जेठ रो महिनों
घाम जलावै लाय सी, घणो जेठ रो ताव !
पंछीड़ा तीसा मरे, रूँखड़ा खोजे छाँव !!
ज्ञानी दानो डोकरो ,आग महीनो जेठ !
''ठंढ'' आखर रो पड्या, रख्या कान उमेठ !!
जबरो जिद्दी यो घणों, कट नी माने वात !
जेठ तपायो आग सो , जदि तो वी वरसात !!
उगमणों ने आथमणों, थोड़ो रे कमजोर !
जेठ दुफारी लाय री, लपट घणी बरजोर !!
जेठ दुफारी लाय री, पटके रे झिंझोड़ !
पगरख्या में पगथली ,जळे बळे बरजोर !!
धरणि तपे जद घाम से, सावण में सरसाय !
जिद्दी जेठ घणों तपे ,चिलक घणों इतराय !! ''तनु ''
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