भावों की मदिरा छलकी,
शब्दों ने ली बाँहें थाम !
आज वसंत की पायल बजती,
हौले से गाती है शाम !!
राह तकते मित्र किंशुक का,
आम्र दर्प से मुस्काया है!
कण कण कली कली से खिलते ,
नवल बौर बौर बौराया है!!
व्यथित नहीं विश्वास,
आस उजास की न्यारी शाम!
भावों की मदिरा छलकी,
शब्दों ने ली बाँहें थाम!!
धरा ने पीली चुनरी ओढ़ी,
प्रीत पावन से महकी नवेली!
सूरज ने प्रणय में जल के,
टेसू का जंगल जाया है!!
आज मनवा नहीं उदास,
फागुन उतरा सबके धाम!
भावों की मदिरा छलकी,
शब्दों ने ली बाँहें थाम!!
उल्लास की गगरी ढुलकी ,
सरिता मद्धिम मद्धिम बहती!
इस ऋतु में कान्हा ने आकर ,
रंगों से रास रचाया है !!
बजे चंग और मृदंग खास,
नूपुर रुन झुन नाचे भाम!
भावों की मदिरा छलकी,
शब्दों ने ली बाँहें थाम!!…''तनु ''
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