Labels

Wednesday, November 21, 2018

दर्पण छायी मलिनता, रोये जब है आँख !
मुखड़ा धुंधल हो गया,  खोय ख़ुशी की छाँक !!
आँसू की लड़ियाँ चली  ,  अधर गये हैं सूख, ,,
मलिन मन, जी की खुशियाँ,  कोउ सके ना आँक ?... ''तनु''

No comments:

Post a Comment