शिशिर की शीत घनी, गए हैं सिकुड़ दिन,
बहुत बड़ी रैन है, मुँह ढाँक सोइये..
शरारती हवा हुई, रही है चुभाय पिन,
किरण मोती धूप में, गिन गिन पोइये..
ठिठुरती रात गयी, भोर किरण ग्वालिन,
लेकर के ओस चली, अँचरा भिगोइये..
ठिठुरती रात गयी, भोर किरण ग्वालिन,
लेकर के ओस चली, अँचरा भिगोइये..
दाँतों की किट किटर, सन्नाटों के पल छिन,
गाँव में जमाव बिंदु, हिम बीज बोइये .. ''तनु''
गाँव में जमाव बिंदु, हिम बीज बोइये .. ''तनु''