़्वाब प्यारा सा नैनो में डार ले !

पत्थर भी बोलते हैं बूंदों को तौलते हैं ;
पत्थरों से प्यार कर बुतों को निहार ले!  

नही हारते हौसले आँधियों से;
दीप खुशियों के आँधियों में बार ले !,,,, तनुजा ''तनु ''

चाँद बेनूर ग़ुम,  एहतमाम शमा का चाहिए ;
बादलों में आफताब , झौंका हवा का चाहिए ! 

शाम आयी  और आहें, क्यों वही दिन रात है ?
थाम कर बाहें चलो , तुम्हारा' सहारा चाहिए .... 

Wednesday, November 11, 2015

दीवो म्हे माटी रो, चाँद री चाहत नी;
अंधड़ में जलूं करूँ  कदि शिकायत नी !  
उखड़ती भी वे जो म्हारी सांस कदी , 
जाणु राह में आफत हे , पण कयायत नी !! ....   तनुजा ''तनु ''

Tuesday, November 10, 2015

दीया हूँ मैं माटी का, चाँद की चाहतें नहीं ;
तूफां में भी जलता हूँ, करता शिकायतें नहीं !
तनाब मेरी साँसों की कभी उखड़ती भी है तो , ,,
जानता हूँ राह में आफतें हैं,  कयामतें नहीं !!

Monday, November 9, 2015

आज अभिनव चाँदनी सा हो उजाला चारों तरफ ;
जगमगाते दीपकों का हो उजाला चारों तरफ !
लो समेटो  बाहों में ख़ुशी चाँद ले आओ जमीं , ,,
गीत प्यारा बहारों का हो निराला चारों तरफ ! … तनुजा ''तनु ''