तबियत मेरी नासाज है जाने खुदा क्या चाहे है ;
घुट रही मेरी आवाज है जाने क्या खुदा चाहे है !
सदा एक बदली हज़ारों आवाज़ - ए - बाज़गश्त में ;
शीशे के मुक़ाबिल शीशा है हज़ारों बाँह पसारे है !
जर्द पत्ता जो उड़ कर चला सर्द हवाओं में ;
नमी शाख की बेकस औ ज़मी भी पुकारे है !
बेनाम जुस्तजू है तनहा छुपी सी जेहन में ;
कोई इधर बुलाये है ''तनु '' कोई उधर पुकारे है !… ''तनु ''
घुट रही मेरी आवाज है जाने क्या खुदा चाहे है !
सदा एक बदली हज़ारों आवाज़ - ए - बाज़गश्त में ;
शीशे के मुक़ाबिल शीशा है हज़ारों बाँह पसारे है !
जर्द पत्ता जो उड़ कर चला सर्द हवाओं में ;
नमी शाख की बेकस औ ज़मी भी पुकारे है !
बेनाम जुस्तजू है तनहा छुपी सी जेहन में ;
कोई इधर बुलाये है ''तनु '' कोई उधर पुकारे है !… ''तनु ''
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