क़ुरबतों में बारहा सहते रहे ;
दरमियां इक फासला भरते रहे !
दरमियां इक फासला भरते रहे !
हर किसी की आँख इक आइना है ;
देखादेखी अनदेखा करते रहे !
मसअला दर मसअला हर मसअला ;
सिलसिला दर सिलसिला टरते रहे !
मुद्दई की चुप्पियाँ फिर चुप्पियाँ ;
फैसले का फैसला पढ़ते रहे !
धुनकियों से धुनक डाला धनक को ;
यूँ रुई रुई आसमा करते रहे !
बेहिसी ओढ़ कर रहबर सो गया ;
धूप में हम आईना धरते रहे !.... ''तनु''
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