अमिय बरसो अभ्र से, निहार लूँगा मैं ;
फूल बिखरी ओस को, निथार लूँगा मैं !
धर हूँ धरा पर नहीं दूरी धारा से, ,,
पल्लव बन नीहार को निखार लूँगा मैं !.... ''तनु''
फूल बिखरी ओस को, निथार लूँगा मैं !
धर हूँ धरा पर नहीं दूरी धारा से, ,,
पल्लव बन नीहार को निखार लूँगा मैं !.... ''तनु''
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