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Saturday, December 8, 2018

वो


वो कमा कर लाती है !!
क्यों न किसी को भाती है ,....
आह!! वो बिना मोल बिकी
रोटियों से ज्यादह सिकी ,

उठ तारों की छाँह चली ,
भिनसारे ही करम जली
दोपहर तक टूटे कमर
धूप देखे बुझती नजर,
नज़र हर घडी, ..  घडी टिकी
आह!! वो बिना मोल बिकी, ,,

धो सबका मैला गंदा ,
बर्तन आँगन औ कंथा ,
शाम ढले  बने  तंदूर ,
श्राप ताप बना सिंदूर ,
कंगना महावर टीकी
आह!! वो बिना मोल बिकी, ,,

लाल संग , ,,,, लाल का काम
काल संग , ,,, काल का काम
रिश्ता है या व्यापार
औरत ?? अनोखा संसार
बात बताना ना जी की, ..
आह!! वो बिना मोल बिकी , ,,

दर्द की बात कौन कहे ?
आँसू आँख से मौन बहे ,
कैसा उसे वेतन मान , ,,
मुफ्त का जानता जहान
देखें घूरें जहाँ दिखी ,..
आह!! वो बिना मोल बिकी। ....  ''तनु''






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