बुलाता है अभी तुझको सभी का प्यार होली में ;
नदी रंगों भरी तू है ना अबकी बार होली मे ?
सभी देखें तुझे जी भर तू देखे सब को जी भर के ;
क्यूँ बिखरे नीड के तिनके, रोया संसार होली में !
नहीं परदेस से लौटा, अगरचे ज़िद तेरी ऐसी ;
न जाने और ही क़र्ज़ का पड़ा है हार होली में !
मयस्सर कर खुशी सबको, कि हर इक आँख रोती है ;
दूर ही गाता रहा रसिया, नहीं श्रृंगार होली में !
कपोलों पे ढले आँसू दिखाते पीर इस दिल की ;
निभाता कौन से तू इश्क का किरदार होली में !
कहीं फाग का गायन कहीं कुल्हड़ में ठंडाई;
बिना तेरे हमें लगते हैं सब बेकार होली में !
मंजीरे ढोल भी फीके रंगों की चमक खोई ;
हुए बदरंग सब चेहरे, तड़फ़ इस बार होली में!
अदा तूने किये अब तक सभी फ़र्ज़ मुहब्बत के;
उभरकर आ गया रंगीं तेरा किरदार होली में !
बहुत फीके हैं 'तनु' अब ये ज़मीनो आसमाँ तुझ बिन ;
गुलाबी कब लगेगा बोल ये संसार होली में! ...... ''तनु''