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Friday, June 10, 2016





पात नहीं परीर हूँ  ;  
बाँस हूँ   बनीर हूँ !    

संधान को तैयार हूँ ;

भरा हुआ तुणीर हूँ !           

आहूत हूँ आहत नहीं ;

आल्हादित पात्रीर हूँ  !                      

आफतों के दौर में ;

मिटती हुई महसीर हूँ !    

आदि भी आखीर भी ;

नीर हूँ औ क्षीर हूँ !!....तनुजा ''तनु ''

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