रखना सम्हाल!!!
बसंत से,
बारिश से,
फूल सी……
काया काची
साँस की,
बनती है !!!
हवा से ,
पानी से,
पृथ्वी आकाश ……
आग से
माया पाँच की ,
आहत होती है!!!
झूठ से,
लूट से,
टूट जाती है ....
मन की पुतली
साँच की,
तड़क जाती है!!!
गर्मी से,
ठंढ़ से,
पथरीली छुअन से……
सलोनी गगरी
काँच की,
जला देती है!!!
प्यार से,
घृणा से,
दर्प धन की ……
पोटली
आँच की,..... ''तनु ''
बसंत से,
बारिश से,
फूल सी……
काया काची
साँस की,
बनती है !!!
हवा से ,
पानी से,
पृथ्वी आकाश ……
आग से
माया पाँच की ,
आहत होती है!!!
झूठ से,
लूट से,
टूट जाती है ....
मन की पुतली
साँच की,
तड़क जाती है!!!
गर्मी से,
ठंढ़ से,
पथरीली छुअन से……
सलोनी गगरी
काँच की,
जला देती है!!!
प्यार से,
घृणा से,
दर्प धन की ……
पोटली
आँच की,..... ''तनु ''
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