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Thursday, November 26, 2020

ख़ाक में दस्तार मिली , इज़्जत मटियामेट

 

 ख़ाक में दस्तार मिली, इज़्जत मटियामेट !
बिकती जाती जिंदगी,   भरते खाली पेट !!

रहे पेंच दस्तार के,  दिली अज़ीज़ वक़ार !
सर ने सजदा ना किया,  सजी रही दस्तार !!

हिफ़ाज़त हुई न सर की, लुटे दरो दीवार !
बिक जाये ये जिंदगी,  बिके नहीं दस्तार !!

किस फितरत में खो गये,  लोगों के किरदार !
बात सभी झूठी रही,        नकली थी दस्तार !!

 आज सभी इंसान के,     सस्ते है किरदार !
 झूठ दिखावा शान में,   बिक जाती दस्तार !!

जली बिटिया की खुशियाँ,  क़दम तले दस्तार !
किस फितरत में लुट गये,    सस्ते से किरदार !!.... ''तनु''

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