ख़ाक में दस्तार मिली, इज़्जत मटियामेट !
बिकती जाती जिंदगी, भरते खाली पेट !!
रहे पेंच दस्तार के, दिली अज़ीज़ वक़ार !
सर ने सजदा ना किया, सजी रही दस्तार !!
हिफ़ाज़त हुई न सर की, लुटे दरो दीवार !
बिक जाये ये जिंदगी, बिके नहीं दस्तार !!
किस फितरत में खो गये, लोगों के किरदार !
बात सभी झूठी रही, नकली थी दस्तार !!
आज सभी इंसान के, सस्ते है किरदार !
झूठ दिखावा शान में, बिक जाती दस्तार !!
जली बिटिया की खुशियाँ, क़दम तले दस्तार !
किस फितरत में लुट गये, सस्ते से किरदार !!.... ''तनु''
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