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Sunday, July 11, 2021

कुरबतों में बारहा सहते रहे

क़ुरबतों में बारहा सहते रहे ;
दरमियां इक फासला भरते रहे !

हर किसी की आँख इक आइना है ;
देखादेखी अनदेखा करते रहे !

मसअला दर मसअला हर मसअला ;
सिलसिला दर सिलसिला टरते रहे !

मुद्दई की चुप्पियाँ फिर चुप्पियाँ ; 
फैसले का फैसला पढ़ते रहे !

धुनकियों से धुनक डाला धनक को ;
 यूँ रुई रुई आसमा करते रहे !

बेहिसी ओढ़ कर रहबर सो गया ;
धूप  में हम आईना धरते रहे !.... ''तनु''





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