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Saturday, May 26, 2018

अमिय बरसो

अमिय बरसो अभ्र से,  निहार लूँगा मैं  ;
 फूल बिखरी ओस को, निथार लूँगा मैं  !  
धर हूँ धरा पर नहीं दूरी धारा से, ,, 
पल्लव बन नीहार को निखार लूँगा मैं !.... ''तनु''

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