Labels

Monday, May 22, 2017






नभ पर टेसू खिल गया,  ले कुमकुम का थाल !
जीवन हरा भरा रहे,            होता रहे कमाल !!
   
निराली आभा से सजा ,  नभ का भाल विशाल !
सिंदूरी सजता  रहा ,     नित सीमान्त भाल !!

जब सूरज ऊपर चढ़े ,सही न जाए प्यास !
प्यासे  प्राण चाह रहे , जल की है यह आस !!


No comments:

Post a Comment