मेरे तसव्वुरात की वुसअत मुबारक़ हो मुझको;
खिलती कलियों की ये सौगात मुबारक़ हो मुझको!
नम हवा, जरा जमीं का टुकड़ा सूरज की रौशनी;
बीज फट पौधा बना, बनफूल मुबारक़ हो मुझको!
बेग़रज़ होके ये प्यार की डोरी बाँधी उससे;
कायनात समझ लूँ सलाहियत मुबारक़ हो मुझको!
फूल में झाँको, वही रंगत, वही खुशबू मोहती;
ख़ार जो सरजद ना हुआ वही मुबारक़ हो मुझको!
है भरोसा दुनिया मुझको, हर शय में क़शिश कायम;
सजीली धनक की पाक़ीज़गी मुबारक़ हो मुझको!.... ''तनु''