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Monday, November 30, 2020

तू कहाँ है तुझे कहाँ ढूँढूँ


तू कहाँ है तुझे कहाँ ढूँढूँ,
ख़ैरियत का पता कहाँ ढूँढूँ!

ये सही नहीं मुझे भुला देना,
तू बता दे  तुझे कहाँ ढूँढूँ!

बीच अपने कहाँ दूरियाँ थी, 
छूटता सिलसिला कहाँ ढूँढूँ!

तू बुलाता नहीं सदायें दे के,
गूँजती थी सदाएँ कहाँ ढूँढूँ! 

आँख से दूर कश्ती कहीं डूबी, 
नाख़ुदा हुआ ख़ुदा कहाँ ढूँढूँ!

दिल की कलियाँ मसोसती हैं दिल, 
''तनु''  चुभे काँटे कहाँ कहाँ ढूँढूँ!.... ''तनु''




 

 


 


मैं दिल-ए-अजीज़ ही न बन जाऊंँ !



मैं दिल-ए-अजीज़ ही न बन जाऊंँ !
चाँदनी चाँद की ही न बन जाऊंँ !!

चाँद उतरे ज़मीं पर रूबरू हो!
साँझ पी लूँ सबा ही न बन जाऊंँ !!

आज़माओ न मेरी क़ुव्वत तुम!
मैं कहीं प्यार ही न बन जाऊंँ !!

अलग मेरा जहां, जहाँ से अलग !
मैं जहाँ का जहां ही न बन जाऊंँ !!

दायरे दायरे फना हैं ख़ुद में!
मैं सिफ़र सिफ़र ही न बन जाऊंँ !!

कौल, वादा, क़रार, लफ़्ज़, बयान!
'तनु' एक जुमला ही न बन जाऊंँ !!.... ''तनु''





Thursday, November 26, 2020

ख़ाक में दस्तार मिली , इज़्जत मटियामेट

 

 ख़ाक में दस्तार मिली, इज़्जत मटियामेट !
बिकती जाती जिंदगी,   भरते खाली पेट !!

रहे पेंच दस्तार के,  दिली अज़ीज़ वक़ार !
सर ने सजदा ना किया,  सजी रही दस्तार !!

हिफ़ाज़त हुई न सर की, लुटे दरो दीवार !
बिक जाये ये जिंदगी,  बिके नहीं दस्तार !!

किस फितरत में खो गये,  लोगों के किरदार !
बात सभी झूठी रही,        नकली थी दस्तार !!

 आज सभी इंसान के,     सस्ते है किरदार !
 झूठ दिखावा शान में,   बिक जाती दस्तार !!

जली बिटिया की खुशियाँ,  क़दम तले दस्तार !
किस फितरत में लुट गये,    सस्ते से किरदार !!.... ''तनु''

Wednesday, November 25, 2020

हर तरकीब लड़ाना छोड़ा !


हर तरकीब लड़ाना छोड़ा !
जोखिम और उठाना छोड़ा!!

हल ना होगी यही हुआ फिर !
हमने बात बढ़ाना छोड़ा !!

होती हर दम उसकी पूरी !
नूरे नज़र झुकाना छोड़ा !!

कडवी बात दवा के जैसी !
लो जी को समझाना छोड़ा !!

तूफां, बिजली, इंद्रचाप में !
मन को अब उलझाना छोड़ा!!

शोख़ लिबासों को छोड़ा था !
अब हमने फकीराना छोड़ा !!

''तनु'' मटमैला दिल देखा तो !
उसको ग़ज़ल सुनाना छोड़ा !!... 'तनु'




Tuesday, November 10, 2020

बढ के सीने से लगाऊँ कैसे


बढ के सीने से लगाऊँ कैसे !
वो मेरा है पर, मनाऊँ कैसे !!

तार टूटा सुर सजते ही नहीं !
टूटती हैं रगें सहलाऊँ कैसे !!

रोग इक बार में ही कट जाये !
दौरे हाज़िर ग़म भुलाऊँ कैसे !!

ये हवाएँ फिर नमी ले आईं है !
तुझको मैं सब से बचाऊँ कैसे !!

जाने क्यों आज ये लहू रिसता है !
ये ज़ख़्म अपना दिखाऊँ कैसे !!

मैं 'तनु' सार और अयस भी कहाँ !
उस पारस से बदन सटाऊँ कैसे !!.... ''तनु''