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Tuesday, December 22, 2020

अभी तो ये इब्तदा है,

अभी तो ये इब्तदा है,   कोई अंजाम नहीं है; 

भरा हुआ पैमाना है,  ये खाली जाम नहीं है! 

हर वक़्त क्यों लगे हो खुद को सही सिद्ध करने में , ,,

जिंदगी तो जिंदगी है,   कोई इल्जाम नहीं है !!.... ''तनु''



Sunday, December 20, 2020

अब तो इस संसार से, मुक्ति धाम की गेह !

 स्मृतियों के हार पहन, मौन हो गयी देह ;

अब तो इस संसार से, मुक्ति धाम की गेह !


तन पीड़ित मन रीतता, इस दुनिया के बीच ;

बरसों बरस लगा रहा, इस दुनिया से नेह !


कहाँ मिला था आसरा, यहीं कहीं है स्वर्ग ;

अब दुख का क्या काम है, बरसा हो जब मेह!


अनुभव की खेती हुई, फसल हुई भरपूर ;

जीवन संध्या काल है, उमर बन गयी खेह !


अनुभव की कीमत बहुत, इस दुनिया के बीच;

चाँदी जैसे केश हैं, उर दरिया है नेह !


जिनका नव संसार है, जीवन जिनका फूल ;

मुदितमना विहसित रहें, कभी नहीं हो छेह !.... ''तनु''





Tuesday, December 15, 2020

आँसू आँखों में डबडबाते हैं


आँसू आँखों में डबडबाते हैं; 
नीचे गिरने से हिचकिचाते हैं

हर तज़ुर्बा सबक़ सिखाता है; 
रोते रोते कभी खिलखिलाते हैं!

अंजाम चाह कर नहीं मिलते; 
हार से डर कर डगमगाते हैं!

आशियाना यूँ उजाड़ने वाले ;
देखते हैं क्या, गिड़गिड़ाते हैं !

क़ायदा रखते तो ये नहीं होता; 
टूटते कौल, दिल कसमसाते हैं !

नींद से डरना कभी नहीं वाज़िब;
ख़्वाब नींद में  ही दनदनाते हैं !

आज़माईश असीर पर कैसी? 
जो परिंदों सा फड़फडाते हैं ! ... ''तनु''