दर्पण छायी मलिनता, रोये जब है आँख !
मुखड़ा धुंधल हो गया, खोय ख़ुशी की छाँक !!
आँसू की लड़ियाँ चली , अधर गये हैं सूख, ,,
मलिन मन, जी की खुशियाँ, कोउ सके ना आँक ?... ''तनु''
मुखड़ा धुंधल हो गया, खोय ख़ुशी की छाँक !!
आँसू की लड़ियाँ चली , अधर गये हैं सूख, ,,
मलिन मन, जी की खुशियाँ, कोउ सके ना आँक ?... ''तनु''
No comments:
Post a Comment