नभ पर टेसू खिल गया, ले कुमकुम का थाल !
जीवन हरा भरा रहे, होता रहे कमाल !!
निराली आभा से सजा , नभ का भाल विशाल !
सिंदूरी सजता रहा , नित सीमान्त भाल !!
जब सूरज ऊपर चढ़े ,सही न जाए प्यास !
प्यासे प्राण चाह रहे , जल की है यह आस !!
जीवन हरा भरा रहे, होता रहे कमाल !!
निराली आभा से सजा , नभ का भाल विशाल !
सिंदूरी सजता रहा , नित सीमान्त भाल !!
जब सूरज ऊपर चढ़े ,सही न जाए प्यास !
प्यासे प्राण चाह रहे , जल की है यह आस !!