पात लरजते पवन से, झरने गाएँ गीत ,
पर्वत पर्वत डोल रहा, ये बिरला संगीत !
लिए गगन भी झूमता, तारे उडगन चाँद, ,,
बन बैठे आदित्य भी यारों अपने मीत !!.. ''तनु''
पर्वत पर्वत डोल रहा, ये बिरला संगीत !
लिए गगन भी झूमता, तारे उडगन चाँद, ,,
बन बैठे आदित्य भी यारों अपने मीत !!.. ''तनु''