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Wednesday, February 25, 2015

तबियत मेरी नासाज है जाने खुदा क्या चाहे है ;
घुट रही  मेरी आवाज है जाने क्या खुदा चाहे है !

सदा एक बदली हज़ारों आवाज़ - ए  - बाज़गश्त में ;
शीशे के मुक़ाबिल शीशा है हज़ारों बाँह पसारे है !

जर्द  पत्ता जो उड़ कर चला  सर्द हवाओं में ;
नमी शाख की बेकस औ ज़मी भी पुकारे है !

बेनाम जुस्तजू है तनहा  छुपी सी जेहन में ;
कोई इधर बुलाये है ''तनु '' कोई उधर पुकारे है !… ''तनु ''



Sunday, February 8, 2015

रखना सम्हाल!!!
बसंत से,
बारिश से,
फूल सी……
काया काची
साँस की,

बनती  है !!!
हवा से ,
पानी से,
पृथ्वी आकाश  ……
आग से
माया  पाँच की ,

आहत होती है!!!
झूठ से,
लूट से,
टूट  जाती है ....
मन की पुतली
साँच की,

तड़क जाती है!!!
गर्मी से,
ठंढ़ से,
पथरीली छुअन से……
सलोनी  गगरी
काँच की,

जला देती है!!!
प्यार से,
घृणा से,
दर्प धन की ……
पोटली
आँच की,..... ''तनु ''






Thursday, February 5, 2015

''जय श्री कृष्ण'' कहो तो शब्दों में कृष्ण नज़र आते हों ,
जब सलाम कहो तो सजदे में झुके नजर आते हों !!
मानव हो मानवता को धारण किये  चलते चलो ,
सलाम नमस्ते कहते हों या आदाब बजा लाते हों!! … ''तनु '' 

Tuesday, February 3, 2015



भावों की मदिरा छलकी,
शब्दों ने ली बाँहें थाम !
आज वसंत की पायल बजती,
हौले से गाती है शाम !!

राह तकते मित्र किंशुक का,
आम्र दर्प से मुस्काया है!
कण कण कली कली से खिलते ,
नवल बौर बौर  बौराया है!!
व्यथित नहीं विश्वास,
आस उजास की न्यारी शाम!
भावों की मदिरा छलकी,
शब्दों ने ली बाँहें थाम!!

धरा ने पीली चुनरी ओढ़ी,
प्रीत पावन से महकी नवेली!
सूरज ने प्रणय में जल के,
टेसू का जंगल जाया है!!
आज मनवा नहीं उदास,
फागुन उतरा सबके धाम!
भावों की मदिरा छलकी,
शब्दों ने ली बाँहें थाम!!

उल्लास की गगरी ढुलकी  ,
सरिता मद्धिम मद्धिम बहती!
इस ऋतु में कान्हा ने आकर ,
रंगों से रास रचाया है !!
बजे चंग और मृदंग खास,
नूपुर रुन झुन नाचे भाम!
भावों की मदिरा छलकी,
शब्दों ने ली बाँहें थाम!!…''तनु ''