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Saturday, May 31, 2014


बिटिया 

सजाने सपनों को चली, मैं साजन के द्वार;
एक बाबुल और है, इस देहरी के पार!
सलोने सपनों की चाह के  प्रीत भी मनमीत भी , ,,
आँचल की छाया भी, जो दुखों से लेती उबार !!, ..''तनु '' 


नन्ही  निराश ना  होना खो बाबुल का द्वार !
एक बाबुल और है -------इस देहरी के पार !!
सपने तुम्हारे सजे सुन्दर कामनाएं हों पूरी !
स्नेहिल आशीष बरसे साथ बाबुल का प्यार !!तनुजा ''तनु ''

बाबुल


देहरी पार विदेश में,    इक है बाबुल का द्वार !
नन्ही तुम निराश ना होना खो बाबुल का प्यार  !!

जब तुम गुड़िया नन्ही थी ;

मेरे सपनों की तितली थी !
मीठी भोली बातें थी ;
रिम झिम सी बरसातें थी !
नहीं चाह पंखों को तेरे , 
कोई नोचे या रंग उड़े !!
सजा सपनों काआँगन,फूल उगाये हैं हर बार !
घने वट की छाया में,  सींच स्नेह से बारम्बार !!..
देहरी पार विदेश में,    इक है बाबुल का द्वार !
नन्ही तुम निराश ना होना खो बाबुल का प्यार  !!


खूब पढ़ाया योग्य बनाया ;
गुण अवगुण का भेद बताया !
उजाले ही दिए राह में ,
चाह न ,कांटे कभी राह में !
संस्कारों की देकर धूप ,
सँवारा तुम्हारा रूप अनूप !!
जब तुम पहुँचो पी के द्वार,अलौकिक हो तुम्हारा श्रृंगार !
कोमल तन मज़बूत जिया ले, निरखो सुंदर सा घर बार !! 
देहरी पार विदेश में,    इक है बाबुल का द्वार !
नन्ही तुम निराश ना होना खो बाबुल का प्यार  !!


ख्वाब एक जीवन का मेरे ;
आसविश्वास सकल सुख तेरे !
विकल मन करूँ तुझे विदा ,
शायद बाबुल की यही खता !!
हर बेटी जाती ससुराल !
शुभकर्मों से करे निहाल !!
दे दुआएँ करता विदा , सुखी सदा तेरा संसार !
स्नेह आशीष सदा बरसे, साथ दो बाबुल का प्यार !!
देहरी पार विदेश में,    इक है बाबुल का द्वार !
नन्ही तुम निराश ना होना खो बाबुल का प्यार !!


जीवन की यही है रीत ;

साजन संग सजनी की प्रीत !
प्रीत निभाना मेरी बिटिया,
रीत निभाना मेरी बिटिया !
स्वर्ग बनाना आँगन को !
महकाना उस गुलशन को !!
मधुमय प्रीत की वर्षा हो, आशीष यही है बारम्बार !
जीवन फूलों से सरसा हो,  सपने सारे हों साकार !!
देहरी पार विदेश में,    इक है बाबुल का द्वार !
नन्ही तुम निराश ना होना खो बाबुल का प्यार  !!,... तनुजा ''तनु ''

जब अच्छी बात  अच्छी न लगे ,
और बुरी बात  बुरी न लगे !
तो समझो बुरे दिन आ गये ,
और जनम बिगड़ते पल न लगे !!तनुजा ''तनु ''


कंत की आस ज्यों अलख  जगाये,
कंत बिना रास  क्यों कलप जगाये ! 
रह रह जोऊँ राह रह अकेली बिरहाकुल ,
कंत बिना हास श्रृंगार तल्ख़ जगाये !! तनुजा ''तनु ''




Friday, May 30, 2014


देह ताप आंसू झरै--- भौतिक ताप अनंग , 
अज्ञानी भटके जगत--- ज्ञानी चढ़ै न रंग !तनुजा ''तनु ''

मन मन भर के ---गज गज भर के ,
देखा सबको------ नयन भर भर के !
असली नकली------ नकली असली, 
धुले न पाप----- तिलक कर कर के !! तनुजा ''तनु''

ऐसी गठरी चाह की ---- बंधी रहे तो ठीक ,
मन मन फूला फूल है -- बहके मांगे भीख !!तनुजा ''तनु ''


''सूर्य ताप'' जबरदस्त  है जल जल जाये शरीर ,
बिन डिगरी धारण किये ''चमक चमक मुनीर'' !
गिरकर उठना , उठकर गिरना , जीवन धूप छाँव ,
सुख -दुख , मीठे- कड़वे दिन लिख गये तहरीर !!तनुजा ''तनु ''


आज तो यूँ बीत गया ,
जाने क्यों घट रीत गया !
ये बादल आएं हैं बरसेंगे भी ,
घट भरा मन जीत गया !!……तनुजा ''तनु "
खुश  होके देखो ,आइना ख़ुशी का ख़ुशी ही लाता है ,
बात गम की न करो ,आँखे भरो आँख भर लाता है !
तुम सदा मुस्कुराते रहो !!! खुशी कायम हो तुम्हारी!!! 
क्योंकि ख़ुशी तुम्ही से है जीना तुम्ही से आता है !! तनुजा ''तनु ""

Wednesday, May 28, 2014

नमक ''समुद्र'' ''सांभर'' है , हर दिन सार.…  नवीन,
स्वेद से संसार है ,   वह भी है.……  नमकीन !
कठोर परिश्रमी बना देते ''समुद्र'' ''सांभर'' झील ,
''पुरुषार्थी'' पुरुष बिना जीवन …………  सारहीन !! तनुजा ''तनु ''

Tuesday, May 27, 2014

 मुद्दत के मिले दो भाई ''मोदी ''और ''नवाज़'',
 सुना है नए युग का होगा अब ''आगाज़''!!
 दोस्ती बने मिसाल ....दुनिया करे ''सलाम'' !!
 प्यार और भाईचारे की बुलंद  होगी ''आवाज़'' !!!तनुजा ''तनु ''

Sunday, May 25, 2014

मन मिश्री मुख मृदुल मनोहर,
चंचल नयन तन पुलकित होकर!!
मनोयोग से ''खीसा'' करे खाली , 
पति हारे रहे  ''खीसे निपोर''कर !!''तनु ''
सीखो के ''का'' फेसबुक सिखावत है ,
अपने ज्ञान का भण्डार दिखावत  है !

कौनों  के मन की कौन जाने  ???
सबहु मन की भड़ास निकालत है !! ''तनु ''
मन  मिश्री  मुख  मृदुल  मनोहर ,
बातें कड़वी.....वस्त्र धवल धोकर !
मुंह बोले राम बगल बीच छुरी ,,,,,
हैं ठाठ शाही …   कहलाते नौकर !!!''तनु ''

सियासत में,      ज़रा चलो सही ''रपट ही रपट'' है 

आंधी गयी,   लगी है आग अब ''लपट ही लपट'' है !


''कलमकार'' के दिल के उद्गार छलकते रहेंगे !


कलम की शपथ सच्ची !! बाकी ''कपट ही कपट'' है !!''तनु 
ज़रा चलो सही रपट ही रपट है ,
आंधी गयी अब लपट ही लपट है !
दिल के उद्गार छलकते रहेंगे ,
अपनी तो सदा कलम की शपथ है !!''तनु ''

मन मिश्री मुख मृदुल मनोहर
खाएं सलाद ,,आटे संग चोकर
काया घटाएं ये ''गोल मटोल'' सी
चल आएं ''तंग गली' से होकर

न पियो कि सिर्फ जाम ही पिया नहीं जाता ,
और  मुहब्बत के नाम ही जिया नहीं जाता !
तुम भी  इंतज़ार करो हम भी इंतज़ार करें ,
तार तार है अब दामन के सिया नहीं जाता !!तनुजा ''तनु ''
न दिन पहला है  न ये शाम आख़िरी है,
न गम मिटा है      न ख़ुशी आखिरी है ,,
मौत को जीत कर ही तो जिंदगी है !
न शायर पहला है न जनम आखिरी है !!

Saturday, May 24, 2014

उत्साह 

उत्साह में .... सांस काबू में नहीं ,
जला है दीया तूफां काबू में नहीं !
तसल्ली दिल को मैं कैसे दे दूँ ,
जनम काबू में नहीं मौत काबू में नहीं !! तनुजा ''तनु ''… 

हौसला 

कायम जो हौसला शुरुआत में ,
रहे अंत तक ये आदम जात में !
सफलता कोई रोक नहीं सकता ,
मिल ही जाती है आगाज़ो आवाज़ में !!तनुजा ''तनु ''


जोश

बुलंदियों की चाह में जोश लिए हम !
अंत तक कायम रहे होश लिए हम !!
फिर क्यों न मिलेगी मंज़िल बताओ!
माता पिता गुरु का आगोश लिए हम !! तनुजा ''तनु'' 

हौसला 

हौसला रखो.… दो नाव पे सवार न हो !
लक्ष्य रखो ....  लक्ष्य से भटकाव न हो !
कौनसा काम इस जहाँ में है मुश्किल !!
गैर से हो रहा और जो तुझसे न हो ! तनुजा ''तनु ''
उमंग

उमंग दिल से उमड़ के आयी है ,
कोई बात दिल से लब पे आई है ,,
घनघोर काली घटायें हैं छाई हुई ,
अनायास बिजली ये कौंध आई है !!तनुजा ''तनु ''

उत्साह, जोश ................... 

उत्साहित हो कहीं जोश में होश न खो देना ,
राह  जिस चल पड़े हो कहीं रोष न बो देना ,
कब ? कहाँ  ? कौन , किसी के साथ चलता है ??
गोद माँ की मिल जाये कुछ देर सो लेना …तनुजा ''तनु'' 

ओज 

जश्न मनाने के लिए जोश जरुरी है ,
उमंग और हौसला ओ ओज जरुरी है !!
ये रूठी उदास दुखी जिंदगी क्यों हो ??
नाचने के लिए ढोल ताशे भी जरुरी है !!!तनुजा ''तनु ''

ओज 

''ओज'' की बात न करो ''सोज'' होता है ,
''बहारों'' का दर्द ''बियाबां'' को होता है !
''आफताब'' से रिश्ता है न ''माहताब'' से ?
 आज इल्म नहीं है के क्या खोता है ???तनुजा ''तनु ''

दिल समंदर था तेरा मैं दरिया न हुई ,
बेबात बात निकली  मैं जरिया न हुई ,
काश !!! एक बूँद फ़लक से बरसी होती ??
धुँआ धुँआ सा ही रहा बदरिया न हुई !!तनुजा ''तनु ''


Friday, May 23, 2014

मन मिश्री मुख मृदुल मनोहर,
हमरे ऐसे कुञ्ज बिहारी मधुकर !
छुन छुन पैजनी बाजति दौड़त  ,
उत लिपटयो दधि मुख सुखकर !! '' तनु ''

Thursday, May 22, 2014


जिसने धोये गंगा में हाथ ,
वही सबसे बड़ा भगोड़ा ,,
वही न चाहे साथ किसी का , 
बड़ा कुनबा चाहे हो थोड़ा !!! तनु 
जलती धरा ……


मिटटी  का   दर्द  है आज  ''मिटटी'' की तरह ,

सूरज नें  फेंक दिए हैं अंगार''उसकी'' ही तरह !

जलती झुलसी हुई ही तो उड़ के जाती है ,

नमी की चाह  में हलकी सी हुई जाती है !

अभ्र  से  आये   ''आब'' की  बौछारें होंगी ,

तब घुल जायेगी जलन   ''जल''  में होगी ! ! तनुजा ''तनु ''

मैं दर्द की पुस्तक  …… लिखता हूँ कभी तू भी तो पढ़ ?
जीवन के हिसाब लिखता हूँ ....... . कभी तू भी तो पढ़ ?
ये जो जिन्दगी का.…… दंश .......  सह रहा हूँ मैं ,
मरके जी रहा,……  ……   वाकया कभी तू भी तो पढ़…तनुजा ''तनु ''

Wednesday, May 21, 2014




 मन भर के गज गज भर के ,

देखा सबको नयन भर भर के !

असली नकली नकली असली ,

धुले पाप न तिलक कर कर के !!तनुजा ''तनु '' 

कभी छाँव में फूल बिक जाते हैं ,
कभी धूप में शूल संवर जाते है !
ये रिश्तों से नावाकिफ होते  हैं ,
संवार देते हैं कभी संवर जाते हैं !!तनुजा ''तनु ''
जिंदगी हममें बहुतों से बदला लेती है !
हालात न बदल पाने की सजा देती है !!
किसी को ज़माने की दौलतें हासिल हैं !
किसी को सांस भी कर्जे में मिली होती है !!तनुजा ''तनु ''
कभी जब तुम न होते हो पास ,
सदा रहती आँखें नम उदास,
तुम तो मुस्कान से जी लेते हो !
पास मेरे तुम्हारा क्या है खास !!'तनु '
कभी छाँव में फूल बिक जाते हैं ,
कभी धूप में शूल संवर जाते है !
ये रिश्तों से नावाकिफ होते  हैं ,
संवार देते हैं कभी संवर जाते हैं !!तनुजा ''तनु ''
नींद देवी का आवाहन है नयन मूंदते आती है !
शुद्ध भाव सरल ह्रदय हो बिना बुलाये आती है !!
सुखद नींद में सृजन सुखद मातृ वंदना गाता हूँ !
मैं उसके भी गीत गाता हूँ जो भोर जगाने आती है !!तनुजा ''तनु ''

सूरज संग माँ अन्नपूर्णा हैं ,
निशा तो  देवी  मधुपर्णा हैं !
अमृत घट रस चन्द्र भरा है , 
सितारे उडगन तव शरणा है !!तनुजा ''तनु ''

 जान गया काया झूठी ,
 जान गया माया झूठी ,

जीवन बीता सिकुड़ा तन 
नहीं माता ना भाई है 
तेरे सोचे कुछ नाहीं है !!
बीते को विसरना जाने है ??
छोड़ काया आत्मा उठी
...  जान गया माया झूठी ,


क्या ?  रसातल तू जाने है ?

तू तो तल भी ना जाने है ,
हद सरहद में भूतल है !!
मुक्ता माणिक क्या जाने है ??  
कौन समझ सका गुत्थी .
... . जान गया माया झूठी ,


भटक जीव हद सरहद तोड़े ,
त्रिशंकु आत्मा जीव न छोड़े, 
शिव कंठ हलाहल है !!
रसना रसिक क्या जाने है ??
 भव भटकन बंधी फूंदी 
..... जान गया माया झूठी ,


जो पीव मिले सो जीव खिले ,
जग तोड़ के बंधन शिव मिले, 
हद सरहद के पार आत्मा !!
अनहद मस्ती क्या जाने है ??  
आया ये  बांधे मुट्ठी 
..... जान गया माया झूठी.... तनुजा ''तनु ''













रजनी कितनी ही काली हो छाती अरुणिम लाली ,
निशिगंधा जब खिली न देखा रात कितनी काली !
संघर्षों में जो वीर सच्चा आगे बढ़ता जाता है ,
शमशीर कहती शौर्य गाथा  बहते शोणित वाली !!तनुजा ''तनु ''

Tuesday, May 20, 2014

आओ अनुज हम तुम्हे करें कवि बना मंचासीन,
कोई कवि ठहरे नहीं जब तुम हो जाओ आसीन !
हो जाओ आसीन बहाओ कविता की अविरल धारा ,
ज्यों बही शीश चंद्रशेखर अविरल जटाशंकरी धारा !! 
नामचीन  हो नाम नरेंद्र हो बोलो अब क्या है कमी ,
ढेरों कविताएं लिख दी अब बन गयी है  निर्झरिणी !! ''तनु ''
आओ मिलने  मिलाने की बात हो जाए ,
गिले शिकवे दूर करने की बात हो जाए !
जिंदगी दो दिनों की है जालिम ,,,,,,
दूर तक संग संग चलने की बात हो जाए !!!!तनुजा ''तनु ''
अब न करें  बीते ज़माने की वो बात ,
गैर से मिला हाथ वो खंज़र की बात !
नई सुबह है ये नई बात करो ,
भूल जाओ वो इरादे वो घात की बात !!''तनु ''


 आज अपने नहीं ............. गैर मिलते हैं !

 बन के बैरी गले................  बैर मिलते है 

 गए दिन.......... नज़रों से सलाम भेजने के !

 आएं ? न आएं.??…करके देर मिलते हैं !! तनुजा ''तनु ''






  सवालों की दुनिया में घिरा हूँ निकालो मुझको ,

  आज अपने नहीं सब ............. गैर मिलते हैं !!

  क्यों इंतज़ार है … किसका है   इंतज़ार मुझको ,

  आएं ? न आएं.?? …करके देर मिलते हैं !! 

  एक वही है....  जिसका विश्वास  है मुझको ,

  फ़क्त साया ही है जिससे मेरे पैर मिलते हैं  !!

  आस  .... … रिश्तों की सलामती की मुझको ,

  क्या करूँ ....   बैरी गले बन के बैर मिलते हैं !!

  सांस में सांस है जीने की आस है  मुझको ,

  दोज़ख की बात न कर  मदीना की सैर मिलते हैं !! 

  आ ही जाएगा वो इक दिन ये मालूम है मुझको ,

  सफर आखिरी सलाम आखिरी करके सैर मिलते हैं !! …तनुजा  ''तनु'' 
   







हियरा हमरा भर भर आये ,
तोहरी पीर सही न जाये !
जब पीड़ा अंतस न समाये ,
नयनन से वह बह बह जाए !!

Monday, May 19, 2014

गुम हुई - सिट्टी पिट्टी,
पानी मिट्टी - पानी मिट्टी, 
ऊपरवाला - बने सनम,
क्यों फिर  - आँखें नम ,
थूको बातें - कड़वी खट्टी ,
अपनी तो  - मिट्ठी मिट्ठी ! तनुजा ''तनु ''
आज अपने नहीं ............. गैर मिलते हैं !
आज हाथ..…………   नहीं पैर मिलते हैं !!
गए दिन.......... नज़रों से सलाम भेजने के !
आएं न आएं.………करके देर मिलते हैं !!तनुजा ''तनु ''
संध्या बोली ; ऊषा से ,
 सखी  दादुर मोर क्यों बोले ?
ऊषा बोली संध्या से 
जब सूरज देखे धरा को ओ धरा बादल को तोले ,
पवन मीठे गीत सुनाये बादल मदिरा छलकाए , 
श्रावण स्वागत गीत सुनाये,
सखी दादुर मोर यों बोले !!  तनुजा ''तनु ''
संध्या बोली ऊषा से सखी  दादुर मोर क्यों बोले ?
जब सूरज देखे धरा को ओ धरा बादल को तोले ,
पवन मीठे गीत सुनाये बादल मदिरा छलकाए , 
श्रावण स्वागत गीत सुनाये दादुर मोर यों बोले !!  तनुजा ''तनु ''

निशिनाथ बिन बैठी रजनी कैसे करे श्रृंगार ,
बादल बीच चपला चपल प्रकट करे उदगार !!
मेघ गर्जना शम्पा संग  पवन करे आघात !
निद्रामग्न निशिनाथ हैं   रहे गगन आगार !!तनुजा ''तनु ''
फिर सुधियों के  बादल संध्या के मन पर छाए !
खड़ी खड़ी  सोचे  नादान नयनन  जल बरसाए !!
रजनी आई  निशिनाथ बिन मन बोझिल हो जाए !
यादों का अमृत कलश छल छल छलकत जाए !!तनुजा ''तनु ''

मन बड़ा बावरा भटके दौड़े उलटे पाँव
मॉल में  माल है कर खरीदी छाँव छाँव

परमारथ क्यों करना स्वारथ मीठे ढोल
पीट पीट बजाइयो स्वारथ है अनमोल

मानुस ऐसा मरखना मच्छर मार टपकाए
मच्छर बेचारा उसको  डंक मार रह जाए

बुराइयों से जो पेट भरे उसको न रोटी भाये
अगर बुराई ना करे मरखना बैल बन जाए

आज यहाँ और कल वहां दौड़े खातिर पेट
लालच की आंधी चली करगयी मटियामेट

चबाये बोटी बेचे बेटियां बेच दिया ईमान
बद से बदतर हो गया आज का इंसान








अरुणिमा सजी लगाए सिंदूर,
संध्या भी सजी लगाए सिंदूर !
दोनों सुहागिनें राह निहारें ,
सजी  सजनियाँ मांग सिंदूर !!तनुजा ''तनु ''

Sunday, May 18, 2014

क्या होगा अब मोल,उन घोड़ों का मण्डी में,,
लुट गए अस्तबल, जिनके हदबन्दी में।
@सुजीत शौकीन
हौसला हमें अपना कायम रखना होगा 
निगाह में परवरदीगार की रहना होगा तनुज''तनु ''
कविता क्या है ?

कविता ………क्षितिज पर छाया हुआ इन्द्रधनुष !
ज्यों आंसू की एक बूँद…  धोये अंतर्मन का कलुष !!
प्रायश्चित के सागर में कविता…अश्रु की एक बूँद !
बना जाए दनुजों को देव मानवता को दे दे मनुष्य !!तनुजा ''तनु ''
















Friday, May 16, 2014

है क्षितिज पर छा गया आशाओं का इंद्र धनुष !
आंसू की इक बूँद धो गयी अंतरमन का कलुष !! 
प्रायश्चित के सागर में अश्रु की एक बूँद गिरकर !
दनुज बन गए देव मानवता बना गयी मनुष्य !!तनुजा ''तनु ''


एक आँसू की बूंद नयन के कटोरे में ,
सिमट गयी एक झील अभ्र सकोरे में !
क्षितिज पर उभरा है आशा का इंद्रधनुष ,
एक अनकही कह जाएगा अबोले में !! तनुजा ''तनु ''
तिमिर की बात नहीं ,, … है सूरज का दिन , 
शीतलता आये कहाँ से ,,  नित शशांक बिन !
शशांक रजनी की कहानी सूरज संध्या जैसी ,
जीवन क्यों कर होता ??...इन दोनों के बिन !! तनुजा ''तनु ''
आई ऊषा बीती रजनी अरुणिमा कौल निभाएगी !
दिन के सारे अनुबंधों  अनुबंधित फंसती जायेगी !!
हारी श्रांत क्लांत हो   बन संध्या पसरती जायेगी !
रजनी समेट अपने आँचल में फिर सोने ले जायेगी !! तनुजा ''तनु ''

ये काली बदली कितने दिन तक छाएगी ???
न जाने ??? बिन बरसे ही यूँ ही चली जाएगी 
बीते दिन ख़ुशी गयी छिन धरा प्यासी प्यासी ,
अब तो बरसो बदरा धरती प्यासी रह जाएगी !! तनुजा ''तनु ''



हाल ए  दिल देखा दिलों का हाल देखा ,
शमा को बुझते देखा परवानों को जलते देखा !
ये दुनिया आनी जानी  हे मेरे ए दोस्त, 
आग से बुझते देखा आब से जलते देखा !!


पाप बेहिसाब  देखा पुण्य बेहाल देखा ,
पाप को सींचते देखा  पुण्यों को गलते देखा !
अच्छे करम पानी पानी हैं मेरे ए दोस्त ,
पुण्यों को रोते देखा पाप संवरते देखा  !!


मरते मरते जीने की तमन्ना देखी ,
जीने वालों को जीते जी मरते देखा !
जीवन मरण भी कहानी है ए मेरे दोस्त ,
मरते को जीते देखा जीते को मरते देखा !!


दिल की खुशियों पे ग़मों  का परदा देखा ,
ग़मों की आह में खुशियों को पलते देखा !
ग़म और  खुशी बेमानी है  मेरे ए  दोस्त ,
ख़ुशी की चाह में ग़म को ढलते देखा !!  तनुजा ''तनु ''