बहुत से ग़म हँसना पड़ेगा ही !
ऐ मुक़द्दर लड़ना पडेगा ही !!
काट अपनी कहाँ रखूँ बाहें !
वो दुश्मन बन गया लड़ेगा ही !!
जिंदगी अब ज़ख़्म ज़ख़्म है तू !
घाव को तो रिसना पड़ेगा ही !!
आसमाँ भी कभी रहा खाली ?
वो सितारे कुछ तो जडेगा ही !!
दे दे सब्र करूँ इंतज़ार मैं !
मालिक आना तुझे पड़ेगा ही !!... ''तनु''
ऐ मुक़द्दर लड़ना पडेगा ही !!
काट अपनी कहाँ रखूँ बाहें !
वो दुश्मन बन गया लड़ेगा ही !!
जिंदगी अब ज़ख़्म ज़ख़्म है तू !
घाव को तो रिसना पड़ेगा ही !!
आसमाँ भी कभी रहा खाली ?
वो सितारे कुछ तो जडेगा ही !!
दे दे सब्र करूँ इंतज़ार मैं !
मालिक आना तुझे पड़ेगा ही !!... ''तनु''