आँसू आँखों में डबडबाते हैं;
नीचे गिरने से हिचकिचाते हैं
हर तज़ुर्बा सबक़ सिखाता है;
रोते रोते कभी खिलखिलाते हैं!
अंजाम चाह कर नहीं मिलते;
हार से डर कर डगमगाते हैं!
आशियाना यूँ उजाड़ने वाले ;
देखते हैं क्या, गिड़गिड़ाते हैं !
क़ायदा रखते तो ये नहीं होता;
टूटते कौल, दिल कसमसाते हैं !
नींद से डरना कभी नहीं वाज़िब;
ख़्वाब नींद में ही दनदनाते हैं !
आज़माईश असीर पर कैसी?
जो परिंदों सा फड़फडाते हैं ! ... ''तनु''
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