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Thursday, June 9, 2016




 अलहदगी


वो हमारी जिंदगी थी ;
खाब मेरा,  बंदगी थी !!

चाँद उतरा था जमीं पर;
नूर रौशन था सादगी थी !!

तलब थी मेरी इक ही तो ;
पाक दिल में कहाँ रिंदगी थी !!

सर्द हवा थी औ ख्याल तेरा ;
दिल खुश था आसूदगी थी !!

नासमझ है शाम की हवा 
कैसी प्यारी आजादगी थी !!

हाल ये की तेरी हंसी में ;
कुछ ग़मों की पोशीदगी थी!!

के तमाम इलज़ाम चाँद को ;
राहे इश्क की ?? अलहदगी थी !! तनुजा ''तनु ''

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